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पत्र - लेखन (भाग - 3) - खण्ड, व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

(iv) संपादक के नाम पत्र का प्रारूप

पत्र - लेखन (भाग - 3) - खण्ड, व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

 

उदाहरण
    1.    आप के विद्यालय में वृक्षारोपण सप्ताह मनाया गया। उसकी जानकारी देते हुए किसी प्रमुख समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
    उत्तर -   परीक्षा भवन
        कººº विद्यालय
        नई दिल्ली
        9 मार्च, 20××
        संपादक
        दैनिक जागरण
        ए.फ ब्लाॅक, सेक्टर 62
        नोएडा (उत्तर प्रदेश)
        विषय – विद्यालय में मनाए गए वृक्षारोपण सप्ताह के संबंध् में।

 

मान्यवर
        मैं आप के सम्मानित पत्र के माध्यम से लोगों में वृक्षारोपण कार्यक्रम के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना चाहता हूँ।
        जुलाई 20×× के द्वितीय सप्ताह में यहाँ वृक्षारोपण कार्यक्रम मनाया गया। जुलाई महीने के आरंभ से ही बरसात आरंभ हो जाने के कारण यह अत्यंत उपयुक्त समय था। हमारे विद्यालय के प्रधनाचार्य ने उद्यान विभाग से 500 पौधे मँगवा लिए थे, जिन में फूलों  के पौधें के अलावा छायादार वृक्षों के पौधे भी थे। शिक्षाध्किारी महोदय ने पहला पौध लगाकर शुभारंभ किया। इस के बाद प्रधनाचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी उत्साहित होकर पौधें का रोपण करने लगे। जैसे ही पौधे लग चुके, इंद्र देव ने वर्षा शुरू कर दी। तीन-चार दिन में ही प्रांगण हरा-भरा हो उठा।
        आपसे प्रार्थना है कि आप इसे समाचार-पत्र में प्रकाशित करें ताकि अन्य विद्यालयों के विद्यार्थी तथा जन-साधरण इस कार्य के लिए प्रेरित हो सकें ।
        सध्न्यवाद
        भवदीय
        यººº
  


  2.    अपने शहर में बढ़ते ध्वनि-प्रदूषण की ओर ध्यानाकर्षित कराते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
     उत्तर -
   परीक्षा भवन
        कººº विद्यालय
        नई दिल्ली
        02 मार्च, 20××
        संपादक
        नवभारत टाइम्स
        7, बहादुर शाह जफ़र मार्ग
        नई दिल्ली-110002
        विषय – बढ़ते ध्वनि-प्रदूषण के संबंध् में।
        मान्यवर
        मैं आप के सम्मानित पत्र के माध्यम से सरकार का ध्यान अपने शहर में बढ़ते ध्वनि-प्रदूषण की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
        आजकल दिल्ली के शहरी क्षेत्रा में किसी भी सड़क पर वाहनों की भीड़ देखी जा सकती है। ये वाहन एक-दूसरे से आगे निकलने की प्रतियोगिता करते हुए अनवरत हाॅर्न बजाते रहते हैं। चौराहों पर चलने का सं केत मिलने के पहले से ही हाॅर्न बजाकर शोर मचाना शुरू कर देते हैं, जिससे ध्वनि-प्रदूषण उत्पन्न होता है। इसका दुष्परिणाम हृदय एवं कान के रोगों के रूप में सामने आ रहा है। अब तो दस-बारह किलोमीटर की यात्रा में ही तनाव हो जाता है।
        आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें ताकि संबंध्ति अधिकारियों का ध्यान इस समस्या की ओर जाए और ध्वनि-प्रदूषण से मुक्ति मिल सके।
        सधन्यवाद
        भवदीय
        यººº

 

3.    एक महीने से भी अधिक समय से खराब पड़े टेलीफोन की ओर ध्यान आकर्षित कराने हेतु किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
     उत्तर -
   परीक्षा भवन
        कººº विद्यालय
        इलाहाबाद
        05 मार्च, 20××
        संपादक
        पंजाब केसरी
        वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया
        नई दिल्ली।
        विषय – लंबे समय से खराब पड़े टेलीफोन के संबंध् में।
        महोदय
        मैं आप के लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से एमºटीºएनºएलº  के संबंधित अधिकारियों का ध्यान अपने खराब पड़े टेलीफोन की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
        मैं एमºटीºएनºएलº के लैंड लाइन टेलीफोन का उपभोक्ता हूँ, जिसका नंबर ...... है। यह टेलीफोन पिछले डेढ़ महीने से खराब है, जिसकी मौखिक एवं लिखित शिकायत लाइनमैन से लेकर क्षेत्राीय अधिकारी          से की, परंतु परिणाम शून्य रहा। मुझे मौखिक आश्वासनों के अलावा कुछ भी न मिला। जिस टेलीफोन को मैंने अपनी सुविधा के लिए लगवाया था, वही अब समस्या बन गया है।
       आपसे प्रार्थना है कि इसे अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें ताकि संबंध्ति अधिकारियों का ध्यान  इधर जाए और मेरी समस्या का समाधन हो सके। आशा है आप शीघ्रातिशीघ्र उचित                 कदम  उठाएँगे।
        सधन्यवाद
        भवदीय
        यººº
 


   4.    आप के मोहल्ले के पास स्थित पार्क में लोगों ने अवैध् कब्जा कर रखा है, जिससे अन्य लोगों को परेशानी हो रही है। इसकी शिकायत करते हुए दैनिक जागरण के संपादक को पत्र लिखिए।
     उत्तर -
   परीक्षा भवन
        कººº विद्यालय
        नई दिल्ली
        05 मार्च, 20××
        संपादक
        दैनिक जागरण
        ए.फ ब्लाॅक, नोएडा (उºप्रº)
        विषय – पार्क में अवैध् कब्जे के संबंध् में।
        मान्यवर
        मैं आप के सम्मानित पत्र के माध्यम से संबंध्ति अध्किारियों का ध्यान अपने मोहल्ले के पास स्थित पार्क में अवैध् कब्जे की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।
        हमारे मोहल्ले के पास एक बड़ा-सा पार्क बनाया गया था, जिस में मोहल्ले के बच्चे खेल-कूद सकें और वृद्धजन प्रातः और सायं भ्रमण कर सकें । खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इस पार्क के एक किनारे          टेंटवाले ने कब्जा कर रखा है तो दूसरी ओर भैंसवाले ने अपनी भैंसें बाँधनी शुरू कर दी हैं। पार्क के बड़े भाग पर कबाड़ी ने अपना कबाड़ जमा कर रखा है, जिससे न खेलने की जगह बची है और न टहलने- घूमने की। इस बात की शिकायत कई बार स्थानीय पुलिस से भी की गई, पर कोई लाभ न हुआ।
        आपसे अनुरोध् है कि इस पत्रको अपने समाचार-पत्र में शामिल करने की कृपा करें ताकि संबंध्ति अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट हो और वे उचित कार्यवाही करें।
        सधन्यवाद
        भवदीय
        यººº

 

2.    अनौपचारिक-पत्र
        
इन पत्रों को व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है। ये पत्र अपने मित्रों, रिश्तेदारों, सगे-संबंध्यिों तथा शुभेच्छु व्यक्तियों को लिखे जाते हैं। इन पत्रों में आत्मीयता, निकटता तथा घनिष्ठता का भाव समाया रहता है, जिन में घरेलू और निजतापूर्ण बातों का उल्लेख रहता है।


अनौपचारिक-पत्रों के महत्वपूर्ण बिंदु:
    

1.    प्रेषक का पता और दिनांक – पत्र के आरंभ में बाईं ओर कोने में प्रेषक (पत्र-लेखक) अपना पता लिखता है, और उस के नीचे दिनांक लिखता है।
    

2.    संबोध्न – दिनांक के ठीक नीचे पत्रपानेवाले व्यक्ति के लिए यथोचित संबोधन-शब्द लिखा जाता है। पत्र पानेवाले निम्नलिखित तीन तरह के हो सकते हैं:
           (i)    अपने से छोटों के लिए – प्रिय, प्रियवर ...... (नाम), प्रिय अनुज, अनुजा, भाई, बहन, पुत्र ...... आदि।
            (ii)    बराबरवालों के लिए – प्रिय मित्र, प्रिय सखा, प्रिय बंधु, प्रिय सहेली, प्रिय ...... नाम आदि।
            (iii)    बड़ों के लिए – पूजनीय, पूज्य, आदरणीय, परम आदरणीय, श्रद्धेय आदि।
  

 3.    अभिवादन – संबोध्न के अनुसार ही अभिवादन का प्रयोग निम्नलिखित ढंग से करना चाहिए:
           (i)    अपने से छोटों के लिए – शुभाशीर्वाद, शुभाशीष, आशीर्वाद, स्नेहाशीष, चिरंजीव रहो, प्रसन्न रहो आदि।
            (ii)    बराबरवालों के लिए – मधुर स्मृतियाँ, नमस्कार, सादर नमस्कार आदि।
            (iii)    बड़ों के लिए – सादर प्रणाम, सादर नमस्ते, चरण-स्पर्श आदि।
    

4.    पत्र की सामग्री या विषय-वस्तु – पत्र-लेखक पत्रप्राप्त करनेवाले से जो कुछ कहना चाहता है, वही पत्रकी विषय-वस्तु या पत्र की सामग्री होती है। इसे स्पष्ट शब्दों में साफ-साफ लिखना चाहिए। विषय-वस्तु में कथन की क्रमबद्ध्ता रहनी चाहिए।
    

5.    पत्र का समापन – पत्रकी समाप्ति पर निकट संबंधी व्यक्तियों को यथायोग्य अभिवादन लिखते हुए पत्रोत्तर देने का आग्रह करना चाहिए।
    

6.    स्वनिर्देश – इसका अर्थ है – पत्रपानेवाले के साथ अपने संबंधें का उल्लेख करते हुए अपना नाम लिखना। ऐसा करते हुए पत्रपानेवाले की आयु, संबंध्, गरिमा आदि का ध्यान रखना चाहिए। संबोध्न तथा अभिवादन की तरह ही इन्हें भी तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
(i)    अपने से छोटों के लिए – तुम्हारा शुभेच्छु, शुभाकांक्षी, शुभचिंतक, हितैषी आदि।
(ii)    बराबरवालों के लिए – आपका/तुम्हारा ...... प्रिय, अभिन्न हृदय, स्नेहकांक्षी, अभिन्न मित्र आदि।
(iii)    बड़ों के लिए – आपका प्रिय! आज्ञाकारी, कृपाकांक्षी, विनीत, स्नेहपात्र, पुत्र/पुत्री आदि।

पत्र के प्रारंभ, अभिवादन और समापन में प्रयोग होनेवाले शब्दों के लिए निम्नलिखित तालिका देखें:

संबंध्  संबोध्न अभिवादनसमापन
अपने से छोटों के लिएप्रिय (नाम), पुत्र सदैव प्रसन्न रहो, आशीर्वाद 
 चिरंजीव रहो, शुभाशीष   
 तुम्हारा शुभचिंतक, शुभेच्छु, शुभाकांक्षी    हितैषी

बराबरवालों तथा

मित्रों के लिए 

प्रिय मित्र (नाम), प्रियवर 

प्रियसखा, बंधुवर

सप्रेम नमस्कार, नमस्कार,

मधुर स्मृतियाँ 

तुम्हारा/आपका मित्र, स्नेहाभिलाषी

दर्शनाभिलाषी, अभिन्न हृदय

बड़ों, माता-पिता, 

अध्यापक, चाचा,

मामा आदि के लिए

परम आदरणीय,

पूज्य, पूजनीय, श्रद्धेय

 प्रातःस्मरणीय आदि।

सादर चरण-स्पर्श, प्रणाम  

नमस्ते 

आपका प्रिय पुत्र/पुत्री, आपका

आज्ञाकारी, कृपाकांक्षी, स्नेहपात्र,

कृपाभिलाषी आदि।

पत्नी के लिए  प्रिया, प्रिये, प्रियतमे मधुर मिलन/मधुर स्नेह

तुम्हारा, तुम्हारा ही अपना, केवल

 तुम्हारा, तुम्हारा जीवनसाथी

पति के लिए पतिदेव, कांत, प्रियतममधुर मिलन आपकी, आपकी संगिनी

अन्य सम्मानित 

व्यक्तियों के लिए 

आदरणीय, माननीय,

सम्माननीय, महोदय 

............. आपका, विनीत, प्रार्थी
अन्य पत्रों के लिएश्रीमान, महोदय, मान्यवर.............  भवदीय/भवदीया, आपका
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FAQs on पत्र - लेखन (भाग - 3) - खण्ड, व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. खण्ड क्या है और इसके कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: खण्ड एक शब्द है जिसे वाक्य में विभाजित किया जा सकता है। यह वाक्य का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जिसे अनुवाद करके वाक्य का अर्थ प्रकट होता है। खण्डों की प्रकृति के आधार पर, ये दो प्रकार होते हैं - सार्थक खण्ड और अर्थव्यवस्थापक खण्ड।
2. खण्ड विभाजन की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: खण्ड विभाजन एक प्रक्रिया है जिसमें वाक्य को छोटे-छोटे खण्डों में विभाजित किया जाता है। यह वाक्य को समझने और अनुवाद करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। खण्ड विभाजन करने के लिए, हमें वाक्य में पूर्ण वाक्यांश और अधिकृत खण्डों की पहचान करनी होती है।
3. सार्थक खण्ड क्या होता है?
उत्तर: सार्थक खण्ड एक खण्ड होता है जो वाक्य का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और अनुवाद करके वाक्य का अर्थ प्रकट करता है। इसमें वाक्यांश, वाक्य अंश या अधिकृत खण्ड हो सकते हैं। सार्थक खण्ड वाक्य के माध्यम से मुख्य विचार को साझा करने में मदद करता है।
4. अर्थव्यवस्थापक खण्ड क्या होता है?
उत्तर: अर्थव्यवस्थापक खण्ड एक खण्ड होता है जो वाक्य के वाक्यांशों को एक साथ जोड़कर वाक्य को पूरा करता है। यह खण्ड वाक्य के संरचना और व्याकरण के संबंध में महत्वपूर्ण होता है। यह खण्ड वाक्य को स्मृति में रखने और सही ढंग से अनुवाद करने में मदद करता है।
5. खण्ड विभाजन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: खण्ड विभाजन वाक्य को समझने और अनुवाद करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह हमें वाक्य के महत्वपूर्ण हिस्सों को पहचानने और उन्हें सही ढंग से समझने में मदद करता है। खण्ड विभाजन वाक्य के माध्यम से मुख्य विचार को व्यक्त करने में मदद करता है और वाक्यांशों को स्मृति में रखने की सुविधा प्रदान करता है।
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