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पाठ 20. FAQs - अपराध और दंड, अभियोजन और संयुक्तिकरण | GST Acts, FAQs and Updates PDF Download

प्र 1. एम.जी.एल. के अंतर्गत निर्धारित अपराध क्या हैं?
उत्तरः मॉडल जी.एस.टी. कानून अध्याय ग्टप् अपराध और दंड को संहिताबद्ध करता है। अधिनियम की धारा 66 में 21 अपराधों को सूचीबद्ध किया गया है, धारा 8 के अंतर्गत निर्धारित दंड के अतिरिक्त कराधीन व्यक्ति द्वारा आपसी निपटारा प्राप्त करने के लिए जो इसका हकदार नहीं है। कथित अपराध इस प्रकार हैंः-
1) चालान/बिल के बिना आपूर्ति करना या झूठे/गलत बिल/ चालान के साथ आपूर्ति करना;
2) बगैर आपूर्ति किए चालान/बिल जारी करना;
3) एकत्रित किया गया कर तीन महीने से भी अधिक अवधि से जमा नहीं करना;
4) एकत्रित किया गया कर एम.जी.एल. के उल्लंघन में तीन महीने से भी अधिक अवधि से जमा नहीं करना;
5) गैर-कटौती या स्रोत पर कर की कम कटौती करना या धारा 37 के अंतर्गत स्रोत पर कर कटौती (TDS) की रकम जमा नहीं करना;
6) गैर-संग्रह या कम-संग्रह या धारा 43सी के अंतर्गत स्रोत पर एकत्रित कर का भुगतान नहीं करना;
7) वस्तुओं और/या सेवाओं की वास्तविक प्राप्ति के बिना इनपुट कर क्रेडिट का लाभ प्राप्त/उपयोग करना;
8) धोखे से कोई प्रतिदाय/रिफंड प्राप्त करना;
9) धारा 17 के उल्लंघन में इनपुट सेवा वितरक से इनपुट कर क्रेडिट का लाभ उठाना/उपयोग करना;
10) झूठी जानकारी या झूठे वित्तीय अभिलेख बनाकर प्रस्तुत करना या कर के भुगतान से बचने के लिए फर्जी खाते/दस्तावेज प्रस्तुत करना;
11) कर के लिए उत्तरदायी होने के बावजूद पंजीकरण कराने में विफलता;
12) पंजीकरण के लिए अनिवार्य क्षेत्रों के बारे में झूठी जानकारी प्रस्तुत करना;
13) किसी अधिकारी को उसके कर्तव्य का निर्वहन करने में रूकावट डालना या रोकना;
14) निर्धारित दस्तावेजों के बगैर माल परिवहन करना;
15) कारोबार के आंकड़े दबाना जिससे कर की चोरी की जा सके;
16) अधिनियम में निर्दिष्ट की गई विधि अनुसार खातों/दस्तावेज बनाए रखने में विफलता या अधिनियम में निर्दिष्ट अवधि के लिये खातों/दस्तावेज बनाए रखने के लिए विफल रहना;
17) अधिनियम/नियम के अनुसारएक अधिकारी द्वारा जानकारी/ दस्तावेज की मांग पर विफल रहना या किसी भी कार्यवाही के दौरान झूठी जानकारी/दस्तावेज प्रस्तुत करना;
18) किसी भी जब्ती के लिए उत्तरदायी माल की आपूर्ति/परिवहन/ भंडारण;
19) किसी अन्य व्यक्ति के जी.एस.टी.आई.एन. का उपयोग कर चालान/बिल या दस्तावेज जारी करना;
20) किसी भी सामग्री से छेड़छाड़/साक्ष्य नष्ट करना;
21) हिरासत/जब्त/अधिनियम के अंतर्गत संलग्न माल का निपटान/छेड़छाड करना़;
 

प्र 2. शब्द दंड का क्या अर्थ है?
उत्तरः शब्द ”दंड” को एम.जी.एल. में परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन न्यायिक घोषणाओं और न्यायशास्त्र के सिद्धांतों (Judicial pronouncements and principles of jurisprudence) में दंड की प्रकृति का निम्नांकित उल्लेख किया गया हैः

  • एक अस्थायी सजा या संविधि द्वारा लगाई गई पैसे की राशि, जिसे किसी निश्चित अपराध करने के लिए सजा के रूप में भुगतान किया जाता है;
  • कानून द्वारा दंड लगाना या अनुबंध पर करना या कुछ करने में विफल होना जिसे करना पक्ष का कर्तव्य था।

प्र 3. दंड लगाते समय किस सामान्य अनुशासन का पालन किया गया है?
उत्तरः दंड लगाना एक निश्चित अनुशासनात्मक व्यवस्था के अधीन है जो न्यायशास्त्र, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों (Principles of natural Justice) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और समझौतों के संचालन पर आधारित है। ऐसे सामान्य अनुशासन अधिनियम की धारा 68 में प्रतिष्ठापित किये गये हैं। तदनुसार-

  •  िकसी भी मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किये बिना और उचित सुनवाई के कोई दंड नहीं लगाया जाएगा, यह व्यक्ति को उसके विरूद्ध लगाये आरोपों को गलत साबित करने के लिये अवसर प्रदान करता है,
  • दंड मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर निर्भर करता है,
  • दंड कानून के प्रावधानों या उसके नियमों के उल्लंघन में लगाए गये आरोप के परिमाण और गंभीरता के अनुरूप होना चाहिए,
  • दंड लगाने के आदेश में उल्लंघन की प्रकृति स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट की जानी चाहिए,
  • कानून के प्रावधान जिनके अंतर्गत दंड लगाया गया है उन्हें निर्दिष्ट किया जाना चाहिए धारा 68 आगे यह स्पष्ट करती है कि, विशेषकर इन मामलों में कड़े दंड नहीं लगाए जाएं -
  •  कोई भी मामूली उल्लंघन (मामूली उल्लंघन को ऐसे मामले में प्रावधानों के उल्लंघन के रूप में परिभाषित किया गया है जहां शामिल कर 5000 रूपये से कम है), या
  • कानून की एक प्रक्रियात्मक आवश्यकता है, या
  • दस्तावेज में आसानी से संशोधन योग्य गलती/चूक (रिकार्ड में त्रुटि के रूप में स्पष्ट समझाई गई है) जिसे बिना धोखाधड़ी के इरादे या घोर लापरवाही के किया गया है।

इसके अतिरिक्त, जहाँ कहीं भी एम.जी.एल. में दंड निश्चित राशि या निश्चित प्रतिशत पर प्रदान किया गया है, वही लागू होगा।
 

प्र 4. एम.जी.एल. में कितने परिमाण में दंड प्रदान किया जाता है?
उत्तरः धारा 66(1) में प्रावधान करती है कि कोई भी कराधीन व्यक्ति है जिसने धारा 66 में उल्लिखित कोई अपराध किया हे उसे दंड लगाकर निम्नलिखित में सबसे अधिक राशि का भुगतान करना होगाः

  • करवंचना की राशि, धोखे से रिफंड के रूप में प्राप्त राशि, ऋण के रूप में लाभ उठाया, या कटौती नहीं करना या एकत्र करना या कम कटौती करना या थोड़ा कम एकत्र करना, से संबंधित राशि या
  • 10,000/- रुपए की राशि

इसके अतिरिक्त धारा 66(2) में प्रावधान है कि कोई भी पंजीकृत कराधीन व्यक्ति जो बार-बार कम कर का भुगतान करता है वह सजा के लिए उत्तरदायी है जो निम्न में सबसे अधिक होगी:

  • कम भुगतान किए कर का 10 प्रतिशत या
  • 10,000/- रुपये

प्र 5. दंड लगाने के प्रयोजन के लिए ‘बार-बार कम भुगतान‘ करना क्या माना जाएगा?
उत्तरः धारा 66(2) स्पष्ट करती है कि किसी छह लगातार कर अवधि के दौरान तीन रिटर्न के संबंध में तीन बार कम भुगतान करना दंड लगाने के उद्देश्य के लिए बार-बार दोहराये गये कम भुगतान के रूप में विचार किया जाएगा।

प्र 6. क्या कराधीन व्यक्ति के अतिरिक्त किसी व्यक्ति के लिये कोई दंड निर्धारित किया गया है?
उत्तरः हाँ। धारा 66(3) किसी व्यक्ति पर 25,000/- रूपये तक का विस्तारित दंड लगाने का प्रावधान करती है जो -

  • 21 में से किसी भी अपराध में सहयोग और सहायता करता है,
  •  िकसी भी तरीके (चाहे प्राप्त, आपूर्ति, भंडारण या परिवहन के लिए) से ऐसे माल/वस्तुओं का लेनदेन करता है जो जब्ती के लिए उत्तरदायी हैं,
  • अधिनियम का उल्लंघनकरते हुए सेवाओं की आपूर्ति प्राप्त करता है या लेनदेन करता है,
  • अधिकारी द्वारा सम्मन भेजे जाने पर पेश नहीं होता,
  •  िकसी आपूर्ति के लिये चालान/बिल जारी करने या कानून के अंतर्गत अनिवार्य चालान/बिल के हिसाब जारी करने में विफल रहता है।

प्र 7. किसी उल्लंघन के लिए क्या दंड दिया जाता है जिसे एम.जी. एल. के अंतर्गत अलग से निर्धारित नहीं किया गया है?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 67 प्रदान करती है कि कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है या इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गये नियम जिनके लिये अलग से कोई दंड निर्धारित नहीं किया गया है उसे दंडित किया जाएगा जिसका दंड 25,000 रुपये तक लगाया जा सकता है।

प्र 8. वैध दस्तावेजों के बिना परिवहन की जाने वाली वस्तुओं या बिना उपयुक्त खातों के रिकार्ड के उसे हटाने का प्रयास करने पर उसके लिये क्या कार्यवाही की जा सकती है ?
उत्तरः यदि कोई व्यक्ति किसी माल की ढुलाई करता है या ऐसे माल की ढुलाई करते समय बिना दस्तावेज (यानी चालान/ बिल औरघोषणा) के भंडारण करता है जो अधिनियम के अंतर्गत निधारित किये गये हैं या आपूर्ति या किसी माल/वस्तुओं का भंडारण करता है जिसे उसके द्वार रखे बहियों या खातों में दर्ज नहीं किया गया है, तब ऐसी वस्तुएं तथा वाहन जिसमें उन वस्तुओं को ले जाया जा रहा है, जब्ती के लिये उत्तरदायी होंगी। ऐसी वस्तुओं को लागू कर, ब्याज और दंड की राशि सहित और जुर्माने या कथित भुगतान के बराबर की सुरक्षा राशि देकर ही छोड़ा जा सकता है।


प्र. 9. ऐसे व्यक्ति के लिये क्या दंड निर्धारित किया गया है जो संरचना योजना (Composite Scheme) के विकल्प का चयन करता है बावजूद इसके कि वह कथित योजना का पात्र नहीं है?
उत्तरः धारा 8(3) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि एक व्यक्ति जिसनेअपने कर दायित्व के लिये संरचना योजना के विकल्प का चयन किया है जब यह ज्ञात हो जाता है कि वह इसके लिये पात्र नहीं है तब कथित अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत कथित व्यक्ति देय कर के बराबर की राशि के लिए दंड का उत्तरदायी होगा अर्थात एक सामान्य कराधीन व्यक्ति के रूप में और यह कि यह दंड उसके द्वारा देय कर के अतिरिक्त होगा।

प्र 10. कुर्की से क्या मतलब है?
उत्तरः शब्द ‘कुर्की’ को अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है। इस अवधारणा को रोमन कानून से लिया गया है जिसमें जब्त करना या सम्राट के हाथों में लेना, और सम्राट की जेब ;थ्पेबनेद्ध या खजाने में स्थानांतरित करना है। शब्द ‘जब्त‘ को अय्यर के विधि शब्दकोश में परिभाषित किया गया है ”दंड के माध्यम से सार्वजनिक राजकोष के लिये हथियाना (निजी संपत्ति); संपत्ति से वंचित कर राज्य के लिये जब्त करना”

प्र 11. एम.जी.एल. के अंतर्गत किन परिस्थितियों में वस्तुओं/माल को जब्त किया जा सकता है?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 70 के अंतर्गत, वस्तुएं/माल जब्ती के लिये उत्तरदायी होगा यदि कोई व्यक्तिः

  •  इस अधिनियम के किसी प्रावधान के उल्लंघन के परिणाम में माल की आपूर्ति और उस कथित उल्लंघन के परिणामस्वरूप अधिनियम के अंतर्गत कर की चोरी करता है, या
  • अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक तरीके से वस्तुओं/माल का सही खाते नहीं रखता है, या
  •  िबना पंजीकरण का आवेदन किये कर के लिये उत्तरदायी वस्तुओं की आपूर्ति करता है, या
  • कर भुगतान से बचने के इरादे के साथ अधिनियम/ नियमों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है।

प्र 12. सक्षम अधिकारी द्वारा वस्तुओं/माल जब्त करने के मामले में वस्तुओं/माल का क्या होता होता है?
उत्तरः जब्त करने पर, जब्त वस्तुओं/माल पर सरकार का स्वामित्व हो जाता है और इस संबंध में सक्षम अधिकारी जिन पुलिस अधिकारियों को अनुरोध करता है वह प्रत्येक पुलिस अधिकारी वस्तुओं/माल का कब्जा प्राप्त करने में उसकी सहायता करेंगे।
 

प्र 13. जब्त करने के बाद, क्या उस व्यक्ति को यह विकल्प देना आवश्यक है है कि वह भुगतान कर कथित वस्तुओं/माल को छुड़ा (redeem) ले?
उत्तरः हाँ। धारा 70(6) के अनुसार, जब्त की गई वस्तुओं/माल के लिये उत्तरदायी स्वामी या प्रभारी को जब्ती के बदले जुर्माने (जब्त किये माल की बाजार कीमत से अधिक नहीं) का विकल्प दिया जाना चाहिए है। यह जुर्माना कर की राशि और अन्य शुल्कों के अतिरिक्त होगा जो इस तरह के माल के संबंध में देय होंगे।

प्र 14. क्या कोई वाहन जो वस्तुओं/माल को बिना निर्धारित
दस्तावेजों के ले जाया जा रहा है जब्त किया जा सकता है?

उत्तरः हाँ। धारा 71 प्रदान करती है कि कोई भी वाहन जो वस्तुओं/ माल को बिना निर्धारित दस्तावेजों या अधिनियम के अंतर्गत घोषणा के ले जाया जा रहा हो जब्ती के लिए उत्तरदायी होगा। हालांकि, अगर वाहन का मालिक यह साबित कर देता है कि वस्तुएं/ माल बिना आवश्यक दस्तावेजों/घोषणा के उसकी जानकारी के बिना या उसके एजेंट की अनदेखी के ले जाया जा रहा था, तो वाहन जब्त नहीं होगा जैसा कि उपर बताया गया है। यदि वाहन को यात्रियों या माल ढोने के लिये इस्तेमाल किया जाता है तब उस वाहन के मालिक को जब्ती के एवज में उक्त वस्तुओं/माल पर देय कर की राशि के बराबर जुर्माने का भुगतान करने का विकल्प दिया जा सकता है। धारा 72 प्रदान करती है कि जब्ती या अधिनियम की धारा 70 या 71 के अंतर्गत दिया गया दंड अधिनियम में प्रदान किये किसी अन्य दंड/कार्यवाही पर बिना आवश्यक दस्तावेज/घोषणा के बिना वस्तुओं/माल ले जाने के अपराध के लिए पूर्वाग्रह के बिना दिया जाएगा।

प्र 15. अभियोजन पक्ष क्या है?
उत्तरः अभियोजन कानूनी कार्यवाही का प्रारंभ या शुरूआत है; अपराधी के विरूद्ध औपचारिक आरोप निष्पादित करने की प्रक्रिया है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 198 अभियोजन को किसी व्यक्ति के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही को प्रारम्भ या शुरूआत करने के रूप में परिभाषित करती है।

प्र 16. कौन से अपराध हैं जो एम.जी.एल. के अंतर्गत मुकदमा चलाने अधिकार/आदेश देते हैं?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 73 अधिनियम के अंतर्गत कुछ प्रमुख अपराधों को सूचीबद्ध किया गया है जो आपराधिक कार्यवाही और अभियोगप्रारम्भ करने का आदेश देते हैं। नीचे 12 ऐसे प्रमुख अपराधों को सूचीबद्ध किया गया हैः
1) बिना चालान/बिल जारी किये आपूर्ति करना या झूठे/ गलत चालान/बिल जारी करना;
2) बिना आपूर्ति किये चालान/बिल जारी करना;
3) 3 महीने से भी अधिक अवधि के लिये एकत्रित किये कर का भुगतान ना करना;
4) अधिनियम का उल्लंघन करते हुए 3 महीने से भी अधिक समय के लिये एकत्र किये गये किसी कर को जमा नहीं करना है;
5) बिना वस्तुओं/माल और/या सेवाओं की वास्तविक प्राप्ति किए इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाना या उपयोग करना;
6) किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से रिफंड प्राप्त करना,
7) झूठी जानकारी प्रस्तुत करना या वित्तीय अभिलेखों की जालसाझी करना या कर के भुगतान से बचने के लिए फर्जी खातों/दस्तावेज प्रस्तुत करना;
8) किसी अधिकारी को उसके कर्तव्यों का निष्पादन करने में अवरोध उत्पन्न करना या रोकना;
9) जब्ती के लिए उत्तरदायी वस्तुओं/माल से निपटना दूसरे शब्दों में, जब्ती के लिए उत्तरदायी वस्तुओं/माल की रसीद, आपूर्ति, भंडारण या ढुलाई करना;
10) अधिनियम के उल्लंघन करने वाली सेवाओं की आपूर्ति प्राप्त करना/निपटना;
11) अधिनियम/नियम द्वारा आवश्यक किसी जानकारी देने में विफलता या झूठी जानकारी देना;
12) ऊपर 11 अपराधों में से किसी एक को करने का प्रयास करना या सहयोग देना।

प्र 17. एम.जी.एल. के अंतर्गत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने पर क्या दंड निर्धारित किया जाता है?
उत्तरः धारा 73(1) में दंड की योजना नीचे प्रदान की जाती है

अपराध में संलग्नता दंड (कारावास का विस्तार-)

250 लाख रूपये ये भी अधिक कर की चोरी
5 साल और जुर्माना
50 लाख और 250 लाख रूपये के बीच कर की चोरी 3 साल और जुर्माना
25 लाख और 50 लाख रूपये के बीच कर कर की चोरी 1 साल और जुर्माना

 

धारा 73(2) प्रदान करती है कि दूसरे या किसी बाद में होने वाले अपराध सिद्ध होने पर इस धारा में उस अवधि के लिये जुर्माना सहित कारावास से दंडनीय किया जाएगा जिसे 5 साल के लिये विस्तारित किया जा सकता है। हालांकि, इनमें से किसी भी अपराध में कारावास की अवधि छह महीने से कम समय के लिए नहीं की जाएगी।

 

प्र 18. एम.जी.एल. के अंतर्गत संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराध क्या हैं?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 73(3) और 73(4) के अनुसार

  • सभी अपराध जिनमें कर की चोरी 250 लाख रुपये से कम है वह गैर-संज्ञेय और जमानती होंगे,
  • सभी अपराधजिनमेंकरकी चोरी 250 लाख रुपये से अधिक है वह संज्ञेय और गैर जमानती होंगे।

प्र 19. क्या अभियोजन पक्ष की प्रारम्भ करने के लिए सक्षम अधिकारी की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है?
उत्तरः हाँ। किसी भी व्यक्ति पर किसी अपराध के लिए बिना नामित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।

प्र 20. एम.जी.एल. के अंतर्गत मुकदमा चलाने के लिए “mensrea” या दोषी मानसिक स्थिति आवश्यक है?
उत्तरः हाँ। हालांकि, धारा 75 मानसिक अवस्था (अर्थात् दोषी मानसिक स्थिति या (mens-rea) के अस्तित्व को मानती है जो एक अपराध करने के लिए आवश्यक है, जिसे अगर मानसिक अवस्था ऐसी नहीं होती तो नहीं किया जा सकता था।

प्र 21. दोषी मानसिक स्थिति क्या है?
उत्तरः एक अपराध करते समय, एक ”दोषी मानसिक स्थिति” मन की
वह अवस्था है जिसमें -

  • कृत्य जानबूझकर किया गया है;
  • कृत्य और इसके असर समझ में आ रहेथे और नियंत्रित किये जा सकते थे;
  •  िजस व्यक्ति ने यह कृत्य किया है उसे ऐसा करने के लिये मजबूर नहीं किया गया था और यहां तक कि कथित अपराध करने के लिए बाधाओं को भी पार किया था;
  • व्यक्ति को विश्वास है या विश्वास करने का कारण है कि कृत्य कानून के प्रतिकूल है।

प्र 22. क्या एक कंपनी के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है या एम.जी.एल. के अंतर्गत किसी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है?
उत्तरः हाँ। एम.जी.एल. की धारा 77 प्रदान करती है कि प्रत्येक व्यक्ति जो अपने व्यापार के संचालन के लिए एक कंपनी का प्रभारी है या कंपनी के व्यवसाय संचालन के प्रति जिम्मेदार है, कंपनी सहित, उसके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी और उसे कंपनी द्वारा किये अपराध करने के लिये दंडित किया जाएगा क्योंकि कथित व्यक्ति कंपनी के मामलों का प्रभारी था। यदि कंपनी द्वारा कोई निम्न अपराध किया जाता है -

  • आपसी सहमति/मिलीभगत से किया गया है, या
  • लापरवाही के कारण है -

अगर यह कृत्य कंपनी के किसी अधिकारी द्वारा किया गया है तब कथित अधिकारी को कथित अपराध का दोषी मान लिया जाएगा और वह कार्यवाही के लिये उत्तरदायी होगा और तदनुसार दंडित किया जाएगा।
 

प्र 23. अपराधों के संयुक्तिकरण (compounding of offences) का क्या मतलब है?
उत्तरः दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 ‘संयुक्तिकरण/ compounding को किसी प्रतिफल या किसी निजी कारणवश अभियोग को रोकने के रूप में परिभाषित किया गया है।

प्र 24. क्या एम.जी.एल. के अंतर्गत अपराधों का संयुक्तिकरण किया जा सकता है?
उत्तरः हाँ। एम.जी.एल. की धारा 78 के अनुसार, किसी भी अपराध का, निम्नलिखित के अतिरिक्त, निर्धारित भुगतान की राशि पर संयुक्तिकरण किया जा सकता है और इस तरह के संयुक्तिकरण या तो अभियोजन शुरू करने से पहले या बाद में करने की अनुमति हैः

  • 12 प्रमुख अपराधों (ऊपर प्रश्न 16 में उल्लिखित हैं) में से क्रम 1 से 7, यदि एक व्यक्ति जिस पर अपराध का आरोप लगाया गया है उसने इनमें कथित अपराधों में से किसी एक के संबंध में संयुक्तिकरण पहले कर लिया है;
  • 12 प्रमुख अपराधों (ऊपर प्रश्न 16 में उल्लिखित हैं) में से क्रम 1 से 7 में सहायता/सहयोग करने, यदि एक व्यक्ति जिस पर अपराध का आरोप लगाया गया है उसने इनमें कथित अपराधों में से किसी एक के संबंध में संयुक्तिकरण पहले कर लिया है;
  • एस.जी.एस.टी. अधिनियम/आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत कोई अपराध (ऊपर अपराधों के अतिरिक्त)1 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक राशि की आपूर्ति के संबंध में, यदि अपराध का दोषी व्यक्ति ने पहले ही कथत अपराधों के संबंध में संयुक्तिकरण कर लिया है;
  • कोई अपराध जो एन.डी.पी.एस.ए. या एफ.ई.एम.ए. या सी.जी.एस.टी./एस.जी.एस.टी.के अतिरिक्त भी किसी अन्य अधिनियम के अंतर्गत अपराध है;
  •  िकसी अन्य वर्ग का अपराध या व्यक्ति जिसे इस संबंध में निर्धारित किया जा सकता है।

संयुक्तिकरण के लिए अनुमति केवल कर, ब्याज और दंड का भुगतान करने के बाद दी जानी चाहिए और पहले से ही किसी भी कानून के अंतर्गत शुरू की गई किसी कार्यवाही को यह प्रभावित नहीं करेगा।

प्र 25. क्या अपराध के संयुक्तिकरण के लिये कोई मौद्रिक सीमा निर्धारित सीमा की गई है?
उत्तरः हाँ। संयुक्तिकरण की राशि की न्यूनतम सीमा निम्नलिखित राशियों से अधिकतम राशि होगीः-

  • संलग्न कर का 50 प्रतिशत, या
  • 10,000/- रुपये

संयुक्तिकरण की राशि के लिए ऊपरी सीमा निम्न राशियों से एक अधिकतम राशि होगीः-

  • संलग्न कर का 150 प्रतिशत, या
  • 30,000 रुपये।

प्र 26. एम.जी.एल. अंतर्गत एक अपराध में संयुक्तिकरण का क्या असर है?
उत्तरः धारा 77 की उप-धारा (3) यह प्रदान करती है कि संयुक्तिकरण की राशि का भुगतान करने पर इस अधिनियम के अंतर्गत आगे कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जानी चाहिए और पहले से चल रही आपराधिक कार्यवाही समाप्त मानी जाएगी।

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FAQs on पाठ 20. FAQs - अपराध और दंड, अभियोजन और संयुक्तिकरण - GST Acts, FAQs and Updates

1. अपराध और दंड से संबंधित पांच महत्वपूर्ण प्रश्न: 1. अपराध और दंड क्या हैं?
उत्तर: अपराध और दंड कानूनी कार्रवाई का संबंध रखते हैं, जहां अपराध करने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाता है। यह दंड विभिन्न कानूनी उल्लंघनों के लिए लागू होता है, जैसे चोरी, हत्या, बलात्कार आदि। 2. भारतीय दंड संहिता क्या है?
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