प्रत्यय | Hindi Vyakaran (हिन्दी व्याकरण) Class 8 PDF Download

परिभाषा


जो शब्दांश, शब्दों के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन लाये, प्रत्यय कहलाते है।

दूसरे अर्थ में – शब्द निर्माण के लिए शब्दों के अंत में जो शब्दांश जोड़े जाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।

प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति + अय। प्रति का अर्थ होता है ‘साथ में, पर बाद में’ और अय का अर्थ होता है ‘चलने वाला’। अत: प्रत्यय का अर्थ होता है, साथ में पर बाद में चलने वाला। प्रत्यय उपसर्गों की तरह अविकारी शब्दांश है, जो शब्दों के बाद जोड़े जाते है।
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है।
जैसे –
समाज + इक = सामाजिक
सुगन्ध + इत = सुगन्धित
भूलना + अक्कड़ = भुलक्कड़
मीठा + आस = मिठास
भला + आई = भलाई

प्रत्यय के भेद

सबसे पहले सभी प्रत्ययों को संक्षिप्त रूप में जानेंगे–

1. संस्कृत प्रत्यय
‘इक’प्रत्यय
‘इक’प्रत्यय लगने पर शब्द के प्रारंभिक स्वर में इस प्रकार परिवर्तन होते है –
अ = आ
इ, ई, ए = ऐ
उ, ऊ, ओ = औ
ऋ = आर्
जैसे –
मनस् + इक = मानसिक
व्यवहार + इक = व्यावहारिक
समूह + इक = सामूहिक
नीति + इक = नैतिक
भूगोल + इक = भौगोलिक

(i) ‘एय’ प्रत्यय
शब्द के अन्तिम वर्ण के स्वर को हटाकर उसमें ‘एय’प्रत्यय जोड़ दिया जाता है | तथा ‘इक’प्रत्यय की तरह शब्द के प्रथम स्वर में परिवर्तन कर देता है |
जैसे –
अग्नि + एय = आग्नेय
गंगा + एय = गांगेय (भीष्म)
राधा + एय = राधेय (कर्ण)

(ii) ‘ईय’ प्रत्यय
भारत + ईय = भारतीय
मानव + ईय = मानवीय

2. विदेशी प्रत्यय
(i) ‘गर’ प्रत्यय
जादू + गर = जादूगर
बाज़ी + गर = बाज़ीगर

‘इश’ प्रत्यय
फ़रमा + इश = फ़रमाइश
पैदा + इश = पैदाइश

‘दान’ प्रत्यय
रोशन + दान = रोशनदान
इत्र + दान = इत्रदान

(स्थान) ‘गाह’ प्रत्यय
बंदर + गाह = बंदरगाह
दर + गाह = दरगाह

‘गीर’ प्रत्यय
राह + गीर = राहगीर
उठाई + गीर = उठाईगीर

3. हिंदी प्रत्यय
संज्ञा की रचना करने वाले कृत प्रत्यय –

(i) ‘न’ प्रत्यय
बेल + न = बेलन
चंद + न = चंदन

(ii) ‘आ’ प्रत्यय
मेल + आ = मेला
झूल + आ = झूला

कृत प्रत्यय

वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है।
दूसरे शब्दो में – वे प्रत्यय जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु में जोड़े जाते है, कृत् प्रत्यय कहलाते है।
जैसे –

  • लिख् + अक =लेखक।

यहाँ अक कृत् प्रत्यय है तथा लेखक कृदंत शब्द है।
कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है, उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं। ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं। कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं। हिंदी में क्रिया के नाम के अंत का ‘ना’ (कृत् प्रत्यय) हटा देने पर जो अंश बच जाता है, वही धातु है।
जैसे –

  • कहना की कह्, चलना की चल् धातु में ही प्रत्यय लगते है।

कृत् प्रत्यय के भेद

  • कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
  • कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
  • करणवाचक कृत् प्रत्यय
  • भाववाचक कृत् प्रत्यय
  • क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय

कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय


कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते है।
दूसरे शब्दों में – जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले, उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –

  • अक = लेखक, नायक, गायक, पाठक
  • अक्कड = भुलक्कड, घुमक्कड़, पियक्कड़
  • आक = तैराक, लडाक
  • आलू = झगड़ालू
  • आकू = लड़ाकू, कृपालु, दयालु

कर्मवाचक कृत् प्रत्यय


कर्म का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय से बनने वाले शब्दों से किसी कर्म का पता चले उसे, कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –

  • औना = बिछौना, खिलौना
  • ना = सूँघना, पढना, खाना
  • नी = सुँघनी, छलनी
  • गा = गाना।

करणवाचक कृत् प्रत्यय


करण यानी साधन का बोध कराने वाले प्रत्यय करणवाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय की वजह से बने शब्द से क्रिया के करण का बोध होता है, उसे करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –

  • आ = भटका, भूला, झूला
  • ऊ = झाड़ू
  • ई = रेती, फांसी, भारी, धुलाई
  • न = बेलन, झाडन, बंधन

भाववाचक कृत् प्रत्यय


क्रिया के व्यापार या भाव का बोध कराने वाले प्रत्यय भाववाचक कृत् प्रत्यय कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में – भाववाचक कृत प्रत्यय वे होते हैं, जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं।
जैसे –

  • अन = लेखन, पठन, गमन, मनन, मिलन
  • ति = गति, रति, मति
  • अ = जय, लेख, विचार, मार, लूट, तोल
  • आवा = भुलावा, छलावा, दिखावा, बुलावा, चढावा

क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय


जिन कृत् प्रत्ययों के योग से क्रियामूलक विशेषण, रखनेवाली क्रिया का निर्माण होता है, उन्हें क्रियाद्योतक कृत् प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिस प्रत्यय के कारण बने शब्दों से क्रिया के होने का भाव पता चले, उसे क्रिया वाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –

  • ता = डूबता, बहता, चलता
  • या = खोया, बोया
  • आ = सुखा, भूला, बैठा
  • ना = दौड़ना, सोना
  • कर = जाकर, देखकर

तद्धित प्रत्यय


संज्ञा सर्वनाम और विशेषण के अन्त में लगने वाले प्रत्यय को ‘तद्धित’ कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को ‘तद्धितान्त’।
दूसरे शब्दों में – धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों में लगनेवाले प्रत्ययों को तद्धित कहते हैं।
जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में प्रत्यय लगते हैं, उन शब्दों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
जैसे –

  • मानव + ता = मानवता
  • अच्छा + आई = अच्छाई
  • अपना + पन = अपनापन
  • एक + ता = एकता
  • ड़का + पन = लडकपन
  • मम + ता = ममता
  • अपना + पन = अपनत्व

कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अन्त में। तद्धित और कृत-प्रत्यय में यही अन्तर है। उपसर्ग की तरह तद्धित-प्रत्यय भी तीन स्रोतों- संस्कृत, हिंदी और उर्दू से आकर हिन्दी शब्दों की रचना में सहायक हुए है।

तद्धित प्रत्यय के भेद


हिंदी में तद्धित-प्रत्यय के आठ प्रकार हैं –
(i) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
(ii) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
(iii) संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
(iv) गणनावाचक तद्धित प्रत्यय
(v) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
(vi) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
(vii) ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
(viii) सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय

कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय


जिन प्रत्यय को जोड़ने से कार्य को करने वाले का बोध हो, उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं अथार्त जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण के साथ मिलकर करने वाले का या कर्तृवाचक शब्द को बनाते हैं, उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – कर्ता का बोध कराने वाले प्रत्यय कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आर, इया, ई, एरा, हारा, इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर कर्तृवाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं
जैसे –

  • जुआ + आरी = जुआरी
  • पान + वाला = पानवाला
  • पालन + हार = पालनहार
  • चित्र + कार = चित्रकार
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