कविता से
प्रश्न: 1. ‘‘यह कठिन समय नहीं है।’’-यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन-से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘यह सबसे कठिन समय नहीं है’-यह बताने के लिए कवयित्री ने कविता में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं:
(क) चिडिय़ा तिनका लेकर उडऩे की तैयारी में है।
(ख) पेड़ से गिरनेवाली पत्ती को थामने के लिए हाथ तैयार हैं।
(ग) स्टेशन पर भीड़भाड़ है। रेलगाड़ी अपने गंतव्य पर जाती है।
(घ) कोई किसी का इंतजार करते हुए चिंतित हो रहा है और कह रहा है कि जल्दी आ जाओ।
(ङ) दादी-नानी अंतरिक्ष से आनेवाली बसों की कहानी सुनाती हैं।
प्रश्न: 2. चिडिय़ा चोंच में तिनका दबाकर उडऩे की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।
उत्तर: चिडिय़ा अपनी चोंच में तिनका दबाकर उडऩे की तैयारी में है, क्योंकि वह इन तिनकों से अपना घोंसला बनाना चाहती है। इन तिनकों से वह अपने परिवार तथा आनेवाले बच्चों के लिए घोंसला बनाती होगी, ताकि वह और उसका परिवार चैन से रह सके।
प्रश्न: 3. कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं। 'अभी भी' का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?
उत्तर: ‘अभी भी’ के प्रयोग से बनाए गए तीन वाक्य:
(क) यहाँ पिछले सप्ताह से बर्फ पडऩी शुरू हुई और अभी भी जारी है।
(ख) नशीली दवाइयाँ लेना छोडक़र तुम अभी भी सामान्य जीवन जी सकते हो।
(ग) उचित समूह का रक्त देकर मरीज की जान अभी भी बचाई जा सकती है।
हाँ, इन वाक्यों में लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है।
प्रश्न: 4. ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ के पीछे कौन-कौन-से भाव छिपे हो सकते हैं?
उत्तर: ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ काह्य ,स्र साथ प्रयोग करने से बने वाक्य:
(क) यहाँ कोई महाविद्यालय नहीं है, इसलिए लड़कियाँ अभी भी पढऩे शहर जा रही हैं। (निंरतरता का भाव)
(ख) अतिथि अब तक नहीं आए हैं, लगता है उनके आने में अभी भी समय लगेगा। (प्रतीक्षा का भाव)
(ग) जून बीतने पर भी वर्षा नहीं हुई तथा सरकारी सहायता अभी भी नहीं मिली। (निराशा का भाव)
कविता से आगे
प्रश्न: 1. घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जानेवाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।
उत्तर: जीवन उतार-चढ़ाव का नाम है। जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ आती-जाती रहती हैं। उनका सामना करने के लिए सभी को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। इन समस्याओं के सामने व्यक्ति हिम्मत न हार बैठे, इसलिए घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा समय-समय पर ऐसी कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जिनकी मदद से कठिनाइयों पर विजय पाई जा सके। यहाँ ऐसी ही एक कहानी प्रस्तुत है:
संस्कृत साहित्य के महान कवि कालिदास का नाम हम सभी जानते हैं। वे संस्कृत साहित्य के बहुत बड़ेकवि तथा नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्हें दूसरा 'शेक्सपीयर भी कहा जाता है।
कालिदास का जन्म कहाँ हुआ, कब हुआ, उनका बचपन का क्या नाम था, इस बारे में कुछ ठीक-ठीक बता पाना मुश्किल है। इतना जरूर पता है कि शे बचपन में बहुत ही मूर्ख थे तथा गरीबी में जीवन बिता रहे थे। वे जहाँ रहते थे, वहीं कहीं आस-पास में विद्योत्मा नामक युवती रहती थी जो बहुत ही विदुषी थी। उसने शास्त्रों का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। वह अपना विवाह अपने से योग्य पुरुष से करना चाहती थी। उसने घोषणा कर दी थी कि जो भी उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ विवाह करेगी। उसकी घोषणा सुनकर बहुत-से ज्ञानी ब्राह्मण कुमार आते रहे, पर वे विद्योत्मा को शास्त्रार्थ में हरा न पाते और पराजित हो स्रद्भ लौट जाते। पराजय से अपमानित ब्राह्मणों ने मिलकर एक योजना बनाई कि इसने बहुत-से-ब्राह्मणों का अपमान किया है, अब इसका विवाह किसी भी तरह किसी बज्रमूर्ख से करा देना चाहिए। शह्य ब्राह्मण युवक किसी महामूर्ख की तलाश में निकल पड़े। जंगल के रास्ते में उन्होंने पेड़ पर एक युवक को लकड़ी काटते सुना। ब्राह्मणों ने पास जाकर देखा कि युवक तो उसी डाल को काट रहा है, जिस पर वह बैठा है। उन्होंने युवक को नीचे बुलाया और कहा कि यदि वह उनके कहे के अनुसार कार्य करे तो वे उसका विवाह अत्यंत सुंदर युवती से करा देंगे। विवाह की बात सुनकर युवक उनकी बात मानने को तैयार हो गया। ब्राह्मणों ने उसे अपनी योजना समझा दी और पंडित का वेश धारण कराकर उसे विद्योत्मा के पास ले गए। शास्त्रार्थ शुरू होने से पहले ही ब्राह्मणों ने विद्योत्मा को बताया कि ये हमारे गुरु हैं जिन्होंने आजकल मौन व्रत धारण कर रखा है। इस समय ये केवल इशारों में शास्त्रार्थ करेंगे। शास्त्रार्थ शुरू हुआ। विद्योत्मा ने एक उंगली मूर्ख युवक को दिखाई, जिसका जवाब उसने दो उँगलियाँ उठाकर दिया। जब विद्योत्मा ने पाँचों उँगलियाँ दिखाईं तो मूर्ख युवक ने अपनी उँगलियाँ और हथेली बंद करके दिखाई। शास्त्रार्थ में विद्योत्मा पराजित हो गई और उसका विवाह उस मूर्ख युवक से हो गया। कुछ समय बाद जब विद्योत्मा को पता चला कि उसका पति मूर्ख है तो उसने अपने पति को घर से निकाल दिया।
पत्नी से अपमानित होकर वह युवक काली मंदिर में रहने लगा और काली की पूजा-अर्चना तथा खूब तपस्या की, इससे उद्यका नाम कालिदास पड़ गया। उसने विद्या अध्ययन किया और विद्वान् बनकर पत्नी के पास आया। उसने संस्कृत साहित्य में अनेक काव्य एवं नाट्यग्रंथों की रचना की जिनमें अभिज्ञान 'शाकुंतलम, मेघदूत, विक्रमोर्वशीयम आदि बहुत ही प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि संस्कृत साहित्य में कालिदास के समान दूसरा नाटककार नहीं हुआ।
प्रश्न: 2. आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं, कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है-प्रतीक्षा करनेवाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: प्रतीक्षा करनेवाला कोई अपना ही व्यक्ति होता है। घर से स्कूल आने पर घर के सदस्य प्रतीक्षा करते मिलते हैं। इनके बारे में मैं निम्नलिखित बातें सोचता हूँ:
(क) वे लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं और मुझसे विशेष अपनत्व और लगाव रखते हैं।
(ख) वे हमारे सुख-दुख तथा जरूरत का ध्यान रखते हैं।
(ग) वे चाहते हैं कि मैं समय से पहले ही उनकी आँखों के सामने रहूं।
(घ) मेरी तनिक-सी परेशानी देखकर वे बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं।
(ङ) मेरे लौटने में देर होते ही वे चिंतित हो जाते हैं।
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