Table of contents | |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न | |
रिक्त-स्थानों की पूर्ति | |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न | |
लघूत्तरात्मक प्रश्न | |
निबन्धात्मक प्रश्न | |
गद्यांश पर आधारित प्रश्न |
प्रश्न1. लेखिका का बचपन किस नगर में बीता?
(अ) दिल्ली में
(ब) शिमला में
(स) मसूरी में
(द) जम्मू में
उत्तर- (ब)शिमला में
प्रश्न 2. हर शनीचर को लेखिका को पीना पड़ता था
(अ) गर्म दूध
(ब) लस्सी
(स) ऑलिव ऑयल
(द) शरबत
उत्तर- (स) ऑलिव ऑयल
प्रश्न 3. लेखिका के अनुसार शिमला के हर बच्चे को कभी-न-कभी मौका मिल जाता था
(अ) रेल की सवारी का
(ब) जहाज की सवारी का
(स) घोड़े की सवारी का
(द) बैलगाड़ी की सवारी का
उत्तर- (स) घोड़े की सवारी का
प्रश्न 4. लेखिका ने कई रंगों की जमा कर ली थीं
(अ) टोपियाँ
(ब) ओढ़नियाँ
(स) फ्राकें
(द) रूमाले
उत्तर- (अ) टोपियाँ
प्रश्न. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिए-
(i) मुझे आज भी बूट ………… करना अच्छा लगता है। (मालिश/पॉलिश)
उत्तर: पॉलिश
(ii) हमारे बचपन की कुल्फी ……………… हो गई है (आइसक्रीम/पेस्टी)
उत्तर: आइसक्रीम
(iii) शुरू-शुरू में चश्मा लगाना बड़ा …………. लगा। (अच्छा/अटपटा)
उत्तर: अटपटा
प्रश्न1. बचपन’ नामक संस्मरण की लेखिका का नाम बताइए।
उत्तर- संस्मरण की लेखिका का नाम कृष्णा सोबती है।
प्रश्न 2. लेखिका कृष्णा सोबती का बचपन कहाँ पर बीता?
उत्तर- कृष्णा सोबती का बचपन शिमला नगर में बीता।
प्रश्न 3. लेखिका को शिमला का कौन-सा फल बहुत याद आता है?
उत्तर- लेखिका को काफल बहुत याद आता है।
प्रश्न1. लेखिका उम्र में सयाना क्यों महसूस करने लगी?
उत्तर- लेखिका का जन्म पिछली शताब्दी में हुआ था। अब उसकी उम्र काफी अधिक हो गयी थी। उसके पहननेओढ़ने में भी अन्तर आ गया था। इससे वह स्वयं को सयाना महसूस करने लगी थी।
प्रश्न2. बचपन में लेखिका को कौन-सी शनिवारी दवा पीनी पड़ती थी?
उत्तर- बचपन में लेखिका को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल शनिवारी दवा के रूप में पीनी पड़ती थी।
प्रश्न3. लेखिका को शिमला के कौन-से फल अच्छे लगते थे और क्यों?
उत्तर- लेखिका को शिमला के काफ़ल बहुत अच्छे लगते थे, क्योंकि उनका स्वाद कुछ खट्टा-मीठा, रसभरा कसमल होता था और वे देखने में भी अच्छे लगते थे।
प्रश्न 12. लेखिका के चेहरे पर चश्मा देखकर छोटे-बड़े क्या कहते थे?
उत्तर- लेखिका को वे कहते थे कि क्या आँखों में तकलीफ है? इस उम्र में ऐनक! खूब दूध पिया करो।
प्रश्न 13. लम्बी सैर पर निकलते समय लेखिका अपने पास क्या रखती थी और क्यों?
उत्तर- लम्बी सैर पर निकलते समय लेखिका अपने पास रुई रखती थी, क्योंकि नये जूते उसके पैर काटते थे। छाले पड़ने पर वह रुई को मौजे में रख लेती थी।
प्रश्न 14. ‘बचपन’ संस्मरण से क्या सन्देश मिलता है?
उत्तर- इससे सन्देश मिलता है कि हमें बड़ों का कहना मानना चाहिए, अपना काम स्वयं करना चाहिए और हमेशा सही रोशनी में बैठकर पढ़ना-लिखना चाहिए।
प्रश्न 15. “चश्मा तो अब तक नहीं उतरा।” इसका कारण क्या रहा?
उत्तर- लेखिका दिन की रोशनी छोड़कर रात में टेबल लैम्प के सामने लिखने-पढ़ने में लगी रहती, अपना काम करती रहती। इस कारण उनकी आँखों से चश्मा नहीं उतरा।
प्रश्न 1. लेखिका (कृष्णा सोबती) के पहनने-ओढ़ने में क्या बदलाव आए और क्यों?
उत्तर- लेखिका पहले रंग-बिरंगे कपड़े पहनती थी। वह अलग-अलग तरह की पोशाकें पहनती थी, जैसे फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहंगे, गरारे आदि; परन्तु अब वह प्राय: सफेद घेरदार कुर्ते व चूड़ीदार पाजामे पहनने लगी। बचपन तथा जवानी में रुचि में उमंग होने से वह पहनने ओढ़ने में गहरे-चमकीले रंग पसन्द करती थी, परन्तु बाद । में ढलती उम्र के कारण उमंग कम होने से वह हल्के रंग एवं सफेद कपड़े पहनने-ओढ़ने लगी।
प्रश्न 2. ‘बचपन’ संस्मरण से लेखिका कृष्णा सोबती की कौन-सी विशेषताएँ प्रकट हुई हैं?
उत्तर- ‘बचपन’ संस्मरण से लेखिका की अनेक विशेषताएँ व्यक्त हुई हैं। बचपन में वह रंग-बिरंगे कपड़े पहनती थी, शिमला में माल एवं रिज की सैर करती थी और रात में पढ़ने-लिखने में लगी रहती थी। लेखिका अपनी ढलती उम्र में सादा जीवन बिताने लगी। वह अपने लेखन-कार्य में लगी रही। इससे उसका परिश्रमी, चिन्तनशील एवं संवेदनशील स्वभाव व्यक्त हुआ है।
प्रश्न-
(क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? नाम लिखिए।
(ख) लेखिका अब क्या महसूस करने लगी?
(ग) लेखिका पहले किन रंगों के कपडे पहनती रही?
(घ) लेखिका ने पिछले दशकों में किस प्रकार की पोशाकें पहनीं?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-बचपन।
(ख) लेखिका अब उम्र में काफी बड़ी होने से स्वयं को सयाना महसूस करने लगी।
(ग) लेखिका पहले नीले, जामुनी, ग्रे, काला और चाकलेटी रंगों के कपड़े पहनती रही।
(घ) लेखिका ने पिछले दशकों में फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे व घेरदार कुर्ते आदि पोशाकें पहनीं।
गद्यांश - 2
पिछली सदी में तेज रफ्तारवाली गाडी वही थी। कभीकभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज़ आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते। दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर। यह देखो और वह गायब! उसकी स्पीड ही इतनी तेज लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहां आँखों के डॉक्टर अंग्रेज थे।
प्रश्न-
(क) इस गद्यांश की लेखिका का नाम लिखिए।
(ख) लेखिका को बचपन में हवाई जहाज कहाँ देखने को मिलते थे?
(ग) हवाई जहाज को उड़ता हुआ देखकर कैसा लगता था?
(घ) चश्मा लगाने वाले डॉक्टर को क्या कहते थे?
उत्तर-
(क) लेखिका का नाम- कृष्णा सोबती।
(ख) लेखिका को बचपन में शिमला में हवाई जहाज देखने को मिलते थे।
(ग) हवाईजहाज को उड़ता हुआ देखकर ऐसा लगता था कि जैसे कोई भारी-भरकम पक्षी पंख फैलाकर उड़ रहा हो।
(घ) चश्मा लगाने वाले डॉक्टर को आँखों का डॉक्टर कहते थे।
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