अपनी बात को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए लोग मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। इससे गंभीर भावों को भी सरल एवं सहज ढंग से अभिव्यक्त किया जाता है । इसवेफ प्रयोग से भाषा की सजीवता और रोचकता बढ़ जाती है। मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग सदैव इनके मूल रूप में किया जाता है।
मुहावरे
जब कोई शब्द-समूह या वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ की अभिव्यक्ति करता है तो उसे मुहावरा कहते हैं; जैसे—
'छत्रपति शिवाजी मुगलों की आँखों में धूल झोंककर कारागार से फ़रार हो गए थे।' इस वाक्य में आँखों में धूल झोंकने का प्रयोग धोखा देने के लिए किया गया है। ऐसा नहीं कि उन्होंने .जमीन से धूल उठाई और पहरेदारों की आँखों में झोंक दी।
उदाहरण स्वरूप वुफछ प्रसिद्ध मुहावरे, द्वह्वके अर्थ और वाक्य-प्रयोग :
1. अंधे की लकड़ी (बुढ़ापे का एकमात्र सहारा)—अन्य संतानों की मृत्यु के बाद अब तो केशव ही अपने माँ-बाप के लिए अंधे की लकड़ी है।
2. अंग-अंंग ढीला होना (बहुत थक जाना)—दिन भर काम करने के कारण मज्जदूर का अंग-अंग ढीला हो रहा था।
3. अंग-अंग मुस्कराना (बहुत खुश होना)—लाङ्खटरी में पाँच लाख का इनाम निकलने की बात सुनकर प्रीतम का अंग-अंग मुस्कराने लगा।
4. अंगुली उठाना (दोष निकालना)—विकास योजना के इस धन से ऐसे काम कराड्ढए, जिससे किसी को अंगुली उठाने का मौका न मिले।
5. अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब पूरा करना)—नेता भले ही जनता के सामने गरीबी दूर करने का ख्वाब दिखाए, पर उसका उद्देश्य अपना उल्लू सीधा करना ही होता है।
6. अक्ल पर पत्थर पडऩा (बुद्धि से काम न लेना)—रोशन आजकल ऐसे काम करता है, जिसे देखकर लगता है कि उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गया है।
7. अगर-मगर करना (बहानेबाजी करना)—परीक्षा निकट है, इसलिए अगर-मगर करना छोड़कर पढ़ाई शुरू कर दो।
8. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (स्वयं अपना नुकसान करना)—सरकारी नौकरी छोड़कर अपनी दुकान खोलने की बात करना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
9. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)—तुम कोई काम तो करते नहीं हो, बस अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनते रहते हो।
10. आँखे चुराना (मिलने से बचते फिरना)—जब से वह पैसे ले गया है तब से घर आना तो दूर, आँखें चुराने लगा है।
11. आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)—गहने दूने करने के नाम पर तांत्रिक ने उसके सारे आभूषण उठाए और आँखों में धूल झोंककर चलता बना।
12. आँसू पोछना (सांत्वना देना)—उसके बुरे कर्मों के कारण मुसीबत के समय गाँव में कोई उसके आँसू पोछने भी नहीं आ रहा है।
13. आँखों में खटकना (बुरा लगना)—चोरी करते हुए पकड़े जाने के कारण सोमू अब अपने ही माता-पिता की आँखों में खटकने लगा है।
14. आँखे तरसना (किसी को देखने की तीव्र इच्छा होना)—उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए बेटे को देखने के लिए माँ की आँखें तरसने लगीं।
15. आँखें पथरा जाना (इंतजार करते-करते थक जाना)—अपने बेटे को देखने के लिए माँ की आँखे पथरा गई हैं।
16. आँखों का तारा (बहुत प्यारा)—राज्यभर में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बाद अंशुल अध्यापकों की आँखों का तारा बन गया है।
17. आँखें खुलना (होश आना)—पूरे साल वह घूमता रहा। अब फेल होने के बाद उसकी आँखें खुलने लगी हैं।
18. आँखों से गिरना (सम्मान खो देना)—घर में ही चोरी करने के कारण प्रवीण पूरे परिवार की आँखों से गिर गया है।
19. आँखें चार होना (एक-दूसरे को देखना)—अचानक ही बाजार में मेरी और सुमन की आँखें चार हो गईं।
20. आँखें बिछाना (खूब स्वागत-सत्कार करना)—विदेश से लौटे मित्र के लिए उसने आँखें बिछा दीं।
21. आग-बबूला होना (बहुत क्रोधित होना)—मज्जदूर को बैठा देखकर ठेकेदार आग-बबूला हो गया।
22. आग में घी डालना (झगड़े को और बढ़ाना)—मामला तो लगभग हल हो गया था, पर नीलेश की बातों ने आग में घी डालने का काम किया।
23. आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)—जिसे मैं अपने सबसे निकट समझता था, वह आस्तीन का साँप निकला।
24. आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अंतर होना)—विभीषण और रावण की सोच में आकाश-पाताल का अंतर था।
25. ईंट का जवाब पत्थर से देना (करारा जवाब देना)—ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच में श्रीलंका को ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए भारत ने मोहाली मैच जीत लिया।
26. ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)—कई साल के बाद मिलने पर रणवीर ने उमेश से कहा कि यार तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
27. उल्लू बनाना (मूर्ख बनाना)—आजकल के प्रापर्टी डीलर ग्राहकों को उल्लू बनाने से भी नहीं चूकते।
28. उन्नीस-बीस का अंतर होना (बहुत कम अंतर होना)—दिनेश और मनोज की सफलता में उन्नीस-बीस का ही अंतर है।
29. ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक खानेवाले को कम भोजन)—इस पहलवान के लिए एक चाय और दो बिस्कुट ऊँट के मुँह में जीरा के समान साबित होंगे।
30. एक आँख से देखना (भेदभाव न करना)—राजा भोज सभी को एक आँख से देखते थे।
31. एड़ी-चोटी का ज्जोर लगाना (बहुत परिश्रम करना)—आईºएºएसº बनने के लिए एड़ी-चोटी का ज्जोर लगाना पड़ेगा।
32. ओखली में सिर देना (जान-बूझकर आफत मोल लेना)—आजकल छात्रों की भलाई के लिए भी पिटाई करना ओखली में सिर देने के समान है।
33. कमर टूटना (अत्यधिक निराश होना)—आतंकी के बेटे की हत्या क्या हुई, लगता है उसकी कमर ही टूट गई।
34. कलम तोडऩा (बहुत सुंदर लिखना)—यह निबंध लिखते हुए तुमने तो कलम ही तोड़ दी है।
35. एक ही थैली के चट्टे-बट्टे होना (एक समान होना)—राम और रमेश दोनों ही झगड़े में शामिल थे, दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।
36. कान पर जूँ न रेंगना (तनिक भी असर न होना)—पिता की बातों से लापरवाह पुत्र के कानों पर जूँ तक न रेंगी।
37. कान भरना (चुगली करना)—सहयोगियों के खिलाफ़ अधिकारी के कान भरना अच्छी आदत नहीं है।
38. कीचड़ उछालना (लाछन लगाना)—चुनावी दिनों मे नेतागण अपने विरोधी नेताओं पर कीचड़ उछालने से बाज नहीं आते हैं।
39. कोल्हू का बैल होना (दिन-रात काम करना)—इस महँगाई में कोल्हू का बैल बनने पर भी परिवार का भरण-पोषण कठिन हो गया है।
40. कलेजा ठंडा होना (संतोष होना)—बेटे के हत्यारे को फाँसी की सकाा मिलने पर ही माँ का कलेजा ठंडा हुआ।
41. कलई खुलना (भेद प्रकट होना)—नकली नोट छापने की मशीन पकड़े जाने के बाद उसकी अमीरी की कलई खुल गई।
42. कमर कसना (तैयार होना)—सरकारी सहायता मिलने के बाद किसानों ने ऊसर ज्जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए कमर कस ली है।
43. काया-पलट होना (बहुत बदलाव आना)—पक्की सड़कें बनने तथा विद्युतीकरण के बाद गाँवों की काया-पलट हो गई है।
44. काम आना (युद्ध में मारा जाना)—कारगिल युद्ध में बहुत-से वीर काम आए।
45. खून खौलना (जोश एवं क्रोध से भर उठना)—देश की सीमा में आतंकवादियों को घुसपैठ करते देखकर जवानों का खून खौल उठा।
46. खटाई में पडऩा (निर्णय न हो पाना)—विपक्षी दलों में एकता न हो पाने के कारण उनका सरकार गिराने का मामला खटाई में पड़ गया।
47. खरी-खोटी सुनाना (बुरे वचन कहना)—माँ ने अपने उस बेटे को खूब खरी-खोटी सुनाई जो चोरी करते हुए पकड़ा गया था।
48. खाक छानना (मारे-मारे फिरना)—नौकरों छूटने के बाद सोमेश खाक छानता फिर रहा है।
49. खाक में मिलाना (नष्ट कर देना)—सीमा पार के आतंकी ठिकानों को सेना ने खाक में मिला दिया।
50. गागर में सागर भरना (थोड़े में बहुत कुछ कहना)—विज्ञापनों की भाषा में गागर में सागर भरा रहता है।
51. गड़े मुर्दे उखाडऩा (बीती बातों पर बहस करना)—आज के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे हुए हैं और तुम गड़े मुर्दे उखाडऩे पर तुले हो।
52. गाँठ बाँधना (अच्छी तरह याद रखना)—माँ ने बेटी से कहा, ‘‘मेरी बातें गाँठ बाँध लो, जीवन में काम आएँगी।’’
53. गुड़-गोबर करना (बना काम बिगाड़ देना)—मामला सुलझने ही वाला था कि तुम्हारी बातों ने सारा गुड़-गोबर कर दिया।
54. घड़ों पानी पडऩा (बहुत लज्जित होना)—कम तौलते हुए पकड़े जाने पर दुकानदार पर घड़ों पानी पड़ गया।
55. घाव पर नमक छिड़कना (दुख को और बढ़ाना)—तुम्हारी बातें बुढिय़ा के घाव पर नमक छिड़कने वाली थीं।
56. घाट-घाट का पानी पीना (अनुभवी होना)—तुम उसे अपनी बचत की योजनाएँ बताकर धोखा नहीं दे सकते हो। उसने घाट-घाट का पानी पी रखा है।
57. घी के दीये जलाना (खुशी मनाना)—बेटे के आईºएºएसº बनने पर माँ-बाप ने घी के दीये जलाए।
58. घुटने टेकना (हार मानना)—महाराणा प्रताप ने अकबर के समक्ष कभी घुटने नहीं टेके।
59. घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होकर सोना)—परीक्षा समाप्त होने के बाद छात्र घोड़े बेचकर सोते हैं।
60. चार चाँद लगाना (सुंदरता बढ़ाना)—इन चित्रों में रंग भरकर तुमने चार चाँद लगा दिए है।
61. चेहरे पर हवाइयाँ उडऩा (डर जाना)—जंगल में डाकुओं से सामना होने पर व्यापारी के चेहरे पर हवाइयाँ उडऩे लगीं।
62. चिकना घड़ा होना (निर्लज्ज होना)—उसे कितना भी कुछ कह लो उस पर कोई असर नहीं होने वाला, वह तो चिकना घड़ा है।
63. छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना)—कारगिल युद्ध में भारतीय वीरों ने घुसपैठियों के छक्के छुड़ा दिए।
64. छुपा रुस्तम (साधारण, पर अत्यंत गुणी)—उसे साधारण डाक्टर मत समझो, वह तो छुपा रुस्तम है। उसने अनेक असाध्य रोगों को ठीक कर रखा है।
65. जमीन-आसमान एक कर देना (पूरा प्रयास करना)—इस महँगाई में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए गरीबों को जमीन-आसमान एक करना पड़ रहा है।
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1. मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ क्या होते हैं? |
2. मुहावरों और लोकोक्तियों के कुछ उदाहरण बताइए। |
3. मुहावरों और लोकोक्तियों का उपयोग क्यों किया जाता है? |
4. मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रकार कौन-कौन से होते हैं? |
5. मुहावरों और लोकोक्तियों के उपयोग से क्या लाभ होता है? |
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