UPPSC (UP) Exam  >  UPPSC (UP) Notes  >  Course for UPPSC Preparation  >  योग की प्रासंगिकता

योग की प्रासंगिकता | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

योग शब्द का अर्थ ‘एक्य’ या ‘एकत्व’ होता है जो संस्कृत धातु ‘युज’ से निर्मित है। युज का अर्थ होता है ‘जोड़ना’।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ‘‘योग : कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात् योग से कर्मों में कुश्लाता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है।
योग भारतीय ज्ञान की हजारों वर्ष पुरानी शैली है। हजारों मूर्तियाँ इसके संबंध में योग की स्थिति में अभी तक प्रमाणिक रूप में है। भगवत गीता में अनेकों बार योग शब्द का उल्लेख किया गया है। योग के साक्ष्य सिंधु घाटी, वैदित सभ्यता तथा बौद्ध एवं जैन दर्शन में किसी-न-किसी रूप में प्राप्त हुआ है। योग के प्रसिद्ध ग्रंथों में पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र एवं वेदव्यास द्वारा रचित योगभाण्य का विशेष महत्त्व है। नागेश भट्ट द्वारा रचित योग सूत्रवृत्ति भी विख्यात है।
योग के आठ अंगों को अष्टांग कहते हैं जिससे आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि को योग के आठ अंग माना जाता है। योग में प्राणायाम का विशेष महत्त्व है। प्राण का अर्थ जीवन शक्ति एवं आयाम का अर्थ ऊर्जा पर नियंत्रण होता है। अर्थात् श्वास लेने संबंधी कुछ विशेष तकनीकों द्वारा जब प्राण पर नियंत्रण किया जाता है तो उसे प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम के तीन मुख्य प्रकार होते हैं- अनुलोम-विलोम, कपालभाति प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम।
भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्त्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग की आवश्यकता एवं महत्त्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक संप्रदायों द्वारा एकमत से स्वीकार किया गया है। जैन और बौद्ध दर्शनों में भी योग के महत्त्व को स्वीकृति प्राप्त है। वर्तमान समय अर्थात् आधुनिक युग में योग के महत्त्व में और अधिक अभिवृद्धि हुई है। मनुष्यों में बढ़ती व्यस्तता एवं मन की व्याकुलता इसके प्रमुख कारणों में से हैं। आधुनिक मनुष्य को आज योग की अत्यधिक आवश्यकता हो गई है। मन और शरीर अत्यधिक तनाव, प्रदूषण एवं भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण रोगग्रस्त होते जा रहे हैं। व्यक्ति के अंतर्मुखी और बहिर्मुखी स्थिति में असंतुलन आ गया है।
भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी के अनुसार, योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिये एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवनशैली में यह चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।
कई बड़े योगियों और गुरुओं द्वारा योग को परिभाषित किया गया है। श्री श्री रविशंकर के अनुसार ‘‘योग सिर्फ व्यायाम और आसन ही है। यह भावनात्मक एकीकरण और रहस्यवादी तत्त्व का स्पर्श लिये हुए एक आध्यात्मिक ऊँचाई है, जो आपको सभी कल्पनाओं से परे की एक झलक देता है। ओशो के अनुसार ‘‘योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बाधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहाँ धर्म हमें खूंटे से बाँधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है।’’ बाबा रामदेव के अनुसार ‘‘मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है।’’ आज योग का ज्ञान जिस सुव्यविस्थत तरीके से हमें उपलब्ध है उसका श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। पहले योग के सूत्र बिखरे थे जिन्हें समझना मुश्किल था। महर्षि पतंजलि ने इन्हें समझते हुए इन्हें सुव्यवस्थित किया और अष्टांग योग का प्रतिपादन किया। भारत के षट् दर्शनों में महर्षि पतंजलि का योग दर्शन बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। योग शब्द की परिभाषा महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्र में ‘‘योगश्रितवृत्ति निरोध:’’ के रूप में दी जिसका अर्थ होता है चित्त की वृत्तियों के निरोध को योग कहते हैं। चित्त की इन वृत्तियों के निरोध हेतु अभ्यास एवं वैराग्य को आवश्यक बताया जाता है- ‘‘अभ्यास वैराग्याम्यां तन्निरोध:’’ और चित्त की वृत्तियों के निरोध से होने वाली उपलब्धि को ‘‘तदा द्रष्ट: स्वरूपऽवस्थानम्’’ माना गया है अर्थात् इस समय द्रष्टा की अपने स्वरूप में स्थिति हो जाती है। इस अवस्था की प्राप्ति के लिये जो साधन बताए गए हैं, वे ही अष्टांग योग कहलाते हैं।
देखा जाए तो योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला है, जिसका लक्ष्य है- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता है। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है। यह शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है। इसके द्वारा श्वसन, ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार होता है। इससे प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार और स्वस्थ्य जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिलती है।
2014 में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था क्योंकि गर्मियों में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित होता है एवं उत्तरी गोलार्द्ध में 21 जून वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून, 2015 को किया गया था जिसने विश्व भर में कई कीर्तिमान स्थापित किये। वर्तमान में योग भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिये प्रासांगिक विषय बना हुआ है। भारत के अलावा कई इस्लामिक देशों ने भी इसे अपनाया है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि योग के महत्त्व को देखते हुए आज पूरा विश्व इसे पूरे मनोयोग से अपना रहा है। योग विद्या को वेदों में विशेष स्थान प्राप्त था। वेदों का मुख्य प्रतिपाद्य विषय आध्यात्मिक उन्नति करना है। इसके लिये यज, उपासना, पूजा व अन्य कार्यक्रमों का वर्णन किया गया है। इन सबसे पूर्व योग साधना का विधान किया गया है। इसके संदर्भ में ऋग्वेद में कहा याग है-

यस्मादृते न सिध्यति यज्ञोविपश्चितश्रन।
स धीनां योगमिन्वति।।

योग के पूर्ण नहीं होता है। इस बात से पता चलता है कि वेदों में योग को कितना महत्त्व दिया गया है।
विष्णु पुराण में भी कहा गया है कि ‘‘जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग है।’’
योग के इसी महत्त्व को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा योग की बढ़ती स्वीकारोक्ति एवं पश्चात् को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस तरह की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत लोगों तथा समाजों एवं संस्कृतियों के मध्य सांस्कृतिक एवं सभ्यागत वार्ता बनाए रखने में मदद करती है और इस स्वीकृति से पूरे विश्व को लाभ पहुँचता है।

The document योग की प्रासंगिकता | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) is a part of the UPPSC (UP) Course Course for UPPSC Preparation.
All you need of UPPSC (UP) at this link: UPPSC (UP)
111 videos|370 docs|114 tests

Top Courses for UPPSC (UP)

FAQs on योग की प्रासंगिकता - Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

1. योग क्या है और इसके क्या लाभ हैं?
योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसमें शरीर, मन और आत्मा का संतुलन और सम्मिलन करने के लिए विभिन्न शारीरिक और मानसिक अभ्यासों का उपयोग किया जाता है। योग का नियमित अभ्यास करने से स्वास्थ्य, मानसिक शांति, तनाव कम करने, शरीर की लचीलापन बढ़ाने और आत्मविश्वास को मजबूत करने में मदद मिलती है।
2. योग के कितने प्रकार होते हैं और कौन-कौन से हैं?
योग कई प्रकार के होते हैं। प्रमुख प्रकारों में से कुछ हैं - हठ योग, राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, कुण्डलिनी योग, मंत्र योग और नाड़ी शोधन प्राणायाम। प्रत्येक प्रकार का योग अपनी विशेषताओं और लाभों के कारण मशहूर है।
3. क्या योग एक धार्मिक गतिविधि है?
योग धर्म से सम्बंधित हो सकता है, लेकिन यह धार्मिक गतिविधि नहीं है। योग एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो सभी धर्मों और जातियों के लोगों द्वारा अपनाया जा सकता है। योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए मददगार है, और इसे वहाँ धार्मिक उद्देश्यों के साथ भी अपनाया जा सकता है जहाँ योगा धार्मिक आधार पर आधारित होता है।
4. क्या योग करने के लिए किसी विशेष उम्र या स्थान की आवश्यकता होती है?
योग करने के लिए किसी विशेष उम्र या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। किसी भी उम्र और किसी भी स्थान पर योग किया जा सकता है। हालांकि, योग अभ्यास करने से पहले एक योग गुरु की मार्गदर्शन और सही तकनीक के बारे में जानकारी होना चाहिए।
5. योग का नियमित अभ्यास कितनी देर तक किया जाना चाहिए?
योग का नियमित अभ्यास आपकी अवस्था और समय के आधार पर निर्धारित किया जाता है। शुरुआत में, आप 15-30 मिनट तक योग कर सकते हैं और फिर समय के साथ इसे बढ़ा सकते हैं। योग की लाभ प्राप्ति के लिए नियमित अभ्यास करना अहम है, इसलिए कोशिश करें कि आप कम से कम 3-4 दिन प्रति सप्ताह योग करें।
111 videos|370 docs|114 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPPSC (UP) exam

Top Courses for UPPSC (UP)

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Important questions

,

video lectures

,

practice quizzes

,

Exam

,

MCQs

,

past year papers

,

ppt

,

Extra Questions

,

Objective type Questions

,

योग की प्रासंगिकता | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

shortcuts and tricks

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

study material

,

योग की प्रासंगिकता | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

Free

,

Summary

,

mock tests for examination

,

योग की प्रासंगिकता | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

pdf

,

Semester Notes

,

Previous Year Questions with Solutions

;