राघव! माधव! सीते! ललिते! विमानयानं रचयाम्।
नीले गगने विपुल विमले वायुविहारं करवाम्।
अन्वय -
राघव! माधव! सीते! ललिते! विमानयानं रचयाम्। नीले विपुल विमले गगने वायुविहारं करवाम्।
सरलार्थ -
हे राघव, माधव, सीता, ललिता! आओ हमसब एक विमान बनाएं। नीले, स्वच्छ और विशाल आकाश में वायुविहार करें अर्थात आकाश में यात्रा करें।
उन्नतवृक्षं तुङ्गं भवनं क्रान्त्वाकाशं खुलयाम्।
कृत्वा हिमवन्तं सोपानं चन्द्रिरलोकं प्रविशाम्।
अन्वय -
खलु उन्नतवृक्षं, तुङ्गं भवनं क्रान्त्वा आकाशं याम। हिमवन्तं सोपानं कृत्वा चन्द्रिरलोकं प्रविशाम।
सरलार्थ -
ऊँचे पेड़ को, ऊँचे भवन को पार करके आकाश में चलें। बर्फ को हिमालय को सीढ़ी बनाकर चन्द्रलोक में प्रवेश करें।
शुक्रश्चन्द्रः सूर्यो गुरुरिति ग्रहान हि सर्वान गणयाम्।
विविधाः सुन्दरता0राश्चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम्।
अन्वय -
शुक्रः चन्द्रः सूर्यः गुरुः इति हि सर्वान ग्रहान गणयाम। विविधः सुन्दरताराः चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम।
सरलार्थ -
शुक्र, चन्द्र, सूर्य बृहस्पति आदि सभी ग्रहों की गणना करें। अनेक प्रकार के सुन्दर तारों को चुनकर मोतियों का हार बनाएं।
अम्बुदमालाम् अम्बरभूषाम् आदायैव हि प्रतियाम्।
दुःखित-पीडित -कृषिकजनानां गृहेषु हर्षं जनयाम्।
अन्वय -
हि अम्बुदमालाम अम्बुदभूषाम आदाय एव प्रतियाम। दुःखित-पीड़ित कृषिकजनानां गृहेषु हर्षं जनयाम।
सरलार्थ -
बादलों की माला को, आकाश की शोभा को लेकर ही लौटें। दुखी और पीड़ित किसानों के घरों में हम खुशियाँ उत्पन्न करें। अर्थात उनके घरों में खुशियाँ लाएं।
शब्दार्थाः (Word Meaning)
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