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शब्द-विचार | Hindi Grammar for Class 6 PDF Download

शब्द

मनुष्य को अपने मन के भाव/विचार प्रकट करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा वाक्यों के मेल से बनती है और वाक्य शब्दों के मेल से बनते हैं। शब्द वर्गों के सार्थक मेल से बनते हैं। इस प्रकार वर्गों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं;
जैसे: पुस्तक, कमल, रतन।

शब्दों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया जाता है।

  • अर्थ के आधार पर
  • विकार के आधार पर
  • उत्पत्ति के आधार पर
  • बनावट के आधार पर

1. अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं
शब्द – सार्थक शब्द, निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द: जिन शब्दों का कोई अर्थ निकलता है तो उसे सार्थक शब्द कहते हैं; जैसे-घर, कमल, नेहा, आयुष ।
निरर्थक शब्द: जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं निकलता है उसे निरर्थक शब्द कहते हैं; जैसे-हमल, लमक, इत्यादि।

2. विकार/प्रयोग के आधार पर शब्द भेद-प्रयोग के आधार पर हम शब्दों को दो वर्गों में बाँटते हैं।

  • विकारी शब्द 
  • अविकारी शब्द

विकारी शब्द: विकार यानी परिवर्तन। ये शब्द जिसमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण विकार (परिवर्तन) आ जाता है। उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्द के चार भेद होते हैं।

  • संज्ञा
  • सर्वमान
  • विशेषण
  • क्रिया

अविकारी शब्द: अ + विकारी यानी जिसमें परिवर्तन न हो, ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं।

  • क्रियाविशेषण
  • संबंध बोधक
  • समुच्चय बोधक
  • विस्मयादि बोधक

3. उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार भागों में बाँट सकते हैं।

  • तत्सम शब्द
  • तद्भव शब्द
  • देशज शब्द
  • विदेशी शब्द

(क) तत्सम शब्द: तत्सम शब्द ‘तत् + सम’ शब्द से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है उसके तथा सम का अर्थ है समान यानी उसके समान। संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में लाए जाते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे-दुग्ध, रात्रि, जल, कवि, गुरु, फल आदि।
(ख) तद्भव शब्द: यह शब्द ‘तद + भव’ शब्द से बना है। इसका अर्थ है-उससे पैदा हुआ। ये शब्द संस्कृत शब्दों के रूप में कुछ बदलाव के साथ हिंदी भाषा में प्रयोग होते हैं। जैसे-दही, दधि, साँप (सर्प) गाँव (ग्राम) सच (सत्य) काम (कार्य) पहला (प्रथम) आदि।
(ग) देशज शब्द: ‘देशज’ अर्थात देश में उत्पन्न। ये शब्द भारत के विभिन्न क्षेत्रों से तथा आम बोलचाल की भाषा से लिए गए हैं। जैसे—खिचड़ी, जूता, पैसा, डिबिया, पगड़ी आदि।
(घ) विदेशी शब्द: दूसरे देशों की भाषाओं से हिंदी में आए शब्द ‘विदेशी’ शब्द कहलाते हैं। जैसे-रेडियो, लालटेन, स्टेशन, स्कूल, पादरी, जमीन, बंदूक, सब्जी, इनाम, खते, कलम, आदमी, वकील, सौगात, रूमाल, तौलिया, कमरा आदि।

बनावट के आधार पर शब्द भेद: बनावट के आधार पर शब्द-भेद तीन प्रकार के होते हैं

  • रूढ़ शब्द
  • यौगिक शब्द
  • योगरूढ़ शब्द

(क) रूढ़ शब्द: वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले आ रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं।
जैसे- घोड़ा, पुस्तक, मेज़, पर इत्यादि।
(ख) यौगिक शब्द: ये शब्द दो शब्दों के योग से बनते हैं। ‘योग’ का अर्थ होता है जोड़। अतः दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं-यौगिक शब्द कहलाते हैं। इनके टुकड़े किए जा सकते हैं।
जैसे- पुस्तकालय, शिवालय, महेश आदि।
(ग) योगरूढ़ शब्द: जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हों और उनके विशेष अर्थ निकलें वे योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
जैसे: (क) पंकज = पंक (कीचड़) जन्मा अर्थात ‘कमल’ जिसका जन्म कीचड़ से हुआ है। अतः ये योगरूढ़ शब्द हैं। नीला + कंठ = नीलकंठ (नीले कंठवाला अर्थात शिव)

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FAQs on शब्द-विचार - Hindi Grammar for Class 6

1. शब्दशब्द-विचार क्या है?
उत्तर: शब्दशब्द-विचार वह प्रक्रिया है जिसमें हम एक शब्द के विभिन्न अर्थों और विचारों को समझते हैं और उन्हें संबोधित करने के लिए उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से हम शब्द के विभिन्न अर्थों को समझ सकते हैं और उन्हें सही संदर्भ में प्रयोग कर सकते हैं।
2. शब्दशब्द-विचार क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: शब्दशब्द-विचार महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से हम अच्छे संवाद का निर्माण कर सकते हैं। यह हमें सही अर्थ समझने और संदेश को सुनिश्चित करने में मदद करता है। शब्दशब्द-विचार के बिना हम शब्दों के अर्थ को गलती से गलत समझ सकते हैं और इससे भ्रामक और अस्पष्ट संवाद हो सकता है।
3. शब्दशब्द-विचार की प्रक्रिया में कौन-कौन से तत्व शामिल होते हैं?
उत्तर: शब्दशब्द-विचार की प्रक्रिया में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं: 1. शब्द: जिस शब्द के विचार को समझना है, वह शब्द। 2. अर्थ: शब्द के विभिन्न अर्थ या विचार। 3. संदर्भ: शब्द के उपयोग का संदर्भ या परिस्थिति। 4. संवाद: शब्दों का आपसी संवाद या वार्तालाप।
4. शब्दशब्द-विचार में समानार्थी शब्दों का क्या महत्व है?
उत्तर: शब्दशब्द-विचार में समानार्थी शब्दों का महत्व इसलिए है क्योंकि इन्हें उपयोग करके हम शब्द के अर्थ को विस्तारित कर सकते हैं और उसे अधिक संदर्भ में प्रयोग कर सकते हैं। समानार्थी शब्दों का प्रयोग करके हम अपने विचारों को स्पष्ट और सहज ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।
5. शब्दशब्द-विचार के द्वारा किस प्रकार अभिव्यक्ति की जा सकती है?
उत्तर: शब्दशब्द-विचार के द्वारा हम विभिन्न प्रकार की अभिव्यक्ति कर सकते हैं, जैसे कि: 1. भाषाई अभिव्यक्ति: शब्दशब्द-विचार के माध्यम से हम विभिन्न भाषाओं में अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। 2. साहित्यिक अभिव्यक्ति: इसके माध्यम से हम कविताएं, कहानियां, नाटक, गीत आदि को रच सकते हैं और अपनी भावनाओं को साझा कर सकते हैं। 3. व्याख्यात्मक अभिव्यक्ति: शब्दशब्द-विचार के माध्यम से हम किसी विषय को व्याख्या कर सकते हैं और अपने विचारों को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं।
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