5.
हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।
शब्दार्थ—भिखमंगे—भीख माँगनेवाले, अभावग्रस्त जीवन जीनेवाले लोग। स्वच्छंद—उन्मुष्ठह्म्, बंधन रहित। उर—हृदय। असफलता—नाकामयाबी, मनचाही सफलता न प्राप्त होना, हार का भाव।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत, भाग-3’ में संकलित ‘दीवानों की हस्ती’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। इन पंक्तियों में बेफ़िक्री भरा जीवन जीनेवाले दीवाने लोग अपने व्यवहार तथा मनोदशा के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
व्याख्या—स्वतंत्रता पाने को अपना लक्ष्य बनाए मनमौजी स्वभाववाले दीवाने लोग जहाँ भी गए, वहाँ दीन-हीन तथा अभावग्रस्त जीवन जीनेवाले लोगों के बीच अपना प्यार उन्मुक्त रूप से लुटाया। पर इतना सब कुछ करने के बाद भी वे अपने लक्ष्य से दूर रह गए। अपने सीने पर इस असफलता का भार लेकर वे जा रहे हैं।
विशेष-
प्रश्न: (क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि का नाम—भगवतीचरण वर्मा
कविता का नाम—दीवानों की हस्ती।
प्रश्न: (ख) कवि ने दुनिया को कैसा बताया है और क्यों?
उत्तर: कवि ने दुनिया को भिखमंगा बताया है क्योंकि वह सिर्फ लेना ही जानती है, देना नहीं।
प्रश्न: (ग) अभावग्रस्त लोगों के बीच दीवानों ने क्या किया?
उत्तर: अभावग्रस्त लोगों के बीच दीवानों ने उन्मुक्त रूप से अपना प्यार लुटाया तथा उनके जीवन को सुखमय बनाना चाहा।
प्रश्न: (घ) दीवानों के सीने पर किस असफलता का भार है?
उत्तर: दीवानों के सीने पर अपना लक्ष्य (स्वतंत्रता) न प्राप्त कर पाने तथा लोगों को खुशहाल न बना पाने की असफलता का भार है।
प्रश्न: (ङ) ‘असफलता’ शब्द से उपसर्ग, मूल शब्द और प्रत्यय पृथक-पृथक कीजिए।
उत्तर: ‘असफलता’ शब्द में ‘अ’ उपसर्ग, 'सफल' मूल शब्द तथा ‘ता’ प्रत्यय है।
6.
अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहें रुकनेवाले!
हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।
शब्दार्थ—आबाद रहना—एक स्थान पर बसकर हँसी-खुशी का जीवन बिताना। स्वयं —खुद, अपने-आप। बंधन—बेडिय़ाँ।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत, भाग-3’ में संकलित ‘दीवानों की हस्ती’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। इस काव्यांश में दीवाने अपनी मनोदशा का वर्णन कर रहे हैं।
व्याख्या—उपर्युक्त काव्यांश में दीवानों ने अपनी मनोदशा का वर्णन करते हुए कहा है कि मातृभूमि को स्वतंत्र करानेवाले हम दीवानों के लिए कोई न अपना है और न कोई पराया। हम सभी को समान भाव से देखते हैं। हम विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय के लोगों को एक समान मानते हैं। हम तो यही चाहते हैं कि लोग हँसी-खुशी भरा जीवन बिताएँ। अपने जीवन के नियम तथा बंधन हमने खुद ही बनाए थे, उन्हें तोडक़र हम अन्यत्र जा रहे हैं अर्थात स्वतंत्रता के लिए कुर्बान होने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
विशेष-
प्रश्न: (क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि का नाम—भगवतीचरण वर्मा।
कविता का नाम—दीवानों की हस्ती।
प्रश्न: (ख) दीवानों के स्वभाव की दो विशेषताएँ काव्यांश के आधार पर लिखिए।
उत्तर: दीवानों के स्वभाव की विशेषता यह है कि-
1. वे अपने तथा परायेपन की भावना से ऊपर उठ चुके हैं।
2. वे किसी के बताए रास्ते पर नहीं चलते।
प्रश्न: (ग) लोगों के लिए दीवाने क्या कामना करते हैं?
उत्तर: लोगों के लिए दीवाने कामना करते हैं कि लोग जहाँ भी रहें, हँसी-खुशी भरा जीवन बिताएँ।
प्रश्न: (घ) दीवाने अपने बंधन तोडक़र किस ओर बढऩा चाहते हैं?
उत्तर: दीवाने अपने बंधन तोडक़र अन्य लोगों को खुशियाँ बाँटते हुए स्वतंत्रता के लिए कुर्बान होने की दिशा में बढऩा चाहते हैं।
प्रश्न: (ङ) काव्यांश में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: काव्यांश में निहित संदेश यह है कि गरीब लोग भी खुशियों के हकदार हैं। हमें उनका जीवन खुशहाल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
17 videos|193 docs|129 tests
|
1. दीवानों की हस्ती क्या है? |
2. सूरदास का जन्म स्थान क्या है? |
3. दीवानों की हस्ती का विषय क्या है? |
4. दीवानों की हस्ती की भाषा कौन सी है? |
5. सूरदास का जन्म कब हुआ था? |
17 videos|193 docs|129 tests
|
|
Explore Courses for Class 8 exam
|