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समास | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar) PDF Download

समास शब्द का शाब्दिक अर्थ है – संक्षिप्तीकरण। इसे दूसरे रूप में ‘संक्षेप’या संक्षिप्तीकरण भी कह सकते हैं। इसके शाब्दिक अर्थ से ही पता चलता है कि ये शब्दों को संक्षिप्त करने की कोई व्याकरणीय प्रक्रिया है।

समास किसे कहते है?

जब दो या दो से अधिक शब्दों का मिलाकर एक नया और अर्थपूर्ण शब्द बनाया जाता है, तो इसे समास कहते हैं। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ व्यक्त करने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया में प्रमुख शब्दों को ही प्रमुखता दी जाती है, जबकि सहायक शब्दों को हटा दिया जाता है, जिससे एक नया शब्द उत्पन्न होता है।

उदाहरण

  • देश के लिए भक्ति – देशभक्ति
  • गिरी को धारण करने वाला – गिरिधर
  • कर्म से वीर – कर्मवीर

समास के पद

समास में दो प्रमुख पद होते हैं। इन्हें समझना बहुत ही आसान है।

  • पूर्वपद: समास के पहले शब्द या शब्दांश को पूर्व पद कहते हैं।
  • उत्तरपद: समास के दूसरे पद को उत्तर पद कहते हैं।

एक तीसरे प्रकार के सहायक पद भी होते हैं, पर उनका अधिक महत्व न होने के कारण उन्हें सूची में शामिल नहीं किया जाता है।इन्हें आसानी से समझने के लिए हम उपरोक्त उदाहरण का पुनः अवलोकन करते हैं।
“देशभक्ति = देश के लिए भक्ति”

  • पूर्व पद: देश
  • उत्तर पद: भक्ति
  • सहायक पद: के लिए

सामासिक शब्द किन्हें कहते हैं?

जब समास के नियमों के अंतर्गत दो या अधिक शब्दों के संयोग से एक स्वतंत्र शब्द प्रकट होता है, तो इस स्वतंत्र शब्द को की सामासिक शब्दकहते हैं। इसे समस्तपद  भी कहा जाता है।
सामासिक शब्द बनने के बाद विभक्तियों के चिह्न लुप्त हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए 

  • “देशभक्ति -देश के लिए भक्ति”
  • इस शब्द समूह से बने स्वतंत्र शब्द “देशभक्ति” को सामासिक शब्द कहा जाएगा।

समास-विग्रह क्या होता है?

जैसे शब्दों के समूह को संक्षेपित करके समासिक शब्द बनाया जाता है, ठीक उसी तरह जब समासिक शब्दों को अलग किया जाता है, तो वे अपने मूल रूप में लौट आते हैं। इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहा जाता है।

उदाहरण के लिए 

  • जलाभिषेक   – जल से अभिषेक
  • कुंभकार – कुंभ को बनाने वाला
  • विधानसभा  – विधान के लिए सभा

समास के भेद

1. तत्पुरुष समास

जिस समास में अंतिम शब्द (उत्तर पद) की प्रधानता होती है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें प्रायः प्रथम पद विशेषण एवं द्वितीय पद विशेष्य होते हैं।
उदाहरण के लिए –

  • राहखर्च – राह के लिए खर्च
  • राजकुमार – राजा का कुमार
  • धर्म का ग्रंथ - धर्मग्रंथ

तत्पुरुष समास के भी छः भेद होते हैं:

  • कर्म तत्पुरुष   (जैसे,मनोहर  -मन को हरने वाला)
  • करण तत्पुरुष (जैसे,रक्तरंजित -रक्त से रंजीत)
  • संप्रदान तत्पुरुष (जैसे,देवालय–देव के लिए आलय)
  • अपादान तत्पुरुष (जैसे,ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त)
  • संबंध तत्पुरुष (जैसे,गंगाजल– गंगा का जल)
  • अधिकरण तत्पुरुष (जैसे,आत्मनिर्भर– आत्म पर निर्भर)

2. कर्मधारय समास

जिस समास में सभी शब्दों का भाव समान रूप से हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। इसमें सभी पदों का, चाहे वो विशेषण हो या विशेष्य, सभी की प्रधानता होती है। समान्यतः, इन शब्दों के लिंग और वचन भी समान होते हैं।

उदाहरण के लिए

  • परमेश्र्वर – परम है जो ईश्र्वर
  • प्राणप्रिय – प्राणों के समान प्रिय
  • महादेव – महान है जो देव

कर्मधारय समास के चार प्रकार होते हैं:

  • विशेषण पूर्वपद   (जैसे,नीलगाय – नीली गाय)
  • विशेष्य पूर्वपद   (जैसे,कुमारी – कुंवारी लड़की)
  • विशेषणोभय पद (जैसे, शीतोष्ण – ठंडा-गरम)
  • विशेष्योभय पद (जैसे, आम्रवृक्ष – आम का वृक्ष)

2. द्विगु समास: जिस सामासिक पद का पहला शब्द (पूर्व पद) संख्यावाचक विशेषण हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।

उदाहरण के लिए

  • तिरंगा  – तीन रंगों का समूह
  • त्रिलोक  – तीनों लोकों का समाहार
  • सप्तसिंधु  – सात सिंधुयों का समूह

द्विगु समास दो प्रकार के होते हैं:

  • समाहार द्विगु समास (जैसे, चतुर्वेद – चार वेदों का समाहार)
  • उपपद प्रधान द्विगु समास (जैसे,पंचप्रमाण – पाँच प्रमाण)

3. बहुव्रीहि समास

समास के वे संयोग जिसमें रचित शब्द का कोई भी पद प्रधानता नहीं रखता है, उन्हें बहुव्रीहि समास कहा जाता है। ऐसे सामासिक शब्द के दोनों ही पद (पूर्वपद और उत्तरपद), किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या विषय की ओर संकेत करते हैं।
उदाहरण के लिए

  • दशानन – दस है आनन जिसके अर्थात रावण
  • प्रधानमंत्री– मंत्रियों में जो प्रधान हो अर्थात प्रधानमंत्री
  • मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले अर्थात शंकर

4. द्वन्द समास

द्वंद समास के दोनों ही पद हमेशा प्रधानता व्यक्त करते हैं। ऐसे सामासिक शब्दों का यदि समास-विग्रह किया जाए, तो सहायक पदों के रूप में ‘और, या, एवं’ जैसे शब्द प्राप्त होते हैं।

उदाहरण के लिए –

  • देश-विदेश – देश और विदेश
  • ऊंच–नीच – ऊंचे या नीचे
  • राजा–प्रजा – राजा और प्रजा

द्वंद समास के तीन प्रकार होते हैं:

  • इत्येत्तर द्वंद
  • समाहार द्वंद
  • वैकल्पिक द्वंद

5. अव्ययीभाव समास

जब समास में पूर्व पद की प्रधानता प्रकट हो, लेकिन दूसरे पद समान्यतः अव्यय होते हैं तो इसे ही अव्ययीभाव समास कहते हैं।
उदाहरण के लिए

  • यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार
  • यथासंभव – जैसा संभव हो
  • निर्भय   – बिना भय के

लेकिन कुछ विद्वानों ने इसके सातवें भेद का भी वर्णन किया है।

6. नञ समास

नञ समास का पहला शब्दांश (पूर्वपद) किसी उपसर्ग की तरह प्रतीत होता है। यह द्वितीय पद (उत्तरपद) के लिए विरोधाभास या विपरीत अर्थ व्यक्त करता है।

उदाहरण के लिए

  • अपवित्र न पवित्र
  • अलौकिक न लौकिक
  • अनदेखा न देखा हुआ

प्रयोग की दृष्टि से समास के तीन प्रकार होते हैं

  • संयोगमूलक समास: इसे संज्ञा-समास भी कहा जाता है। इसमें दोनों पद संज्ञा होते हैं। उदाहरणस्वरूप, माता-पिता, सूर्य-चन्द्र, दूध-दही आदि।
  • आश्रयमूलक समास: इसे विशेषण-समास भी कहा जाता है। इसमें पूर्वपद विशेषण होता है, जबकि उत्तरपद का अर्थ अधिक महत्वपूर्ण या बलवान होता है। जैसे, महारानी, खट्टा-मीठा, शीशमहल आदि।
  • वर्णनमूलक समास: इस प्रकार के समास में पहले पद में प्रायः अव्यय होता है और अंतिम पद संज्ञा होता है। उदाहरण के रूप में यथासाध्य, प्रतिमास, भरपेट आदि दिए जा सकते हैं।

संधि और समास में अंतर

कई बार विद्यार्थियों को संधि और समास एक जैसे लगते हैं और वे इनके बीच का अंतर नहीं समझ पाते। लेकिन नीचे दिए गए दो वाक्य से आप आसानी से इन दोनों के अंतर को समझ सकते हैं, और यह आपको हमेशा याद रहेगा।

  • संधि में वर्णों के बीच संयोजन होता है, जबकि समास में दो या अधिक शब्दों के बीच संयोग होता है।
  • संधि में शब्दों का लोप नहीं होता, बल्कि उनका मिलन होता है, जबकि समास में विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।

संधि के उदाहरण,

  • देव + आलय = देवालय
  • पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम

समास के उदाहरण,

  • देवालय – देवों के लिए आलय
  • पुरुषोत्तम- पुरुषों में जो उत्तम है

समास का प्रयोग 

समास, व्याकरण और भाषा का एक अहम भाग है। इसका प्रयोग संक्षिप्त शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। समास का प्रयोग तीन भाषाओं में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है:

  • संस्कृत
  • अन्य भारतीय भाषाएँ
  • जर्मनी

इसके प्रयोग से कम से कम शब्दों में, अधिक से अधिक अर्थ की व्याख्या की जा सकती है।

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FAQs on समास - BPSC General Hindi - BPSC (Bihar)

1. समास किसे कहते हैं?
Ans. समास एक संस्कृत व्याकरण का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाया जाता है। समास में पहले शब्द को 'पद' और दूसरे शब्द को 'पद' कहा जाता है। समास का प्रयोग वाक्यों को संक्षिप्त और स्पष्ट बनाने के लिए किया जाता है।
2. समास के पद कौन से होते हैं?
Ans. समास के पद दो प्रकार के होते हैं: 1. प्रधान पद - जो मुख्य अर्थ को दर्शाता है। 2. उपपद - जो प्रधान पद के साथ मिलकर अर्थ को पूर्ण करता है।
3. सामासिक शब्द किन्हें कहते हैं?
Ans. सामासिक शब्द वे शब्द होते हैं जो समास के द्वारा बने होते हैं। ये शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मिलन से तैयार होते हैं और एक नया अर्थ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, 'गृहस्थ' (गृह + स्थ) एक सामासिक शब्द है।
4. समास-विग्रह क्या होता है?
Ans. समास-विग्रह का अर्थ है समास के शब्दों का अलग-अलग करके उनका अर्थ स्पष्ट करना। इसमें सामासिक शब्द को उसके मूल पदों में विभाजित किया जाता है ताकि उसके अर्थ को समझा जा सके। उदाहरण के लिए, 'राजपुत्र' का विग्रह 'राजा + पुत्र' होगा।
5. समास के भेद कौन-कौन से होते हैं?
Ans. समास के मुख्य भेद निम्नलिखित हैं: 1. अव्यय समास 2. तत्पुरुष समास 3. कर्मधारय समास 4. द्द्वंद्व समास 5. बहुव्रीहि समास इन भेदों के माध्यम से समास के विभिन्न प्रकारों को समझा जा सकता है।
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