जो शब्द, वाक्य के अंशों का वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक कहते हैं। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़ें-
इन वाक्यों में क्योंकि शब्द कमल आज विद्यालय नहीं जा सका, और वह बीमार है। इन दो वाक्यों को एवं तथा शब्द चाचाजी, चाचीजी एवं इन दो शब्दों को जोड़ते हैं। अतः समुच्चयबोधक हैं।
जैसे:
इन वाक्यों में ‘इसलिए, “यदि”, “तो”, “परंतु” शब्दों ने दो शब्दों और दो वाक्यों को जोड़ने का कार्य किया है। ऐसे शब्द समुच्चयबोधक (योजक) कहलाते हैं।
समुच्चयबोधक शब्दों के मुख्य रूप से तीन भेद होते हैं:
जो अविकारी शब्द दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़े, वे संयोजक कहलाते हैं।
जैसे:
इन वाक्यों में “और”, “एवं”, “तो”, “तथा” “इसलिए” शब्द वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं, ये सभी संयोजक हैं।
जो शब्द भेद को प्रकट करते हुए दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ते हैं, वे विभाजक कहलाते हैं।
जैसे:
इन वाक्यों में “तो”, “परंतु”, “क्योंकि” “लेकिन” शब्द भेद दर्शाते हुए भी शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों को मिला रहे हैं। ये सभी विभाजक हैं। इनके अन्य उदाहरण हैं- “या”, “अथवा”, “परंतु”, “लेकिन”, “बल्कि”, “वरन्”, “तो”, “क्योंकि”, “यद्यपि” आदि।
जो समुच्चयबोधक विकल्प का बोध कराते हैं, उन्हें विकल्पसूचक कहते हैं।
जैसे:
उपर्युक्त वाक्यों में “अन्यथा” और “या” “नहीं तो”, “अथवा” शब्द दो विकल्पों में से एक को ग्रहण करते हैं तथा दूसरे को छोड़ते हैं। अतः ये विकल्पसूचक हैं।
दो या दो से अधिक शब्दों, शब्दांशों अथवा वाक्यों को मिलाने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक कहते हैं।
समुच्च्यबोधक तीन भेद इस प्रकार हैं:
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