अतीत का भार
नेहरू जी को बागवानी का बहुत शौक था। उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा जिन जेलों में रखा गया, वहाँ उन्होंने इस शौक को पूरा किया। अहमदनगर किले में भी उन्होंने बागवानी शुरू कर ठ्ठद्ध। यहाँ की मिट्टी पथरीली तथा पुराने मलबों और अवशेषों से भरी थी, फिर भी नेहरू जी बागवानी के लिए परिश्रम करते रहते थे। उन्होंने ऐसा करते हुए वहाँ की मिट्टी को फूल उगाने लायक बना दिया।
नेहरू जी लिखते हैं कि अहमदनगर का इतिहास कोई बहुत पुराना नहीं है, न ही इसकी कोई विशेष अहमियत है। इस किले से जुड़ी चाँद बीबी नामक साहसी महिला की कहानी प्रसिद्ध/ है। इस महिला ने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध/ अपनी सेना का नेतृत्व किया था पर उसकी हत्या उसके अपने ही आदमी ने कर दी।
जेल में बागवानी के लिए खुदाई करते समय नेहरू जी को ज़मीन की सतह के का.फी नीचे पुरानी दीवारों के हिस्से, गुंबद और इमारतों के ऊपरी हिस्से मिले। जेल के अधिकारी आगे बढऩे की अनुमति नहीं देते थे, इसलिए उन्होंने कुदाल छोड़कर कलम उठा ली। उन्होंने देश के आज़ाद होने तक लिखते रहने का निश्चय किया। इसके लिए कर्म का अनुभव जरुरी था। वे पैगंबर बनकर भविष्य के बारे में लिखने में असमर्थ थे। अतीत के बारे में वे किसी इतिहासकार या विद्वान की भाँति लिखने में सक्षम न थे। वे केवल वर्तमान विचारों और क्रियाकलापों के साथ संबंध स्थापित करके ही उसके बारे में कुछ लिख सकते थे। गेटे के अनुसार -"ऐसा इतिहास-लेखन अतीत के भारी बोझ से किसी सीमा तक राहत दिलाता है।"
♦ अतीत का दबाव
मस्तिष्क पर अतीत का दबाव- मनुष्य के मस्तिष्क पर सभ्यता और संस्कृति की जो छाप रहती है, उसका दबाव उसे अच्छे और बुरे दोनों रूपों में प्रभावित करता है। जो लोग अपनी प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े हैं, जब उनकी सभ्यता विकृत होती है, तो वे जल्दी ही विचलित हो उठते हैं।
क्या है विरासत? - नेहरू जी सोचा करते थे कि आखिर उनकी विरासत क्या है? वे किन बातों के उत्तरधिकारी हैं? मानवता ने जिसे हज्जारों सालों में हासिल किया उसकी विजय का उल्लास, पराजय की दुखद यंत्रणा, मानव के हैरत अंगेज़ साहसिक कार्य, जो सभी को आकर्षित करते है, इन सबके वे वारिस हैं। इसके साथ ही उन सभी के भी जिनमें पूरी मानवता की साझेदारी है। भारतीयों की विरासत में एक खास बात है जो हमारे रक्त, मांस और अस्थियों में समाई है, जिससे हमारा वर्तमान रूप बना है।
इसी विशिष्ट विरासत का विचार, जो लंबे समय से उनके मन में घर किए हुए है, वे उसी पर लिखना चाहते थे। विषय की कठिनता और जटिलता से उन्हें भय लगता था कि वे इसकी सतह की स्पर्श कर पाएँगे या नहीं।
शब्दार्थ—
दूज—द्वितीय तिथि, शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन। शुक्ल पक्ष—पंद्रह दिनों की वह अवध् जब चाँद सायंकाल निकलता है। कारावास—जेेल। स्थायी—लंबे समय का। सहचर—साथ चलनेवाला।
अवशेष—बचा-खुचा भाग। अतीत—बीता हुआ समय, पुराना। दुरभिसंधियों—दुश्मनों द्वारा गलत इरादों की पूर्ति हेतु की गई संधि। अहमियत—विशेषता। विरुद्ध—खिलाफ। नेतृत्व—अगुआई। मंजूरी—अनुमति।
पैगंबर—ईश्वर का दूत। अख्तियार कर—अपनाकर। राहत—आराम। अभिभूत—मुग्ध, प्रसन्न। दमघोटूँ—साँस लेने में परेशानी पैदा करनेवाली। मसलन—उदाहरणार्थ। उल्लास—खुशी। यंत्रणा—प्रताडऩा। हैरतअंगेज़—हैरान कर देनेवाले। वारिस—उत्तराधिकरी। भावी—आनेवाला। मन में घर करना —मन में समा जाना। स्पर्श—छूना।
अहमद नगर का किला पाठ का सारांश यहाँ पढ़ें।
अहमद नगर का किला पाठ का प्रश्न-अभ्यास यहाँ पढ़ें।
51 videos|311 docs|59 tests
|
1. अहमद नगर का किला क्या है? |
2. अहमद नगर का किला कब बनाया गया था? |
3. अहमद नगर के किले में कौन-कौन से स्थान होते हैं? |
4. अहमद नगर का किला किस प्रकार संरक्षित है? |
5. अहमद नगर का किला देखने की विस्तृत जानकारी कहाँ से प्राप्त की जा सकती है? |
|
Explore Courses for Class 8 exam
|