Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes  >  प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता, हिंदी, कक्षा 8

प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता, हिंदी, कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

II.   दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता के आधार पर इस सभ्यता की विशेषताएँ लिखिए।   
उत्तर -   सिंधुघाटी की सभ्यता विशेष रूप से उत्तर - भारत में दूर-दूर तक फैली थी। इस सभ्यता से हमें तत्कालीन समाज के रहन-सहन, परंपराओं तथा रीति-रिवाज़ों का ज्ञान होता है। धार्मिक तक्रत्व होने के बाद भी यह सभ्यता प्रधान रूप से धर्मनिरपेक्ष थी। यह विकसित सभ्यता वर्तमान का आधार प्रतीत होती है। यही सभ्यता आगे चलकर सांस्कृतिक युगों का आधार बनी।

प्रश्न 2. सिंधु घाटी सभ्यता ने भारत के विकास को किस तरह प्रभावित किया है?
उत्तर -   सिंधुघाटी सभ्यता पाँच-छद्द हज़ार वर्ष पुरानी है। इस सभ्यता का प्रभाव भारत के विकास में भी देखा जा सकता है। आज भारत की स्थिति एक शिशु जैसी न होकर विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ती है। उसने जीवन के तौर-तरीके सीख लिए हैं। उसने कलाओं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी विकास किया है। आज भारत जिस विकसित रूप में है, उसकी जड़ में सिंधु घाटी सभ्यता का प्रभाव दिखाई देता है।

प्रश्न 3.जिस रेत से सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट हुई थी, वही रेत उसे बचाने में कैसे सहायक सिद्ध  हुई?  
उत्तर -   ऐसा माना जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने के लिए रेत भी एक कारण थद्म। रेत की मोटी परत-दर-परत जमती गई और मकान उसमें दबकर रह गए। रेत ने जिन प्राचीन शहरों पर छाकर ढँक लिया था, उसी रेत के कारण वे सुरक्षित रह सके। दूसरे शहर और प्राचीन सभ्यता के प्रमाण धीरे-धीरे नष्ट होते गए।

प्रश्न 4. सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने के लिए किन-किन कारणों की संभावना व्यक्त की गई है?
उत्तर -   सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट होने का कारण किसी आकस्मिक दुर्घटना को माना जाता है, जिसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। इसके नष्ट होने का एक प्रमुख कारण सिंधु नदी की बाढ़ को माना जाता है, जो अपने प्रवाह के साथ नगरों तथा गाँवों को बहा ले गई होगी। इसका अन्य कारण यह भी माना जाता है कि मौसम-परिवर्तन के कारण ज़मीन सूखती गई हो और चारों ओर रेगिस्तान हो गया हो।

प्रश्न 5. ‘वेद, अवेस्ता के अधिक निकट हैं’—पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।    
उत्तर - वेदों को भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास कहा जाता है। भारत आते समय आर्य उन्हीं विचारों को साथ लाए थे जिससे ‘अवेस्ता’ की रचना हुई है। वेदों और अवेस्ता की भाषा में भी विचित्र समानता है। इनकी निकटता भारत के महाकाव्यों की संस्कृत से कम है। वेद अवेस्ता के अधिक निकट है।

प्रश्न 6. ‘भारतीय संस्कृति पारलौकिकतावादी नहीं थी’- पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -  भारतीय संस्कृति के विकास के समय लोगों ने जीवन और प्रकृति में गहरी दिलचस्पी ली। ऐसे में कला, संगीत साहित्य, गायन-वादन कला, चित्रकला और रंगमंच का विकास हुआ। पारलौकिकतावादी या विश्व को व्यर्थ माननेवाली संस्कृति सशक्त और विविधतापूर्ण जीवन की अभिव्यक्ति के नए रूपों की रचना नहीं कर सकती। इससे हम कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति पारलौकिकतावादी नहीं थी

प्रश्न 7. ‘भारतीय संस्कृति की निरंतरता’ पाठ में किस कुरीति की ओर संकेत किया गया है? इसने समाज पर क्या प्रभाव डाला?  
उत्तर -  इस पाठ में छुआछूत और उससे उत्पन्न जाति-व्यवस्था की ओर संकेत किया गया है। सभ्यता और संस्कृति जब विकास के दौर से गुज़र रही थी उसी समय छुआछूत की पीवर्ती का आरंभ होता है, जो बाद में जाति-व्यवस्था का रूप धारण कर लेती है। यदपि यह व्यवस्था समाज की मज़बूती तथा उसे शक्ति एवं संतुलन देने के लिए बनाई गई थी, पर इसका रूप विकृत होता गया और समाज में ऊँच-नीच वर्ग का जन्म हुआ।

प्रश्न 8. उपनिषदों में मानव-कल्याण की भावना की अभिव्यक्ति किस प्रकार हुई है?  
उत्तर -  उपनिषदों में सच्चाई पर बल दिया गया है। इसमें मानव-कल्याण हेतु प्रकाश और ज्ञान की कामना की गई है, और कहा गया है असत से सत की ओर ले चल; अंधकार से प्रकाश की ओर ले चल; मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चल। इसमें मनुष्य (यात्री) को मार्ग पर अग्रसर रहने के लिए भी कहा गया है।

प्रश्न9. आर्यों दवारा अपनायी गई जीवन-पद्धति समाज के लिए हानिकारक क्यों सिद्ध हुई?
उत्तर -  आर्यों ने व्यक्तिवाद को बढ़ावा देनेवाली जीवन-पद्धति अपनाई। उनकी इस पद्धति  में लोग व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देने लगे । समाज-हित उनके लिए गौण बन गया। उन्हें समाज की चिंतन न रही वे समाज के प्रति कर्तव्यहीन बन गए। समाज में ऊँच-नीच की भावना बलवती होती गई और जाति-व्यवस्था का जन्म हुआ। यह जाति-व्यवस्था समाज के लिए घातक सिद्ध हुई।

प्रश्न10. जाति-व्यवस्था से भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर -  जाति-व्यवस्था पर भारतीय समाज अधिक बल देता रहा। बाद में यह व्यवस्था लोगों के दिमाग में घर कर गई। भारतीय इतिहास में यह बहुत बड़ी कमज़ोरी थी। ज्यों-ज्यों जाति-व्यवस्था प्रबल होती गई, लोगों की बौद्धिक  जड़ता बढ़ती गई और उनकी रचनात्मक क्षमता तथा गतिविधियाँ कम होने लगीं।

प्रश्न 11. प्राचीन साहित्य खोने को दुर्भाग्य क्यों कहा गया है? यह साहित्य क्यों खोया होगा?  
उत्तर - प्राचीन साहित्य खोने को दुर्भाग्य इसलिए कहा गया है, क्योंकि साहित्य के अभाव में तत्कालीन इतिहास की प्रामाणिक जानकारी नहीं मिल पाती। यह साहित्य इसलिए खोया होगा, क्योंकि उस समय का साहित्य भोज-पत्रों या ताड़-पत्रों पर लिखा जाता था। उन्हें सँभालकर रखना आसान न था उस समय कागज़ पर लिखना प्रचलन में न था।

प्रश्न 12. पाठ के आधार पर भौतिकवाद की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -  भौतिकवादी वस्तुओं के प्रत्यक्ष अस्तित्व में विश्वास रखनेवाले थे। वे हर तरह के जादू-टोने तथा अंधविश्वास के विरोधी थे। वे काल्पनिक देवताओं की पूजा के भी घोर विरोधी थे। स्वर्ग-नरक, शरीर से अलग आत्मा के विचार, धर्म और ब्रह्म ,विज्ञान आदि में उनकी मान्यता न थी। भौतिकवाद नैतिक नियमों को मनुष्य दवारा बनाई गई रूढिय़ाँ मात्र मानता है।

प्रश्न 13. महाकाव्यों में प्रचलित पुराकथाएँ तथा कहानियाँ किस प्रकार की हैं? वे हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी हैं?
उत्तर - महाकाव्यों में प्रचलित पुराकथाएँ तथा कहानियाँ वीरगाथात्मक हैं। उनमें सत्य को दृढ़ता से अपनाने तथा वचन-पालन का उपदेश दिया गया है।इनमें जीवनपर्यंत तथा मरणोपरांत वफादारी, साहस और लोकहित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा दी गई है। ये कहानियाँ हमें रोज़मर्रा की ज़दगी की एकरसता तथा कुरूपता से दूर सरलता के निकट ले जाती हैं।

प्रश्न 14.  भारतीय इतिहास की तिथियाँ जानने के लिए 'राजतरंगिणी' किस प्रकार सहायक है? इसके अलावा इसके लिए किन साधनों का सहारा लिया जाता है? 
उत्तर -   ‘राजतरंगिणी’ कल्हण दवारा लिखित एकमात्र प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथ है। बारहवीं शताब्दी में लिखे गए , इस ग्रंथ में कश्मीर का इतिहास है। इसके अलावा महाकाव्यों एवं अन्य ग्रंथों के कल्पित इतिहास, कुछ समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतिया, इमारतों के अवशेष, सिक्कों, संस्कृत साहित्य के ग्रंथ तथा विदेशी यात्रियों दवारा लिखे 3, यात्रा-विवरणों का सहारा लिया जाता है।

प्रश्न 15. "महाभारत' महाकाव्य अनमोल चीजों का समृद्ध भंडार होने के साथ नैतिक शिक्षा का कोश भी है , स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर -   'महाभारत'* से हमें अनमोल चीजों के अलावा नैतिक शिक्षा, भी मिलती है, जो निम्नलिखित है -
(i)   दूसरों के साथ वह आचरण मत करो जो तुम्हें खुद स्वीकार्य न हो।
(ii)  धन के पीछे दौडऩा व्यर्थ है।
(iii)  जो बात लोकहित में न हो उसे नहीं करना चाहिए।
(iv)  असंतोष प्रगति का प्रेरक है।

प्रश्न 16. 'भगवद्गीता' की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर -  'भगवद्गीता' की रचना बोध काल से पहले अर्थात आज से ढाई हज़ार वर्ष पहले हुई, किंतु इसकी लोकप्रियता समाज के सभी वर्गों में आज भी वैसी ही है। संकट के समय कर्तव्य के बारे में दुविधाग्रस्त व्यक्ति प्रकाश एवं मार्गदर्शन के लिए गीता की ओर देखता है। इसमें ज्ञान, कर्म और भक्ति के बीच समन्वय स्थापित करते हुए धर्म तथा कर्म को महत्व दिया गया है।

प्रश्न 17. गीता का उपदेश सर्वप्रथम कब, कहाँ और किसे दिया गया?
उत्तर - गीता का उपदेश महाभारत के युद्ध के समय श्री कृष्ण दवारा अर्जुन को उस समय दिया गया, जब अर्जुन ने अपने विपक्षियों में परिजनों, मित्रों तथा गुरुजनों को देखा। अर्जुन मोह, युद्ध से लाभ-हानि, जय-पराजय आदि को सोचकर दुविधाग्रस्त हो गए थे। ऐसे में श्री कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देकर कर्तव्यों के निर्वाह के लिए कर्म करने हेतु प्रेरित किया।

प्रश्न18. सुश्रुत कौन थे? उनका शल्य-चिकित्सा में क्या योगदान था?
उत्तर -
सुश्रुत ने ईद्यवी की शुरू की सदियों में शल्य-चिकित्सा पर पुस्तकें लिखीं, जो अत्यंत प्रसिद्ध तथा लोकप्रिय हुईं। इन पुस्तकों में उन्होंने शल्य क्रिया के औजारों का जि़क्र किया है और शल्य क्रिया का भी। इनमें अंगों को काटना, पेट काटना, ऑपरेशन दवारा बच्चे को जन्म दिलाना, मोतियाख्नबद आदि हैं। घाव के जीवाणुओं को धुआँ देकर नष्ट किए जाने का उल्लेख है।

प्रश्न19. तक्षशिला की प्रसिद्ध का क्या कारण है? स्पष्ट कीजिए।   
उत्तर -  तक्षशिला आधुनिक पेशावर के निकट प्राचीन और प्रसिद्ध विशविद्यालय था। यह विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा-शास्त्र तथा कलाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ दूर-दूर से शिक्षार्थी आया करते थे। यहाँ से स्नातक होना सम्मान की बात थी। यहाँ के चिकित्सकों की विशेष कद्र होती थी। महात्मा बुद्ध  अपना इलाज जिस चिकित्सक से कराते थे, वह तक्षशिला का ही स्नातक था। बुद्ध काल में यह ज्ञान का केंद्र भी था।

प्रश्न 20. बुद्ध की शिक्षाओं को अपने शब्दों मे लिखिए।                   
उत्तर -  बुद्ध ने सभी को करुणा और प्रेम का संदेश दिया और कहा;
(i) मनुष्य को क्रोध पर दया से और बुराई पर भलाई से काबू पाना चाहिए।
(ii) मनुष्य को सदाचारी और आत्मानुशासित होना चाहिए।
(iii) मनुष्य की जाति उसके कर्म से तय होती है।
(iv) मनुष्य को सत्य की खोज मन के भीतर करनी चाहिए।
(v) मनुष्य को मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए।

प्रश्न  21. चंद्रगुप्त और चाणक्य का मेल किस प्रकार कारगर साबित हुआ?
उत्तर - चंद्रगुप्त और चाणक्य दोनों ही शक्तिशाली नंद साम्राज्य से निकाल दिए गए थे। इन दोनों का मेल हुआ। वे तक्षशिला की ओर गए। वहाँ राष्ट्रीयता का नारा देकर विदेशी आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया और तक्षशिला पर अधिकार कर लिया। बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से मौर्य साम्राज्य की स्थापना की तथा पाटलीपुत्र को राजधानी बनाया।

प्रश्न 22. कौटिल्य कौन था? उसकी चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर - चाणक्य का ही दूसरा नाम कौटिल्य था। उसने अर्थशास्त्र* नामक पुस्तक में मौर्य साम्राज्य के बारे में विस्तार से लिखा है। वह बहुत ही बुद्धिमान और कर्मठ व्यक्ति था। इसके अलावा वह साहसी, षड्यंत्री, अभिमानी, प्रतिशोधी, अपमान को न भूलनेवाला, लक्ष्य पर हमेशा ही दृष्टि रखनेवाला तथा लक्ष्य को हर हाल में प्राप्त करनेवाला था।

प्रश्न 23. कलिंग युद्ध ने अशोक के मन पर क्या प्रभाव डाला?              
उत्तर -  कलिंग युद्ध में कलिंग वासी बहुत वीरतापूर्वक लड़े। इसके बाद भी अशोक की सेना जीत गई। कख्नलग उसके राज्य में मिल गया। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए तथा बहुत-से घायल हुए। ऐसे नरसंहार की बात सुनकर अशोक को बहुत दुख हुआ। उसका मन युद्ध से विरक्त हो गया। उसने बुद्ध धर्म अपना लिया तथा भविष्य में कोई युद्ध न करने का निश्चय किया।

प्रश्न  24. आज भी अशोक का नाम प्यार के साथ क्यों लिया जाता है?
उत्तर - अशोक वह अद्भुत शासक था, जिसका नाम भारत तथा एशिया के अनेक भागों में आदरपूर्वक लिया जाता है, क्योंकि उसने प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य कि,। स्वयं कट्टर बुद्ध होने पर भी वह सभी धर्मों का बराबर आदर करता था। उसने बुद्ध के उपदेशों के प्रचार के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। उसने युद्ध  नीति छोडक़र अहिंसा को बढ़ावा दिया। वोल्गा से जापान तक के लोग उसका नाम आदर से लेते हैं।

The document प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता, हिंदी, कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes is a part of the Class 8 Course कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes.
All you need of Class 8 at this link: Class 8
17 videos|193 docs|129 tests

Top Courses for Class 8

FAQs on प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता, हिंदी, कक्षा 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. सिंधु घाटी की सभ्यता क्या है?
उत्तर: सिंधु घाटी की सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक मौजूद थी। यह एक प्राचीन सभ्यता थी जो सिंधु नदी और इसके प्रावाहित क्षेत्रों में विकसित हुई। इस सभ्यता की मुख्य विशेषताएं शहरीकरण, औद्योगिकी, वाणिज्यिक संबंध और पहली शिलालेखित साहित्यिक परंपरा थी।
2. सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कैसे रहते थे?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मुख्य रूप से नगरीय जीवन जीते थे। वे बसने के लिए शहरों और गांवों में रहते थे जो इंद्र सरोवर और राजस्थान के बीच के क्षेत्र में स्थित थे। इन शहरों में बड़े-बड़े घर, वाणिज्यिक स्थान, बाजार और सामाजिक सभाएं होती थीं। लोग खेती करते थे और सिंधु नदी के जल प्रबंधन के लिए नदी के किनारे नहरें और तालाब बनाते थे।
3. सिंधु घाटी सभ्यता की कला और साहित्यिक परंपरा क्या थी?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की कला में सतत विकास हुआ। यहां की मूर्ति कला, सील नक्काशी, चित्रकला और संगीत आदि अद्वितीय थीं। सिंधु घाटी सभ्यता का साहित्यिक परंपरा में बड़ी महत्वपूर्णता थी। पहली शिलालेखित साहित्यिक परंपरा में यहां के लोगों द्वारा चित्रों और चिह्नों का उपयोग किया जाता था।
4. सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें प्राचीनता की ज्ञान प्राप्त होती है और हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता की विकास यात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। यह सभ्यता व्यापार, शिल्प, कला, साहित्य, जल प्रबंधन और सामाजिक संगठन आदि के पक्ष में विशेष योगदान देने वाली थी।
5. सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों का पता कैसे चलता है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों का पता मुख्य रूप से खुदाई और पुरातत्वीय अनुसंधान से चलता है। खुदाई के दौरान प्राचीन शहरों, निवासीगृहों, युद्ध सामग्री, मूर्तियों, चित्रों और अन्य अवशेषों को खोजा जाता है। इन अवशेषों की विश्लेषण से हमें सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में और अधिक ज्ञान प्राप्त होता है।
17 videos|193 docs|129 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 8 exam

Top Courses for Class 8

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

MCQs

,

Viva Questions

,

Extra Questions

,

प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता

,

प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Objective type Questions

,

हिंदी

,

कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

,

हिंदी

,

प्रश्न अभ्यास (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) - सिंधु घाटी की सभ्यता

,

study material

,

pdf

,

ppt

,

Exam

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

,

Free

,

Semester Notes

,

Summary

,

कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

,

Important questions

,

कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

past year papers

,

हिंदी

,

practice quizzes

;