Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes  >  प्रश्न अभ्यास - (पूरक पाठ्यपुस्तक से), हिंदी, कक्षा 8

प्रश्न अभ्यास - (पूरक पाठ्यपुस्तक से), हिंदी, कक्षा 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

प्रश्न 1."आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?
ये प्रश्न अध्याय दो के शुरुआती हिस्से से लिए गए हैं। अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्न ों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।

उत्तर - भारत में विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा अभी बहुत कुछ ऐसा बचा है, जिसे जानदार कहा जा सकता है। भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में से एक है। इसकी सभ्यता एवं संस्कृति प्राचीन एवं समृद्ध शाली है। विश्व की महान सभ्यताओं के नष्ट होने के बाद भी यह अपना अस्तित्व बचाए हुए है। अनेक हमलावरों ने इससे  नष्ट करने का प्रयास किया, पर वे इससे प्रभावित होकर यहीं के होकर रह गए। आज भी भारत की गणना विश्व के विकासशील देशों में की जाती है।

प्रश्न 2. आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?
उत्तर - मेरे विचार से जिस समय यूरोप में तकनीकी विकास हो रहा था तथा इंग्लैंड में औदोयोगिक क्रांति का आरंभ हो चुका था, उस समय भारत पर निरंतर हमले हो रहे थे। हमलों के कारण भारत का ध्यान अपना अस्तित्व बचाने 1द्मस्द्भ यहाँ के लोगों की सुरक्षा में लगा था। संसाधन होने के बाद भी इसका  ध्यान खोजों तथा आविष्कारों से दूर रहा और यह यूरोप की तुलना में पिछड़ गया। 

प्रश्न 3. नेहरू जी ने कहा कि  लमेरे ख्याल से हम सबके मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तस्वीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते।अब आप बताइए कि- 
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तस्वीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पताकी उनकी मातृभूमि की तस्वीर किसी है और आपकी और उनकी तस्वीर (मातृभूमि की छवि) मैं समानताये और भिन्नताएं हैं?

उत्तर
(क)  
हमारे हृदय में अपनी पावन मातृभूमि की सम्मानजनक, पालन-पोषण करनेवाली, विपत्ति  में धैर्य का सबक सिखानेवाली तथा ममतामयी तस्वीर है।
(ख)  हमारे साथियों के मन में भी अपनी मातृभूमि के प्रति बहुत ही गहरा लगाव है। वे इसकी सेवा तथा रक्षा के लिए अपना तन-मन-धन अर्पित करने को तत्पर हैं। कुछ साथी ऐसे भी हैं, जो अवसर मिलने पर विदेशों में जाकर बसना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें पश्चिमी रहन-सहन और तौर-तरीके पसंद हैं।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू ने कहा, ‘‘यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-बेला में ही हमे एक नन्हे बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।’’ उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ मेें कहा है?

उत्तर - नेहरू जी ने भारत के विषय में ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति पिछले पाँच-दस वर्षों की नहीं है। यह अत्यंत प्राचीन तथा विश्व-प्रसिद्ध है। प्राचीनकाल में यह शिक्षा का केंद्र था। भारत पहले से ही गणित, खगोलशास्त्र, ज्योतिष, औषधिविज्ञान, मूर्तिकला तथा अनेक शिल्पकलाओं में विकसित हो चुका था।
 
प्रश्न 5. सिंधु घाटी सभ्यता कह्य अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत हैं। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा, तर्क सहित लिखिए्र

उत्तर - 
सिंधु घाटी की सभ्यता के अंत के बारे में मेरे दो विचार हैं -
(i) सिंधु नदी जो अपने बाढ़ के लिए प्रसिद्ध थी। हो सकता है कि इस नदी में भयंकर बाढ़ आयी हो। बाढ़ में गाँव-के-गाँव बहा ले जानेवाली इस नदी ने सिंधु घाटी को भी अपनी चपेट में लेकर सब कुछ नष्ट कर दिया हो।
(ii) सिंधु घाटी की सभ्यता में हथियार नहीं मिलने से पता चलता है कि यह सभ्यता शांतिप्रिय थी। शायद इस सभ्यता का अंत बाहरी आक्रमण से हो गया होगा।    

प्रश्न 6. उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि ‘‘शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।’’ आप अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इसे कितना लागू कर पाते हैं? लिखिए।
उत्तर -  मैं अपने दैनिक क्रियाकलापों में भी अनुशासन का पालन करने की कोशिश करता हूँ। इसके अलावा तन तथा मन स्वस्थ रखने के लिए प्रात: जल्दी उठना, व्यायाम करना, योग कक्षाओं में जाना, नियमित रूप से व्यायामशाला (जिम) जाना आदि करता हूँ। इसके अलावा अपना काम समय पर करने का प्रयास करता हूँ।

प्रश्न 7. नेहरू जी ने कहा कि ‘‘इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।’’ आपके अनुसार इतिहास-लेखन में क्या-क्या शामिल किया जाना चाहिए? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए।
उत्तर - अतीत वह आईना होता है, जिसके दवारा हम उसके अच्छे-बुरे का ज्ञान प्राप्त करते हैं, ताकि हम गलतियों से बच सकें। इससे हम अपना भविष्य सँवार सकते हैं।
मेरे विचार से इतिहास-लेखन में अभिलेखों, शिलालेखों, खंडरो के अवशेषों , तत्कालीन साहित्य (यदि उपलब्ध हो), विदेशी यात्रियों के यात्रा-विवरण, सिक्के आदि की जानकारी को आधार बनाना चाहिए। इसके अलावा उस समय की सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक स्थितियों का ध्यान रखना चाहिए

प्रश्न 8. "हमें आरंभ में ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है, जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है।"
आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन-कौन-सी बातें चीज़े हैं जो हजारों साल पहले से चली आ रही हैं? आपस में चर्चा करके पता लगाइए।

उत्तर भारतीय संस्कृति में हज़ारों साल से चली आनेवाली अनेक चीज़ें बातें हैं; जैसे - सत्य, अहिंसा, परोपकार एवं त्याग की भावना, आस्तिकता, अतिथि- सत्कार की भावना, गुरुजनों का आदर, जन्मभूमि से प्यार, अनेकता में छिपी एकता, अनेक पुरानी मान्यताएँ तथा रीति-रिवाज़ आदि।

प्रश्न 9. आपने पिछले साल (सातवीं कक्षा में) 'बाल महाभारत कथा' पढ़ी। भारत की खोज में भी महाभारत के सार को सूत्रबध करने का प्रयास किया गया है ‘दूसरों के साथ ऐसा आचरण करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो।’’ आप अपने साथियों से कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यवहार करते हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर - मैं अपने साथियों से अपेक्षा करता हूँ कि वे मेरे साथ अच्छा व्यवहार करें। वे हमेशा प्रेम, मित्रता तथा सद्भाव रखें। वे अपने व्यवहार में स्वार्थपरता न लाएँ। आवश्यकता या मुसीबत के समय एक-दूसरे की खुलकर मदद करें। मैं भी अपने साथियों के साथ वह व्यवहार नहीं करता जो मुझे अपने साथ पसंद नहीं। मैं कोशिश करता हूँ कि अपने व्यवहार से साथियों का दिल न दुखाऊँ।

प्रश्न 10.प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार दवारा ज़मीन और उत्पादन पर ‘कर’ (tax) लगाया जाता रहा है। आजकल हम किन-किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं? सूची बनाइए।

उत्तर - आजकल हम निम्नलिखित वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं—आय पर आय-कर, उत्पादन पर उत्पाद-शुल्क, वस्तुओं की बिक्री पर बिक्री-कर, आयात-निर्यात पर कर, सीमा-शुल्क, गृह-कर, वैट आदि|

प्रश्न 11. (क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन-से प्रभाव देखे जा सकते हैं? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची बनाइए।
(
संकेत-खान-पान, पहनावा, फिल्में, हिंदी, कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि ।)

उत्तर - (क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा। विदेशी यात्रियों तथा यहाँ से वापस गए हमलावरों दवारा हिंदू धर्म, बुद्ध धर्म का प्रचार, ज्ञान-विज्ञान, यहाँ की खाने-पीने की अनेक वस्तुओं का वहाँ मिलना, वहाँ भारतीय वस्त्रों का चलन आदि द्बद्भ भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा।
(ख) वर्तमान समय में योग, वेदांत, धर्म-दर्शन,धार्मिक सहनशीलता, ललित कलाएँ, भारतीय परिधान, कंप्यूटर, खान-पान आदि क्षेत्रों मैं भारत ने अपना असर छोड़ा है

प्रश्न 12.पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि जातकों में सौदागरों की समुद्री यात्राओं यातायात के हवाले भरे हुए हैं। विश्व भारत के मानचित्र में उन स्थानों रास्तों को खोजिए जिनकी चर्चा इस पृष्ठ पर की गई है।
उत्तर - भारत का व्यापार दक्षिण-पूर्वी एशिया अर्थात इंडोनेशिया, जावा, बाली, सुमात्रा, चीन, पश्चिम में मिस्र से रोम तक फैला था। उत्तर में अफगानिस्तान तथा ईरान जैसे देशों से भी भारतीयों के संबंध थे।
(नोट—विद्यार्थी विश्व के मानचित्र पर में स्थानों को स्वयं खोजें।)

प्रश्न 13.कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक विषयों की चर्चा है; जैसे‘‘व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज़, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, औद्योग-धंधे, सचाई और जलमार्ग, ज़हाज और ज़हाजरानी, निगमें, जन गणना, मत्स्य-औद्योग, कसाईखाने, पासपोर्ट और जेल सब शामिल हैं। इसमें विधवा-विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।’’ वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।

उत्तर - वर्तमान में इन विषयों की स्थिति में पर्याप्त सुधार हुआ है। कुछ की स्थिति तो बिल्कुल ही बदल गई है। इनमें से कुछ विषयों की स्थिति इस प्रकार है- 
(i)  सामाजिक रीति-रिवाज़—भारत विभिन्न जातियों, धर्मों, संप्रदायों, मतों को माननेवालों का पुंज है। यहाँ लोगों में भाषा, धर्म, प्रांत, खान-पान, पहनावा आदि संबंधी विविधता दिखाई पड़ती है, परंतु वे एकता की अदृश्य डोर से बँधे हैं और अंतत: भारतीय हैं। यहाँ ग्रामीण समाज में आज भी अनेक कुरीतियाँ परदा-प्रथा, बाल-विवाह, रूढि़वादिता, धार्मिक अंधविश्वास, स्वार्थ, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार आदि स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
(ii) कृषि—कृषिप्रधान देश की ग्रामीण जनता के जीवनयापन का प्रमुख साधन कृषि है। कृषि की दशा मेें बहुत सुधार हुआ है। उन्नतशील बीज, खाद, कृषि यंत्र, सचाई के साधनों के विकास से कृषि की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ ऐसे भी गरीब किसान हैं, जिनकी दशा दयनीय है। इसके अलावा बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि की उपज हर वर्ष कम पड़ती जाती है।
(iii) स्त्रियों के अधिकार—स्त्रियों की दशा में आज़ादी के बाद बहुत सुधार हुआ है। उनमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने से उनके आत्मविश्वास में विर्धि हुई तथा आर्थिक समृद्धि व स्वतंत्रता बढ़ी है। परदा-प्रथा, बाल-विवाह, आदि में कमी आई है। रोज़गार तथा नौकरियों में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

प्रश्न 14. आज़ादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थीं ‘‘गरीबी, कर्ज़, निहित स्वार्थ, ज़मींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार ...’’ आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन-कौन-सी हैं?

उत्तर - भारतीय किसानों की जोत का दिन-प्रतिदिन छोटा होता जाना, खाद, उन्नत बीज का समय पर न मिल पाना, कृषि के उपकरणों का महँगा होना, उपज का भरपूर मूल्य न मिल पाना, प्राकृतिक आपदओं बाढ़ सूखा आदि  के कारण फ़सल नष्ट होना आदि प्रमुख समस्या, हैं। कृषि से पर्याप्त आय न होने के कारण उनमें गरीबी, ऋणग्रस्तता आदि समस्याएँ भी हैं। सरकारी सहायता का समय पर उन तक न पहुँच पाना या उनको पूरी मात्रा में न मिल पाना उनकी गरीबी को बढ़ाता है। 

प्रश्न 15.‘‘सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज़ नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।’’ ऐसे कौन-कौन-से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?
उत्तर  - बहुत-से ऐसे सार्वजनिक कार्य हैं जो हम बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित है- 
(i)   अपनी कॉलोनी या आस-पास की सुरक्षा का ध्यान रखना।
(ii)   शाम के समय आस-पास के गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना।
(iii)  आसपास खाली पड़ी ज़मीन में वृक्षारोपण करना।
(iv)  गरीब बच्चों के लिए किताब-कापियों आदि का वितरण करना।
(v)  अपने आस-पास की सफाई का ख्याल रखना।
(vi)  उद्यानों, पार्कों को नष्ट होने से  बचाने का प्रयास तथा सरकारी सम्पति की देखरेख करना।

प्रश्न 16. महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए ‘हर स्थान पर और हर समय’ हमेशा उपलब्ध है। हमारे समय के शासक लोक-सेवक इस कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर - भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह बड़े दुख की बात है कि हमारे लोक सेवक अर्थात नेताओं की कथनी-करनी में कोई समानता नहीं है। वे चुनाव के दिनों में आम जनता के कल्याण के लिए लंबी-चौड़ी घोषणाएँ तथा वायदे करते हैं, पर एक बार जीत जाने के  बाद वे विशिष्ट बन जाते हैं तथा अपने किए वायदों को भूलकर भी पूरा करने नही आते। दुबारा चुनाव आने पर ही वे जनता के बीच आते हैं। वे अपनी स्थिति सुधारने के लिए धनलोलुपता, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी आदि में आकंठ डूब जाते हैं।

प्रश्न 17.‘औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।’ कैसेे?
उत्तर -  औरतों के पर्दे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में बाधा उत्पन्न हुई। उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। वे जीवन में कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र न थीड्ड। वे हर काम के  लिए पुरुषों पर आश्रित थी।परदा-प्रथा के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ। इससे सामाजिक सहभागिता में भी कमी आई। पुरुषों के अधिकार तथा वर्चस्व बढ़ते गए। इससे समाज के विकास में रुकावट आइ।

प्रश्न 18. मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए-
()  अमीर खुसरो    ()  कबीर
()  गुरु नानक       ()   रहीम।

उत्तर -मध्यकाल के इन संत रचनाकारों ने अपनी रचनाओं दवारा  सामाजिक चेतना फैलाने तथा कुरीतियाँ दूर करने का प्रयास किया है। इनकी रचनाओं से समाज में न;द्ध ऊर्जा का संचार हुआ है। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखी है।
(अमीर खुसरो-अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए प्रसिद्ध है।
        रचना  - 
        वह आवै तो शादी होय
        उस बिन दूजा और न कोय,
        मीठे लागे शद्मके बोल,
        क्यों सखी साजन?
        न सखी ढोल।

()  कबीरकबीर उच्चकोटि के समाज-सुधारक थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त तत्कालीन कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया।
        रचना - 
        मोको कहाँ ढूँढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
        ना मैं देवल ना मैं मस्जिद, ना काबे कैलास में॥
        ना तो कौने क्रियाकर्म में, नाख्नह योग बैराग में।
        खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पलभर की तलास में।
        कहैं कबीर सुनों भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में॥

(गुरुनानक
        रचना - 
        चारि नदी अगनी असराला
        कोई गुरुमुखि बुझे सबदि निराला॥
        साकत दुरमति डूबहिं दाझहिं।
        गुरि राखे हरि लिव राता है॥

(रहीम
        रचना - 
        रहिमन या संसार में, सबसे मिलियो धाइ।
        ना जाने केहि भेस में, नारायण मिलि जाइ॥
  
प्रश्न  19. बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे
() अभिधा   () लक्षणा   () व्यंजना।
बताइए,नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?‘‘यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराह्ल करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध  होता ... बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।’’

उत्तर - उपर्युक्त वाक्य जो नेहरू जी द्वारा कहा गया है, उनमें व्यंजना है। अंग्रेजो ने वास्तव में हमारा बोझ उठाया नहीं बल्कि और भी थोपा था, जिससे मुक्त होने में हमें बहुत लंबा समय लगाना पड़ा।

प्रश्न 20. नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गईं। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुद्ध जीवियों के सामने आया ...’’
आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस;द्ध ताकतकी ओर इशारा कर रही हैं? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?

उत्तर - इस वाक्य में ‘न;द्ध ताकत’ मध्यम वर्ग में आई राजनीतिक चेतना की ओर संकेत कर रही है। जवाहरलाल नेहरू ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने मध्यम वर्ग में नयी ऊर्जा का संचार किया। उन्हें उनके अधिकारों तथा कर्तव्यों के प्रति सजग किया। इससे मध्यम वर्ग में राजनीतिक चेतना जाग उठी और यह वर्ग भारत की आज़ादी के लिए सजग हो उठा। इससे यह वर्ग एकजुट होकर आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बन गया। 

प्रश्न 21.‘भारत माता की जय!’आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उक्रह्म्र का कारण भी बताइए।
उत्तर - ‘भारत माता की जय!’ नारे में भारत की पावन भूमि, नदियाँ, पहाड़, वन, झरने, पशु-पक्षी तथा यहाँ रहनेवाले सभी मनुष्यों कद्ध जय की बात कही गई है। कारण यह है कि इन्हीं सबको मिलाकर भारत माता की तस्वीर पूरी होती है। यह भारत माता किसी स्थान-विशेष की भूमि का नाम नहीं है।

प्रश्न 22.
(
भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।
(आपके विचार से भारत में अंग्रेजो राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमण से किस तरह अलग है?

उत्तर -
() भारत पर होनेवाले विदेशी आक्रमणों को निम्नलिखित रूप में सूचीबध किया जा सकता है- 
(i)   आर्यों का आक्रमण    
(ii)  तुर्की शासकों का आक्रमण
(iii) अफ़्ग़ानिओ  का आक्रमण    
(iv)  मंगोलों का आक्रमण
(v)   मुगलों का आक्रमण    
(vi)  अंग्रेजो (ब्रिटिश) का आक्रमण

(भारत में अंग्रेजी शासन की स्थापना से पूर्व जिन विदेशी जातियों ने आक्रमण किया, वे हमलावर के रूप में आए तथा उन्होंने यहाँ की अपार धन-संपदा को लूटा। जन-धन, मंदिर आदि को अपूरणीय
क्षति पहुँचाई और वापस चले गए। उनमें से कुछ यहीं बसकर यहाँ के  हो गए।
अंग्रेज भारत में व्यापारी बनकर आए। भारतीयों को व्यापार के बहाने लूटकर यहाँ की सत्ता पर कब्ज़ा किया और भारतवासी अपने ही देश में गुलाम बनकर रह गए।    
 
प्रश्न  23. 
(
अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों?
(शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा। क्यों?

उत्तर -
(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को इसलिए नापसंद करती थी क्योंकि अंग्रेजो को डर था कि भारतीय पढ़-लिखकर जागरूक बन जाएँगे। उनमें नयी चेतना तथा अपनी आज़ादी के प्रति लगाव पैदा होगा। जिसकी वे माँग करेंगे, ऐसे में उन पर (भारतीयों पर) शासन करना कठिन हो जाएगा।

(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के  बावजूद अंग्रेजी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत सोचना पड़ा, क्योंकि—

(i)   वे अपना काम कराने के लिए कम वेतन पर काम करनेवाले क्लर्क तैयार त्यार करना चाहते थे
(ii)  भारतीय को शिक्षित करके ही वे उन्हें पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित कर सकते थे।
(iii)  उन पर भारतीय समाज-सुधारकों के माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार का दबाव बनाया जा रहा था।

प्रश्न 24. ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि ‘‘नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के £थक ढाँचे पर प्रभाव पडऩा ही था।’’ क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है। कैसे?

उत्तर - अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा है, उससे नि:संदेह भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है। इस पूँजीवाद और तैयार बाजार से वर्तमान पीढ़ी किसी भी तरह से या कोई भी साधन अपनाकर धन कमाने की लालसा रखती है। इससे समाज में अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ रही है। धनी और धनी तथा गरीब और भी गरीब होते जा रहे हैं। इसके अलावा युवा पीढ़ी को इस बाजार में पश्चिमी या विदेशी वस्तुएँ आसानी से मिल रही हैं। ऐसे में स्वदेशी वस्तुओं से उनका मोहभंग हो रहा है। इससे स्वदेशी उठ्ठ9;ोग प्रभावित हो रहा है।

प्रश्न 25. गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए-
()   कांग्रेस संगठन में।
(ख)  लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों,उद्योगपत्तियों आदि में।
(ग)  आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में।
(घ)  साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।

उत्तर -  गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित रूप में बदलाव आया - 
(क) कांग्रेस संगठन में—गाँधी जी के कांग्रेस में आने से संगठन की मज़बूती बढ़ी। इसमें किसान एवं मज़दूर वर्ग भी शामिल होकर नए जोश के साथ कार्य करने लगे।
(ख) लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपत्तियों आदि में—गाँधी जी के कांग्रेस में आते ही विशविद्यालय के विद्यार्थी इसमें शामिल हो गए। अनेक स्त्रियाँ तथा उद्योगपति उत्साहित होकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने लगे।
(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में - ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई में गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार बनाया। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा बातचीत के माध्यम से समस्याएँ सुलझाने को प्राथमिकता दी।   
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में - गाँधी जी के जुडऩे के बाद साहित्य, संस्कृति और अखबार में छपी ब्रिटिश सरकार विरोधी खबरों से जनमानस सजग हो उठा। अंग्रेजो की दमन नीति की खबरें अखबारों में प्रमुखता से छपने लगीं। इस सरकार की सच्चाई का पता लगते ही लोगों में अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के प्रति ललक जाग उठी।

प्रश्न 26.‘‘अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विंरोधों का देश है।’’ आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
(संकेत अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्न , सुविधा-विहीन आदि)    

उत्तर  - इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत अंतवरोधों का देश है। यहाँ सकारात्मक तथा नकारात्मक पक्ष साथ-साथ चलते रहते हैं। भारत में कुछ लोग बहुत ही धनवान हैं जो ऐशोआराम एवं विलासिता का जीवन जी रहे हैं, जबकि कुछ इतने निर्धन हैं कि वे पेटभर भोजन भी नहीं  पाते। यहाँ कुछ लोग आधुनिकता में जी रहे हैं तो कुछ अब भी मध्ययुगीनता में जी रहे हैं। कुछ लोग अपने जीवन में नाना प्रकार की सुविधाओं के माध्यम से उत्तर जीवन जी रहे हैं तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो सुविधा विहीन हैं तथा वे निम्न-स्तरीय जीवन जीने को विवश हैं।

प्रश्न 27.  नेहरू जी ने कहा है कि ‘‘हम भविष्य की उसएक दुनियाकी तरफ बढ़ रहे हैं बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव-जाति की अंतर्रांष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।’’ आपके अनुसार उसएक दुनियामें क्या-क्या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?

उत्तर-  नेहरू जी ने ‘एक दुनिया’ कहकर उस दुनिया की ओर संकेत किया है जहाँ प्रगति की ओर बढ़ते हुए हमें समझदारी, ज्ञान, मित्रता और सहयोग मिलेगा। इससे भारत विश्व में महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरेगा। इस परस्पर सहयोग से कोई देश अलग-थलग नहीं रह पाएगा। एक-दूसरे से मेल-मिलाप बढ़ेगा तथा सभी उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएँगे। इससे हम भारतीय अच्छे विश्व नागरिक बन सकेंगे | इस मेलजोल और संस्कृतियों के मिलन के फलस्वरूप पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण, अधनंगापन, धनलोलुपता आदि में विर्धि होगी जिससे भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता अप्रभावित नहीं रह सकेगी।

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FAQs on प्रश्न अभ्यास - (पूरक पाठ्यपुस्तक से), हिंदी, कक्षा 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक से संबंधित किसी भी विषय को अच्छी तरह समझने के लिए कौन सी पुस्तकें उपयोगी हो सकती हैं?
उत्तर: कक्षा 8 में हिंदी के विषय में अध्ययन के लिए 'वसंत' और 'दूर्वा' नामक पाठ्यपुस्तकें उपयोगी हो सकती हैं। इन पुस्तकों में विभिन्न कथाएं, कविताएं, नाटक आदि शामिल होती हैं जो छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य को समझने में मदद करती हैं।
2. कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक से कितने पाठ और कितने खंड होते हैं?
उत्तर: कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक में कुल 18 पाठ और 2 खंड होते हैं। प्रत्येक खंड में 9-9 पाठ होते हैं जिनमें विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाती है।
3. कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन से विषय शामिल होते हैं?
उत्तर: कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक में विभिन्न विषय शामिल होते हैं जैसे कि कथा, कविता, निबंध, गद्य, नाटक आदि। इन विषयों में छात्रों को हिंदी भाषा के प्रयोग, व्याकरण, और साहित्यिक उपासना को समझने का मौका मिलता है।
4. कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों में कौन-कौन से लेखकों की रचनाएं शामिल होती हैं?
उत्तर: कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक में विभिन्न लेखकों की रचनाएं शामिल होती हैं जैसे कि सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह 'दिनकर', सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', रामव्रत विश्वास, जयशंकर प्रसाद, एला वेंकटरामना आदि। इन लेखकों की रचनाएं छात्रों को हिंदी साहित्य के प्रमुख आदार्शों को समझने में मदद करती हैं।
5. कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों का उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: कक्षा 8 हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों का उद्देश्य छात्रों को हिंदी भाषा के प्रयोग, साहित्य, और साहित्यिक उपासना को समझने में मदद करना होता है। इन पाठों के माध्यम से छात्रों को हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं, साहित्यिक उपासनाओं, और रचनाकारों की रचनाओं के प्रति रुचि और ज्ञान विकसित होता है।
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