संस्कृत में अनुवाद करते समय सर्वप्रथम वाक्य के कर्त्तापद को पहचानें। लिंग व वचन के अनुसार उसका रूप निर्धारित करें। तत्पश्चात् क्रिया पद देखें( कर्त्ता के पुरुष व वचनानुसार क्रियापद का रूप निर्धारित करें। क्रिया के काल के अनुसार लकार का प्रयोग करें। यथा -
1. छात्र: जाते हैं
कर्त्ता क्रियापद
छात्राः गच्छन्ति
(पुल्लिंग, बहुवचन,प्रथमा विभक्ति) (लट्-वर्तमान, प्रथम पुरुष, बहुवचन)
वाक्य के शेष शब्दों का रूप भी प्रयोगानुसार निर्धारित होता है। यथा -
2. वे स्कूल जाते हैं।
ते विद्यालयम् गच्छन्ति।
(क्रिया का कर्म-द्वितीया विभक्ति-कर्मकारक)
3. वे बस द्वारा जाते हैं।
ते बसयानेन गच्छन्ति।
(क्रिया का साधन - तृतीया विभक्ति - करण कारक)
4. वेे पढ़ने के लिए गए।
ते पठनाय अगच्छन्।।
(क्रिया का उद्देश्य - चतुर्थी, सम्प्रदान कारक) (भूतकाल - लघ् लकार)
5. मैं घर से सवेरे जाऊँगा।
अहम् गृहात् प्रातः गमिष्यामि।
(पञ्चमी-अपादान) (भविष्यत् काल - लृट् लकार)
6. गाँव में बालिकाओं का स्कूल है।
ग्रामे बालिकानाम् विद्यालयः अस्ति।
(सप्तमी, अधिकरण) (षष्ठी, सम्बन्ध कारक) (कर्त्ता, प्रथमा) (क्रियापद - एकवचन कर्त्ता के अनुसार)
7. तुम मित्रों के साथ कहाँ जा रहे हो?
त्वम् मित्रौः सह कुत्र गच्छसि?
(‘सह’ अव्यय पद के योग में तृतीया)
अनुवाद करते समय याद रखें -
1. कर्त्ता-क्रियापद समन्वय - यथा - अहं पठामि, त्वम् पठसि, वयम् पठामः इत्यादि।
2. विशेषण विशेष्य समन्वय - यथा - विशााला वाटिका, विशालम्, उद्यानम् इत्यादि।
3. संज्ञा सर्वनाम समन्वय - यथा - एषः छात्राः, एषा छात्रा, ते बालकाः, ताः बालिकाः इत्यादि।
4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम समन्वय - यथा - यः परिश्रमी सः सपफलः अथवा या तत्र गच्छति सा मम अनुजा इत्यादि।
5. कारक व उपपद अथवा धातु विशेष के सम्बन्ध में प्रयोग के नियम
अनुवाद करते समय एक और महत्त्वपूर्ण बात याद रखें। हिन्दी भाषा में प्रयुक्त परसर्ग (कारक-चिह्न) से भ्रमित न हों।
यथा -
मैं रात को जाऊँगा।
अहम् रात्रौ (‘रात्रिम्’ नहीं) गमिष्यामि।
शब्द में मात्र ‘को’ लगा होने से, वह कर्मकारक पद नहीं बन जाता। ‘रात को’ कालवाचक शब्द होने के कारण ‘रात्रि’ शब्द सप्तमी विभक्ति का रूप लेगा। इसी प्रकार -
1. बन्दर पेड़ पर चढ़ता है।
वानरः वृक्षम् आरोहति।
(द्वितीया - आ+रुह् के योग में)
2.
कल दादी ने भिखारी को वस्त्र दिया।
ह्यः पितामही याचकाय वस्त्रम् अयच्छत्।
(चतुर्थी - सम्प्रदान कारक)
वाक्य संख्या (1) में ‘पेड़ पर’ = वृक्षम् (‘वृक्षे नहीं’)
वाक्य संख्या (2) में ‘भिखारी को’ = याचकाय (‘याचकम्’ नहीं’)
याद रहे - अव्ययपद में लिंग , पुरुष, विभक्ति, वचन कालादि के कारण कोई रूपान्तर नहीं आता। वे अपने मूलरूप में ही वाक्य में प्रयुक्त होते हैं।
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1. अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् क्या है? |
2. अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् क्यों महत्वपूर्ण है? |
3. वाक्य रचना क्या है? |
4. वाच्य क्या है? |
5. उपसर्ग क्या होता है? |
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