Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)  >  सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8

सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

अधोदत्तानि पदानि अवलोकयत–(नीचे दिए गए शब्दों को देखिए–)

  1. देवालय:  -   (देव + आलय:)
  2. सूर्योदय:  -  (सूर्य + उदय)
  3. सज्जन:  -  (सत् + जन:)
  4. कश्चित्  -  (क: + चित्)
  5. कोऽपि    -(क: + अपि)

उपरिलिखित प्रत्येक शब्द में दो शब्दों के अत्यधिक पास आ जाने पर अक्षरों में परिवर्तन आ गया है।

(In each of the words above, a change has come as a result of two words coming very close to each other.)

यथा—
1.    देव  +  आलय:    →     देव्     + अ  + आ + लय:     =     देवालय: (अ + आ = आ)
2.    सूर्य  +  उदय:    →     सूर्य्     + अ + उ + दय:     =     सूर्योदय: (अ + उ = ओ)     
3.    सत् +  जन:   →    सज्     + जन:  = सज्जन:  (त् → ज्)
4.    क: +  चित्   →    कश्     +  चित् = कश्चित्  (: → श्)
5.    क: +  अपि   →    को     + अपि  = कोऽपि   (अ: → ओ; अ → ऽ)

दो शब्दों के अत्यधिक पास आने पर पहले शब्द के अन्तिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के प्रथम वर्ण के मेल से जो परिवर्तन अथवा विकार आता है, उसे सन्धि कहते हैं। (When two words come very close, a change occurs, as the last letter of the first word and the first letter of the second word merge with each other. This transformation is called sandhi.)

सन्धि तीन प्रकार की होती है—स्वर सन्धि, व्यञ्जन सन्धि, विसर्ग सन्धि।
 

 1.    स्वर सन्धि—जब स्वर का स्वर से मेल होता है।

( Vowel Sandhi—When a vowel joins with another vowel.)

यथा
1.  विद्यालय:  →    विद्या    +    आलय:    (आ +  आ → आ)
2.  दिनेश:    →    दिन    +    ईश:          (अ + ई → ए)
3.  चन्द्रोदय:    →    चन्द्र    +    उदय:    (अ + उ → ओ)
4.  वसुधैव    →    वसुधा    +    एव         (आ + ए → ऐ)
5.  प्रत्येकम्     →    प्रति    +    एकम्     (इ → य्)
6.  स्वागतम्    →    सु    +    आगतम्     (उ → व्)

स्वर सन्धि के भेद

(क)    
दीर्घसन्धि:
— ह्रस्व/ दीर्घ स्वर + समजातीय ह्रस्व/ दीर्घ स्वर = दीर्घ स्वर
(अ/आ + अ/आ = आ; इ/ई + इ/ई = ई; उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ)
यथा—  
मम + अपि    =    ममापि;    
तथा + अपि    =    तथापि;
विवेक + आनन्द: = विवेकानन्द:
नदी + ईश:    =    नदीश:;    
भानु + उदय:    =    भानूदय:
पितृ + ऋणम् = पितृृणम्

(ख)    
गुणसन्धि:
—अ/आ + ई/ई = ए;  अ/आ + उ/ऊ = ओ;   अ/आ + ऋ/ॠ = अर् 
यथा—  
सर्व + उदय: = सर्वोदय;    
मम + उपरि = ममोपरि 
हर्ष + उल्लास: = हर्षोल्लास:
महा + ईश:    =    महेश:  
देव + ऋषि: = देवर्षि:
    
(ग)    
यण्सन्धि:
—इ/ई → य् ;  उ/ऊ → व् ;  ऋ → र् (सामने असमान स्वर होने पर) 
यथा—    
इति + आदि = इत्यादि;  
यदि + अपि = यद्यपि ;    
कर्मणि+ एव = कर्मण्येव;
यदि + एवम् = यद्येवम् ( यद्+इ → य्+एवम्);  
भ्रातृ + अंश: = भ्रात्रंश:  (भ्रात्+ऋ →र्+अंश )
मुनि + ओ: = मुन्यो: (मुन्+इ→;य्+ओ:);    
गुरु  + ओ:  = गुर्वो: (गुर्+ उ→व्+ओ:)
    
(घ)    
वृद्धि-सन्धि:
—अ/आ + ए/ऐ = ऐ;   अ/आ + ओ/औ = औ 
यथा—    
सदा + एव   = सदैव;     
वन + ओषधि: = वनौषधि:
जल + ओघ: = जलौघ:          
तव + ऐश्वर्यम् = तवैश्वर्यम्
    
(ङ)    
अयादि-सन्धि:
—ए → अय्;  ऐ → आय्;  ओ → अव्; औ → आव्
(सामने असमान स्वर होने पर)
यथा—    
ने + अनम् = नयनम् (न्+ए→आय्+अनम्);
भो + अनम् = भवनम् (भ्+ओ→अव्+अनम्);
तौ + एव = तावेव    द्वौ + अपि = द्वावपि;
मुने + ए = मुनये;        गुरो + ए = गुरवे 

2. व्यञ्जन सन्धि*जब व्यञ्जन का स्वर अथवा व्यञ्जन से मेल होता है—
    
(क)  व्यञ्जनम् + स्वर:

1. अजन्त:    =    अच्    +    अन्त:    (च् → ज्)  
2. धर्मादायु:    =    धर्मात्    +    आयु:    (त् → द्)
3. एतदासनम्    =    एतत्    +    आसनम्    (त् → द्)

(ख)  व्यञ्जनम् + व्यञ्जनम्
1.  तल्लीन:    =    तत्    +    लीन:    (त् → ल् )    
2.  तन्मय:    =    तत्    +    मय:    (त् → न्)
3.  सज्जन:    =    सत्    +    जन:    (त् → ज्)    
4.  स्वच्छं जलम्    =  स्वच्छम्    +जलम्    (म् → अनुस्वार:)
    

3. विसर्ग सन्धि*—जब विसर्ग का स्वर अथवा व्यञ्जन से मेल होता है।  

(क) विसर्ग: + स्वर:
1.  देवोऽपि    =    देव:    +    अपि    (अ: → ओ; अ → ऽ)
2. अन्तरात्मा  =    अन्त:    +    आत्मा    (: → र्)
3.  भर्तुरेव      =    भर्तु:    +    एव    (: → र्)
        
(ख)  विसर्ग: +  व्यञ्जनम्    

1.  मनोहर:    =    मन:    +    हर:    (अ: → ओ)
2.  बालश्चलति  =    बाल:    +  चलति    (: → श्)
3.  इतस्तत:     =    इत:    +    तत:    (: → स्)
4. यो जानाति    =    य : जानाति    (अ: → ओ)

विसर्गलोप:—विसर्ग सन्धि में कहीं-कहीं विसर्ग का लोप होता है। 
यथा
—    
1.    स: गच्छति     →     स गच्छति।    
2.    एष: आगच्छामि    →    एष आगच्छामि।
3.    योग: उच्यते    →     योग उच्यते।    
4.    सन्तोष: एव    →     सन्तोष एव।
5.    अत: एव    →     अत एव।    
6.    सत्पुरुषा: इव    →     सत्पुरुषा इव।

अवधेयम्—सन्धि के फलस्वरूप एक बार विसर्ग लोप होने पर पुन: सन्धि नहीं होती तथा दोनों शब्द पृथक् ही लिखे जाते हैें;

यथा— अत: एव → अत एव ही लिखा जाएगा। पुन: दीर्घ सन्धि के नियमानुसार सन्धि करके ‘अतैव’ नहीं लिखा जा सकता और न ही ‘अतएव’ लिखा जा सकता है।

*व्यञ्जन सन्धि तथा विसर्ग सन्धि की सविस्तार चर्चा अगली कक्षा में होगी। सामान्य बोध हेतु यहाँ कतिपय उदाहरण दिए गए हैं जो पाठों में आए प्रयोग को समझने में भी सहायक सिद्ध होंगे।

The document सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) is a part of the Class 8 Course संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8).
All you need of Class 8 at this link: Class 8
14 videos|80 docs|27 tests

Top Courses for Class 8

FAQs on सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. सन्धि क्या होती है?
उत्तर: सन्धि एक व्याकरणिक नियम है जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों का मेल होता है। इसका उदाहरण है 'राम + आया = राम आया'। सन्धि के द्वारा शब्दों के मेलने से शब्दों की उच्चारण और वर्तनी में परिवर्तन हो सकता है।
2. सन्धि के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: सन्धि के तीन प्रकार होते हैं - स्वरसन्धि, व्यंजनसन्धि और विसर्गसन्धि। स्वरसन्धि में एक स्वर दूसरे स्वर के साथ मिलता है, व्यंजनसन्धि में एक व्यंजन दूसरे व्यंजन के साथ मिलता है और विसर्गसन्धि में विसर्ग दूसरे व्यंजन के साथ मिलता है।
3. सन्धि का क्या महत्व है?
उत्तर: सन्धि का महत्व भाषा के नियमित और सुंदर उच्चारण के लिए होता है। सन्धि के द्वारा शब्दों का मेल होता है जिससे शब्दों की उच्चारण में सुधार होता है और भाषा का रंगबिरंगा और सुंदर तालमेल प्राप्त होता है।
4. स्वरसन्धि क्या होती है?
उत्तर: स्वरसन्धि में एक स्वर दूसरे स्वर के साथ मिलता है। जैसे 'देव + आलय = देवालय' और 'पुनः + अगमन = पुनःगमन'। स्वरसन्धि के द्वारा वर्णों की जोड़ी बनाई जाती है और शब्द का निर्माण होता है।
5. व्यंजनसन्धि क्या होती है?
उत्तर: व्यंजनसन्धि में एक व्यंजन दूसरे व्यंजन के साथ मिलता है। जैसे 'नदी + आलय = नद्यालय' और 'मर + आना = मराना'। व्यंजनसन्धि के द्वारा वर्णों की जोड़ी बनाई जाती है और शब्द का निर्माण होता है।
Explore Courses for Class 8 exam

Top Courses for Class 8

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

,

Semester Notes

,

Viva Questions

,

MCQs

,

Extra Questions

,

सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्

,

past year papers

,

Objective type Questions

,

सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्

,

Free

,

practice quizzes

,

ppt

,

study material

,

Summary

,

कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

,

Previous Year Questions with Solutions

,

pdf

,

सन्धि - बोध्: - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम्

,

Exam

,

कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

;