Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)  >  शब्दरूपाणि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8

शब्दरूपाणि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

शब्दा: द्विविधा:—1. अजन्ता: 2. हलन्ता:।    

शब्द-रूप की दृष्टि से शब्दों को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है–

1.    अजन्त —वे शब्द जिनका अन्तिम अक्षर अच् अर्थात् स्वर है (अच् + अन्त)। (Words that have a vowel as the last letter.)

यथा—    
1.    अकारान्त  -  बालक, देव, वृक्ष, कलम इत्यादय:।
2.    आकारान्त   - लता, माला, अध्यापिका इत्यादय:।
3.    इकारान्त (पुं०)  -  मुनि, कवि, हरि इत्यादय:।
4.    इकारान्त (स्त्री०)  -  मति, गति, उक्ति, बुद्धि इत्यादय:।
5.    ईकारान्त (स्त्री०)  -  नदी, सखी, देवी इत्यादय:।
6.    उकारान्त (पुं०)   - साधु, गुरु, शिशु इत्यादय:।
7.    ऋकारान्त (पुं०, स्त्री०) -   पितृ, मातृ इत्यादय:। 

2. हलन्त —वे शब्द जिनका अन्तिम अक्षर हल् अर्थात् व्यञ्जन है (हल् + अन्त) (Words that have a consonat as the last letter are called हलन्त। 

यथा
1. भवत्, श्रीमत्, गच्छत्, बलवत् इत्यादय:  -  तकारान्त
2. राजन्, आत्मन्, महात्मन्, सीमन् इत्यादय:  -  नकारान्त
3. मनस्, सरस्, वचस् इत्यादय:    -    सकारान्त (नपुं०)
4. विद्वस्, चन्द्रमस् इत्यादय:     -   सकारान्त (पुं०)
5. गुणिन्, फलिन्, पक्षिन्, अधिकारिन् इत्यादय:  -  इन्नन्त (इन् में अन्त होने वाले )
    
लिङ्गानि त्रीणि—
1. पुंल्लिङ्गम्    
2. नपुंसकलिङ्गम्    
3. स्त्रीलिङ्गम्

    
लिङ्ग-भेद की दृष्टि से शब्दों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। (Words have been divided into three groups according to gender.)

ध्यान रहे, शब्द का रूप उसके अन्तिम अक्षर तथा लिङ्ग पर निर्भर करता है। अत: शब्द-रूप भिन्न हो जाते हैं तथापि शब्द रूपों में अनेक समानताएँ होती हैं। इस ओर ध्यान देना छात्रों के लिए हितकर होगा।

(A word is declined according to its last letter and declension varies depending on gender too. However, there are quite a few similarities taking note of which can prove helpful for students.)

अजन्त-शब्दाः

१. अकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्द: (वृक्ष)

विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्
    प्रथमा          वृक्ष:             वृक्षौ           वृक्षा:  
    द्वितीया       वृक्षम्             वृक्षौ           वृक्षान्  
    तृतीया        वृक्षेण         वृक्षाभ्याम्       वृक्षै: 
    चतुर्थी        वृक्षाय         वृक्षाभ्याम्        वृक्षेभ्य:  
    पञ्चमी        वृक्षात्         वृक्षाभ्याम्       वृक्षेभ्य:  
    षष्ठी            वृक्षस्य         वृक्षयो:          वृक्षाणाम्    
    सप्तमी        वृक्षे            वृक्षयो:          वृक्षेषु 
    सम्बोधन      हे वृक्ष        हे वृक्षौ         हे वृक्षा:

अकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्द; जैसे—बालक, पुत्र, छात्र, कलम, अध्यापक, विद्यालय, हस्त, पाद, मेघ, नर, मकर, पर्वत आदि के रूप वृक्ष शब्द के समान चलते हैं। [अकारान्त ((words-ending in  ‘अ’) like the ones listed here are declined like  वृक्ष.]


२. अकारान्त-नपुंसकलिङ्ग-शब्द: (फल)

कारकम्    विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    कत्र्ता        प्रथमा        फलम्            फले        फलानि
    कर्म         द्वितीया        फलम्            फले        फलानि

शेष रूप अकारान्त पुंल्लिङ्ग की भाँति।  The remaining forms are the same as in अकारान्त पुंल्लिङ्ग।
पत्र, पुष्प, पुस्तक, वस्त्र, धन, रक्त, कमल, वन, उद्यान, क्षेत्र, नेत्र, अन्न, भोजन आदि अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप ‘फल’ की भाँति होते हैं। (Words ending in  ‘अ’ and in neuter gender, as listed here, are declined like  फल.)


३. आकारान्त-स्त्रीलिङ्गम्-शब्द: (माला)

 

कारक   -   विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्        बहुवचनम्
कत्र्ता          प्रथमा          माला             माले                 माला:
कर्म           द्वितीया        मालाम्           माले                 माला:
करण         तृतीया         मालया           मालाभ्याम्          मालाभि:
सम्प्रदान      चतुर्थी         मालायै          मालाभ्याम्         मालाभ्य:
अपादान       पञ्चमी       मालाया:         मालाभ्याम्        मालाभ्य:
सम्बन्ध         षष्ठी          मालाया:         मालयो:          मालानाम्
अधिकरण    सप्तमी       मालायाम्       मालयो:         मालासु
सम्बोधन      —               हे माले           हे माले         हे माला:

लता, शाला, शाखा, निशा, बाला, बालिका, अध्यापिका, आसन्दिका, मञ्जूषा, वाटिका, अम्बा आदि आकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप ‘माला’ की भाँति होते हैं। (Words ending in  ‘आ’ are in feminine gender and are declined like माला.)


४. इकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्द: (कवि)
  
 विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        कवि:            कवी            कवय:
    द्वितीया        कविम्        कवी            कवीन्
    तृतीया        कविना        कविभ्याम्     कविभ्य:
    चतुर्थी         कवये        कविभ्याम्        कविभ्य:
    पञ्चमी        कवे:          कविभ्याम्        कविभ्य:
    षष्ठी           कवे:           कव्यो:          कवीनाम्
    सप्तमी        कवौ          कव्यो:          कविषु
    सम्बोधन    हे कवे          हे कवी        हे कवय:

मुनि, ऋषि, हरि, गिरि, रवि, ध्वनि, राशि  विधि आदि इकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्दों के रूप ‘कवि’ की भाँति होते हैं। [Words ending in ‘इ’ (इकारान्त) and in masculine gender are declined like कवि.]


५. इकारान्त-स्त्रीलिङ्ग -शब्द: (मति)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        मति:            मती            मतय:
    द्वितीया       मतिम्          मती            मती:
    तृतीया        मत्या            मतिभ्याम्    मतिभि:
    चतुर्थी        मतये, मत्यै    मतिभ्याम्     मतिभ्य:
    पञ्चमी        मते:, मत्या:    मतिभ्याम्    मतिभ्य:
    षष्ठी         मते:, मत्या:      मत्यो:        मतीनाम्
    सप्तमी     मतौ, मत्याम्    मत्यो:         मतिषु
    सम्बोधन    हे मते            हे मती        हे मतय:

गति, उक्ति, पंक्ति, सूक्ति, बुद्धि, रति आदि इकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप ‘मति’ की भाँति चलते हैं।  [Words ending in  ‘इ’ (इकारान्त) and in feminine gender are declined like  मति.]


६. इकारान्त-नपुंसकलिंग शब्द: (शद्मद्घद्भ)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        वारि            वारिणी         वारीणि
    द्वितीया        वारि           वारिणी        वारीणि
    तृतीया        वारिणा         वारिभ्याम्    वारिभि:
    चतुर्थी        वारिणे          वारिभ्याम्    वारिभ्य:
    पंचमी        वारिण:        वारिभ्याम्      वारिभ्य:
    षष्ठी           वारिण:        वारिणो:        वारीणाम्
    सप्तमी        वारिणि        वारिणो:        वारिषु
    सम्बोधन    हे वारे, वारि    हे वारिणी    हे वारीणि


७. ईकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्द: (नदी)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        नदी            नद्यौ            नद्य:
    द्वितीया     नदीम्           नद्यौ            नदी:
    तृतीया       नद्या            नदीभ्याम्    नदीभि:
    चतुर्थी        नद्यै            नदीभ्याम्    नदीभ्य:
    पञ्चमी        नद्या:         नदीभ्याम्    नदीभ्य:
    षष्ठी           नद्या:         नद्यो:         नदीनाम्
    सप्तमी       नद्याम्        नद्यो:         नदीषु
    सम्बोधन    हे नदि        हे नद्यौ        हे नद्य:

सखी, देवी, राज्ञी, नारी, लेखनी, पत्नी, भगिनी आदि ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप ‘नदी’ की भाँति चलते हैं।  [Words ending in  ‘ई’ (ईकारान्त) and in feminine gender are declined like द्ग नदी.]


८. उकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्द: (गुरु)
  
 विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        गुरु:            गुरू            गुरव:
    द्वितीया        गुरुम्        गुरू            गुरून्
    तृतीया        गुरुणा        गुरुभ्याम्      गुरुभि:
    चतुर्थी        गुरवे           गुरुभ्याम्      गुरुभ्य:
    पञ्चमी        गुरो:          गुरुभ्याम्      गुरुभ्य:
    षष्ठी           गुरो:           गुर्वो:          गुरूणाम्
    सप्तमी        गुरौ           गुर्वो:           गुरुषु
    सम्बोधन    हे गुरो          हे गुरू        हे गुरव:

शिशु, साधु, विधु, भानु, तरु, पशु, विभु, सूनु आदि उकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्दों के रूप ‘गुरु’ की भाँति होते हैं। [Words ending in‘उ’ (उकारान्त) and in masculine gender are declined like  गुरु.]


९. उकारान्त नपुंसकलिंग मधु (शहद)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        मधु            मधुनी            मधूनि
    द्वितीया       मधु            मधुनी            मधूनि
    तृतीया        मधुना        मधुभ्याम्         मधुभि:
    चतुर्थी        मधुने          मधुभ्याम्        मधुभ्य:
    पंचमी        मधुन:         मधुभ्याम्        मधुभ्य:
    षष्ठी          मधुन:           मधुनो:         मधूनाम्
    सप्तमी      मधुनि           मधुनो:          मधुषु
    सम्बोधन    हे मधु, हे मधो    हे मधुनी    हे मधुनि


१०. ऋकारान्त-स्त्रीलिङ्ग-शब्द: (मातृ)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        माता             मातरौ        मातर:
    द्वितीया      मातरम्          मातरौ        मात:
    तृतीया        मात्रा           मातृभ्याम्    मातृभि:
    चतुर्थी         मात्रे            मातृभ्याम्    मातृभ्य:
    पञ्चमी        मातु:            मातृभ्याम्    मातृभ्य:
    षष्ठी            मातु:            मात्रो:        मातणाम्
    सप्तमी        मातरि       मात्रो:            मातृषु
    सम्बोधन    हे मात:।    हे मातरौ        हे मातर:    ।

पितृ व भ्रातृ ऋकारान्त (पुंल्लिङ्ग) शब्दों के रूप (द्वितीया विभक्ति बहुवचन को छोड़कर) ‘मातृ’ की भाँति होते हैं। [Words ending in ‘ऋ’ and in masculine gender viz. ‘पितृ’ and ‘भ्रातृ’ are declined like ‘मातृ’, except in accusative  (द्वितीया),  plural.]


११. ऋकारान्त-पुंल्लिङ्ग -शब्द: (भ्रातृ)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        भ्राता            भ्रातरौ        भ्रातर:
    द्वितीया    भ्रातरम्           भ्रातरौ        भ्रातन्

शेष: मातृवत्। शेष रूप ‘मातृ’ की भाँति। नेतृ, दातृ, कर्तृ, भर्तृ आदि शब्दों के रूप भी ‘भ्रातृ’ की भाँति होते हैं। भेद केवल इतना कि इन शब्दों के प्रथमा और द्वितीया विभक्ति में ‘ऋ’ को ‘आट्’ (अर् नहीं) होता है।

यथा—
    नेता         नेतारौ    नेतार:
    नेतारम    नेतारौ    नेतॄम

हलन्त-शब्दाः

1. तकारान्त् पुंल्लिङ्ग-शब्द: (भवत्)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        भवान्          भवन्तौ        भवन्त:
    द्वितीया      भवन्तम्        भवन्तौ        भवत:
    तृतीया        भवता         भवद्भ्याम्    भवद्भि:
    चतुर्थी        भवते          भवद्भ्याम्    भवद्भ्य:
    पञ्चमी        भवत:        भवद्भ्याम्     भवद्भ्य:
    षष्ठी           भवत:        भवतो:          भवताम्
    सप्तमी       भवति        भवतो:         भवत्सु

बलवत्, बुद्धिमत्, धनवत्, श्रीमत्, भगवत् आदि ‘मत्’ अथवा ‘वत्’ में अन्त होने वाले पुंल्लिङ्ग  शब्दों के रूप ‘भवत्’ की भाँति होते हैं। 


2. नकारान्त पुंल्लिङ्ग-शब्द: (महात्मन्)
  
 विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        महात्मा        महात्मानौ    महात्मान:
    द्वितीया     महात्मानम्     महात्मानौ     महात्मन:
    तृतीया        महात्मना     महात्मभ्याम्    महात्मभि:
    चतुर्थी        महात्मने      महात्मभ्याम्    महात्मभ्य:
    पञ्चमी        महात्मन:    महात्मभ्याम्    महात्मभ्य:
     षष्ठी         महात्मन:      महात्मनो:       महात्मनाम्
    सप्तमी        महात्मनि    महात्मनो:      महात्मसु
    सम्बोधन     हे महात्मन्    हे महात्मानौ:    हे महात्मान:

आत्मन्, अश्मन्, महिमन्,* गरिमन्, आदि पुंल्लिङ्ग शब्दों के रूप ‘महात्मन्’ की भाँति होते हैं। (The word आत्मन्  is declined like महात्मन्. All words ending in ‘अन्’ and in masculine gender are declined likewise)


3. सकारान्त नपुंसकलिङ्ग-शब्द: (मनस्)
  
 विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा        मन:            मनसी            मनांसि
    द्वितीया        मन:          मनसी            मनांसि
    तृतीया        मनसा       मनोभ्याम्         मनोभि:
    चतुर्थी        मनसे        मनोभ्याम्          मनोभ्य:
    पञ्चमी        मनस:        मनोभ्याम्        मनोभ्य:
    षष्ठी           मनस:        मनसो:            मनसाम्
    सप्तमी       मनसि        मनसो:            मनस्सु
    सम्बोधन     हे मनस्     हे मनसी        हे मनांसि

सरस्, वचस्, नभस्, यशस् आदि सकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप ‘मनस्’ की भाँति चलते हैं। (Words like  सरस्, वचस्, नभस्, यशस्  etc. ending in  ‘स्’ and in neuter gender are declined like मनस्.)

4. सकारान्त पुंल्लिङ्ग-शब्द: (चन्द्रमस्)
    
विभक्ति:    एकवचनम्    द्विवचनम्    बहुवचनम्

    प्रथमा       चन्द्रमा:        चन्द्रमसौ       चन्द्रमस:
    द्वितीया      चन्द्रमसम्    चन्द्रमसौ        चन्द्रमस:

शेष ‘मनस्’ की भाँति। (The remaining forms are similar to मनस्.)

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FAQs on शब्दरूपाणि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. अनुप्रयुक्त-व्याकरणमा के काम हुन्छ?
उत्तर: अनुप्रयुक्त-व्याकरण भाषा र साहित्यका नियम र सिद्धान्तहरूलाई अनुसरण गरेर शब्दहरूको रूप, अर्थ, योग्यता र उपयोगलाई अध्ययन गर्दछ। यसले व्याकरणिक नियमहरूलाई अनुसरण गरेर शब्दहरूलाई सुन्दर रूपमा प्रयोग गर्न सिकाउँछ।
2. अनुप्रयुक्त-व्याकरणका केहि उदाहरणहरू बताउनुहोस्।
उत्तर: अनुप्रयुक्त-व्याकरणमा केहि उदाहरणहरू यस्ता हुन सक्छन्: - शब्दहरूको वचन (एकवचन र बहुवचन) रूपान्तरण: उदाहरणका लागि, "किताब" शब्दलाई एकवचनमा "किताब" र बहुवचनमा "किताबहरू" भन्ने गर्न सकिन्छ। - शब्दहरूको कारक (प्रयोगका आधारमा चाहिने समय, स्थान र कर्ता) रूपान्तरण: उदाहरणका लागि, "मैले किताब पढेँ" भन्ने वाक्यलाई "म किताब पढ्नुभए" भन्ने गर्न सकिन्छ। - शब्दहरूको लिङ्ग (पुरुष, महिला र नपुंसक) रूपान्तरण: उदाहरणका लागि, "राम गयो" भन्ने वाक्यलाई "रामी गयो" भन्ने गर्न सकिन्छ।
3. शब्दरूप र कारकमा के अन्तर छ?
उत्तर: शब्दरूप र कारक व्याकरणिक नियमहरू हुन्। शब्दरूपले शब्दहरूको रूप, वचन, लिङ्ग, कारक आदि सम्बन्धी नियमहरू निर्धारण गर्दछ। अन्यत्र, कारकले शब्दहरूको काम, प्रयोगका आधारमा चाहिने समय, स्थान, कर्ता आदि सम्बन्धी नियमहरू निर्धारण गर्दछ। यसकारण, शब्दरूप र कारक व्याकरणमा अलग अलग काम हुन्छन्।
4. अनुप्रयुक्त-व्याकरणले कसरी शब्दहरूलाई सुन्दर रूपमा प्रयोग गर्दछ?
उत्तर: अनुप्रयुक्त-व्याकरणले शब्दहरूलाई सुन्दर रूपमा प्रयोग गर्नका लागि व्याकरणिक नियमहरूलाई अनुसरण गर्दछ। यसका आधारमा, शब्दहरूको रूप, वचन, लिङ्ग, कारक आदि ठिक तरिकाले प्रयोग गर्न सिकाउँछ। उदाहरणका लागि, शब्दहरूको सही वचन, लिङ्ग र कारकमा प्रयोग गर्न सिकाउन सकिन्छ।
5. अनुप्रयुक्त-व्याकरणका लागि व्याकरणिक नियमहरूको अध्ययन कसरी गर्ने?
उत्तर: अनुप्रयुक्त-व्याकरणका लागि व्याकरणिक नियमहरूको अध्ययन गर्नका लागि पहिलो चाहिने कर्यक्रम अवधारणाहरू सम्झनु अत्यावश्यक छ। यसपछि, शब्दहरूको रूप, वचन, लिङ्ग, कारक आदि सम्बन्धी नियमहरू पढ्नु अत्यावश्यक हुन्छ। पढ्ने प्रक्रियामा, शब्दहरूको उच्चारण, अर्थ, योग्यता र उपयोगलाई विश्लेषण गर्न सकिन्छ।
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