पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ (लेख) में चिट्ठियों की विचित्र दुनिया से हमारा परिचय कराया गया है। इसके अलावा पत्रों का महत्व, सभ्यता के विकास में उनका योगदान, इस वैज्ञानिक युग में भी उनकी महत्ता, ग्रामीण जीवन में पत्रों की अतिशय महत्ता का रोचक वर्णन किया गया है।
पत्रों का महत्व हमेशा से ही रहा है। आज संचार के अनेक नए-नए साधन हो जाने पर भी पत्रों का महत्व कम करके नहीं आँका जा सकता। आज मोबाइल फोन पर आया एसoएमoएसo पत्र जैसा संतोष नहीं दे सकता। पत्रों का स्वरूप लिखित होने के कारण मानव सभ्यता के विकास में इनका विशेष योगदान रहा है। पत्रों द्वारा मनुष्य को संदेश और प्रेरणा दोनों मिलते है। पत्रों को विभिन्न प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। पत्र को उर्दू में खत, संस्कृत में पत्र, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम, जाबू और लेख तथा तमिल में कडिद नाम से जाना जाता है। पत्र हमारी यादों को लंबे समय तक ताजा बनाए रखते हैं। भारत में प्रतिदिन लगभग चार करोड़ पत्र डाक में डाले जाते हैं, जो इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
प्राचीन काल में पत्रों को हरकारों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता था। पहिये के आविष्कार के साथ ही इनकी रफ्तार में कॉफी बदलाव आया। टेलीफोन विभाग के तार, वायरलेस तथा रेडार ने तो इनकी गति में पंख लगा दि, है। पिछली शताब्दी में डाक विभाग ने अपनी व्यवस्था के सुधार तथा पत्रों को सही दिशा देने का विशेष प्रयास किया। पत्र-संस्कृति विकसित करने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिता का आयोजन शुरु किया। आज इस वैज्ञानिक युग में संचार के विभिन्न साधनों के तेज विकास ने पत्रों की दुनिया को प्रभावित किया है। पर ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी इनकी महत्ता है। मोबाइल फोन के अविष्कार से पारिवारिक पत्रों की संख्या में कमी आई, पर व्यापारिक पत्रों की संख्या बढ़ती जा रही है।
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसका पत्रों से वास्ता न पड़ा हो, पत्र का इंतजार न किया हो, पत्र न लिखा हो या किसी से न लिखवाया हो कुल मिलाकर प्रत्येक व्यक्ति का किसी न किसी रुप में पत्र से अवश्य ही जुड़ाव रहा है। सैनिकों के लिए पत्र विशेष महत्व रखते हैं। पहले संचार का इकलौता साधन पत्र ही थे, पर अब तो अन्य साधन भी विकसित हो गए हैं। पत्र धरोहर का काम भी करते हैं। अनेक लोग इनका संग्रह करना अपना शौक समझते हैं। बड़े-बड़े लेखकों उद्यमियों, प्रशासकों या किसानों की पत्र रचनाएँ आज भी एक अनुसंधान का विषय है। पंडित नेहरू द्वारा इंदिरा गाँधी को लिखे गए, पत्र करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। एसoएमoएसo संदेश सँजोकर नहीं रखे जा सकते, पर बड़ी हस्तियों के पत्र यादगार के रुप से सहेजकर रखे जा सकते है। दुनिया के अनेक संग्रहालयों में महान विभूतियों के पत्र देखे जा सकते हैं। पत्रों के माध्यम से तत्कालीन देशकाल और समाज को भलीभाँति जाना-समझा जा सकता है। अंग्रेजों द्वारा लिखे गए पत्र बाद में बहुत महक्रवपूर्ण बन गए।
महात्मा गाँधी के पास तमाम पत्र महात्मा गाँधी-इंडिया' लिखकर आते थे। अपने पास आए तमाम पत्रों का जवाब वे स्वयं दिया करते थे। उनके जवाबी पत्रों को लोग यादगार के रूप में या फ्रेम में सजाकर रख लेते थे। पत्रों के आधार पर अनेक किताबें लिखी गई हैं। पत्र दस्तावेज जैसा ही महत्व रखते हैं। निराला के पत्र ‘हमको लिख्यौ है कहा’, पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम' आदि इसके प्रमाण हैं। प्रेमचंद नवोदित लेखकों को पत्र के माध्यम से पे्ररित करते थे। नेहरू, गाँधी- रवींद्रनाथ टैगोर के पत्र प्रेरणा स्रोत होते थे। कठिन परिस्थितियों में ये पथ प्रदर्शक की भूमिका अदा करता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पत्रों के आदान-प्रदान का सिलसिला तेज हुआ। डाक विभाग की गुडशिल सबसे अच्छी है। विभाग लोगों को जोडऩे का काम करता है। जन-जन तक इसकी पहुँच है। शहर के आलीशान महल में जी रहे लोग हों- पहाड़ी लोग हों, मछुआरे हों या राजस्थान प्रांत के वासी, सबको पत्रों का इंतजार बेसब्री से रहता है। डाक विभाग केवल पत्रों को ही लोगों तक नहीं पहुँचाता, ब्लकि वह इससे भी जरूरी चीज मनीऑर्डर भी उन तक पहुँचाता है। दूरदराज के क्षेत्रों मे मनीऑर्डर पहुँचने पर ही वहाँ चूल्हा जलता है। गरीब बस्तियों में डाकिये को देवदूत के रुप में देखा जाता है, क्योंकि उसी के आने से उन्हें पैसा तथा खुशियाँ मिल पाती हैं।
शब्दार्थ—
पृष्ठ : अजीबो-गरीब—विचित्र, आश्चर्यजनक। उपयोगिता—लाभदायी होने का गुण। संचार—संदेशों का आदान-प्रदान। आधुनिकतम—सबसे नए। एसoएमoएसo—मोबाइल फोन पर भेजा गया लिखित संदेश। सिलसिला—क्रम। विवाद—झगड़े। जड़—कारण। केंद्रित—एक बिंदु पर स्थिर होना। विकास—उन्नति। अनूठी—बेजोड़, अनोखी। भूमिका—योगदान। सहेजकर—सँभालकर। संदेह—शक। दायरा—सीमा, क्षेत्र। तलाशते—खोजते।
पृष्ठ : ठिकाना—रहने का स्थान, पता। साबित करना—सिद्ध करना। अहमियत—महत्ता, महत्व। हरकारे—पैदल चलकर संदेश पहुँचानेवाले। शताब्दी—एक सौ साल का समय। प्रयास—कोशिश। आयुवर्ग—उम्रवाले। आवाजाही—आवागमन, आना-जाना। व्यापारिक—व्यापार संबंधी।
पृष्ठ : तह—गहराई। बेसब्री—बेचैनी, अधीरता। मिसाल—उदाहरण। परिवहन के साधन—आने-जाने के साधन। इकलौता—अकेला। पुरखे—पूर्वज। सँजोकर —जोड़-जोडक़र, इकट्ठा करके। विरासत—पूर्वजों से प्राप्त। उद्यमी—उद्यम (परिश्रम) करनेवाले। अनुसंधान—खोज। महान हस्तियाँ—विशेष लोग। धरोहर—अमानत। संकलन—संग्रह। दिग्गज—मशहूर, महान।
पृष्ठ : जोड़—मुकाबला करनेवाला। प्रशस्ति पत्र—किसी की प्रशंसा में दिया गया सम्मान-पत्र। फ्रेम—चौखटा, लकड़ी या धातु का चौकोर ढाँचा। दस्तावेज—प्रमाण सम्बंधी कागज। मुस्तैद—सतर्क। प्रेरक—प्रेरणा देनेवाले। मनोदशा—हालत। लेखा-जोखा—हिसाब-किताब। परंपरा—रिवाज। गुडविल—नेकनामी, ख्याति।
पृष्ठ : खास—विशेष। वजह—कारण। हैसियत—सामर्थ्य, औकात। बरकरार—बने रहना, कायम रहना। आलीशान—शानदार। दुर्गम—जहाँ पहुँचना कठिन हो। ढाँणियों—अस्थाई - निवास स्थान। बहुआयामी—अनेक रुपोंवाला। मनीऑर्डर—डाक विभाग द्वारा भेजा गया धन। देवदूत—ईश्वर का संदेश लानेवाला .फरिश्ता।
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2. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया में चिट्ठियों का क्या अर्थ है? |
3. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया में चिट्ठियों की उत्पत्ति कैसे होती है? |
4. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया में चिट्ठियों का क्या महत्व है? |
5. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया में चिट्ठियों के आवास की संरचना कैसी होती है? |
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