Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)  >  सर्वनामपदानि तथा संख्यावाचकानि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8

सर्वनामपदानि तथा संख्यावाचकानि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

संस्कृतभाषायाम् सर्वनामशब्दानां रूपाणि त्रिषु लियैह्यषुभवन्ति। (संस्कृत में सर्वनाम शब्दों के रूप तीनों लिंगों में होते हैं। In Sanskrit Pronouns are declined in all three genders.)
तत्, एतत्, किम्, अस्मद्, युष्मद्, इदम् इति सर्वनाम-शब्दानां रूपाणि अध: दत्तानि। सर्वनाम-पदानां प्रयोग: अपि प्रदर्शित:। (नीचे तत् आदि सर्वनामों के रूप दिए गए हैैं; सर्वनाम पदों का प्रयोग भी दर्शाया गया हैै। Given below is the declension and usage of pronouns viz. तत्, एतत् etc.)


तत् (वह—he) (पुंल्लिङ्गम्)

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

स:

तौ

ते

द्वितीया

तम्

तौ

तान् 

तृतीया

तेन

ताभ्याम्

तै:

चतुर्थी

तस्मै

ताभ्याम्

तेभ्य:

पञ्चमी

तस्मात्

ताभ्याम्

तेभ्य: 

षष्ठी

तस्य

तयो:

तेषाम् 

सप्तमी

तस्मिन्

तयो:

तेषु 


वाक्य–प्रयोग:—
1.स: बालक: अभिनव:।    
2.अहं तम् बालकम् पश्यामि।
3.रोहित: तेन बालकेन सह गच्छति।
4.माता तस्मै बालकाय फलम् यच्छति।
5.तस्य बालकस्य गृहं समीपे अस्ति।
6.तस्मिन् बालके सर्वेषाम् स्नेह:।

उपरोक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि सर्वनाम पद का लिंग, वचन आदि संज्ञा पद के लिंग वचन आदि पर निर्भर करता है।
 

तत् (वह—she) (स्त्रीलिङ्गम्)

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

   प्रथमा

सा

ते

ता:

   द्वितीया

ताम्

ते

ता:

   तृतीया

तया

ताभ्याम्

ताभि:

   चतुर्थी

तस्यै

ताभ्याम्

ताभ्य:

   पञ्चमी

तस्या:

ताभ्याम्

ताभ्य:

   षष्ठी

तस्या:

तयो:

तासाम्

   सप्तमी

तस्याम्

तयो:

तासु

 

वाक्य–प्रयोग:—
1.सा बालिका सुनीता।
2.अध्यापिका ताम् बालिकां पश्यति।
3.सुदीप्ति: तया बालिकया खेलति।
4.सा तस्यै बालिकायै कन्दुकं यच्छति।
5.अध्यापिका तस्या: बालिकाया: कन्दुकम् आनयति।
6.एष: कन्दुक: तस्या: बालिकाया: अस्ति। 
7.कन्दुक: तस्याम् बालिकायाम् पतति।
उपरोक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि संज्ञा पद स्त्रीलिंग होने पर सर्वनाम के स्त्रीलिंग रूप का प्रयोग किया जाता है।


तत् (वह—that) (नपुंसकलिङ्गम्)

विभक्ति:एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्

प्रथमातत्    ते    तानि
द्वितीया  तत्    ते    तानि

शेष रूप तत्-पुंल्लिङ्ग की भाँति। (Remaining forms are the same as in तत्—masculine.) 
एतत् सर्वनाम के रूप तत् की भाँति चलते हैं; यथा—एष:, एतौ, एते; एषा, एते, एता: इत्यादय:।
अवधेयम्—एक, अनेक, पर, अपर, इतर, अन्य, सर्व आदि भी सर्वनाम हैं। (All these are pronouns too.)

यथा—
1. अनेके जना:
2. एकस्मिन् वृक्षे
3. सर्वे बालका: 
4. परेषाम् उपकार:
5. सर्वेषाम् छात्राणाम्
6. अन्ये क्रीडका: 

किम्* (कौन—who) (पुंल्लिङ्गम्)

विभभक्ति :

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

क:

कौ

के 

द्वितीया

कम्

कौ

कान् 

तृतीया

केन

काभ्याम्

कै: 

चतुर्थी

कस्मै

काभ्याम्

केभ्य:

पञ्चमी

कस्मात्

काभ्याम्

केभ्य:

षष्ठी

कस्य

कयो:

केषाम् 

सप्तमी

कस्मिन्

कयो:

केषु 

सर्वनाम् ‘किम्’ का प्रयोग प्रश्न-निर्माण के लिए होता है। (The pronoun किम्  is used to frame questions.)

छात्र ध्यान दें—‘किम्’ के रूप तत् की भाँति होते हैं; यथा—स:, तौ, ते, तस्य, तयो:, तेषाम् उसी प्रकार क:, कौ, के; कस्य, कयो:, केषाम् आदि।

प्रयोग:—कथनम्  प्रश्न:
1.बालक: पठति।                                -      1.क: पठति?
2.अध्यापक: बालकम्  वदति।                -     2.अध्यापक: कम् वदति?
3.अभिनव: मित्रेण सह क्रीडति।               -    3.अभिनव: केन सह क्रीडति?
4.अध्यापक: छात्राय पारितोषिकं यच्छति।  -    4.अध्यापक: कस्मै पारितोषिकं यच्छति?
5.बालका: अध्यापकात् पठन्ति।               -    5.बालका: कस्मात् पठन्ति?
6.बालकस्य गृहम् समीपे अस्ति।              -    6.कस्य गृहम् समीपे अस्ति?
7.वर्षाजलम् बालके पतति।                    -     7.वर्षाजलम्  कस्मिन् पतति?
 

किम् (कौन—who) सर्वनाम (स्त्रीलिङ्गम्)

विभक्ति:

एकवचनम्

द्विवचनम्

बहुवचनम्

प्रथमा

का

के

का:

द्वितीया

काम्

के

का:

तृतीया

कया

काभ्याम्

काभि:

चतुर्थी

कस्यै

काभ्याम्

काभ्य:

पञ्चमी

कस्या:

काभ्याम्

काभ्य:

षष्ठी

कस्या:

कयो:

कासाम्

सप्तमी

कस्याम्

कयो:

कासु

 

वाक्य–प्रयोग:—
1.  एषा लता।       - एषा का?
2.  बालिका लताम् पश्यति।  -    बालिका काम् पश्यति?
3.  सा अम्बया सह उद्यानं गच्छति।  -      सा कया सह उद्यानं गच्छति?
4.  सा अम्बायै पुष्पाणि यच्छति।       - सा कस्यै पुष्पाणि यच्छति?
5.  लताया: पुष्पाणि पतन्ति।  -    पुष्पाणि कस्या: पतन्ति?
6.  लतायाम् श्वेतानि पुष्पाणि सन्ति।    -    श्वेतानि पुष्पाणि कस्याम् विकसन्ति?
 

किम् (कौन—which) (नपुंसकलिङ्गम्)
विभक्ति:एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्

प्रथमाकिम्केकानि
द्वितीया   किम्        के                कानि

शेष रूप ‘किम्’ पुंल्लिङ्ग की भाँति। (Remaining forms are the same as in किम्—Masculine.)

अस्मद् (मैं, हम—I,We))

प्रथमा 

अहम् (मैं, I)  आवाम्  (हम दोनों, Both of us)   वयम् (हम, We)

द्वितीया 

माम् (मा) 
(मुझे, me) 
आवाम् (नौ)
(हम दोनों को , to both of us)
अस्मान् (न:) न:
(हम सबको, us)

तृतीया                      

मया
(मेरे द्वारा,  by me)    
आवाभ्याम् (हम दोनों के द्वारा, by both of us)     अस्माभि:
(हमारे द्वारा, by us)

चतुर्थी 

मह्यम् (मे) 
(मेरे लिए,  for me) 
आवाभ्याम् (नौ)
(हम दोनों के लिए, for both of us)         
अस्मभ्यम् (न:)
(हमारे लिए, for us)

पञ्चमी 

मत्
(मेरे से-पृथक,from me) 
आवभ्याम्
(हम दोनों से,from both of us)    

अस्मत्
(हमसे, from us)

षष्ठी                       

मम (मे) 
(मेरा/मेरे/मेरी,my/mine)
आवयो: 
 (हम दोनों का/के/की,of both of us) 
अस्माकम्
(हमारा/हमारे, हमारी,our/ours)

सप्तमी    

मयि
(मुझ पर, in/on me)
आवयो:
(हम दोनों में पर, in/on both of us)
अस्मासु
(हम पर/में,  in/on us.)


   

युष्मद् (तुम—you)

प्रथमा

त्वम् 
(तुम, You)

युवाम्                                   
(तुम दोनों, both of you)                  

यूयम्
(तुम लोग, all of you)

द्वितीया

त्वाम् (त्वा)
(तुम्हें, to you)

युवाम् (वाम्)
(तुम दोनों को, to both of you)        

युष्मान् (व:)
(तुम लोगों को,  to you)

तृतीया

त्वया    
(तुम्हारे द्वारा,  by you)

युवाभ्याम्
(
तुम दोनों द्वारा, by both of you)  

युष्माभि:
(तुम लोगों द्वारा, by you)

चतुर्थी

तुभ्यम् (ते)
(तुम्हारे लिए, for you)

युवाभ्याम् (वाम्)
(तुम दोनों के लिए, for both of you)   

 युष्मभ्यम् (व:)
(तुम लोगों के लिए, for you)

पञ्चमी

त्वत्
[तुम्हारे से (पृथक्), from you]

युवाभ्याम्
(तुम दोनों से, from  both of you)   

युष्मत् (तुम लोगों से,  from you)

षष्ठी

तव (ते) (तुम्हारा/तुम्हारे/तुम्हारी, your/yours)

युवयो: (वाम्) 
(तुम दोनों का/के/की,  of both of you) 

युष्माकम्
(तुम लोगों का/के/की,your/yours) 

सप्तमी

त्वयि
(तुम पर, in/on you)

युवयो:
(तुम दोनों में/पर                
in/on both of you)   

युष्मासु
(तुम लोगों पर,  in/on you)

 

इदम् (यह—this)) सर्वनाम

इदम्—पुंल्लिङ्गम्

प्रथमा

अयम्

इमौ

इमे

द्वितीया

इमम्

इमौ

इमान्

तृतीया

अनेन

आभ्याम्

एभि:

चतुर्थी

अस्मै

आभ्याम्

एभ्य:

पञ्चमी

अस्मात्

आभ्याम्

एभ्य: 

षष्ठी

अस्य

अनयो:

एषाम्  

सप्तमी     

अस्मिन्

अनयो:

एषु 

 

इदम्—स्त्रीलिङ्गम्

प्रथमा

इयम्

इमे

इमा

द्वितीया

इमाम्

इमे

इमा:

तृतीया

अनया

आभ्याम्

आभि:

चतुर्थी

अस्यै

आभ्याम्

आभ्य:

पञ्चमी

अस्या:

आभ्याम्

आभ्य:  

षष्ठी

अस्या:

अनयो:

आसाम्  

सप्तमी

अस्याम्

अनयो:

आसु 

 

इदम्—(नपुंसकलिङ्गम्)
प्रथमा   -   इदम् -   इमे -  इमानि    
द्वितीया  - इदम्  -  इमे  -  इमानि

शेष रूप ‘इदम्’ पुंल्लिङ्ग की भाँति। [Remaining forms are the same as in इदम् (mas.)]

वाक्य-प्रयोग:—
1.  अयम् वृक्ष: दीर्घ: सघन: च अस्ति। (यह वृक्ष—This tree)    
2.  इयम् वाटिका विशाला रमणीया च। (यह वाटिका—This park)
3.  इदम् फलम् पक्वं मधुरम् च। (यह फल—This fruit)
4.  अनेन बालकेन पत्रम् लिखितम्। (इस बालक द्वारा—By this child)
5.  अनया बालिकया पाठ: पठित:। (इस बालिका द्वारा—By this girl)
6.  अस्मिन् विद्यालये अनेके छात्रा: पठन्ति। (इस स्कूल में—in this school)
7.  अस्याम् कक्षायाम् कति छात्रा: सन्ति? (इस कक्षा में—in this class)
8.  एषु वनेषु सिंहा भ्रमन्ति। (इन वनों में—in these forests)
9.  इमान् बालकान् पश्य। (इन बालकों को—these children)
10. इमानि चित्राणि पश्यत। (इन चित्रों को—at these pictures)

संख्यावाचिपदानि (Numerals)

एक (एक—one) (सदा एकवचन में—Always in singular)
    
विभक्ति:    पुंल्लिङ्गम्    स्त्रीलिङ्गम्    नपुंसकलिङ्गम्
    प्रथमा          एक:            एका            एकम्
    द्वितीया        एकम्         एकाम्            एकम्
    तृतीया        एकेन          एकया            एकेन
    चतुर्थी         एकस्मै        एकस्यै            एकस्मै
    पञ्चमी         एकस्मात्    एकस्या:          एकस्मात्
    षष्ठी            एकस्य        एकस्या:          एकस्य
    सप्तमी       एकस्मिन्    एकस्याम्          एकस्मिन्


द्वि (दो—two) (सदैव द्विवचन में—always in dual)

    विभक्ति:    पुंल्लिङ्गम्    स्त्रीलिङ्गम्    नपुंसकलिङ्गम्

    प्रथमा            द्वौ                द्वे                द्वे
    द्वितीया          द्वौ                द्वे                द्वे
    तृतीया           द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्
    चतुर्थी            द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्
    पञ्चमी           द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्        द्वाभ्याम्
    षष्ठी              द्वयो:            द्वयो:            द्वयो:
    सप्तमी          द्वयो:            द्वयो:            द्वयो:
    

त्रि (तीन—three) (सदा बहुवचन में—always in plural)
    
विभक्ति:    पुंल्लिङ्गम्    स्त्रीलिङ्गम्    नपुंसकलिङ्गम्

    प्रथमा        त्रय:            तिस्र:            त्रीणि
    द्वितीया      त्रीन्            तिस्र:            त्रीणि
    तृतीया       त्रिभि:          त्रिसृभि:        त्रिभि:    
    चतुर्थी       त्रिभ्य:          तिसृभ्य:        त्रिभ्य:
    पञ्चमी      त्रिभ्य:           तिसृभ्य:        त्रिभ्य:
    षष्ठी        त्रयाणाम्       तिसणाम्        त्रयाणाम्
    सप्तमी    त्रिषु              तिसृषु            त्रिषु


चतुर् (चार—four) (सदा बहुवचन में—always in plural)
    
विभक्ति:     पुंल्लिङ्गम्     स्त्रीलिङ्गम्      नपुंसकलिङ्गम्

  प्रथमा         चत्वार:         चतस्र:               चत्वारि
  द्वितीया       चतुर:           चतस्र:               चत्वारि
 तृतीया         चतुर्भि:         चतसृभि:            चतुर्भि:
चतुर्थी          चतुभ्र्य:         चतसृभ्य:           चतुभ्र्य:
पञ्चमी          चतुभ्र्य:        चतसृभ्य:            चतुभ्र्य:
  षष्ठी          चतुर्णाम्:        चतसणाम्:         चतुर्णाम्:
 सप्तमी        चतुर्षु             चतसृषु             चतुर्षु

प्रयोग:—

(क)      एक: बालक:         एका बालिका            एकम्: पुस्तकम्:
            द्वौ बालकौ             द्वे बालिके                    द्वे पुस्तके
            त्रय: बालका:         तिस्र: बालिका:              त्रीणि पुस्तकानि
            चत्वार: बालका:     चतस्र: बालिका:        चत्वारि पुस्तकानि
            पञ्च बालका:          पञ्च बालिका:                पञ्च पुस्तकानि

(ख) 

एकस्मिन्: वृक्षे              एकस्याम्: लतायाम्:               एकस्मिन्: वने
त्रयाणाम्: वृक्षाणाम्:        तिसृृणाम्: लतानाम्:               त्रयाणां वनानाम्:
पञ्चानाम्: बालकानाम्:   पञ्चानाम्: बालिकानाम्:        पञ्चानाम्: फलानाम्:

अवधेयम्—संख्यावाची शब्द विशेषण होते हैं। अत: लिंगानुसार प्रयोग में भेद आ जाता है। किंतु पञ्चन्: (पाँच, five) के बाद संख्यावाची शब्दों में लिङ्ग-भेद नहीं होता। [Numerals are adjectives. Hence they undergo change as per gender in usage. There is no gender difference in the form of word, beginning from (five).] विशेषण होने के नाते संख्यावाची शब्द में वही विभक्ति प्रयुक्त होती जो उसके विशेष्य पद में प्रयोग में लाई गई है। यथा ‘एकास्मिन् वृक्षे’ (Being Adjective Numerals take the same case form as the words (nouns) they qualify.)

संख्यावाचक-पदानि (1—100)

1.    एक:        21.    एकविंशति:     41.    एकचत्वारिंशत्          61.    एकषष्टि:            81.    एकाशीति:
2.    द्वौ           22.    द्वाविंशति:       42.    द्वाचत्वारिंशत्           62.    द्विषष्टि:               82.    द्वयशीति:
3.    त्रय:         23.    त्रयोविंशति:     43.    त्रिचत्वारिंशत्           63.    त्रिषष्टि:               83.    त्र्यशीति:
4.    चत्वार:     24.    चतुर्विंशति:     44.    चतुश्चत्वाकरिंशत्       64.    चतु:षष्टि:            84.    चतुरशीति:
5.    पञ्च         25.    पञ्चविंशति:     45.    पञ्चचत्वारिंशत्          65.    पञ्चषष्टि:            85.    पञ्चाशीति:
6.    षट्:        26.    षड्:विंशति:     46.    षड्चत्वारिंशत्          66.    षट्षष्टि::            86.    षडशीति:
7.    सप्त        27.    सप्तविंशति:    47.    सप्तचत्वारिंशत्         67.    सप्तषषष्टि::        87.    सप्ताशीति:
8.    अष्ट         28.    अष्टविंशति:     48.    अष्टचत्वारिंशत्         68.    अष्टषषष्टि::         88.    अष्टाशीति:
9.    नव          29.    नवविंशति:      49.    नवचत्वारिंशत्          69.    नवषषष्टि::          89.    नवाशीति:
10.    दश       30.    त्रिंशत्:            50.    पञ्चाशत्:                70.    सप्:तति:            90.    नवति:
11.    एकादश    31.    एकत्रिंशत्     51.    एकपञ्चाशत्:           71.    एकसप्:तति:       91.    एकनवति:
12.    द्वादश       32.    द्वात्रिंशत्:      52.    द्विपञ्चाशत्:            72.    द्विसप्:तति:          92.    द्विनवति:
13.    त्रयोदश     33.    त्रयत्रिंशत्:     53.    त्रिपञ्चाशत्:            73.    त्रिसप्:तति:          93.    त्रिनवति:
14.    चतुर्दश     34.    चतुत्र्ंिाशत्:  54.    चतु:पञ्चाशत्:          74.    चतुसप्तति:          94.    चतुर्नवति:
15.    पञ्चदश     35.    पञ्चत्रिंशत्:     55.    पञ्चपञ्चाशत्:          75.    पञ्चसप्:तति:        95.    पञ्चनवति:
16.    षोडश:     36.    षड्:त्रिंशत्:     56.    षट्पञ्चाशत्:         76.    षट्:सप्:तति:        96.    षण्णवति:
17.    सप्तदश    37.    सप्तत्रिंशत्     57.    सप्तपञ्चाशत्:       77.    सप्तसप्:तति:       97.    सप्तनवति:
18.    अष्टादश    38.    अष्टात्रिंशत्:    58.    अष्टपञ्चाशत्:       78.    अष्टसप्:तति:        98.    अष्:टनवति:
19.     नवदश     39.    नवत्रिंशत्:     59.    नवपञ्चाशत्:           79.    नवसप्:तति:         99.    नवनवति:
20.    विंशति:     40.    चत्वारिंशत्:    60.    षषष्टि::                  80.    अशीति:              100.    शतम्:

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FAQs on सर्वनामपदानि तथा संख्यावाचकानि - अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् , कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. संख्यावाचकानि के नाम क्या हैं?
उत्तर: संख्यावाचकानि के नाम हैं गणक, परिमाण, पद, सम, सङ्ख्या आदि।
2. अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् में सर्वनामपदानि क्या होते हैं?
उत्तर: अनुप्रयुक्त-व्याकरणम् में सर्वनामपदानि वे शब्द होते हैं जिनका प्रयोग बात करने वाले व्यक्ति के स्थान की प्रतिष्ठा के लिए होता है, जैसे 'मैं', 'तुम', 'वह', आदि।
3. संख्यावाचकानि क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: संख्यावाचकानि महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके माध्यम से हम अलग-अलग प्रकार की संख्याओं को दर्शा सकते हैं और उन्हें व्यक्त कर सकते हैं। इससे हमें गणितीय कार्यों को समझने और करने में आसानी होती है।
4. सर्वनामपदानि का उपयोग किस तरह से किया जाता है?
उत्तर: सर्वनामपदानि का उपयोग किसी व्यक्ति की जगह लेने के लिए किया जाता है। यह व्यक्ति के स्थान पर आता है और उन्हें प्रतिष्ठित करता है, जैसे 'मैं खुश हूं' यहाँ 'मैं' सर्वनामपदानि है जो बात करने वाले व्यक्ति के स्थान की प्रतिष्ठा के लिए प्रयुक्त हो रहा है।
5. सर्वनामपदानि का प्रयोग वाक्य में कैसे किया जाता है?
उत्तर: सर्वनामपदानि का प्रयोग वाक्य में व्यक्ति की जगह लेने के लिए किया जाता है। इसे वाक्य के अन्य शब्दों के साथ मेल कर उनकी प्रतिष्ठा करता है, जैसे 'वह आया' यहाँ 'वह' सर्वनामपदानि है जो व्यक्ति की जगह लेने के लिए प्रयुक्त हो रहा है।
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