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प्रश्न-अभ्यास - चिट्ठियों की अनूठी दुनिया, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

पाठ से

प्रश्न: 1. पत्र जैसा संतोष फोन या एसoएमoएसo का संदेश क्यों नहीं दे सकता?
उत्तर:  
पत्र जैसा संतोष फोन या एसoएमoएसo का संदेश इसलिए, नहीं दे सकता क्योंकि—
(क)  पत्रों का आकार बड़ा तथा उनका अस्तित्व स्थायी होता है, जिन्हें भविष्य के लिए सँभालकर रखा जा सकता है।
(ख)  पत्रों में आत्मीयता, प्रेम तथा गहरा लगाव होता है।
(ग)   पत्रों को संग्रहित करके पुस्तक का आकार दिया जा सकता है जबकि एसoएमoएसo को नहीं।
(घ)   पत्र संदेश भेजने का सस्ता साधन है, जबकि एसoएमoएसo महँगा साधन है।
(ङ)   पत्र पानेवाले के पास कोई साधन होना आवश्यक नहीं है, पर एसoएमoएसo पानेवाले के पास मोबाइल फोन होना आवश्यक होता है।

प्रश्न:  2. पत्र को खत, कागद, उत्तरम, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।
उत्तर: 
पत्र को विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, जो निम्नलिखित है-

पत्र के विभिन्न नाम

भाषा

पत्र/चिट्ठी

संस्कृत    

कागद

कन्नड

खत

उर्दू    

उत्तरम, जाबू, लेख

तेलगु

कडिद

तमिल    

पाती पद्य में प्रयोग होनेवाले शब्द


                   
प्रश्न: 3.  पत्र-लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए? लिखिए।
उत्तर: 
पत्र-लेखन की कला का विकास हो, इसके लिए स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र-लेखन को विषय के रूप में शामिल किया गया। भारत के अलावा अन्य देशों तथा विश्व डाक संघ की ओर से पत्र-लेखन को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम शुरू किया।

प्रश्न: 4.  पत्र धरोहर हो सकते हैं, लेकिन एसoएमoएसo क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर: 
पत्र लिखित रूप में होते हैं। इन्हें भविष्य के लिए सँभालकर रखा जा सकता है। उपयोगी एवं शिक्षाप्रद पत्रों को पुस्तक के रूप में रखा जा सकता है। महान हस्तियों के पत्र संग्रहालयों एवं पुस्तकालयों से प्राप्त कि, जा सकतह्य है। एसoएमoएसo संक्षिप्त तथा मोबाइल फोन पर होते हैं। उन्हें सहेजकर भविष्य के लिए रखना संभव नहीं है।

प्रश्न: 5. क्या चिट्ठियों की जगह कभी .फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर:  
संचार के बढ़ते साधनों-.फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल आदि का प्रचार-प्रसार तथा लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। लोग अपनी सुविधानुसार उनका प्रयोग भी करते हैं और इनसे पत्रों की संख्या में कमी आई है पर ये साधन पत्र का स्थान कभी भी नहीं ले सकते। व्यापारिक तथा विभागीय कार्यों को पत्रों के माध्यम से किया जाता था, किया जाता है और किया जाता रहेगा। इसके अलावा पत्रों से जो आत्मीयता, प्रेम तथा लगाव मिल जाता है वह संचार के इन साधनों द्वारा नहीं मिल सकता है।

पाठ से आगे

प्रश्न: 1.   किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए।
उत्तर: 
 बिना टिकट के यदि पत्र भेज दिया जाए तो निम्नलिखित कठिनाइयाँ आ सकती हैं:
(क)  संभवत: पत्र गंतव्य तक पहुँचे ही न।
(ख)  प्राप्तकर्ता को निश्चित टिकट के मूल्य का दोगुना दाम चुकाना पड़ सकता है।
(ग)   प्राप्तकर्ता के पास उस समय पैसे न होने पर अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
(घ)   पत्र के लिए उचित राशि न दिए जाने पर पत्र वापस आ सकता है।

प्रश्न: 2. पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?
उत्तर:
  सुनने में संक्षिप्त-सा लगनेवाला 'पिन कोड' शब्द का पूरा नाम ‘पोस्टल इन्डेक्स नंबर’ है। यह छद्द अंकों का होता है। इसका हर अंक अपने में कुछ न कुछ छिपाए हुए है। इसका पहला अंक राज्य को, अगले दो अंक उपक्षेत्र को तथा अंतिम तीन अंक संबंधित डाकघर को सूचित करते हैं। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि पिन कोड संख्याओं के रूप में लिखा गया एक पता ही होता है।

प्रश्न: 3.  ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गाँधी को दुनियाभर से पत्र ‘महात्मा गाँधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे?
उत्तर:
   महात्मा गाँधी भारत में ही नहीं, विश्व में लोकप्रिय व्यक्ति थे। भारत में तो वे अत्यधिक लोकप्रिय थे। वे देश में कहाँ होते थे, लोगों को पता होता था। वास्तव में वे कहीं भी रहें, पत्र उन तक पहुँचा दिया जाता था और उन्हें मिल जाता था। वे किसी एक परिवार या स्थान के न होकर पूरे भारत के प्रतिनिधि थे, इसलिए 'महात्मा गाँधी-इंडिया' पता लिखकर उन्हें पत्र भेजा जाता था।

अनुमान और कल्पना
प्रश्न: 1.  रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिये' आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिये की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।
उत्तर:  
मनुष्य जिज्ञासु प्राणी है। वह अपनों के बारे में जानने को इच्छुक रहता है। उसकी इसी इच्छा के फलस्वरूप शायद पत्र अस्तित्व में आए होंगे। पत्रों के आदान-प्रदान का यह सिलसिला कबूतरों से शुरू होकर आज मोबाइल, .फैक्स तथा ई-मेल तक पहुँच गया है। यद्यपि संचार के इन आधुनिकतम साधनों ने पत्रों की आवाजाही को प्रभावित भी किया है, परंतु इन सबके बाद भी पत्र अपना अस्तित्व बनाए हुए है और लोकप्रिय भी है। ग्रामीण जीवन में पत्रों की गहरी पैठ है। वहाँ की अनेक क्रियाएँ डाक विभाग की मदद से ही चलती हैं। वहाँ डाकिये को देवदूत के रूप में देखा जाता है। इसी प्रकार पक्षी और बादल भी डाकिये हैं, पर ये भगवान के डाकिये हैं। ये भगवान का दिया संदेश हम मनुष्य के लिए लाते हैं। इन प्राकृतिक डाकियों की लाई चिट्ठियों को हम भले न पढ़ पाएँ, पर उनमें प्रेम, सद्भाव और विश्वबंधुत्व का संदेश छिपा होता है। ये प्राकृतिक डाकिये किसी स्थान-विशेष की सीमा में बँधकर काम नहीं करते। ये डाकिये लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते बल्कि सबको समान रूप से लाभान्वित करते हैं।

प्रश्न: 2.  संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर ‘मेघदूत’ नाम का काव्य लिखा है। ‘मेघदूत’ के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:  
विश्व-प्रसिद्ध कवि एवं नाटककार कालिदास की रचना है- 'मेघदूत'। यह काव्य संस्कृत भाषा में रचित है। इसका कथ्य इस प्रकार है :
कुबेर अलकापुरी नरेश थे, जिनके दरबार में अनेक यक्ष रहते थे। जो कुबेर की सेवा किया करते थे। इन्हीं यक्षों में से एक यक्ष की नई-नई शादी हुई थी। वह अपनी पत्नी को बहुत चाहता था। वह अपनी नवविवाहिता पत्नी की यादों में खोया रहता था तथा राजदरबार के कार्य में प्रमाद दिखाता था। कुबेर को यह अच्छा नहीं लगता और वे उसे अपनी नवविवाहिता पत्नी से अलग रामगिरि पर्वत पर रहने का 'शाप दे देते है  शापित यक्ष रामगिरि पर्वत पर रहने लग जाता है। समय बीतने लगा, वर्षा ऋतु का आगमन हुआ और आकाश में उमड़ते-घुमड़ते काले बादलों को देखकर यक्ष अपनी पत्नी के विरह से विकल हो उठा। वह जड़-चेतन का भेद भूलकर इन्हीं काले बादलों अर्थात मेघ को दूत बनाकर अपनी पत्नी के पास भेजा। उसने  मेघ को रास्ता, रास्ते में पडऩेवाले विशिष्ट स्थान तथा मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को समझा। कुबेर से यक्ष की विरह व्यथा नहीं देखी गई। वह यक्ष को 'शापमुक्त कर देते है। यक्ष खुशी-खुशी अपनी पत्नी के साथ अलकापुरी में रहने लगा। इसी कथा का ‘मेघदूत’ नामक काव्य में सुंदर वर्णन किया गया है।

भाषा की बात
प्रश्न: 1.  किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ 'पत्र' शब्द जोडऩे से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे-प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी 'पत्र' के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।
उत्तर: 
 'पत्र' जोडऩे से बननेवाले दस शब्द निम्नलिखित हैं:
1.    प्रमाण पत्र    
2.    संधि पत्र
3.    मान पत्र    
4.    प्रेम पत्र
5.    प्रार्थना पत्र    
6.    आवेदन पत्र
7.    बधाई पत्र    
8.    त्याग पत्र
9.    निमंत्रण पत्र    
10.  शिकायती पत्र।

प्रश्न: 2. ‘व्यापारिक’ शब्द 'व्यापार' के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। 'इक' प्रत्यय के योग से बननेवाले शब्दों को अपनी पाठ्ïयपुस्तक से खोजकर लिखिए।

उत्तर: पाठ्यपुस्तक से खोजे गए ‘इक’ प्रत्यययुक्त
शब्द : 
मूल शब्द      +    प्रत्यय    =    प्रत्यययुक्त शब्द
समाज         +     इक        =    सामाजिक
जीव            +     इक        =    जैविक
रसायन       +      इक        =    रासायनिक
परिश्रम       +      इक       =    पारिश्रमिक
अंतर          +      इक       =    आंतरिक
पुराण         +      इक       =    पौराणिक
प्रकृति        +      इक      =    प्राकृतिक
अर्थ           +      इक      =    आर्थिक
सर्वजन      +      इक      =    सार्वजनिक
इतिहास     +      इक      =    ऐतिहासिक
स्वभाव      +      इक      =    स्वाभाविक
प्रारंभ         +     इक     =    प्रारंभिक
अध्यात्म    +     इक     =    आध्यात्मिक

प्रश्न: 3. दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे-रविंद्र = रवि + इंद्र। इस संधि में 'इ +इ = ई' हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण,वृद्धि और यण।
ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमश: दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।

उत्तर:    संधि के चार प्रकार और उनके उदाहरण त्न
1.  दीर्घ संधि
विद्या   +    अर्थी         =    विद्यार्थी
विद्या    +    आलय     =    विद्यालय
भानु      +    उदय        =    भानूदय
मुनि     +    ईश्वर        =    मुनीश्वर
भोजन  +    आलय       =    भोजनालय
शिव     +    आलय      =     शिवालय
कवि     +     इंद्र          =    कविंद्र
सदा     +   अाचार       =    सदाचार
मत      +    अनुसार    =     मतानुसार
वधु      +    उत्सव       =    वधुत्सव

2.  गुण संधि
नर      +    इंद्र          =    नरेंद्र
सूर्य     +    उदय      =    सूर्योदय
महा    +    इंद्र        =    महेंद्र
महा    +    उत्सव    =    महोत्सव
नर     +    ईश         =    नरेश
गण    +    ईश        =    गणेश

3. वृद्धि / संधि
तथा     +    एव             =    तथैव
मत      +    एक्य           =    मतैक्य
एक      +    एक            =    एकैक
परम    +    आस्षधि    =    परमौषधि
भाव    +    एक्य         =    भावैक्य
महा    +    ऐश्वर्य       =    महैश्वर्य

4. यण संधि
यदि      +    अपि          =    यद्ïयपि
प्रति      +    एक           =    प्रत्येक
अति     +    अंत           =    अत्यंत
सु         +    आगत       =    स्वागत
उपरि     +    उक्त         =    उपर्युक्त
सु         +    इच्छा        =    स्वेच्छा

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FAQs on प्रश्न-अभ्यास - चिट्ठियों की अनूठी दुनिया, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया किस कक्षा के लिए है?
उत्तर. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया हिंदी कक्षा 8 के छात्रों के लिए है।
2. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के बारे में क्या है?
उत्तर. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया एक लेख है जो हिंदी कक्षा 8 के छात्रों के लिए है। यह लेख चिट्ठियों के बारे में अनूठी और रोचक जानकारी प्रदान करता है।
3. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया का लक्ष्य क्या है?
उत्तर. चिट्ठियों की अनूठी दुनिया का लक्ष्य है हिंदी कक्षा 8 के छात्रों को चिट्ठियों के बारे में अधिक सूचना प्रदान करना। यह लेख छात्रों को चिट्ठियों की दुनिया में रोचक तथ्यों और जानकारी के बारे में बताता है।
4. क्या चिट्ठियों की अनूठी दुनिया को अनुदित किया गया है?
उत्तर. हाँ, चिट्ठियों की अनूठी दुनिया को हिंदी कक्षा 8 के छात्रों के लिए अनुदित किया गया है। इसे छात्रों की आवश्यकताओं और पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार किया गया है।
5. क्या चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के लेख में किसी विशेष चिट्ठी के बारे में बताया गया है?
उत्तर. हाँ, चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के लेख में कई विभिन्न प्रकार की चिट्ठियों के बारे में बताया गया है। चिट्ठियों के विभिन्न प्रकार, उनके रंग, आकार और उनके जीवन चक्र के बारे में जानकारी दी गई है।
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