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समास - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

समास—समास शब्द का अर्थ है—समाहार या मिलान।

उदाहरणार्थ—
राजा का पुत्र    —    राजपुत्र
युदध के लिए भूमि    —    युदधभूमि
पाँच वटों का समाहार    —    पंचवटी

इस प्रकार—
    दो या दो से अधिक शब्दों या वाक्यांशों के मेल से नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं।

समास की विशेषताएँ :
    (i)    समास में कम से कम दो पद होते हैं - 1. पूर्वपद अर्थात पहला पद २- उत्तरपद अर्थात दूसरा पद।
    (ii)    दोनों पदों के मेल से बना शब्द सामासिक शब्द या समस्तपद कहलाता है।
    (iii)    समास-प्रक्रिया में शब्दों के बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है; जैसे-
भय से भीत     -    भयभीत                            हस्त से लिखा     -    हस्तलिखित
प्रयोग के लिए शाला     -    प्रयोगशाला            जल का प्रवाह     -    जलप्रवाह
मन से गढ़ा हुआ     -    मनगढंत                  शोक में मग्न     -    शोकमग्न

समास - विग्रह—जब समस्तपद के पदों को अलग-अलग किया जाता है तब इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं; जैसे- ‘गुरुदक्षिणा’ का समास-विग्रह ‘गुरु के लिए दक्षिणा’ होगा।

समास के भेद—समास के छह भेद हैं :
1.    अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. बहुव्रीहि समास
5. द्विगु समास
6. द्वंद्व समास
    

1.    अव्ययीभाव समास—इस समास का पहला पद अव्यय तथा प्रधान होता है और दूसरा पद गौण होता है। इससे बना सामासिक शब्द भी अव्यय होता है; जैसे—निडर, अनुरूप भरपेट आदि।
         
 कुछ अन्य उदाहरण :

समस्तपद  विग्रह समस्तपद  विग्रह 
आजीवन  जीवन भर    यथाशीघ्र     जितना भी शीघ्र हो सके
आमरण    मरने तक    गाँव-गाँव       प्रत्येक गाँव
आजन्म  जन्म से लेकर     घर-घर  प्रत्येक घर
यथाशक्ति     शक्ति के अनुसार  रातोंरात रात ही रात में
यथासंभव     जैसा भी संभव हो प्रत्यक्ष     आँखों के सामने
प्रतिमास   हर मासन्    निस्संदेह बिना संदेह के


                                              
    

2.    तत्पुरुष समास—जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो तथा विभक्ति - चिह्न का लोप हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है; जैसे- राहखर्च, गुरुदक्षिणा, वनवास, हस्तलिखित, यज्ञशाला आदि।
         
 कुछ अन्य उदाहरण :

समस्तपद  विग्रह समस्तपद  विग्रह 
रणक्षेत्रा    रण का क्षेत्र स्वर्गगत    स्वर्ग को गया हुआ
ग्रामगत  ग्राम को गया हुआ यशप्राप्त      यश को प्राप्त
परलोकगमन परलोक को गमन    गृहगत   गृह को गया हुआ
शोकाकुल  शोक से आकुल रसभरा  रस से भरा हुआ
तुलसीकृत    तुलसी द्वारा कृत  भुखमरा  भूख से मरा हुआ
हस्तलिखित    हाथ से लिखा हुआ         सूररचित  सूर द्वारा रचित
प्रयोगशाला    प्रयोग के लिए शाला देशभक्ति  देश के लिए भक्ति
गौशाला  गायों के लिए शाला   मालगोदाम माल रखने के लिए गोदाम
मुसाफ़िरखाना मुसाफ़िरों के लिए घर      रसोईघररसोई के लिए घर
रोगमुक्त  रोग से मुक्त        शापमुक्त    शाप से द्गुक्त
शोकमुक्त शोक से मुक्त    देशनिकाला     देश से निकाला
ऋणहीन   ऋण से हीन    पदच्युत    पद से गिरा हुआ
बलहीन  बल से हीन  गुणहीन  गुण से हीन
पथभ्रष्ट      पथ से भ्रष्ट  धनहीन धन से हीन
जीवनसाथी  जीवन भर का साथी घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़
राजकुमार राजा का कुमार   क्रीड़ाक्षेत्र  क्रीड़ा का क्षेत्र
गंगाजल  गंगा का जल  जलप्रवाह  जल का प्रवाह
अमृतधारा            अमृत की धारा  राजरानी  राज्य की रानी
राजसभा राजा की सभा  परनिंदा    पर (दूसरों) की निंदा
उद्योगपति     उद्योग का पति  देवमूर्ति       देव की मूर्ति
राजपुत्री राजा की पुत्री    राजभक्ति राजा की भक्ति
प्रेमसागरप्रेम का सागर    लखपति  लाखों का पति
दिनचर्या     दिन की चर्या  गंगातट     गंगा का तट
वनवास  वन में वास  शरणागत    शरण में आया हुआ
डिब्बाबंद      डिब्बे में बंद  धर्मवीर   धर्म में वीर
जलमग्न     जल में मग्न  आपबीती  आप पर बीती
घुड़सवार   घोड़े पर सवार       गृहप्रवेश       गृह में प्रवेश
सिरदर्द  सिर द्गें दर्द अश्वारोही  अश्व पर सवार

 
 

3.    कर्मधारय समास—इस समास का पहला पद विशेषण तथा दूसरा विशेष्य होता है अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय होता है; जैसे—नीलकमल, घनश्याम, चंद्रमुखी, चरणकमल, परमानंद आदि।
         

कुछ अन्य उदाहरण :

विशेषण-विशेष्य

समस्तपद  विग्रह समस्तपद  विग्रह 
अधपका      आधा है जो पका    महाराजा     महान है जो राजा
सुपुत्र  अच्छा है जो पुत्र        महात्मा     महान है जो आत्मा
भलामानस  भला है जो मानुष   नीलकंठ  नीला है जो कंठ
परमानंद     परम है जो आनंद महाविद्यालय  महान है जो विद्यालय
नीलांबर     नीला है जो अंबर    प्रधानाध्यापक    प्रधान है जो अध्यापक
सद्धर्म    सत् है जो धर्म     नीलगाय  नीली है जो गाय
अंधकूप अंध है जो कूप    महादेव    महान है जो देव
उपमान-उपमये;
नर सिंह      नर रूपी सिंह  विद्याधन विद्या रूपी धन
करकमल  कमल के समान कर देहलता  देह रूपी लता
प्राणप्रिय   प्राणों के समान प्रिय   मृगलोचन  मृग के समान लोचन
कमलनयन   कमल के समान नयन कनकलता  कनक के समान लता

    


4.    बहुव्रीहि समास—इस समास मे पूर्व तथा उत्तर दोनों पदों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि अन्य पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करते समय ‘वाला’, ‘वाली’ या ‘जिसका’, ‘जिसके’ शब्दों का प्रयोग होता है; जैसे—नीलकंठ—नीला कंठ है जिसका अर्थात शिव जी; पंकज—पंक में जन्म लेता है जो अर्थात कमल।
         

कुछ अन्य उदाहरण :

 

मस्तपद  विग्रह 
घनश्याम    घन के समान श्याम वर्ण है जिसका अर्थात श्री कृष्ण
मेघनाद     मेघ के समान नाद करता है जो अर्थात रावण का पुत्र
गजानन    गज के समान आनन है जिसका अर्थात गणेश जी
नीलकंठ      नीला कंठ है जिसका अर्थात शिव जी
चक्रधर  चक्र को धारण करता है जो अर्थात श्री कृष्ण
चतुरानन     चार आनन हैड्ड जिसके अर्थात ब्रह्मा जी
त्रिवेणी    तीन वेणियों (नदियों) का संगम स्थल है जो अर्थात प्रयागराज
पंचानन    पाँच आनन हैं जिसके अर्थात शिव
दसानन      दस आनन हैं जिसके अर्थात रावण

 

5.    द्विगु समास—इस समास का पूर्वपद संख्यावाची होता है तथा समस्तपद से किसी समूह विशेष का बोध होता है; जैसे- पंचवटी, एकपदीय द्विघात शताब्दी आदि।
         

कुछ अन्य उदाहरण :

समस्तपद  विग्रह समस्तपद  विग्रह 
एकपदीय  एक पदवाला       नवनिधि      नव निधियों का समाहार
द्विघातीय दो घातों का समूह      दोपहर     दो पहरों का समूह
त्रिफला       तीन फलों का समूह    पंजाब    पाँच आबों (नदियों) का समूह
त्रिकोणतीन कोणों का समाहार   नवर: नवरत्नों  का समूह
त्रिभुज     तीन भुजाओं का समूह सतसई    सात सौ (दोहों) का समाहार
चतुर्भुज  चार भुजाओं का समूह     दोमुँहा       दो मुँहों का समाहार
पंचवटी      पाँच वटों का समाहार      शताब्दी    सौ शब्दों (वर्षों) का समाहार

 

6.    द्वंद्व समास—इस समास में समस्तपद का विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’,  ‘तथा’, ‘या’, 'अथवा' योजकों  का प्रयोग होता है; जैसे—आना-जाना, दुख-सुख, मोह-माया, गुरु-शिष्य, हाथ-पैर।
         कुछ अन्य उदाहरण :

 

समस्तपद  विग्रह समस्तपद  विग्रह 
माता-पिता     माता और पिता  राम-लक्ष्मण   राम और लक्ष्मण
भाई-बहन      भाई और बहन गंगा-यमुना गंगा और यमुना
पाप-पु.य  पाप और पुण्य      मोह-माया  मोह और माया
सुख-दुख      सुख और दुख स्वर्ग-नरक  स्वर्ग और नरक
लव-कुश     लव और कुश      यश-अपयश     यश और अपयश
ऊँच-नीच     ऊँच और नीच     रात-दिनरात और दिन
नर-नारी  नर और नारी    राजा-रंकराजा और रंक
अन्न-जल    अन्न और जल       धन-दौलत    धन और दौलत
देश-विदेश     देश और विदेश    नदी-नाले  नदी और नाले
अपना-पराया     अपना और पराया  वेद-पुराण      वेद और पुराण    

 

विग्रह के आधार पर समास में अंतर :

 (i)    कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर :

 

समस्तपद  विग्रह 
कमलनयन  कमल के समान नयन    (कर्मधारय समास)
 कमल के समान नयन हैं जिसके अर्थात श्री कृष्ण    (बहुव्रीहि समास)
पीतांबर   पीत (पीला) है जो अंबर    (कर्मधारय समास)
पीत अंबर है जिसका अर्थात श्री कृष्ण    (बहुव्रीहि समास)
नीलकंठ नीला है जो कंठ    (कर्मधारय समास)
 नीला कंठ है जिसका अर्थात शिव जी    (बहुव्रीहि समास)



(ii)    द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर :

 

समस्तपद  विग्रह 
दशानन   दस आननद्मयेड्ड का समाहार    (द्विगु समास)
              दस आनन हैं जिसके अर्थात रावण    (बहुव्रीहि समास)
त्रिनेत्र   तीन नेत्रों का समाहार    (द्विगु समास)
            तीन नेत्र हैं जिसके अर्थात शिव जी    (बहुव्रीहि समास)
चतुरानन   चार आननद्मयेड्ड का समाहार    (द्विगु समास)
                चार आनन हैड्ड जिसके अर्थात ब्रह्मा जी    (बहुव्रीहि समास)

 


विकल्पीय प्रश्न

IV.    निम्नलिखित समस्तपदों को उनके नाम के साथ सुमेलित कीजिए:
     १-    भारतरत्न    (क)    कर्मधारय
     २-    पान-पुष्प    (ख)    तत्पुरुष
     ३-    दशानन    (ग)    अव्ययीभाव
     ४-    मुरलीधर    (घ)    द्विगु
     ५-    यश-अपयश    (ङ)    द्विगु
     ६-    यथाशक्ति    (च)    तत्पुरुष
     ७-    पंचानन    (छ)    द्वंद्व
     ८-    पाठशाला    (ज)    बहुव्रीहि
     ९-    नीलकमल    (झ)    द्विगु
     १०-    पंचवटी    (ञ)    द्वंद्व


उत्तर    
    १-    भारतरत्न        (ख)    तत्पुरुष
    २-    पान-पुष्प       (छ)    द्वंद्व
    ३-    दशानन         (ङ)    द्विगु
    ४-    मुरलीधर        (ज)    बहुव्रीहि
    ५-    यश-अपयश   (ञ)    द्वंद्व
    ६-    यथाशक्ति       (ग)    अव्ययीभाव
    ७-    पंचानन           (घ)    द्विगु
    ८-    पाठशाला        (छ)    द्वंद्व
    ९-    नीलकमल       (क)    कर्मधारय
    १०-    पंचवटी         (झ)    द्विगु 

 

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FAQs on समास - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. समास क्या होता है?
उत्तर: समास को व्याकरण में दो या दो से अधिक शब्दों का मेल कहा जाता है जो एक साथ एक नए शब्द की तरह काम करते हैं।
2. समास के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: समास के चार प्रकार होते हैं - द्वंद्व समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास और बहुव्रीहि समास।
3. समास का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: समास का उपयोग हमें एक से अधिक शब्दों को एक साथ इस्तेमाल करने से शब्दों की संख्या को कम करने में मदद करता है और वाक्य को संक्षेपित बनाने में मदद करता है।
4. समास के अलावा कौन से व्याकरण अंग होते हैं?
उत्तर: व्याकरण में वर्ण, वाक्य, पद, क्रिया, संज्ञा, सर्वनाम, काल, लिंग, वचन, विशेषण, क्रिया विशेषण, संधि, समास, उपसर्ग और प्रत्यय जैसे अन्य व्याकरण अंग होते हैं।
5. समास से संबंधित वाक्य को कैसे पहचानें?
उत्तर: समास से संबंधित वाक्यों में दो या दो से अधिक शब्दों का मेल होता है और उनके बीच कोई संबंधवाची शब्द नहीं होता है। इसके अलावा समास के प्रकार के अनुसार उनकी पहचान की जा सकती है।
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