प्रस्तुत कविता में मनुष्य को यह समझाने का प्रयास किया गया है कि यह (वर्तमान) सबसे कठिन समय नहीं है। अभी तो हमारे आस-पास आशान्वित करनेवाले अनेक कारक हैं। अब भी लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है। बस आवश्यकता है तो ईमानदारी से प्रयास करने की। अभी हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है।
कवयित्री जया जादवानी द्वारा रचित इस कविता में मानव को कठिन परिस्थितियों में भी निराश नहीं होने की सलाह दी गई है। कवयित्री कहती है कि यह सबसे कठिन समय नहीं है। यह सिद्ध करने के लिए वह अनेक दृष्टांत प्रस्तुत करती है। वह कहती है कि चिडिय़ा अपनी चोंच में तिनका दबाए उडऩे की तैयारी में है अथवा प्रयासरत है। पेड़ से गिरनेवाली पत्ती को थामने के लिए कोई हाथ तैयार बैठा है। अर्थात किसी गिरते व्यक्ति को सहारा देने के लिए अब भी लोग तैयार हैं। उनके मन में मदद करने की भावना है। रेलवे स्टेशन पर अभी भी भीड़ है।
रेलगाड़ी अपने गंतव्य पर जाने को तैयार है। वहाँ पहुँचते ही कोई किसी के इंतजार में बैठा है कि उसका प्रियजन आ रहा होगा। शाम को सूरज ढलने का वक्त होते ही कोई किसी के इंतजार में व्याकुल हो जाता है। कविता में सदियों से दादी-नानी द्वारा कहानी सुनाने का वर्णन है। अंत में कवयित्री कहती है कि जो बस लोगों को लेकर गई थी, वहाँ कार्य करते हुए कुछ लोग मारे गए, किंतु जो बचे हैं उनकी खबर लेकर बस आने वाली है। ये लोग अंतरिक्ष के पार की नई-नई जानकारियाँ लेकर आएँगे। संसार में जब अभी इतना कुछ हो रहा है, तथा होने को है तो कहा जा सकता है कि यह सबसे कठिन समय नहीं है अर्थात अभी भी कुछ करने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है।
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!
अभी भी दबा है चिड़ियाँ की
चोंच में तिनका
और वह उड़ने की तैयारी में है!
अभी भी झरती हुई पत्ती
थामने को बैठा है हाथ एक
अभी भी भीड़ है स्टेशन पर
अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है
गंतव्य तक
भावार्थ: कवयित्री के अनुसार, भले ही हर तरफ अविश्वास का अंधकार छाया है, लेकिन अभी भी उनके मन में आशा की किरणें चमक रही हैं, वो कहती हैं – ये सबसे बुरा वक्त नहीं है। अभी चिड़िया अपना घोंसला बुनने के लिए तिनके जमा कर रही है। वृक्ष से गिरती पत्ती को थामने के लिए कोई हाथ अभी मौजूद है। अभी भी अपनी मंज़िल तक पहुंचने का इंतज़ार कर रहे यात्रियों को उनकी मंज़िल तक ले जाने वाली गाड़ी आती है।
जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया
अभी कहा जाता है
उस कथा का आखिरी हिस्सा
जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से
दुनिया के तमाम बच्चों को
अभी आती है एक बस
अंतरिक्ष के पार की दुनिया से
लाएगी बचे हुए लोगों की खबर!
नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं।
भावार्थ: कवयित्री ने निराशा से भरे इस संसार में भी आशा का दामन थाम रखा है। तभी वो इन पंक्तियों में कहती हैं कि यह सबसे बुरा समय नहीं है। आज भी कोई घर पर किसी का इंतज़ार करता है और सूरज डूबने से पहले उसे घर बुलाता है। जब तक इस दुनिया में दादी-नानी की सुनाई दिलचस्प कहानियां गूँजती रहेंगी, तब तक ये दुनिया बसी रहेगी और सबसे बुरा वक्त नहीं आएगा।
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