Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes  >  लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - जब सिनेमा ने बोलना सीखा, हिंदी, कक्षा - 8

लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - जब सिनेमा ने बोलना सीखा, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

I. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.‘सिनेमा ने बोलना सीखा’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर सन 1931 से पहले देश में जो फ़िल्मे बनती थीं, उनमें कलाकार अभिनय तो करते थे, पर उनकी आवाज हमें सुनाई नहीं पड़ती थी। 1931 में ऐसी फ़िल्म प्रदर्शित हुई, जिसमें कलाकार की बातें, हँसना, रोना आदि सुनाई देने लगा। यह देखकर ऐसा लगा जैसे सिनेमा ने बोलना सीख लिया है।

प्रश्न 2.‘मूक सिनेमा’ से तुम क्या समझते हो? इसकी लोकप्रियता में कमी क्यों आने लगी?
उत्तर  मूक सिनेमा’ वे फ़िल्मे होती थीं जिनमें कलाकार अभिनय करते थे। उनकी उछल-कूद, स्टंट आदि हम देखते थे किंतु उनकी हँसी एवं संवाद नहीं सुन पाते थे। इसे ही मूक सिनेमा कहते हैं। लोगों की सवाक् सिनेमा में रुचि बढ़ी और इसकी लोकप्रियता में कमी आती गई।

प्रश्न 3. 14 मार्च, 1931 का भारतीय सिनेमा के इतिहास में क्या महत्व है?    
उत्तर 14 मार्च, 1931 के दिन ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली सवाक् फ़िल्म का प्रदर्शन हुआ। भारतीय सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत हुई। इस प्रकार यह ऐतिहासिक दिन था।

प्रश्न 4. सवाक् सिनेमा से तुम क्या समझते हो? भारत में इसकी शुरुआत कब हुई? 
उत्तर  सवाक् सिनेमा से अभिप्राय ऐसे सिनेमा से हैं जिसमे दर्शकों को कलाकारों की आवाज भी सुनाई पड़ती है। भारत में इसकी शुरुआत 14 मार्च, 1931 को पहली सवाक् फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ हुई।

प्रश्न 5. सन 1931 के आस-पास मूक सिनेमा की क्या स्थिति थी?
उत्तर सन 1931 के आस-पास मूक सिनेमा सफलता के शिखर को छू रहा था। उन दिनों मूक फ़िल्मे बन रही थीं और दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही थीं। 1931 के बाद इनकी लोकप्रियता में धीरे-धीरे कमी आने लगी।

प्रश्न  6. पहली सवाक् फ़िल्म कौन-सी थी? इस फ़िल्म के निर्माता कौन थे?
उत्तर  पहली सवाक् फ़िल्म 'आलम आरा' थी। इस फ़िल्म के निर्माता अर्देशिर एम. ईरानी थे, जिन्होंने चार माह से अधिक समय में कड़ी मेहनत से फ़िल्म तैयार की।

प्रश्न 7.पहली सवाक् फ़िल्म बनाने के लिए निर्माता को इसकी प्रेरणा कब और कहाँ से मिली?
उत्तर  पहली सवाक् फ़िल्म 'आलम आरा' बनाने के लिए निर्माता अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा 1929 में मिली। उस समय उन्होंने हॉलीवुड की बोलती फ़िल्म ‘शो-बोट’ देखी और ऐसी ही फ़िल्म बनाने की प्रेरणा उनमें जाग उठी।

प्रश्न 8. पहली सवाक् फ़िल्म बनाते समय कोई संवाद-लेखक और गीतकार क्यों नहीं था?
उत्तर  पहली सवाक् फ़िल्म बनाते समय कोई संवाद-लेखक, गीतकार या संगीतकार इसलिए नहीं था  क्योंकि इससे पहले मूक फ़िल्मे बनती थीं और मूक फ़िल्मो में इनकी आवश्यकता नहीं होती थी।

प्रश्न 9. कृत्रिम प्रकाश प्रणाली की शुप्तआत कब से हुई? यह किस तरह उपयोगी सिद्ध हुई।  
उत्तर  पहली सवाक् फ़िल्म 'आलम आरा' की शूटिंग रात में की गई। इसके लिए कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था की गई। यही प्रकाश प्रणाली आगे के फ़िल्म-निर्माण के लिए बहुत जरूरी बन गयी।

प्रश्न 10. 'आलम आरा' फ़िल्म के नायक-नायिका कौन थे? इस फ़िल्म के नायक की कमी और खूबी का उल्लेख कीजिए।
उत्तर पहली सवाक् फ़िल्म 'आलम आरा' के नायक विट्ठल थे और नायिका थीं जुबैदा। विट्ठल की विशेषता यह थी कि वे उस समय के सर्वाधिक पारिश्रमिक पानेवाले कलाकार थे किंतु उनको उर्दू बोलने में परेशानी होती थी, जो उनकी कमी थी।

प्रश्न 11.मुकदमे में जीत से विट्ठल को क्या .फायदा हुआ?
उत्तर मुकदमे में जीत से विट्ठल को यह .फायदा हुआ कि वे पुन: उस फ़िल्म के नायक बना दिए गए। वे  आनेवाली फ़िल्मो में नायक और स्टंटमैन के रूप में कार्य करते रहे। 

प्रश्न 12.पहली सवाक् फ़िल्म में विट्ठल के अलावा किन-किन प्रसिद्ध कलाकारों ने काम किया?
उत्तर
 पहली सवाक् फ़िल्म 'आलम आरा' में विट्ठल ने नायक के रूप में काम किया। उनके अलावा सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर, याकूब और जगदीश सेठी जैसे प्रसिद्ध कलाकारों ने काम किया।

प्रश्न 13.प्रारंभ में सवाक्फ़िल्मों में किन-किन विषयों को आधार बनाया गया?  
उत्तर 
 प्रारंभ में सवाक् फ़िल्मो में पौराणिक कथाओं, पारसी रंगमंच के नाटकों, अरबी पे्रम-कथाओं तथा सामाजिक विषयों को आधार बनाया गया। इसी को आधार बनाकर फ़िल्मो की पटकथा तैयार की जाती थी।

प्रश्न 14. सन 1956 में अर्देशिर को कब और किस प्रकार सम्मानित किया गया?
उत्तर  सन 1956 में सवाक् फिल्मों के जनक अर्देशिर एम. ईरानी को प्रथम सवाक फ़िल्म ‘'आलम आरा'’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरा होने पर सम्मानित किया गया। सम्मानताओं ने उन्हें ‘भारतीय सवाक सिनेमा का पिता’ कहकर उनका सम्मान बढ़ाया।

प्रश्न 15. अर्देशिर स्वभाव से अत्यंत विनम्र थेे, सप्रमाण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर प्रथम सवाक फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक अत्यंत विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। ‘'आलम आरा'’फ़िल्म के प्रदर्शन के पच्चीस वर्षों बाद जब उन्हें ‘भारतीय सवाक फ़िल्मों का पिता’ कहा गया तो उन्होंने यह श्रेय लेने से मना कर दिया जो उनकी विनम्रता का प्रमाण है।

प्रश्न 16.भारतीय सिनेमा का जनक किसे कहा गया है? उन्होंने किसकी उपलब्धि को अपनाया?
उत्तर  दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक कहा गया है। उन्होंने भारतीय सवाक सिनेमा के जनक अर्देशिर एम.ईरानी की उपलब्धि को अपनाया, क्योंकि सिनेमा का नया युग शुरू हो गया था।

II. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.पहली सवाक् फ़िल्म में कोई गीतकार या संगीतकार नहीं था, फिर इसमें संगीत की व्यवस्था कैसे की गई? 
उत्तर यह सत्य है कि मूक सिनेमा में कोई गीत-संगीत नहीं होता था पर सवाक् फ़िल्मो का यह आवश्यक भाग होता है 'आलम आरा' से ही गीत संगीत की  शुरुआत होनी थी। इस फ़िल्म के लिए फ़िल्मकार ने गानों की धुनें स्वयं चुनीं। संगीत के लिए मात्र तीन वाद्य तबला, हारमोनियम तथा वायलिन-का प्रयोग किया गया। इसमें गीतकार या संगीतकार का स्वतंत्र नाम नहीं था। इसी फ़िल्म में पाश्र्वगायक डब्लू.एम.खान का गाया पहला गाना भी था।

प्रश्न  2. ''आलम आरा'' फ़िल्म को दर्शकों ने बहुत पसंद किया—स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर - ''आलम आरा'' फ़िल्म जब 14 मार्च, 1931 को बंबई (वर्तमान मुंबई) के ‘मैजेस्टिक’ सिनेमा में प्रदर्शित हुई तो यह इतनी लोकप्रिय साबित हुई कि लगातार 8 सप्ताह तक हाउसफुल चली। इसे देखने के लिए इतनी भीड़ उमड़ती थी कि पुलिस को नियंत्रित करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी। मूक सिनेमा देखने के आदी दर्शकों के लिए यह बिलकुल ही नया अनुभव था। इस फ़िल्म की सफलता ने मूक सिनेमा के युग का अंत कर दिया।

प्रश्न 3. सिनेमा के सवाक् होने पर उसमें क्या-क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर
  सिनेमा के सवाक् होने पर उसमें सबसे पहला बदलाव यह हुआ कि अब पढ़े-लिखे अभिनेताओं-अभिनेत्रियों की जरूरत महसूस की गई। अब उन्हें अभिनय के साथ संवाद भी बोलना था। इसी समय गायन प्रतिभा की कद्र बढ़ी तथा गायक अभिनेताओं का आगमन हुआ। इसके अलावा हिंदी-उर्दू भाषा परिष्कृत होकर सामने आई। इसके अलावा कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था, गीत-संगीत आदि भी बेहतर-रूप में दर्शकों को मिलने लगा।

प्रश्न 4. उस दौर में समाज पर अभिनेता-अभिनेत्रियों की लोकप्रियता का असर पड़ता था और आज भी पड़ रहा है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ पाठ के आधार पर हम कह सकते हैं कि उस दौर में समाज पर फ़िल्म कलाकारों की लोकप्रियता का असर पड़ता था और आज भी पड़ रहा है। ‘माधुरी’ नामक फ़िल्म की नायिका सुलोचना की हेयर स्टाइल की नकल उस समय की औरतें करती थीं। वर्तमान में भी लोकप्रिय; अभिनेता-अभिनेत्रियों के  रहन-सहन, पहनावा, खान-पान बातचीत करने का ढंग, उनके दवारा बोले गए संवाद आदि का असर लोगों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

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FAQs on लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न - जब सिनेमा ने बोलना सीखा, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. सिनेमा ने बोलना सीखा क्या है?
उत्तर: सिनेमा ने बोलना सीखना एक विज्ञान है जिसका उपयोग फिल्मों, टेलीविजन शोज और वीडियो क्लिप्स में किया जाता है। इसका उद्देश्य दर्शकों को मनोरंजन करने और संदेश पहुंचाने के लिए भाषा का उपयोग करना होता है।
2. सिनेमा के जन्म का इतिहास क्या है?
उत्तर: सिनेमा का जन्म 19वीं सदी के आखिरी दशक में हुआ। पहली फिल्म जो बिना आवाज के थी, वह फ्रांसीसी फिल्म "उल्लू" थी जो 1895 में रिलीज़ हुई। बाद में फिल्मों में ध्वनि का उपयोग करना शुरू हुआ और बालीवुड की पहली टॉकी फिल्म "आलाम आरा" 1931 में बनी।
3. सिनेमा के बोलने की विधियाँ क्या हैं?
उत्तर: सिनेमा में बोलने की विधियाँ विभिन्न तरीकों में किया जा सकता है। एक तरीका तो एक्टर द्वारा भाषा के साथ अभिनय करना होता है, जबकि दूसरा तरीका वाणिज्यिक अभिनय के माध्यम से होता है जहां कि अभिनेत्री या अभिनेता के द्वारा बोला जाता है और उनकी आवाज को फिल्म के बाद में जोड़ा जाता है।
4. सिनेमा ने किस तरह से हिन्दी भाषा को प्रभावित किया है?
उत्तर: सिनेमा ने हिन्दी भाषा को बढ़ावा दिया है और इसे प्रभावित किया है विभिन्न तरीकों से। बालीवुड फिल्मों में हिंदी का उपयोग होता है और इसे देश और विदेश में प्रदर्शित किया जाता है। सिनेमा ने भाषा को मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेशों के पहुंचाने में भी मदद की है।
5. सिनेमा के बोलने से संबंधित कौन-कौन सी फिल्में प्रस्तुत की गई हैं?
उत्तर: कई फिल्में हैं जो सिनेमा के बोलने के विषय पर आधारित हैं। यहां कुछ उदाहरण हैं: - "टॉकी टॉकी ग्रेट बेक्कन" (2010): इस फिल्म में बिना आवाज के रहने वाले एक गांव के लोगों की कहानी दिखाई गई है। - "ब्लैक" (2005): यह फिल्म एक बच्चे के बारे में है जिसकी सुनने और बोलने की क्षमता नहीं होती है। - "टॉकिंग टोम कैट" (2011): इस फिल्म में एक वर्चुअल पालतू बिल्ली की जिंदगी और उसकी बातचीत की कहानी है।
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