कहानी से
प्रश्न 1. कहानी में मोटे-मोटे किस काम के हैं? किनके बारे में और क्यों कहा गया?
उत्तर - कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं?’उन बच्चों के लिए कहा गया है जो कुछ भी काम नहीं करते थे आलसी तथा कामचोर हो गए थे।
ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे काम को हाथ लगाना तो दूर उठकर पानी भी नहीं पीते थे। उनका हर काम नौकरों के भरोसे था। वे स्वयं कोई काम नहीं करना चाहते थे। बस खा-खाकर मोटे हो रहे थे।
प्रश्न 2. बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?
उत्तर - बच्चे यूँ तो कोई काम करना ही नहीं चाहते थे, पर तनख्वाह के लालच में उन्होंने काम करने की जगह इतना सामान और काम फैला दिया कि ऐसा लगने लगा जैसे तूफान आया हो। उनके ऊधम मचाने से घर की निम्नलिखित दशा हुई:
(क) घर में धूल और कीचड़ चारों ओर फैल गया।
(ख) झाड़ू टूट चुकी थी, केवल उसकी सींकें बची थीं।
(ग) घर के बर्तन- भगोने, बाल्टी, तसले, लोटे, कटोरे आदि- इधर-उधर फैले थे।
(घ) घर में भेड़ें और मुर्गियाँ इधर-उधर घूम रही थीं।
(ङ) दाल, चादर, दुपट्टे, दूध, झाड़ू , सब्जियां आदि का नुकसान हुआ था।
प्रश्न 3. ‘‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’’ अम्मा ने कब कहा? और इसका परिणाम क्या हुआï?
उत्तर - ‘या तो मुझे रख लो या बच्चा राज कायम कर लो’’ यह बात अम्मा ने उस समय कही थी जब बच्चों ने तनख्वाह की लालच में कामकरना शुरू किया। हालाँकि उन सब ने काम के नाम पर इतनी अव्यवस्था फैला दी कि ऐसा लगने लगा जैसे घर में तूफान आया हो।
इसका परिणाम यह हुआ कि—
(क) अम्मा ने कह दिया कि या तो बच्चे काम कर लें या उन्हें काम करने दिया जाए।
(ख) वे अपने मायके आगरा जाने की धमकी देने लगी।
(ग) अब्बा ने उन बच्चों को पुन: किसी काम को हाथ न लगाने की चेतावनी दे दी।
प्रश्न 4.‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?
उत्तर - ‘कामचोर’ कहानी हमें यह संदेश देती है कि बच्चों को पूरी तरह नौकरों के भरोसे न छोड़ें। बच्चों को बचपन से ही छोटे-छोटे काम करने हेतु प्रेरित करना चाहिए। उन्हें काम तथा श्रम की महत्ता बताना चाहिए। काम में उनकी रुचि पैदा की जानी चाहिए ताकि बच्चे कामचोर, आलसी एवं माँ-बाप के लिए बोझ न बनें।
प्रश्न 5.क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।
उत्तर - कहानी के अंत में बच्चों ने काम न करने का जो निर्णय लिया उसे किसी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसा करने से वे कोई काम नहीं सीख पाएँगे। उनमें आलस्य, कामचोरी, तथा निकम्मेपन की प्रवित्ति बढ़ती जाएगी। ऐसे में वे एक दिन वे माँ-बाप, परिवार, समाज और देश पर बोझ बन जाएँगे। उन्हें कोई देखना भी नहीं चाहेगा।
कहानी से आगे
प्रश्न 1.घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर - घर के सामान्य काम-काज हो या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार करना चाहिए क्योंकि-
(क) इस प्रकार किया गया काम सही और सुचारु ढंग से पूरा होता है।
(ख) घर के सदस्यों के बीच किसी प्रकार का मनमुटाव नहीं रह जाता कि ‘वह’ व्यक्ति काम नहीं कर रहा है तो मैं ही क्यों करूँ
(ग) घर के व्यक्तियों को काम करता देखकर छोटे बच्चों में भी काम करने की आदत स्वयमेव विकसित हो जाती है। वे कामचोरी या आलस्य की प्रवित्ति से बच जाते हैं।
(घ) व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है तथा घर का वातावरण भी सुखद बन जाता है।
प्रश्न 2. भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? 'कामचोर' कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।
उत्तर -
भरा-पूरा परिवार निम्नलिखित स्थितियों में सुखद बन सकता है:
घर का प्रत्येक सदस्य बिना बोझ समझे मन लगाकर काम करे। काम को पूरी तरह निष्ठा तथा ईमानदारी से करे। यदि किसी सदस्य का काम अन्य सदस्यों से अधिक है तो उसकी तुलना कम काम करनेवाले व्यक्ति से बिल्कुल भी न करें। इसके अलावा कामचोर कहानी के आधार पर यह भी कह सकते हैं कि बच्चों में शुरू से ही काम करने की आदत पैदा करने चाहिए अन्यथा उन पर अचानक जिम्मेदारी डालने से वे काम को सही तरीके से नहीं करेंगे। उनको शुरू से ही अपने साथ काम पर लगाकर घर को सुखद बनाया जा सकता है।
भरा-पूरा परिवार दुखद तब बन सकता है जब:
घर के सदस्य कार्य करने में आना-कानी करें। वे काम से जी चुराएँ। प्रलोभन आदि के बल पर काम कराना भी चाहें तो वे काम को गलत ढंग से करने का प्रयास करते हुए काम को और खराब कर दें। अपना काम न करते हुए हर काम के लिए नौकरों पर निर्भर रहने से घर दुखद बन जाता है।
प्रश्न 3. बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? 'कामचोर' कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर ‘- कामचोर’ कहानी के आधार पर पता चलता है कि बड़े होते बच्चे यदि स्वेच्छा से बड़ो के कार्यों में हाथ बटाएँ तो अपने माता-पिता के सहयोगी बन सकते हैं।शर्त यही है की वे अपने काम के प्रति उत्तरदायी हों तथा उसे पूरी जिम्मेदारी और निष्ठा से करें।
बड़े होते बच्चे माता-पिता पर भार भी हो सकते हैं यदि वे प्रत्येक काम के लिए माँ-बाप पर निर्भर रहें। ‘कामचोर’ कहानी में बच्चे हिलकर अपने-आप पानी भी नहीं पीते थे। वे प्रत्येक काम के लिए नौकरों पर निर्भर थे। वे आलसी तथा निकम्मे बन गए थे। वे खा-खाकर मोटे हो गए थे और परिवार के लिए भार बन गए थे। यदि उन्हीं बच्चों के मन में काम के प्रति जिम्मेदारी का बोध् कराकर काम करने हेतु प्रेरित किया जाता तो बेहतर परिणाम प्राप्त होते।
प्रश्न 4. ‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?
उत्तर- ‘कामचोर’ कहानी संयुक्त परिवार की कहानी है। बच्चों ने जब तनख्वाह कह्य लालच में काम को हाथ लगाया तो उनके दवारा अव्यवस्थित तरीके से किए गए कार्यों से माता-पिता के अलावा द्दज्जन माँ, बानो दीदी, मौसी, बड़ी दीदी, मुगलानी बुआ तथा चाचा जी भी किसी-न-किसी रूप में प्रभावित हुए। इससे पता लगता है कि ये लोग भी परिवार में साथ-साथ ही रहते थे जो संयुक्त परिवार की पहचान है।
एकल परिवार और संयुक्त परिवारों में निम्नलिखित अंतर होते हैं :
(क) एकल परिवार में बच्चों के साथ उनके माता-पिता ही रहते हैं जबकि संयुक्त परिवार में माता-पिता के अलावा चाचा-चाची, दादा-दादी, बुआ, मौसी तथा उनके बच्चे भी रहते हैं।
(ख) आजकल की व्यस्त दिनचर्या में बच्चों को एकल परिवार में माता-पिता का प्यार कम मिल पाता है जबकि संयुक्त परिवार में घर के अन्य सदस्य यह कमी पूरी कर देते हैं।
(ग) एकल परिवार में माता-पिता के काम पर चले जाने पर बच्चे अकेले रह जाते हैं तथा रुश;ड्ड को असुरक्षित महसूस करते हैं जबकि संयुक्त परिवार में वे अकेले नहीं रहते।
(घ) एकल परिवार के बच्चों में समाजीकरण नहीं हो पाता जबकि संयुक्त परिवार में बच्चे अन्य सदस्यों के बीच इसे आसानी से सीख जाते हैं तथा वे दादी-नानी दवारा सुनाई कहानियों की सीख ग्रहण करके
बेहतर नागरिक बनते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है? विचार कीजिए।
उत्तर - घरेलू नौकरों को हटाने की बात निम्नलिखित परिस्थितियों में उठ सकती है:
(क) जब नौकर काम को निष्ठापूर्वक न करे तथा कामचोरी करे।
(ख) जब नौकरों की संख्या आवश्यकता से अधिक हो।
(ग) जब घर की आय में अचानक कमी आ जाए तथा यह कमी दीर्घकाल तक बनी रहने की संभावना हो।
(घ) जब घर के सभी सदस्य अपने कार्यों को जिम्मेदारी से करने लगें तथा बड़ों के काम में भी हाथ बँटाने लगें।
(ङ) जब नौकर बार-बार छुट्टी पर जाने लगे तथा वेतन बढ़ाने की माँग करने लगे।
प्रश्न 2. कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?
उत्तर - मेरे अनुमान से समृद्ध परिवार के बच्चों की आदत इसलिए बिगड़ी होगी क्योंकि—
(क) समयाभाव के कारण माता-पिता उनका काम स्वयं न कर पाते होंगे तथा बच्चे नौकरों के भरोसे छोड़ दिए जाते होंगे।
(ख) बच्चों को श्रम का महत्व न बताया गया होगा, इससे वे शारीरिक छ्वम को कमतर समझते रहे।
(ग) वे सोचते होंगे कि समृद्ध परिवार में काम करना उनकी शान के खिलाफ होगा।
(घ) माता-पिता दवारा बचपन से ही उनमें काम करने की आदत न डाली गई होगी।
उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए मै निम्नलिखित सुझाव दूँगा:
(क) उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए प्रेरित किया जाए तथा उनके साथ स्वयं भी काम किया जाए, ताकि वे बड़ों को काम करते हुए देखकर प्रेरित हों।
(ख) उन्हें 'शारारिक श्रम की महत्ता तथा स्वास्थ्य, परिवार तथा समाज के लिए यह कितना उपयोगी है, इसे समझाऊँगा।
(ग) उन्हें प्रेरक प्रसंग—महापुरुषों की जीवनियाँ तथा पंचतंत्र* आदि की कहानियों के माध्यम से कार्य की महत्ता समझाऊँगा।
भाषा की बात
‘धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।’’ धुली* शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर 'बेधुली' बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’। ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं-
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बनने वाले शब्द खोजिए:
उत्तर - उपसर्ग उपसर्गयुक्त शब्द
प्र - प्रवचन, प्रवीण, प्रयोग, प्रदीप, प्रभाव, प्रचार, प्रचलन, प्रस्थान।
आ - आगत, आमरण, आजन्म, आजीवन, आदान, आयात।
भर - भरपूर, भरपेट, भरसक, भरपाई।
बद - बदनाम, बदसूरत, बदकिस्मत, बदतमीज, बदतर, बदरंग, बदचलन।
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1. कामचोर कौन होता है? |
2. कामचोरी क्यों होती है? |
3. कामचोरी से निपटने के लिए क्या करना चाहिए? |
4. कामचोरी किसे कहते हैं? |
5. कामचोरी के प्रभाव क्या हो सकते हैं? |
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