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शब्द - विचार - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

शब्द - शब्द भाषा की स्वतंत्र तथा सार्थक इकाई है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं द्घस्र वर्णों अथवा अक्षरों का ऐसा मेल जिसका कुछ अर्थ निकलता हो, शब्द कहलाता है; जैसे - व् + इ + द् + य् + आ + ल् + अ + य् + अ = विद्यालय।
इसका एक निश्चित अर्थ है, इसलिए यह शब्द है।
पद — शब्द जब व्याकरण के नियमानुसार वाक्य में प्रयुक्त होता है, तब इसे पद कहा जाता है; जैसे—‘राम विद्यालय जाता है’ वाक्य में ‘राम’, ‘विद्यालय’, ‘जाता’ तथा ‘है’ पद हैं।
 

शब्द-भेद
    (1)    अर्थ के आधार पर 'शब्द-भेद — अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं — 1- सार्थक शब्द,  2- निरर्थक शब्द्र
    1.    सार्थक शब्द—जिन शब्दों का कोई अर्थ निकलता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। जैसे — कमल, पाठशाला, पुस्तक, प्रधानमंत्री आदि।
     

सार्थक शब्दों के भेद — सार्थक शब्दों के मुख्य रूप से पाँच भेद हैं:
        (i) एकार्थी शब्द (ii) अनेकार्थी शब्द (iii) विपरीतार्थी शब्द (i1) समानार्थी शब्द (1) समरूपी भिन्नार्थक शब्द 
    2.    निरर्थक शब्द — जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं निकलता, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं_ जैसे—‘रोटी-ओटी’,
‘चाय-वाय’, ‘पानी-वानी’ शब्दों में ‘ओटी’, ‘वाय’, ‘वानी’ निरर्थक शब्द हैं।
        व्याकरण में सार्थक शब्दों को ही महक्रव दिया जाता है।
  

 (ब)    बनावट के आधार पर शब्द-भेद — बनावट के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं — १- रूढ़ शब्द २- यौगिक शब्द ३- योगरूढ़ शब्द्र
    1.    रूढ़ शब्द — जिन शब्दों का एक निश्चित अर्थ हो तथा उनके खंडों का कोई अर्थ न निकले, वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे—पुस्तक, मेज़, कुर्सी, दीवार, दाल, बिल्ली आदि।
    2.    यौगिक शब्द — जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दाशों से मिलकर बने होते हैं तथा उनका कोई-न-कोई अर्थ निकलता है, उन्हें यौगिक शब्द कहा जाता है; जैसे—
        पाठ + शाला = पाठशाला    बैल + गाड़ी = बैलगाड़ी
        गुप्त + कुल = गुप्तकुल    रसोई + घर = रसोईघर
    

3.    योगरूढ़ शब्द — जो शब्द अपना शाब्दिक या निश्चित अर्थ छोड़कर विशेष अर्थ प्रकट करते हैं, वे योगरूढ़ शब्द  कहलाते हैं; जैसे—
        ‘मुरलीधर’ ‘मुरली’ और ‘धर’ दो शब्दों के योग से बना है। इसका अर्थ होता है — मुरली को धारण करनेवाला। अब कोई व्यक्ति यदि मुरली धारण कर ले तो उसे 'मुरलीधर* नहीं कह सकते। ‘मुरलीधर’ शब्द एक विशेष अर्थ ‘श्री कृष्ण’ का बोध कराता है।
        इस तरह ‘मुरलीधर’ का अर्थ है—श्री कृष्ण।
        इसी प्रकार ‘पंकज’ — ‘पंक’ और ‘ज’ से मिलकर बना है। इसका अर्थ हुआ कीचड़ में पैदा होनेवाला। कीचड़ में सीप, मछली, मेढक, छोटी-छोटी घास-फूस, कमल आदि पैदा होते हैं, पर ‘पंकज’ कमल के विशेष अर्थ में ही प्रयुक्त होता है।
    

(स)    स्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद—स्रोत  या  उत्पत्ति के आधार पर 'शब्दों के पाँच भेद होते हैं—
    1.    तत्सम शब्द  2. तद्दव शब्द  3. देशज शब्द  4. विदेशी शब्द  5. संकर शब्द।
    1.    तत्सम शब्द—जो शब्द संस्कृत भाषा के होते हुए भी  हिंदी में अपने उसी रूप में प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं; जैसे—सौंदर्य, सूर्य, चंद्र, अद्भुत, विद्युत आदि।
    2.    तद्दव शब्द—जो शब्द संस्कृत भाषा के रूप से अलग रूप में या संस्कृत रूप में कुछ बदलाव के साथ प्रयोग किए जाते हैं उन्हें तद्दव शब्द कहते हैं; जैसे — आम, आग, कान, हाथ, घी, चाँद, सूरज आदि।
    3.    देशज या देशी शब्द—इन शब्दों का कोई स्रोत नहीं है। ये शब्द ग्रामीण क्षेत्रों तथा ग्रामीण बोली से विकसित हुए हैं; जैसे—थप्पड़, ठोकर, पगड़ी, सिलवट, भोंपू, झंझट आदि।
    4.    विदेशी या आगत शब्द—जो शब्द अन्य भाषाओं से लिए गए हैं, उन्हें विदेशी या आगत शब्द कहते हैं; जैसे—-फकीर, जिला, कानून, द-फ्तर, जहा$ज, चपरासी, बेगम, पिस्ता, टेलीफोन, रेलवे स्टेशन] डायरी, सिगरेट, वायलिन, डिग्री, रिक्शा, चाय, लीची आदि।
    5.    संकर शब्द—दो अलग-अलग भाषाओं के मेल से बने शब्द संकर शब्द कहलाते हैं जैसे—जेलखाना, सीलबंद, रेलगाड़ी, टिकटघर, लाठीचार्ज, कपड़ामिल, फ़िजूलखर्च आदि।

कुछ अन्य तत्सम-तद्दव शब्दों के उदाहरण
  

 तत्सम  

  तद्दव  

 तत्सम  

  तद्दव  

 तत्सम 

तद्दव

 अंधकार  

 अँधेरा  

 कपोत  

 कबूतर  

 अद्य  

 आज

 कर्म  

 काम  

 अंध  

 अंधा  

 गर्दभ  

 गधा

 उपरि  

 ऊपर  

 छत्र  

 छाता  

 उलूक  

 उल्लू

 अश्रु  

 आँसू  

 उष्ट्र  

 ऊँट  

 अक्षि  

 आँख

 कज्जल  

 काजल  

 ओष्ठ  

 ओंठ  

 कृपा  

 किरपा

 कपाट  

 किवाड़  

 कार्य  

 काज  

 कूप  

 कुआँ

 कोष्ठ  

 कोठा  

 चर्म  

 चमड़ा/चाम  

 ग्राम  

 गाँव

 छिद्र  

 छेद  

 ज्येष्ठ  

 जेठ  

 नृत्य  

 नाच

 आश्रय  

 आसरा  

 पक्षी  

 पंछी  

 उच्च  

 ऊँचा

 भिक्षा  

 भीख  

 काष्ठ  

 काठ  

 सत्य  

 सच

 कोकिल  

 कोयल  

 सौभाग्य  

 सुहाग  

 घृत  

 घी

 शुर  

 ससुर  

 जिह्वा  

 जीभ  

 त्वरित  

 तुरंत

 आम्र  

 आम  

 मृत्तिका  

 मिट्टी  

 अग्र  

 आगे

 दुग्ध  

 दूध  

 अग्नि  

 आग  

 भ्रमर  

 भौंरा

 आश्चर्य  

 अचरज  

 मृत्यु  

 मौत  

 उज्ज्वल  

 उजला

 शैय्या  

 सेज  

 काक  

 कौआ  

 स्वप्न  

 सपना

 सायं  

 शाम  

 दधि  

 दही  

 नासिका  

 नाक

 निद्रा  

 नींद  

 प्रहर  

 पहर  

 मयूर  

 मोर

 दुर्बल  

 दुबला  

 यमुना  

 जमुना  

 पत्र  

 पत्ता

 वाष्प  

 भाप  

 मित्र  

 मीत  

 सर्प  

 साँप

 रात्रि  

 रात  

 सूर्य  

 सूरज  

 मनुष्य  

 मानुष

 हस्त  

 हाथ  

 हस्ती  

 हाथी  

 पुत्र  

 पूत

 घोटक  

 घोड़ा  

 मौक्तिक  

 मोती  

 भक्त  

 भगत

 शुष्क  

 सूखा  

 वर्षा  

 बरखा  

 क्षण  

 छन


 ()    प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद—प्रयोग के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं—विकारी शब्द शब्द और अविकारी शब्द।
    1.    विकारी शब्द—जिन शब्दों पर ख्नलग, वचन, कारक, काल आदि का प्रभाव पड़ता है तथा इनके कारण उनमें परिवर्तन हो जाता है अर्थात विकार पैदा हो जाता है, उसे विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।
    2.    अविकारी शब्द—जिन शब्दों पर लगए, वचन, कारक, काल आदि का प्रभाव नहीं पड़ता तथा इनके कारण उनके रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। इन शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है। क्रिया - विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक अविकारी शब्द हैं।

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FAQs on शब्द - विचार - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. शब्द - विचार - व्याकरण क्या है?
उत्तर: शब्द - विचार - व्याकरण एक भाषा अध्ययन है जो शब्दों, वाक्यों और विचारों के संरचना और उनके संबंधों का अध्ययन करता है। इसमें भाषा के नियम और उनका उपयोग शामिल होता है जो भाषा के संरचना को समझने में मदद करता है।
2. हिंदी व्याकरण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हिंदी व्याकरण एक भाषा के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें भाषा के संरचना को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह हमें सही व्याकरण का उपयोग करके स्पष्ट और सही संदेशों का प्रदर्शन करने में मदद करता है।
3. हिंदी भाषा में वर्णमाला कितनी होती है?
उत्तर: हिंदी भाषा में ५२ वर्ण होते हैं जिनमें ११ स्वर और ४१ व्यंजन होते हैं।
4. हिंदी व्याकरण में संज्ञा क्या होती है?
उत्तर: संज्ञा हिंदी व्याकरण में एक शब्द होता है जो व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव को बताता है। इसके अलावा, संज्ञा का उपयोग भाषा में संबोधन, स्त्री और पुरुष और संख्याओं को बताने के लिए भी किया जाता है।
5. वाक्य में कौन से घटक होते हैं?
उत्तर: वाक्य में तीन घटक होते हैं - विषय, कर्ता और क्रिया। विषय वाक्य में उस शब्द को बताता है जिस पर वाक्य का पूरा ध्यान होता है, कर्ता वह शब्द होता है जो क्रिया करता है और क्रिया वाक्य में उस कार्य को बताता है जो किया जाता है।
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