Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10  >  पठन सामग्री और सार: उत्साह और अट नहीं रही

पठन सामग्री और सार: उत्साह और अट नहीं रही | Hindi Class 10 PDF Download

भावार्थ :

उत्साह

प्रस्तुत कविता एक आह्वाहन गीत है। इसमें कवि बादल से घनघोर गर्जन के साथ बरसने की अपील कर रहे हैं। बादल बच्चों के काले घुंघराले बालों जैसे हैं। कवि बादल से बरसकर सबकी प्यास बुझाने और गरज कर सुखी बनाने का आग्रह कर रहे हैं। कवि बादल में नवजीवन प्रदान करने वाला बारिश तथा सबकुछ तहस-नहस कर देने वाला वज्रपात दोनों देखते हैं इसलिए वे बादल से अनुरोध करते हैं कि वह अपने कठोर वज्रशक्ति को अपने भीतर छुपाकर सब में नई स्फूर्ति और नया जीवन डालने के लिए मूसलाधार बारिश करे।
आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादल को देखकर कवि को लगता है की वे बेचैन से हैं तभी उन्हें याद आता है कि समस्त धरती भीषण गर्मी से परेशान है इसलिए आकाश की अनजान दिशा से आकर काले-काले बादल पूरी तपती हुई धरती को शीतलता प्रदान करने के लिए बेचैन हो रहे हैं। कवि आग्रह करते हैं की बादल खूब गरजे और बरसे और सारे धरती को तृप्त करे।

अट नहीं रही

प्रस्तुत कविता में कवि ने फागुन का मानवीकरण चित्र प्रस्तुत किया है। फागुन यानी फ़रवरी-मार्च के महीने में वसंत ऋतू का आगमन होता है। इस ऋतू में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आते हैं। रंग-बिरंगे फूलों की बहार छा जाती है और उनकी सुगंध से सारा वातावरण महक उठता है। कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो फागुन के सांस लेने पर सब जगह सुगंध फैल गयी हो। वे चाहकर भी अपनी आँखे इस प्राकृतिक सुंदरता से हटा नही सकते।
इस मौसम में बाग़-बगीचों, वन-उपवनों के सभी पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लद गए हैं, कहीं यहीं लाल रंग के हैं तो कहीं हरे और डालियाँ अनगिनत फूलों से लद गए हैं जिससे कवि को ऐसा लग रहा है जैसे प्रकृति देवी ने अपने गले रंग बिरंगे और सुगन्धित फूलों की माला पहन रखी हो। इस सर्वव्यापी सुंदरता का कवि को कहीं ओऱ-छोर नजर नही आ रहा है इसलिए कवि कहते हैं की फागुन की सुंदरता अट नही रही है।

कवि परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

इनका जन्म बंगाल के महिषादल में सन 1899 में हुआ था। ये मूलतः गढ़ाकोला, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश के निवासी थे। इनकी औपचारिक शिक्षा नवीं तक महिषादल में ही हुई। इन्होने स्वंय अध्ययन कर संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किया। रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की विचारधारा ने इनपर गहरा प्रभाव डाला। सन 1961 में इनकी मृत्यु हुई।

प्रमुख कार्य

काव्य-रचनाएं – अनामिका, परिमल, गीतिका, कुकुरमुत्ता और नए पत्ते।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. धराधर – बादल
  2. उन्मन – अनमनापन
  3. निदाघ – गर्मी
  4. सकल – सब
  5. आभा – चमक
  6. वज्र – कठोर
  7. अनंत – जिसका अंत ना हो
  8. शीतल – ठंडा
  9. छबि – सौंदर्य
  10. उर – हृदय
  11. विकल – बैचैन
  12. अट – समाना
  13. पाट-पाट – जगह-जगह
  14. शोभा श्री – सौंदर्य से भरपूर
  15. पट – समा नही रही
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FAQs on पठन सामग्री और सार: उत्साह और अट नहीं रही - Hindi Class 10

1. पाठ "उत्साह और अट नहीं रही" का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. पाठ "उत्साह और अट नहीं रही" में जीवन के प्रति उत्साह और सकारात्मकता को बनाए रखने की बात की गई है। लेखक ने बताया है कि कठिनाइयों के बावजूद हमें अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहना चाहिए और हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
2. इस पाठ में प्रेरणा का स्रोत क्या है ?
Ans. पाठ में प्रेरणा का स्रोत हमारे अंदर की शक्ति और आत्मविश्वास है। लेखक ने यह बताया है कि जब हम अपने प्रयासों में ईमानदारी से लगे रहते हैं, तो हमें सफलता अवश्य मिलती है। यह पाठ हमें यह भी सिखाता है कि असफलता से निराश होने की बजाय हमें उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
3. क्या इस पाठ में कोई विशेष उदाहरण दिया गया है ?
Ans. हाँ, पाठ में लेखक ने कई उदाहरण दिए हैं, जिसमें उन्होंने विभिन्न व्यक्तियों की मेहनत और संघर्ष को दर्शाया है। उदाहरण के रूप में, उन लोगों का उल्लेख किया गया है जिन्होंने कठिनाइयों का सामना करके अपने सपनों को साकार किया, जिससे पाठक को प्रेरणा मिलती है।
4. पाठ का संदेश छात्रों के लिए क्या है ?
Ans. पाठ का संदेश छात्रों के लिए यह है कि वे कभी भी हार न मानें और अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते रहें। संघर्ष और कठिनाइयाँ जीवन का हिस्सा हैं, इसलिए हमें सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
5. "उत्साह और अट नहीं रही" पाठ से हमें क्या सीख मिलती है ?
Ans. "उत्साह और अट नहीं रही" पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करते समय हमें धैर्य और सकारात्मकता बनाए रखनी चाहिए। कठिनाइयाँ अस्थायी होती हैं, लेकिन हमारा उत्साह और मेहनत हमें सफलता की ओर ले जाती है।
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