Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  कविता की व्याख्या: कर चले हम फ़िदा

कविता की व्याख्या: कर चले हम फ़िदा | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

1. 

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
 साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
 फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
 कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
 सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
 मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ: फ़िदा = न्योछावर, जानो-तन = जान और शरीर, वतन€=€देश, नब्ज़ = नाड़ी।
व्याख्या: युद्ध्भूमि में सैनिक अपने प्राण न्योछावर करते हुए अन्य सैनिकों (साथियों) से कहते हैं कि हे साथियो, अब हम अपना शरीर तथा जान देश पर न्योछावर करके मृत्यु की गोद में जा रहे हैं। अब यह देश तुम्हारे हवाले है अर्थात अब तुम इस देश की रक्षा करो। हमारी साँसें थमती जा रही हैं और नब्ज़ भी कमशोर होती जा रही है। इतना होने के बावजूद भी हमने अपने आगे बढ़ते हुए कदमों को रुकने नहीं दिया। मातृभूमि की रक्षा करते हुए हमारे शीश भी कट गए, परंतु हमें इसका कोई दुख नहीं है। हमें तो खुशी है कि हमने अपनी जान न्योछावर करके हिमालय ;अपने देशद्ध की रक्षा की। अपने देश के सिर को नहीं झुकने दिया। मरते दम तक हमारा बाँकपन कायम रहा अर्थात मरते दम तक हमने हिम्मत नहीं हारी। हे साथियो, अब हम यह देश तुम्हारे हवाले करके मृत्यु की गोद में जा रहे हैं।

काव्य-सौंदर्य:
 भाव पक्ष:

1. देश-प्रेम की चरम भावना उजागर की गई है।
2. मातृभूमि की रक्षा हेतु जान न्योछावर करने की प्रेरणा दी गई है। 
कला पक्ष:
1. उर्दू शब्दावली का भरपूर प्रयोग किया गया है।
2. भाषा भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।
3. ‘मरते-मरते’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2.
 जिदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
 जान देने की रुत रोश आती नहीं
 हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
 वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
 आज धरती बनी है दुल्हन साथियो
 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ: रुत = मौसम, ट्टतु, हुस्न = सौंदर्य, इश्क = प्यार, रुस्वा = बदनाम, खूँ = खून ।

व्याख्या: देश की रक्षा करते हुए सैनिक गर्वित होते हुए कहते हैं कि जिंदा रहने के तो बहुत अवसर प्राप्त होते हैं, परंतु जान देने की ऋतु रोज़ नहीं आती अर्थात जान देने का अवसर रोज़ नहीं मिलता। जो जवानी खून में सराबोर नहीं होती, वही प्यार और सौंदर्य को बदनाम करती है। आज धरती ही दुल्हन का रूप धारण कर चुकी है। हमें इसकी माँग अपने खून से भरनी है। हे साथियो! अब हम मृत्यु की गोद में जा रहे हैं। यह वतन की रक्षा करने का भार अब तुम्हारे कंधों पर है। 
काव्य-सौंदर्य:
 भाव पक्ष:

1. देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित किया गया है।
2. धरती को दुल्हन की संज्ञा देकर उसकी माँग बलिदान के रक्त से भरने की बात सार्थक बन पड़ी है।

कला पक्ष:
1. उर्दू शब्दावली का प्रचुर प्रयोग किया गया है।
2. भाषा प्रभावोत्पादक है।

3.
 राह कुर्बानियों की न वीरान हो
 तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
 फतह का जश्न इस जश्न के बाद है
 ज़िदगी मौत से मिल रही है गले
 बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो
 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ: वुफर्बानियों = बलिदानों, राह = मार्ग, रास्ता, वीरान€=€सुनसान, काफ़िले = यात्रियों का समूह, फ़तह = जीत, जश्न = खुशी।

व्याख्या: सैनिक अपने साथियों को संदेश देते हैं कि बलिदानियों का रास्ता कभी सुनसान नहीं होने देना। तुम सदैव नए काफ़िले सजाकर आगे बढ़ते रहना। इस बलिदान के बाद तुम्हें जीवन की खुशी मनाने के अवसर मिलेंगे। इस समय ज़िदगी मृत्यु से गले मिल रही है अर्थात यह जीवन क्षणभंगुर होने के कारण मृत्यु के समीप है। अब तुम अपने सिर पर कफ़न बाँधकर मृत्यु को गले लगाने के लिए तैयार हो जाओ। अर्थात देश की रक्षा के लिए तत्पर हो जाओ।

काव्य-सौंदर्य:
 भाव पक्ष:

1. निरंतर कुर्बानियाँ देने के लिए प्रेरित किया गया है।
2. देश-प्रेम की भावना को जनमानस में भरने का सफल प्रयास किया गया है।
कला पक्ष:
1. उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।
2. भाषा प्रभावोत्पादक है।

4.
 खींच दो अपने खूँ से ज़मी पर लकीर
 इस तरफ़ आने पाए न रावण कोई
 तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
 छू न पाए सीता का दामन कोई
 राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।

शब्दार्थ: खूँ = खून, रक्त, ज़मी = धरती, पृथ्वी, भूमि, दामन€= आँचल, वतन = देश।

व्याख्या: सैनिक अपना बलिदान देने से पहले अपने साथियों से कहता है कि हे साथियो! अपने रक्त से शमीन पर लकीर खींच दो ताकि इस ;हमारीद्ध तरपफ कोई भी रावण रूपी शत्रु अपने पैर न पसारे अर्थात अपने अंदर इतनी शक्ति भर लो कि कोई शत्रु हमारी ओर रुख न करे। यदि कोई शत्रु भारत माता के आँचल को छूने का दुस्साहस करे तो उसका हाथ तोड़ दो अर्थात शत्रु के मनसूबों को कामयाब न होने दो। इस प्रकार का कार्य करो कि कोई सीता के पवित्र आँचल को छू न सके अर्थात भारत माता पर कोई आँच न आ सके। तुम्हीं राम हो और तुम्हीं लक्ष्मण हो अर्थात बुराइयों (शत्राुता) को दूर करने के लिए तुमने यह शरीर धारण किया है, इसलिए अब तुम देश की रक्षा करो। अब यह देश तुम्हारे हवाले है।
काव्य-सौंदर्य:
 भाव पक्ष:

1. कवि बलिदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
2. विभिन्न उदाहरणों के द्वारा सैनिकों को बलिदान के लिए प्रेरित किया गया है।
कला पक्ष:
1. उर्दू शब्दों का प्रयोग किया गया है तथा भाषा प्रभावोत्पादक है।
2. दृष्टांत अलंकार का प्रयोग किया गया है।

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FAQs on कविता की व्याख्या: कर चले हम फ़िदा - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. कर चले हम फ़िदा कविता के बारे में संक्षेप में बताएँ।
उत्तर: 'कर चले हम फ़िदा' एक हिंदी कविता है जिसने देशभक्ति के भाव को अपनी काव्यत्मक शक्ति के माध्यम से व्यक्त किया है। इस कविता में कवि ने देशभक्ति और निस्वार्थ प्रेम के महत्व को दर्शाया है।
2. कर चले हम फ़िदा कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर: 'कर चले हम फ़िदा' कविता के कवि श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं। वे एक प्रसिद्ध हिंदी कवि थे जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति और सामाजिक सुधार के मुद्दों पर जोर दिया।
3. कर चले हम फ़िदा कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: 'कर चले हम फ़िदा' कविता में संकल्प के महत्व को दर्शाया गया है। इस कविता का संदेश है कि हमें अपने देश के लिए अपने स्वार्थ को त्यागना चाहिए और निस्वार्थ प्रेम के साथ कार्य करना चाहिए।
4. कर चले हम फ़िदा कविता में कौन-कौन से भाव व्यक्त हुए हैं?
उत्तर: 'कर चले हम फ़िदा' कविता में गर्व, समर्पण, अनुराग, निस्वार्थ प्रेम, संकल्प, बलिदान और देशभक्ति जैसे भाव व्यक्त हुए हैं। इन भावों के माध्यम से कवि ने अपने लेखकों को देश के लिए समर्पित होने की प्रेरणा दी है।
5. कर चले हम फ़िदा कविता की रचना कब हुई थी?
उत्तर: 'कर चले हम फ़िदा' कविता की रचना 1928 में हुई थी। इस कविता को रामधारी सिंह 'दिनकर' ने अपनी कविताओं के एक संग्रह में शामिल किया था। इस वक्त भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ज्वालामुखी तेज हो रही थी और इस कविता ने देशभक्ति के भाव को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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