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मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

अध्याय-समीक्षा

1. भारत में प्रेस का जनक जेम्स अगस्टस हिकी ने 1717 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के बंगाल गजट का संपादक।

2. पांडुलिपियां यह हस्तलिखित लेख होते थे इन्हे ताड़ के पत्तों पर लिखा जाता था।

3. चैप बुक अश्लील प्रेमप्रसंग चार या छः पृष्ठ वाली पुस्तकें।

4. उलमा इस्लामी कानून और शरिया के विद्वान।

5. सन् 1448 में गुटनबर्ग ने बाइबल को छापा।

6. सन् 1517 में मार्टिन लूथर ने धर्म सुधार पर 95 थिसिस लिखी।

7. सन् 1508 में ईरासमय ने एडाजिस पुस्तक छापी।

8. सन् 1821 में राजा राम मोहन राय ने सम्वाद कुमौदिनी छापी।

9. सन् 1820 में कलकता सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस कन्ट्रोल बिल पास किया।

10. सन् 1822 में गुजराती समाचार पत्र मुम्बई में छापा गया।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर: 

प्रश्न 1 : वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1225 के बाद आई ? कारण दीजिए |
उत्तर : 1295 ई. में मार्को पोलो नामक एक महान खोजी यात्री चीन के काफी साल खोज करने के बाद इटली वापस लौटा | चीन में वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक पहले से मौजूद थी | मार्को पोलो यह तकनीकी ज्ञान अपने साथ चीन से यूरोप में  लाया जो धीरे-धीरे पुरे यूरोप में फ़ैल गई | यही कारण ही कि यह तकनीक यूरोप में 1225 के बाद आई | 

प्रश्न 2 :  रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची क्यों रखनी शुरू कर दी |  कारण दीजिए | 
उत्तर : रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची इसलिए रखनी शुरू कर दी | क्योंकि इटली के एक किसान नेनोकियों ने नई छपी किताबों के आधार पर ईश्वर और सृष्टि के बारे में ऐसे विचार बनाया कि रोमन कैथोलिक चर्च उसके इस व्यवहार से क्रुद्ध हो ग&##2351;ा | उसके धर्म विरोधी विचारों और उस पर उठाए जा रहे सवालों से परेशान होकर रोमन चर्च ने प्रकाशनों और कई पुस्तक विक्रेताओं पर पाबंदियां लगा दिया और यहाँ तक वह 1558 ई. से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखने लगे | 

प्रश्न 3 : महात्मा गाँधी के इस कथन का कारण बताइए कि स्वराज की लड़ाई, दरअसल अभिव्यक्ति, प्रैस और सामूहिकता के लिए की गई लड़ाई है |
उत्तर : महात्मा गाँधी ने 1922 में कहा था कि वाणी की स्वतंत्रता, प्रैस की आज़ादी और सामूहिकता की स्वतंत्रता को तब कि अंग्रेजी सरकार अब जनमत को व्यक्त करने और बनाने के लिए इस सभी तीन ताकतवर औजारों को दबाने की कोशिश कर रही है |चूँकि गाँधी जी का मानना था कि स्वराज और खिलाफत की लड़ाई सबसे पहले तो इन संकटग्रस्त आज़ादियों की लड़ाई है | और गाँधी जी का ये भी मानना था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी, प्रैस की आज़ादी और सामूहिकता पर प्रतिबंध लगाने से स्वराज की लड़ाई प्रभावित होगी |  

प्रश्न 4 : मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की ? कारण दीजिए |
उत्तर : मार्टिन लूथर एक धर्म सुधारक था जिसने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी 95 स्थापनाएँ लिखीं | जल्द ही लूथर के लेख बड़ी तादाद में छापे और पढ़े जाने लगे | कुछ ही हफ़्तों में न्यू टेस्टामेंट के लूथर के तजुर्वे के अनुवाद की 5000 प्रतियाँ बिक गई, और तीन महीने के अंदर दूसरा संस्करण निकलना पड़ा | यह देखकर इतिहासकार भी अब यह मानने लगे कि मुद्रण से नया बौद्धिक माहौल बन गया है | 

प्रश्न 5 : इरैस्मस कौन था ? छपी किताबों को लेकर उसका क्या विचार थे ? 
उत्तर : इरैस्मस लैटिन अमेरिका का एक विद्वान था | वह कैथोलिक सुधारक था | उसने प्रिटिंग प्रैस का पक्ष लिया | उसने छापेखाने के बारे में गहरी चिंता को अभिव्यक्त किया था | 1508 ई. में इन नई पुस्तकों के विचारों को विश्व के कोने-कोने में पहुँचाना चाहता था |  

प्रश्न 6 : वर्नाकुलर या देशी प्रेस एक्ट क्या है ?
उत्तर : आईरिस प्रैस कानून के तर्ज पर 1878 में वर्नाकुलर प्रैस एक्ट लागु किया गया | जिससे सरकार को भाषाई प्रैस में छपी रपट और संपादकीय को सेंसर करने का हक मिल गया | वास्तव में यह कानून प्रैस की आज़ादी को समाप्त करने के लिए ही लाई गयी थी | 1857 के विद्रोह के बाद प्रैस की स्वतंत्रता के प्रति सोंच में महत्वपूर्ण बदलाव आया | क्रुद्ध अंग्रेजों ने देशी प्रेस का मुँह बंद करने कि माँग की |  इस एक्ट के अनुसार पहले तो अख़बार को चेतावनी दी जाती थी, और अगर चेतावनी की अखबार ने अनसुनी की तो उसे जब्त भी किया जा सकता था और छपाई की मशीनें छीन ली जाती थी | 

प्रश्न 7: नई मुद्रण की खोज यूरोप के सभी भागों में क्यों फैल गई ? कारण बताइए।
उत्तर: 
(i) किताबों की बढ़ती माँग हस्तलिखित पांडुलिपियों से पूरी नहीं हो रही थी।
(ii) नकल उतारना बेहद खर्चीला।
(iii) पांडुलिपियाँ अक्सर नाजुक होती भी उनके लाने - ले जाने रख - रखाव में तमाम मुश्किलें थी।
(iv) इनका चलन सीमित रहा।
(v) किताबों की बढ़ती माँग के चलते बुडब्लाॅक प्रिटिंग लोकप्रिय हो गयी।

प्रश्न 8: मुद्रित किताबें अशिक्षित लोगों के बीच लोकप्रिय क्यों हुई ?
उत्तर: 
(i) जो लोग पढ़ नहीं पाते थे वे भी बोलकर पढ़े गए का सुनकर मजा लेते थे।
(ii) लोकगीत और लोककथाओं का छपना।
(iii) ऐसी किताबें सचित्र होती थी।
(iv) इन्हें सामूहिक ग्रामीण सभाओं में या शहरी शराबखानों में गाया सुनाया जाता
था।

प्रश्न 9 : पाण्डुलिपियां क्या है ? इनका प्रयोग व्यापक स्तर पर क्यों नहीं किया जाता था ?

उत्तर: हाथ से लिखी पुस्तकों को पांडुलिपियाँ कहते है।
(i) किताबो की बढ़ती माँग पांडुलिपियों से पूरी नहीं होने वाली थी।
(ii) नकल उतारना बेहद खर्चीला, समय अधिक लगना माँग पूरी नहीं होना।
(iii) ये बहुत नाजुक होती थी, लाने ने जाने, रख - रखाव में मुश्किलें आती थी।
(iv) उपरोक्त समस्याओं की वजह से उनका आदान प्रदान मुश्किल था।

प्रश्न 10: भारतीय लोग किस प्रकार अपनी पांडुलिपियों की नकल करते थे तथा उन्हें सुरक्षित रखते थे ?
उत्तर:
(i) पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर बनाई जाती थी।
(ii) पन्नों पर सुन्दर तस्वीरें भी बनाई जाती थी।
(iii) उन्हें तख्तियों की जिल्द में रखा जाता था।
(iv) उन्हें ख्याल से सिलकर बाँध दिया जाता था।

प्रश्न 11: मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति लाने में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर: 

(i) छपाई के चलते विचारों का प्रसार उनके लेखन ने परपंरा, अंधविश्वास और निरकुंशवाद की आलोचना।
(ii) रीति - रिवाजों की जगह विवके के शासन पर बल दिया।
(iii) चर्च की धार्मिक और राज्य की निरंकुश सत्ता पर हमला।
(vi) छपाई ने वाद - विवाद की नई संस्कृति को जन्म दिय#2366;।

प्रश्न 12 :19 वीं सदी में महिलाओं द्वारा पढ़ने के चलन के प्रति लोगों का क्या रवैया था ? महिलाओं की इस संदर्भ में क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर: 
(i) उदारवादी पति और पिता अपने यहाँ औरतों को घर पर पढ़ाने लगे।
(ii) शहरों में छोटे - छोटे स्कूल खुले तो उन्हें स्कूल भेजने लगे।
(iii) बागी औरतों ने इन प्रतिबंधों को अस्वीकार कर दिया।

प्रश्न 13: भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में मुद्रण संस्कृति ने किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर: 
(i) दमनकारी नीति के बावजूद राष्ट्रवादी अखबार देश के हर कोने मे बढ़ते - फैलते गए।
(ii) उन्होंने औपनिवेशिक कुशासन के बारे में लिखा।
(iii) पंजाब के क्रांतिकारियों को गिरतार किया गया तो बाल गंगाधर तिलक ने
अपना केसरी समाचार छापा तथा लोगों ने गहरी हमदर्दी जताई।
(iv) पंजाब तथा देश के अन्य भागों में राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।
(v) इस कारण बाल गंगाधनर तिलक को कैद कर लिया गया जिसका पूरे भारत मे विरोध हुआ।

प्रश्न 14: तरीको का उल्लेख कीजिए जिनसे मुद्रित किताबों तक आम आदमी की पहुँच बढ़ी।
उत्तर:
(i) मद्रास में काफी सस्ती किताबें चैक - चैराहों पर बेची जा रही थी ?। अब
गरीब लोग भी उन्हें खरीद सकते थे।
(ii) सार्वजनिक पुस्तकालय खुलना, शहरों तथा कस्बों या सम्पन्न गांवो में।
(iii) जाति भेद के बारे में लिखना पुस्तिकाओं और निबन्धों में।
(vi) मजदूरों में नशा खोरी कम हो साक्षरता आए तथा राष्ट्रवादी का संदेश पहुँचे।

प्रश्न 15: रोमन कैथोलिक चर्च के वि&##2349;ाजन में मुद्रण संस्कृति की भूमिका को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर: 
(i) मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक की कुरीतियों की आलोचना करते हुए 95
स्थापनाएं लिखी।
(ii) इसकी एक छपी प्रति ब्रिटेन वर्ग के गिरजाघर के दरवाजे पर टाँगी गई।
(iii) लूथर के लेख बड़ी तादात में छापे गये।
(vi) नतीजा यह हुआ कि चर्च का विभाजन हो गया और प्रोटेस्टेट धर्म की सुधार
की शुरूआत हुई।

प्रश्न 16: मुद्रण ने किस प्रकार समुदायों और भारत के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों को जोड़ने का कार्य किया था ?
उत्तर: 
(i) मुद्रित प्रणाली ने नए विचारों के विकास, प्रसार और अभिव्यक्ति हेतु एक नए प्लेटफार्म का विकास किया।
(ii) मुद्रित प्रणाली संचार का सबसे सस्ता और सरल साधन था।
(iii) ये भारत के लोगों की समस्या को उजागर करते थे।
(iv) धार्मिक पुस्तके बड़ी तादाद में व्यापक जन समुदाय तक पहुँच रही थी।
(v) अखबार भारतीय मूल के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक समाचार पहुँचाते थे।

प्रश्न 17: 'वुडब्लॉक' ( काठ की तख्ती ) वाली छपाई यूरोप में 1295 के बाद आई इस कथन को स्पष्ट करो।
उत्तर: वुडब्लाॅक वाली छपाई यूरोप में 1295 ई. के पश्चात् आई क्योकि-
(i) यह तकनीक पहले चीन के पास थी।
(ii) मार्को पोलों यह ज्ञान अपने साथ लेकर लौटा।
(iii) मार्को पोला ने यूरोप को गुडब्लाॅक तकनीक से अवगत कराया।
(iv ) यह तकनीक यूरोप में फैल गयी।

प्रश्न 18: जापान की मुद्रण प्रणाली का विकास कैसे और कब हुआ?
उत्तर: 
(i) 768 - 776 ई. में चीनी बौद्ध भिक्षु जापान में हस्तलिखित प्रणाली को लेकर पहुँचे।
(ii) 868 ई. में जापान में बौद्ध धर्म पर आधारित ‘डायमंत्र सूत्र’ छपी।
(iii) एदो ( टोक्यों ) में चित्रों का छापना शुरू हो गया पुस्तके अनेक विषयों पर लिखी गई।

प्रश्न 19: छापेखाने की तकनीक में क्या नए प्रयोग हुए ?
उत्तर: 
(i) रिचर्ड एम. ह्मू ने बिजली से चलने वाले सिलेंडरिकल प्रेस का आविष्कार किया।
(ii) आॅफसेट प्रेस के छः रगों से प्रिटिंग सम्भव हो गई।
(iii) कागज के पृष्ठ के स्थल पर रोल का प्रयोग होने लगा।
(iv) प्रिटिंग प्रक्रिया आॅटोमेटिक हो गई।

प्रश्न 20: "कैलिग्राफ" शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर: चीन में मुद्रण प्रणाली का प्रचलन प्राचील काल से हो रहा था। 1594 ई. में लकड़ी के ब्लाॅक बनाकर उन पर स्याही फेरकर प्रिटिंग की जाती थी। पतले पेपर पर कागज के दोनों तरफ संभव नहीं था अतः मोटे पृष्ठों की सिलाई कर पुस्तक तैयार की जाती थी और इस पर सुन्दर आकृतियों को उभारते थे। इसे कैलीग्राफ कहा जाता है।

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FAQs on महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर, पाठ - 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया(कक्षा दसंवी),सामाजिक विज्ञान - सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 - Class 10

1. मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया से क्या संबंध है?
Ans. मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया का संबंध तब स्थापित होता है जब आधुनिक दुनिया की विज्ञान, तकनीक और भौतिकी विकास के संदर्भ में मुद्रण की प्रक्रिया और तकनीकों का अध्ययन किया जाता है। मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, क्योंकि मुद्रण के द्वारा हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
2. मुद्रण संस्कृति की महत्ता क्या है?
Ans. मुद्रण संस्कृति की महत्ता इसकी व्यापकता और व्यापक उपयोगिता में होती है। मुद्रण संस्कृति हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके माध्यम से हम मुद्रण के द्वारा ज्ञान का प्रसार करते हैं, सामान्य जनता को सुविधा प्रदान करते हैं, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
3. मुद्रण संस्कृति के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?
Ans. मुद्रण संस्कृति के कई प्रकार होते हैं, जैसे छापाखाने में हाथ से मुद्रण, ऑफसेट मुद्रण, स्क्रीन मुद्रण, फ्लेक्सोग्राफी, डिजिटल मुद्रण, आदि। ये सभी प्रकार अपनी खासियतों और उपयोगिता के आधार पर विभाजित होते हैं।
4. मुद्रण संस्कृति के आधुनिक दुनिया में क्या महत्व है?
Ans. मुद्रण संस्कृति के आधुनिक दुनिया में बहुत महत्व है। यह आधुनिक दुनिया के विज्ञान, तकनीक और भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मुद्रण के द्वारा हमारे जीवन के अनेक क्षेत्रों में नई तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे पुस्तकों, मैगजीनों, अफ़ीशों, पोस्टर्स, कैलेंडर्स, आदि के मुद्रण के द्वारा उत्पादन।
5. मुद्रण संस्कृति में आधुनिक तकनीकों का उपयोग क्यों जरूरी है?
Ans. मुद्रण संस्कृति में आधुनिक तकनीकों का उपयोग जरूरी है क्योंकि इससे हम समय और श्रम की बचत कर सकते हैं, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बना सकते हैं, और अधिक मात्रा में उत्पादन कर सकते हैं। इससे टेक्नोलॉजी की एक नई दुनिया खुलती है, जिसमें डिजिटल मुद्रण, स्क्रीन मुद्रण, और ऑफसेट मुद्रण जैसी तकनीकें उपयोग की जा सकती हैं।
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