Table of contents | |
जंजीरें | |
पहिया | |
शीर्षक की बात | |
समझने की बात | |
साईकल | |
कल्पना से | |
भाषा की बात |
प्रश्न 2: शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?
उत्तर: शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया क्योंकि उन्हें डर था इससे नारी समाज में प्रगति आ जाएगी। आर. साइकिल्स के मालिक गाँव के एकमात्र लेडीज साइकिल के डीलर थे, इस आंदोलन से उसकी आय में वृद्धि होना स्वभाविक था। इसलिए उन्होंने स्वार्थवश आंदोलन का समर्थन किया।
प्रश्न 3: प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?
उत्तर: फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो इस प्रकार है -
प्रश्न 1: आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा?
उत्तर: लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के 'साइकिल आंदोलन' के कारण ही रखा होगा। यह नाम इस आंदोलन को अपना समर्थन देने हेतु ही रखा गया है। बेशक साइकिल चलाना कोई बड़ी बात नहीं है पर एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमि वाले गाँव में परुषों के विरूद्ध खड़े होकर 'साइकिल' को अपनी जागृति के लिए चुनना बहुत बड़ा कदम था इसलिए यह नाम औरतों के इस साइकिल नवजागरण के प्रति रखा गया होगा।
प्रश्न 2: अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर: 'महिला विकास की साईकल' की भी इस पाठ के लिए उपयुक्त नाम हो सकता था चूँकि यहाँ महिलाओं ने अपने विकास को प्रदर्शित करने के लिए साईकल का उपयोग किया।
प्रश्न 1: ''लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज़ उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।'' साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
उत्तर: साइकिल चलाना पुडुकोट्टई की ग्रामीण महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि इसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। अब इन महिलाओं को कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वे साइकिल पर उत्पादों को लाने और बेचने का कार्य स्वयं ही करती हैं। साइकिल मिल जाने के कारण वे अधिक स्थानों पर जाकर अपने उत्पादों को बेच लेती हैं। अब इन महिलाओं को बस की लंबी पंक्तियों में प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। वे बचे हुए समय में घर-परिवार को सँभालने के साथ-साथ अपने कार्य में बढ़ोतरी करती हैं। इसी कारण इन महिलाओं के लिए साइकिल चलाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: ''पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे के बारे में इस तरह सोचा नहीं था।'' साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
उत्तर: साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक सस्ता और टिकाऊ साधन है। इसकी मरम्मत में धन का अधिक व्यय नहीं होता। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसकी गति तीव्र नहीं है। इसे बच्चा, स्त्री, पुरुष—कोई भी व्यक्ति बड़ी सहजता के साथ चला सकता है। सस्ती होने के कारण 'साइकिल' गरीब और अमीर—सभी की पहुँच में है। साइकिल व्यायाम के उद्देश्य को भी पूर्ण करती है। इसे चलाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है। उक्त सभी तथ्यों के कारण ही साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है।
प्रश्न 1: फातिमा ने कहा,''...मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।'' साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को 'आज़ादी' का अनुभव क्यों होता होगा?
उत्तर: इसका सबसे बड़ा कारण फातिमा के गाँव की पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ हैं जहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। उनके विरोध में खड़े होकर अपने को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर फातिमा ने जो कदम उठाया उससे उसने स्वयं को, अपने जैसी अन्य महिलाओं को सम्मान दिया है। उससे आज़ादी का अनुभव करना लाज़मी है। वे कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रही।
प्रश्न 2: अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
उत्तर: यदि दुनिया के सभी पहिए एक साथ मिलकर हड़ताल कर देंगे, तो विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। सभी छोटे-बड़े वाहन और उद्योग-धंधे बंद हो जाएँगे। विकास कार्यों पर एकदम से रोक लग जाएगी। उन्नति एवं प्रगति के सभी रास्ते बंद हो जाएँगे। ज़रूरत कर सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचना असंभव हो जाएगा। लोग एक-दूसरे से कर जाएँगे। चारों ओर कोलाहल की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसलिए दुनिया के सभी पहियों द्वारा एक साथ हड़ताल कर देना विश्व के लिए विनाशकारी साबित होगा।
प्रश्न 3: ''1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जि़ला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।'' इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उक्त कथन के माध्यम से लेखक पी० साईनाथ कहना चाहते हैं कि पुडुकोट्टई जिले की महिलाएँ अब जाग चुकी हैं। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को पा लिया है। अपने साहस और परिश्रम के बल पर उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में अपने लिए सम्मान स्थापित किया है। अब यह जि़ला साइकिल आंदोलन के कारण प्रगति के पथ पर चल पड़ा है। अत: वर्ष 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद से यह पुडुकोट्टई जि़ला कभी भी अपने अतीत के समान निर्बल, कमज़ोर और असहाय नहीं रहा। अब यह उन्नति की राह पर चल पड़ा है।
प्रश्न 4: मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।
उत्तर: 9 मार्च 1992; तमिलनाडु : कल पुडुकोट्टई जिले में एक अनोखी घटना घटी। यहाँ की नवसाक्षर स्त्रियों ने कल एक सामाजिक आंदोलन आरंभ किया। यह आंदोलन कुछ और नहीं बल्कि 'साइकिल चलाने का आंदोलन' था। यहाँ की स्त्रियों ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए इस आंदोलन का सहारा लिया। अब तक सत्तर हज़ार से अधिक महिलाएँ इस आंदोलन का हिस्सा बन चुकी हैं। उन्होंने 'प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता' जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर बड़े गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया। वहाँ साइकिल चलाना सिखाने के लिए कई प्रशिक्षण शिविर भी चलाए जा रहे हैं। रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आई युवा मुस्लिम लड़कियाँ सड़कों पर अपनी साइकिल से जाती हुई देखी जा सकती हैं। प्रारंभ में लोग उन पर फब्तियाँ कसते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। साइकिल चलाने में यहाँ की युवतियाँ एवं महिलाएँ एक विशेष प्रकार का आनंद अनुभव करती हैं। पुडुकोट्टई जि़ले में साइकिल की धूम मची हुई है। इस आंदोलन ने महिलाओं को अत्यधिक आत्मविश्वास प्रदान किया है। साइकिल यहाँ की स्त्रियों के लिए यातायात प्रमुख साधन बन गई है। अब इस पर सामान लाद कर जाती हुई महिलाएँ देखी जा सकती हैं। धीरे-धीरे साइकिल चलाने को यहाँ सामाजिक स्वीकृति भी मिल चुकी है। बड़ी संख्या में साइकिल सीख चुकी महिलाएँ नव-साइकिल चालकों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं। आर० साइकिल्स के मालिक अकेले ऐसे पुरुष हैं। जिन्होंने इस आंदोलन में स्त्रियों को भरपूर सहयोग दिया। उनके यहाँ साइकिल की बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। साइकिल चलाने के बहुत आर्थिक निहितार्थ हैं। इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है। खराब परिवहन व्यवस्था वाले स्थानों पर साइकिल बहुत महत्त्वपूर्ण परिवहन का साधन साबित हो रही है। अब यह समय आ गया है कि वहाँ महिलाएँ पूरी तरह से जागृत हो चुकी हैं; अब कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता। हैंडल पर झंडियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई जि़ले में क्रांतिकारी तूफान ला दिया है।
प्रश्न 5: अगले पृष्ठ पर (पुस्तक में) दी गयी 'पिता के बाद' कविता को पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: फातिमा की बात 'मुक्ता' द्वारा लिखी कविता 'पिता के बाद' से बहुत मेल खाती है। दोनों के विचारों में समानता है। दोनों के द्वारा लड़कियों के स्वच्छंद होने पर बल दिया गया है। फातिमा के अनुसार स्त्रियाँ स्वतंत्रतापूर्वक अपनी सभी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकती हैं, फिर चाहे वह समस्या आर्थिक ही क्यों न हो। मुक्ता भी अपनी कविता में लड़कियों को पिता का एक सहारा बताती हैं। उसे पुरुषों के समान कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हुए दिखाती हैं। अत: दोनों के विचारों में समानता है।
प्रश्न 1: उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ 'उपसर्ग' और 'प्रत्यय' इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।
उत्तर:
उपसर्ग:
अभि - अभिमान
प्र - प्रयत्न
अनु - अनुसरण
परि - परिपक्व
वि - विशेष
प्रत्यय:
इक - धार्मिक (धर्म + इक)
वाला - किस्मतवाला (किस्मत + वाला)
ता - सजीवता (सजीव + ता)
ना - चढ़ना (चढ़ + ना)
नव - नव + साक्षर (नवसाक्षर)
गतिशील - गतिशील + ता (गतिशीलता)
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1. पहिया क्या है और यह कैसे काम करता है? |
2. पहिया के विभिन्न प्रकार क्या हैं? |
3. पहिया के विकास में कौन-कौन से यंत्र शामिल होते हैं? |
4. पहिया का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग क्या है? |
5. पहिया के काम करने के लिए कौन-कौन से तत्व आवश्यक होते हैं? |
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