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संज्ञा

संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है – नाम। किसी व्यक्ति , गुण, प्राणी, व् जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। शब्दों का वो समूह जिन्हें हम किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार, गुण या भाव को बताने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसे संज्ञा (Sangya) या संज्ञा शब्द (Sangya Shabd) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, संज्ञा एक ऐसा शब्द होता है जो किसी चीज़ की पहचान कराता है।

संज्ञा के भेद

संज्ञा, लिंग निर्णय और सर्वनाम | हिंदी व्याकरण - Class 10

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 

जिससे किसी विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति का बोध् हो। 
उदाहरण:

  • व्यक्तियों एवं दिशाओं के नाम रवि, मिथिलेश, तरूण एवं पूर्व, उत्तर, दक्षिण
  • देशों एवं राष्ट्रीयताओं के नाम भारत,जापान, भारतीय, जर्मनी
  • समुद्रों एवं नदियों के नाम कालासागर, हिंद महासागर, बैकाल सागर, अटलांटिक महासागर, गंगा, यमुना, सतलुज
  •  नगरों, सड़कों के नाम दिल्ली,मुम्बई, आगरा, पृथ्वीराज रोड, राजपथ 
  • पर्वतों के नाम हिमालय, विध्याचल, कैमूर, काराकोरम
  • पुस्तकों तथा समाचार पत्रों के नाम रामायण, महाभारत, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा
  • ऐतिहासिक युद्धों, घटनाओं के नाम अक्टूबर क्रांति, 1857 का गदर
  • दिनों, महीनों एवं त्यौहारों, उत्सवों के नाम जनवरी, मंगलवार, रक्षाबंध्न, होली।

2. जातिवाचल संज्ञा 

जिस संज्ञा से समान प्रकार के वस्तुओं या व्यक्तियों का बोध् हो।
उदाहरण:

  • रिश्तेदारों के नाम, व्यवसाय, पद और कार्यकर्ता, वीवर, संचार मंत्री
  • पशु,पक्षियों के नाम घोड़ा,मुर्गा, तोता
  • प्राकृतिक तत्वों के नाम वर्षा, बिजली, ज्वालामुखी, भँकप
  • वस्तुओं के नाम मकान, दुकान, घड़ी

3. भाववाचक संज्ञा 

जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वाभाव , भाव आदि का बोध हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा कहते हैं। 

4. मूहवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति , वस्तु, या स्थान आदि का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष स्थान, वस्तु,या व्यक्ति के नाम का पता चले वहाँ पर व्यक्तिवाचक संज्ञा होती है।

5. द्रव्यवाचक संज्ञा

जो संज्ञा शब्द किसी द्रव्य पदार्थ या धातु का बोध कराते है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जो शब्द किसी पदार्थ, धातु और द्रव्य को दर्शाते हैं वहाँ पर द्रव्यवाचक संज्ञा होती है।

संज्ञा के रूपों में लिंग, वचन और कारक संबंधी अंतर

  • लिंगानुसार नर खाता है - नारी खाती है। 
  • वचनानसुार लड़का खाता है -लड़़के खाते हैं।
  • उपर्युक्त शब्दों में नर का रूपांतर हुआ जबकि नीचे लड़के एवं लड़की के वचन में रूपांतरण हुआ।
  • कारकनुसार: लड़का गाना गाता है- लड़के ने गाना गाया।
  • लड़की गाना गाती है - लड़कियों ने गाना गाया।
  • उत्तर क्रिया में काल का अंतर एवं रूपांतर कत्र्ता कारक ‘ने’ के कारण हुआ।

लिंग निर्णय

प्राणियों का जोड़ा अथवा पदार्थ की जाति बनाने हेतु शब्दों में जो रूपांतर होता है, उसे लिंग कहते हैं।

लिंग का अर्थ चिन्ह होता है। हिन्दी में लिंग के दो भेद हैं- स्त्रीलिंग एवं पुल्लिंग।

तत्सम पुलिंग शब्द 

राष्ट्र, प्रांत, नगर, देश सर्प, सागर, साधन, सार, तत्त्व, स्वर्ण, दातव्य, दण्ड, दोष, धन, नियम, पक्ष, विधेयक, विनिमय, विनियोग, विभाग, विभाजन, विरोध, विवाद, वाणिज्य, शासन, प्रवेश, अनुच्छेद, शिविर, वाद, अवमान, अनुमान, आकलन, निमंत्राण, आमन्त्राण, उद्भव, निबंध्, नाटक, स्वास्थ्य, निगम, न्याय, समाज, विघटन, विर्सजन, विवाह, व्याख्यान ध्र्म, वित्त, उपादान, उपकरण, आक्रमण, पर्यवेक्षण, श्रम, विधन, बहुमत, निर्माण, संदेश, प्रस्ताव, ज्ञापक, आभार, आवास, छात्रावास, अपराध्, प्रभाव, उत्पादन, लोक, विराम, परिहार, विक्रम, न्याय, इत्यादि।

तत्सम स्त्राीलिंग शब्द

दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा, सभा, प्रार्थना, वेदना, समवेदना, प्रस्तावना, रचना, घटना, अवस्था, नम्रता, सुंदरता, प्रभुता, जड़ता, महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा, ईष्र्या, भाषा, अभिलाषा,  आशा, निराशा, पूर्णिमा, अरूणिमा, काया, कला, चपला, इच्छा, आज्ञा, अनुज्ञा, आराध्ना, उपासना, याचना, रक्षा, संहिता, आजीविका, घोषणा, गणना, परीक्षा, गवेषणा, नगरपालिका, योग्यता, सीमा इत्यादि।

अप्राणिवाचक पुलिंग हिन्दी शब्द

शरीर के अवयवों रत्नों, धातुओं, अनाज, पेड़ों द्रव्य पदार्थों, भौगोलिक जल एवं स्थल के नाम प्रायः पुलिंग होते हैं जैसे, कान मुँह, मोती, पन्ना, जौ, गेहूँ, पीपल, बड़ पानी, घी, देश, नगर, द्वीप, वायुमंडल आदि।

अपवाद: मणि, चांदी मूंग, खेसारी, लीची, नारंगी, नाशपाती, चाय, शराब, पृथ्वी, झील, इत्यादि स्त्राीलिंग हैं।

अप्राणिवाचक स्त्राीलिंग हिन्दी शब्द नदी गंगा, यमुना, नक्षत्रों -भरणी, अश्वनी, किराना सामान लौंग, हल्दी, हींग खाने-पीने की चीजें प्राय: स्त्राीलिंग होती हैं।

अपवाद सिंधु नदी, पुष्प नक्षत्रा, ध्नियां जीरा, पराठा, दही, रायता, हलुआ, पुलिंग होते हैं।

लिंग निर्णय हेतु सरल सूत्रा

1. तद्भव चाहे अकारांत हो या आकारांत, उनके तत्सम यदि अकरांत हैं, तो शब्द पुलिंग होंगे। जैसे- आम, हाथ, कान (तद्भव)- आम्र, हाथ, कर्ण ;तत्समद्ध पुलिंग हैं।

2. तद्भव अकारांत हो और उनके तत्सम आकारांत हो तब भी ऐसे शब्द स्त्राीलिंग होंगे जैसे- संध्या, शय्या (तत्सम) सांझ, सेज, (तद्भव) स्त्राीलिंग हैं।

3. भाववाचक संज्ञाएं (आकारांत) स्त्राीलिंग होती है जैसे माया, दया, कृपा, छाया, क्षमा, करूणा, लज्जा इत्यादि।

4. द्रव्यवाचक संज्ञाएं जैसे- दही, मोती, क्रिर्याथक संज्ञाएं जैसे लिखना, पढ़ना, उठाना, एवं द्वंद समास जैसे- सीता-राम, दाल-भात, नर-नारी, शब्द पुलिंग होते हैं।

प्रत्यय एवं लिंग निर्णय

5. अकारांत एवं आकारांत पुलिंग को इकारांत करने से स्त्राीलिंग हो जाते हैं जैसे: लड़का-लड़की, नाला-नाली, गोप-गोपी, आदि।

6. व्यवसाय बोध्क जाति बोध्क संज्ञा में इन और आइन प्रत्यय लगाकर स्त्राीलिंग बनाया जाता है। जैसे: माली- मालिन, लाला-ललाइन, धेबी-धेबिन इत्यादि।

7. कुछ उपनाम वाची शब्द में आनी लगाकर स्त्राीलिंग बनाया जाता है जैसे: ठाकुर -ठाकुरानी, सेठ-सेठानी, इत्यादि।

सर्वनाम

सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द  आते हैं, उन्हें ‘सर्वनाम’ कहते हैं। इन प्रकार यह किसी भी संज्ञा के बदले आता है। जैसे में, तुम, वह, यह इत्यादि।

 सर्वनाम के भेद

हिन्दी में कुछ ग्यारह सर्वनाम हैं- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या, प्रयोग के अनुसार सर्वनाम के छह भेद हैं, जो इस प्रकार हैं -

1. पुरुषवाचक सर्वनाम: ये मानव के नाम के बदले आते हैं। उत्तम पुरुष में लेखक या वक्ता आता है, मध्यम पुरुष में पाठक या श्रोता और अन्यपुरुष में लेखक और श्रोता को छोड़कर अन्य लोग होते हैं।

इसके तीन भेद होते हैं -

  • उत्तम पुरुष: मैं, हम।
  • मध्यम पुरुष: तू, तुम, आप।
  • अन्य पुरुष: वह, वे, यह, ये।

2. निजवाचक सर्वनाम: इसका रूप ‘आप’ है। यह कत्र्ता का बोध्क है, पर स्वयं कर्त्ता का काम नहीं करता। यह (आप) बहुवचन में आदर हेतु प्रयुक्त होता है। निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित के लिए होता है। जैसे दूसरे व्यक्ति को निराकरण हेतु होता है। जैसे - वह औरों को नहीं, अपने आप को सुधर रहा है।

3. निश्चयवाचक सर्वनाम: जिससे किसी वस्तु के निश्चय का बोध् हो जैसे- यह, वह। उदाहरणार्थ-यह कोई नया नियम नहीं है; चावल मत खाओ, क्योंकि वह कच्चा है।

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम: जिससे किसी निश्चित वस्तु का बोध् न हो जैसे-कोई, कुछ। उदाहरणार्थ-कोई पुकार तो नहीं रहा है; वह कुछ देर बाद आएगा।

5. सम्बन्ध्वाचक सर्वनाम: जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध् स्थापित किया जाए, उसे संबंध्वाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-जो, सो। उदाहरणार्थ-वह लड़की कौन थी जो अभी यहाँ आई थी; वह जो न करे, सो थोड़ा।

6. प्रश्नवाचक सर्वनाम: प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्नवाचक सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे-कौन, क्या। उदाहरणार्थ-कौन नियामक है सृष्टि का? क्या उत्तर देना संभव है?

सर्वनाम के रूप में अंतर लिंग, (वचन एवं कारक के अनुसार) सर्वनाम का रूप लिंग परिवर्तन से नहीं बदलता। संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं-एकवचन एवं बहुवचन। पुरूषवाचक एवं निश्चयवाचक सर्वनाम को छोड़कर शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं। सर्वनाम में केवल संबोध्न कारक नहीं होता। कारकों में विभक्तियाँ लगाने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे- मैं-मुझे, मुझको, मुझसे, मेरा; तुम-तुम्हें, तुम्हारा; हम-हमें, हमारा; वह-उसने, उसको, उसे; कौन-किसने, किससे, किसे।

सर्वनाम की कारक-रचना (सारणी रूप में)

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FAQs on संज्ञा, लिंग निर्णय और सर्वनाम - हिंदी व्याकरण - Class 10

1. संज्ञा क्या होती है और इसके मुख्य भेद कौन-कौन से हैं ?
Ans. संज्ञा एक शब्द है जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव को दर्शाता है। इसके मुख्य भेद हैं: व्यक्तिवाचक संज्ञा (व्यक्ति के नाम), जातिवाचक संज्ञा (किसी जाति या समूह का नाम), विशेषण संज्ञा (विशेषता बताने वाली) और भाववाचक संज्ञा (भाव या स्थिति को दर्शाने वाली)।
2. संज्ञा के रूपों में लिंग, वचन और कारक के अंतर को कैसे समझा जाए ?
Ans. संज्ञा के लिंग तीन प्रकार के होते हैं: पुल्लिंग (पुरुष), स्त्रीलिंग (महिला) और नपुंसक लिंग (निष्क्रिय)। वचन दो प्रकार के होते हैं: एकवचन (एक ही) और बहुवचन (अनेक)। कारक संज्ञा के संबंध को दर्शाता है, जैसे कर्म कारक, करण कारक आदि।
3. लिंग निर्णय कैसे किया जाता है और इसके नियम क्या हैं ?
Ans. लिंग निर्णय संज्ञा के अंत में आने वाले मात्राओं और विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, 'बच्चा' पुल्लिंग है जबकि 'बच्ची' स्त्रीलिंग है। सामान्यतः 'अ' और 'आ' से समाप्त होने वाले शब्द आमतौर पर स्त्रीलिंग होते हैं।
4. सर्वनाम संज्ञा क्या होती है और इसका प्रयोग कैसे किया जाता है ?
Ans. सर्वनाम संज्ञा वह शब्द है जो संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है, जैसे 'मैं', 'तुम', 'वह' आदि। इसका प्रयोग संज्ञा को दोहराने से बचने और वाक्य को संक्षिप्त बनाने के लिए किया जाता है।
5. लिंग निर्णय और सर्वनाम के बीच क्या संबंध है ?
Ans. लिंग निर्णय संज्ञा के लिंग को पहचानने में मदद करता है, जबकि सर्वनाम का प्रयोग लिंग के अनुसार किया जाता है। जैसे 'वह' पुल्लिंग के लिए और 'वह' स्त्रीलिंग के लिए। सही सर्वनाम का चयन लिंग निर्णय पर निर्भर करता है।
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