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पाठ का सारांश: जहाँ चाह वहाँ राह | Hindi Class 5 PDF Download

इला सचानी छब्बीस साल की हैं। वह गुजरात के सूरत जिले में रहती हैं। वे अपंग हैं। उनके हाथ काम नहीं करते। लेकिन इससे इला जरा भी निरुत्साहित नहीं हुईं। उसने अपने हाथों की इस कमी को तहे-दिल से स्वीकार करते हुए अपने पैरों से काम करना सीखा। दाल-भात खाना। दूसरों के बाल बनाना, फर्श बुहारना, कपड़े धोना, तरकारी काटना, तख्ती पर लिखना जैसे काम उसने पैरों से करना सीखा। उसने एक स्कूल में दाखिला ले लिया। पहले तो सभी उसकी सुरक्षा और उसके काम की गति को लेकर काफी चिंतित थे। लेकिन जिस फुर्ती से इला कोई काम करती थी, उसे देखकर सभी हैरान रह जाते थे। कभी-कभी किसी काम में परेशानी जरूर आती थी लेकिन इला इन परेशानियों के आगे झुकने वाली नहीं थी। उसने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की परन्तु दसवीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई क्योंकि वह दिए गए समय में लिखने का काम पूरा नहीं कर पाई। समय रहते अगर उसे यह मालूम हो जाता कि उसे ऐसे व्यक्ति की सुविधा मिल सकती थी जो परीक्षा में उसके लिए लिखने का काम कर सके तो शायद उसे परीक्षा में असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ता। उसे इस बात का बेहद दुःख है।

इला की माँ और दादी कशीदाकारी करती थीं। वह उन्हें सुई में रेशम पिरोने से लेकर बूटियाँ उकेरते हुए देखती। और एक दिन उसने कशीदाकारी करने की ठान ली, वह भी पैरों से। दोनों अंगूठों के बीच सुई थामकर कच्चा रेशम पिरोने जैसा कठिन कार्य उसने काफी धैर्य और विश्वास से करना शुरू किया। पन्द्रह-सोलह साल के होते-होते इला काठियावाड़ी कशीदाकारी में माहिर हो चुकी थी। किस वस्त्र पर किस तरह के नमूने बनाए जाएँ, कौन-से रंगों से नमूना खिल उठेगा और टाँके कौन-से लगें, गें, यह सब वह अच्छी तरह समझ गई थी। और बहुत जल्दी उसके द्वारा काढ़े गए परिधानों की गी। इन परिधानों में काठियावाड के साथ-साथ लखनऊ और बंगाल की भी झलक थी। उसने पत्तियों को चिकनकारी से सजाया था। डंडियों को कांथा से उभारा था। प्रदर्शनी में आए लोगों ने उसकी कला को काफी सराहा। इस प्रकार इला ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ जैसी उक्ति को शत-प्रतिशत चरितार्थ करती है। वह सबके लिए प्रेरणा की स्रोत है।

शब्दार्थ :
टाँका
- हाथ की सिलाई।
अनूठी- अभुत।
मिसाल- उदाहरण।
विष- जहर।
घुटने टेकना- झुकना।
कुदरत- प्रकृति।
माहिर- अव्वल।
परिधानों की- पोशाकों की, वस्त्रों की।
इस्तेमाल- प्रयोग।
नवीनता- नयापन।
अनूठा- बेमिशाल।

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FAQs on पाठ का सारांश: जहाँ चाह वहाँ राह - Hindi Class 5

1. पाठ का सारांश क्या है?
उत्तर. पाठ का सारांश एक पाठ की संक्षेप में जानकारी प्रदान करने का कार्य होता है। यह पाठ की मुख्य बातें और महत्वपूर्ण जानकारी को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
2. जहाँ चाह वहाँ राह का अर्थ क्या है?
उत्तर. "जहाँ चाह वहाँ राह" का अर्थ होता है कि जिसकी इच्छा होती है, वही रास्ता दिख जाता है। यह अर्थ व्यक्ति को यह समझाता है कि वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जितना उत्साह और परिश्रम रखेगा, उतना ही सफलता प्राप्त करेगा।
3. कक्षा 5 में कौन-कौन से विषय पढ़ाए जाते हैं?
उत्तर. कक्षा 5 में निम्नलिखित विषय पढ़ाए जाते हैं: - हिंदी - अंग्रेजी - गणित - विज्ञान - सामाजिक अध्ययन
4. पाठ के बारे में अधिक जानकारी कहाँ मिलेगी?
उत्तर. पाठ के बारे में अधिक जानकारी पाठ के लेखक द्वारा प्रदान की जाती है। आप इस पाठ को पढ़कर उसमें विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, आप इंटरनेट पर भी संबंधित विषय में और जानकारी खोज सकते हैं।
5. पाठ का सारांश क्यों महत्वपूर्ण होता है?
उत्तर. पाठ का सारांश महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह छात्रों को पाठ की मुख्य बातें और महत्वपूर्ण जानकारी संक्षेप में प्रदान करता है। यह छात्रों को पाठ में समय बचाने में मदद करता है और इन्हें पाठ के महत्वपूर्ण तत्वों को समझने में सहायता प्रदान करता है।
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