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CBSE Hindi Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2018) | Past Year Papers for Class 10 PDF Download

प्रश्न 1: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिएः महात्मा गांधी ने कोई 12 साल पहले कहा था–
मैं बुराई करने वालों को सजा देने का उपाय ढूँढ़ने लगूँ तो मेरा काम होगा उनसे प्यार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर ले आना। इसलिए असहयोग या सत्याग्रह घृणा का गीत नहीं है। असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है।
आपके असहयोग का उद्धेश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है। अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए। अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने ज़िम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती है। लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं। मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृ-भक्ति के कारण अपने पिता को दोषों को सहन करता है। मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आंख बंद नहीं करता है। यह सुधारने वाला प्रेम है।
(क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते हैं?
(ख) बुराई को कैसे समाप्त किया जा सकता है?
(ग) 'प्रेम' के बारे में गांधीजी के विचार स्पष्ट कीजिए।
(घ) असहयोग से क्या तात्पर्य है?
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

उत्तर: (क) गांधीजी बुराई करने वालों को प्रेम, धैर्य तथा नम्रता के साथ समझाकर सुधारना चाहते हैं।
(ख) यदि हम बुराई को बढ़ावा देना बंद कर देंगें तो बुराई स्वयं समाप्त हो जाएगी।
(ग) गांधीजी के अनुसार प्रेम का अर्थ मोह में अंधा होकर अपने प्रिय की गलतियों का समर्थन करना या बढ़ावा देना नहीं है। बल्कि उन गलतियों को सुधारना ही सही अर्थों में प्रेम की परिभाषा है।
(घ) असहयोग का मतलब बुरा करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है। अर्थात् बुराई का त्याग करना ही असहयोग है।
(ङ) शीर्षक – 1 प्रेम और अहिंसा की सही पहचान।
2 प्रेम और अहिंसा की परिभाषा।

प्रश्न 2: निम्नलिखित पद्याशं को रहकर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में लिखिएः 
तुम्हारी निश्चल आँखें 
तारों–सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में 
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता है 
जंरूर दिखाई देती होंगी नसीहतें 
नुकीले पत्थरों–सी 
दुनिया भर के पिताओं की लंबी कतार में 
पता नहीं कौन–सा कितना करोड़वाँ नंबर है मेरा 
पर बच्चों के फूलोंवाले बग़ीचे की दुनिया में 
तुम अव्वल हो पहली क़तार में मेरे लिए 
मुझे माफ़ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझता था 
मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग–बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी 
अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो 
मैं खुश हूँ सोचकर 
कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई। 
(क) बच्चे माता–पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं–यह भाव किन पंक्तियों में आया है? 
(ख) प्रायः बच्चों को पिता की सीख कैसी लगती है? 
(ग) माता–पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ क्यों होता है? 
(घ) कवि ने किस बात को अपनी मूर्खता माना है और क्यों? 
(ङ) भाव स्पष्ट कीजिएः 'प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता।'
उत्तर: (क) बच्चें माता–पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं–यह भाव निम्नलिखित पंक्तियों में आया है– "तुम्हारी निश्चल आँखें तारों–सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में"
(ख) बच्चों को प्रायः अपने पिता की सीख चुमनेवाली नुकीली पत्थरों के समान लगती हैं।
(ग) माता–पिता के लिए उनका बच्चा सर्वश्रेष्ठ होता है क्योंकि दुनिया के सभी बच्चों में से सबसे अधिक वो अपने बच्चों को जानते हैं तथा उसे ही सबसे अधिक प्रेम भी करते हैं।
(घ) कवि अपनी पुत्री को दुनिया से छिपा कर अपने पास सुरक्षित रखना चाहता है। परन्तु यह उसकी भूल है जब उसकी पुत्री बड़ी हो जाती है तो वह खुद को उस दुनिया के अनुसार ढ़ाल लेती है। अपनी इसी भावना को कवि अपनी मूर्खता मानता है।
(ङ) पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता क्योंकि अपने बच्चों को सही राह दिखाने के लिए पिता को कठोर बनना पड़ता है। उसकी इस कठोरता में भी प्रेम छिपा होता है जिसे बच्चें समझ नहीं सकते है।

प्रश्न 3: निर्देशानुसार उत्तर लिखिए | 
(क) बालगोविन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया | (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) 
(ख) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया (मिश्र वाक्य में बदलिए ) 
(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौँदर्य का आनंद ले रहे थे | (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर: (क) अब बुढ़ापा आ गया। (संज्ञा उपवाक्य)
(ख) जैसे ही मॉरीशस की स्वच्छता देखी, वैसे ही मन प्रसन्न हो गया।
(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए ही प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।

प्रश्न 4: रेखांकित पदों का पद -परिचय लिखिए | 
अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया |
उत्तर: गाँव की - जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक।
मिट्टी - जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
मैं - उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग क्रिया का कर्ता।
तरस- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
गया- अकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग।

प्रश्न 5: (क) 'रति' किस रस का स्थायी भाव है? 
(ख) 'करूण' रस का स्थायी भाव क्या है? 
(ग) 'हास्य' रस का एक उदाहरण लिखिए। 
(घ) निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिएः 
मैं सत्य कहता हूँ सखे! सुकुमार मत जानो मुझे, 
यमराज से भी युद्ध को प्रस्तूत सदा मानो मुझे।
उत्तर: (क) श्रृंगार रस
(ख) शोक
(ग) एक गरभ मैं सौ-सौ पूत,
जनमावै ऐसा मजबूत,
करै खटाखट काम सयाना,
सखि सज्जन नहिं छापाखाना।
(घ) वीर रस

प्रश्न 6: निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए: जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग-रुप या कद का नहीं, उस भावना का है; वरना तो देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है। दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुज़रे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। 
(क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों? 
(ख) 'देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।' – इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है? 
(ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें क्या परिवर्तन दिखाई दिया?
उत्तर: (क) कस्बे के नागरिकों ने मूर्ति के ऊपर जो चश्मा लगाया था, भले ही वो चश्मा उस मूर्ति के साथ सामंजस्य नहीं बना रहा था परन्तु फिर भी नेताजी की मूर्ति को बिना चश्में के देखने से ज्यादा बुरा नहीं था। चश्में के रुप रंग से अधिक महत्वपूर्ण उस भावना का था जो नेताजी के सम्मान में किया गया था।
(ख) लेखक नें देशभक्ति को आजकल मज़ाक की चीज़ कहा है क्योंकि लोग बस देशभक्ति का दिखावा करने के लिए चौराहे पर मूर्ति तो लगा देते हैं परन्तु दिल से उनका सम्मान नहीं कर सकते हैं। देशभक्तों ने हमारे देश के लिए अनेकों कुरबानियाँ दी हैं हम केवल उन देशभक्तों के नाम याद रखते हैं उनके दिखाए हुए रास्तों पर नहीं चलते। यह देशभक्ति का मज़ाक ही तो है।
(ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें कुछ परिवर्तन दिखाई दिया। ध्यान से देखने पर पता चला कि नेताजी की मूर्ति पर संगमरमर का चश्मा नही था इस बार वो चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा हुआ था।

प्रश्न 7: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिएः 
(क) 'बालगोबिन भगत' पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है ? 
(ख) महावीर प्रसाद दि्ववेदी शिक्षा–प्रणाली में संशोधन की बात क्यों करते हैं? 
(ग) 'काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाखाँ एक–दूसरे के पूरक हैं' – कथन का क्या आशय है? 
(घ) वर्तमान समाज को 'संस्कृत' कहा जा सकता है या 'सभ्य' ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: (क) 'बालगोबिन भगत' पाठ में निम्नलिखित सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया हैः
(1) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई उस समय सामान्य लोगों की तरह शोक करने की बजाए भगत ने उसकी शैया के समक्ष गीत गाकर अपने भाव प्रकट किए —“आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया है। यह आनंद मनाने का समय है, दु:खी होने का नहीं।“
(2) बेटे के क्रिया-कर्म में भी उन्होंने सामाजिक रीति-रिवाजों की परवाह न करते हुए अपनी पुत्रवधू से ही दाह संस्कार संपन्न कराया।
(3) समाज में विधवा विवाह का प्रचलन न होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी पुत्रवधू के भाई को बुलाकर उसकी दूसरी शादी कर देने को कहा।
(4) अन्य साधुओं की तरह भिक्षा माँगकर खाने के विरोधी थे।
(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी के अनुसार यदि हम चाहते हैं कि शिक्षा स्त्रियों का अनर्थ करती है, तो हम उसमें कुछ संशोधन कर सकते हैं। मिलकर ये तय कर सकते हैं कि स्त्रियों को क्या पढ़ना चाहिए, कितना पढ़ना चाहिए, किस तरह का पढ़ना चाहिए और कहाँ शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। इस तरह से हुए संशोधन स्त्रियों की शिक्षा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। सबका विरोध समाप्त हो जाएगा।
(ग) 'काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाखाँ एक–दूसरे के पूरक हैं' – इस कथन का आशय है कि दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व पूर्ण नहीं होता है। बाबा विश्वनाथ के यहाँ शहनाई बजाकर बिस्मिल्लाखाँ अपने दिन का आरंभ करते हैं। उनकी शहनाई सुनकर ही बाबा विश्वनाथ के दिन का भी आरंभ होता है।
(घ) वर्तमान समाज को 'सभ्य' कहा जा सकता है। इसके पीछे कारण है कि जो मनुष्य अपनी बुद्धि तथा विवेक के द्वारा नए तथ्यों की खोज व दर्शन करता है, वह संस्कृत कहलाता है। इसके विपरीत आने वाली पीढ़ियों को यह तथ्य व दर्शन अपनी पहले की पीढ़ी से मिला है। यह आने वाली पीढ़ी सभ्य कहलाती है। इन्हें हम संस्कृत नहीं कहते हैं।

प्रश्न 8: निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिएः हमारैं हरि हारिल की लकरी। 
मन क्रम बचन नंद–नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी। 
जागत सोवत स्वप्न दिवस–निसि, कान्ह–कान्ह जकरी। 
सुनत जोग लागत है ऐसी, ज्यौं करूई ककरी। 
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी। 
यह तौ 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी 
(क) 'हारिल की लकरी' किसे कहा गया है और क्यों? 
(ख) 'तिनहिं लै सौंपौ' में किसकी ओर क्या संकेत किया गया है ? 
(ग) गोपियों को योग कैसा लगता है? क्यों?
उत्तर: (क) 'हारिल की लकड़ी' उन्होंने श्री कृष्ण को कहा है। जिस प्रकार हारिल पक्षी अपनी लकड़ी को नहीं छोड़ती उसी प्रकार से गोपियाँ श्री कृष्ण को नहीं छोड़ती हैं। श्री कृष्ण गोपियों को अत्यधिक प्रिय हैं वो कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को किसी भी प्रकार नहीं छोड़ सकती।
(ख) 'तिनहिं लै सौंपों'' में गोपियाँ उन लोगों की ओर संकेत करती हैं जिनका मन एकाग्र नहीं होता बल्कि यहाँ–वहाँ भटकता रहता है। उन्हीं लोगों को अपने मन को एकाग्र रखने के लिए योग साधना की आवश्यकता पड़ती है।
(ग) गोपियों को योग कड़वी ककड़ी के समान लगता है। जिस प्रकार कड़वी ककड़ी को निगला नहीं जा सरता है। उसी प्रकार उघन की ज्ञानपूर्ण योग की बातें भी उनकी समझ से बाहर हैं। वो उन्हें स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। इससे पहले उन्होंने इस तरह की बातें कभी नहीं सुनी थी।

प्रश्न 9: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिएः 
(क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं? 
(ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है? 'उत्साह' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
(ग) 'कन्यादान' कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए। 
(घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है?
उत्तर: (क) जयशंकर प्रसाद के ये अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं-
1. दूसरों के द्वारा प्राप्त धोखा से मिले अनुभव के कारण।
2. दूसरों द्वारा उनके जीवन को मनोरंजन की वस्तु मानना और उसमें मज़े लेने के भाव के अनुभव के कारण।
3. अपने प्रेम के निजी पलों की गोपनियता को बनाए रखना क्योंकि लोग इसमें भी रस लेते हैं। कवि को यह पसंद नहीं है।
(ख) कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहता बल्कि 'गर्जना' के लिए कहा है; क्योंकि 'गर्जना' विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
(ग) इसमें दो कुरीतियों का उल्लेख मिलता है। दहेज प्रथा कुरीती का उल्लेख माँ के द्वारा अपनी बेटी को दहेज़ लोभियों से सावधान रहने के लिए किया गया है। इसके अतिरिक्त दूसरी कुरीति है कि विवाह के नाम पर लड़कियों के अस्तित्व के साथ खिलवाड़। विवाह के बाद वह अपने माता-पिता के लिए पराई हो जाती है। ससुराल जाकर उसका स्वयं का अस्तित्व भी चूल्हे-चौके में नष्ट हो जाता है।
(घ) संगतकार मुख्य गायक का उसके गायन में साथ देता है परन्तु वह अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से अधिक ऊँचें स्वर में नहीं जाने देता। इस तरह वह मुख्य गायक की महत्ता को कम नहीं होने देता है। यही हिचक (संकोच) उसके गायन में झलक जाती है। वह कितना भी उत्तम हो परन्तु स्वयं को मुख्य गायक से कम ही रखता है। कवि के अनुसार यह उसकी असफलता का प्रमाण नहीं अपितु उसकी मनुष्यता का प्रमाण है। वह स्वयं को न आगे बढ़ाकर दूसरों को बढ़ने का मार्ग देता है। इसमें स्वार्थ का भाव निहित नहीं होता है। एक शिष्य का अपने गुरु के प्रति समपर्ण भाव है।

प्रश्न 10: "आज आपकी रिपोर्ट छाप दूँ तो कल की अखवार बंद हो जाए"–स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार–पत्रों के इस रवैये पर 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए। 
अथवा 
'मैं क्यों लिखता हूँ', पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
उत्तर: “आज आपकी रिपोर्ट छाप दूँ तो कल ही अखबार बंद हो जाए”- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाचार-पत्रों का रवैया देश के प्रति उपेक्षापूर्ण जान पड़ता है। उन्हें देश से नहीं अपने से अधिक प्रेम था। अंग्रेज़ी शासन का डर उनके रोम-रोम में भरा हुआ था। गुलामी का ज़हर उन्होंने स्वेच्छा से पीना स्वीकार कर लिया था। देश में क्या हो रहा है और देशवासियों पर क्या गुज़र रही है, उससे उनका कोई सरोकार नहीं था। देश के प्रति समर्पण भाव का सर्वथा अभाव था। जीवन में देशप्रेम, बलिदान, भाईचारा, मानवता जैसे भावों का उनसे कोई लेना-देना नहीं था। यह उचित नहीं है। यदि देश उसी समय एक हो गया होता, तो हमें अधिक दिनों तक गुलामी नहीं करनी पड़ती। दुलारी और टुन्नू दो ऐसे पात्र थे, जिन्होंने गुलामी की बेड़ियों को नकार दिया था। वे स्वतंत्रतापूर्वक जीना चाहते थे। ऐसे में यदि समाचार-पत्र उसका साथ देते तो ऐसा जन सैलाब आता कि देशभर जाग जाता। समाचार-पत्र देश के अंदर सीमा प्रहरी के समान हैं। इनके रहते देश में कोई भी गलत कार्य नहीं होता है। सरकार की नकेल कसते हैं और जनता का शोषण होने से रोकते हैं। ऐसे में यदि यही अपने कर्तव्यों से विमुख हो जाएँ, तो देश पतन की ओर है।
अथवा 
विज्ञान के दुरुपयोग से मानवीय मूल्यों को बहुत क्षति पहुँची है। लोगों में समस्त प्राणियों के लिए निस्वार्थ प्रेम, भाईचारा, मनुष्यता तथा दया जैसे मुल्यों का क्षरण हो रहा है। इन्हें बचाने में हमारी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये कहना कि विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है - सही है! आज हम इस दुरुपयोग को रोक सकते हैं। परमाणु हथियार विश्व शांति में बाधक हैं। अतः हमें इनका समर्थन नहीं करना चाहिए। प्रदूषण ने सारे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है। यह विज्ञान की सबसे बड़ी देन है। हमें इसके प्रति जनता में जागरुकता लाने के लिए अनेकों कार्यक्रमों व सभा का आयोजन करना चाहिए। इस तरह प्रदूषण की रोकथाम की जा सकती है। अंग प्रत्यारोप आज बहुत बड़ी समस्या बन गया है। यह कुछ मनुष्यों के लिए वरदान था मगर आज यही एक बाज़ार बन गया है। इसके कारण कुछ लोगों को उनके अंगों के लिए मारा जा रहा है। हमें चाहिए कि जहाँ पर भी ऐसी कोई गतिविधि चल रही हो उससे मीडिया व कानून को जानकारी देकर उनका सहयोग करें।

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FAQs on CBSE Hindi Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2018) - Past Year Papers for Class 10

1. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की हिंदी पिछले वर्ष की पेपर सेट 1 (2018) के लिए समाधान के साथ कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न प्रदान करें।
उत्तर। यहां हम केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की हिंदी पिछले वर्ष के पेपर सेट 1 (2018) के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके संपूर्ण समाधान प्रदान कर रहे हैं। नीचे दिए गए प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें और उनके संपूर्ण उत्तर देखें।
2. पिछले वर्ष की परीक्षा के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की दिल्ली सेट 1 (2018) के हिंदी पेपर के संरचना क्या है?
उत्तर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की दिल्ली सेट 1 (2018) के हिंदी पेपर में इस प्रकार की संरचना थी: - पेपर दो भागों (भाग A और भाग B) में विभाजित था। - भाग A में अनुच्छेद लेखन, गद्यांश, और व्याकरण से सम्बंधित प्रश्न थे। - भाग B में पत्र लेखन और संवाद से सम्बंधित प्रश्न थे। - पेपर का कुल मार्क्स 80 थे।
3. CBSE हिंदी पेपर (2018) में प्रश्न पत्र के भाग A में कौन-कौन से प्रकार के प्रश्न थे?
उत्तर। CBSE हिंदी पेपर (2018) के भाग A में निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न थे: - अनुच्छेद लेखन प्रश्न - गद्यांश प्रश्न - व्याकरण प्रश्न
4. CBSE हिंदी पेपर (2018) के भाग B में कौन-कौन से प्रकार के प्रश्न थे?
उत्तर। CBSE हिंदी पेपर (2018) के भाग B में निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न थे: - पत्र लेखन प्रश्न - संवाद प्रश्न
5. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की हिंदी पिछले वर्ष की पेपर सेट 1 (2018) के विषय के लिए कुछ महत्वपूर्ण तैयारी युक्तियाँ बताएं।
उत्तर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की हिंदी पिछले वर्ष की पेपर सेट 1 (2018) के लिए निम्नलिखित तैयारी युक्तियाँ महत्वपूर्ण हैं: - अच्छी पढ़ाई के साथ साथ पिछले वर्ष के पेपर को ध्यान से समझें और हल करें। - व्याकरण और गद्यांश के प्रश्नों के लिए नोट्स बनाएं और उन्हें नियमित रूप से अभ्यास करें। - अनुच्छेद लेखन और पत्र लेखन के लिए विभिन्न प्रश्नों के मॉडल उत्तरों को अवश्य देखें और लिखने का अभ्यास करें। - संवाद प्रश्न के लिए व्याकरण और बोलचाल के नियमों को विस्तार से समझें और संवाद लेखन की प्रैक्टिस करें। - परीक्षा के दिन शांतिपूर्वक प्रश्न पढ़ें, समय तालिका बनाएं, और उत्तर देने से पहले प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें।
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