प्रश्न 1: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20–30 शब्दो में लिखिएः
हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला–कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी–खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है ‘ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं।‘ मनुष्य के शरीर के वर्णन हर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास–से–उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम–से–उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है।
एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।
(क) हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है?
(ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व क्यों दिया?
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है?
(घ) हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है?
(ङ) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर: (क) जब हम अंदर से खुश होते हैं तो चेहरे पर अनायास ही हॅंसी आ जाती है, इसलिए हॅंसी को भीतरी आनंद का चिह्न कहा गया है।
(ख) पुराने समय में लोगों ने हॅंसी को बहुत अधिक महत्व दिया है। उनका यह मानना है कि हम जितना अधिक खुलकर हँसेंगे उतना ही अधिक हमारा मन तथा शरीर स्वस्थ रहेगा। उतनी ही अधिक हमारी आयु बढ़ेगी।
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन इसलिए कहा गया है क्योंकि हँसी से बड़ा से बड़ा दु:ख और शोक समाप्त किया जा सकता है।
(घ) हेरीक्लेस हमेशा दु:खी और खींझा हुआ रहता था इसलिए उसकी आयु कम रही, जबकि डेमाक्रीट्स ज़िन्दादिल और प्रसन्नमुख था । इसी कारण वह 109 वर्ष तक जिया। इस उदाहरण के माध्यम से लेखक ने हॅंसी के महत्व को बताया है।
(ङ) हँसने के लाभ।
प्रश्न 2: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 20–30 शब्दों में लिखिए।
मैं चला, तुम्हें भी चलना है असि धारों पर
सर काट हथेली पर लेकर बढ़ आओ तो।
इस युग को नूतन स्वर तुमको ही देना है,
अपनी क्षमता को आज ज़रा अज़माओ तो।
दे रहा चुनौती समय अभी नवयुवकों को
मैं किसी तरह मंज़िल तक पहले पहुँचूँगा।
तुम बना सकोगे भूतल का इतिहास नया,
मैं गिरे–हुए लोगों को गले लगाऊँगा।
क्यों ऊँच–नीच, कुल, जाति रंग का भेद–भाव?
मैं रूढ़िवाद का कल्मष–महत ढहाऊँगा।
जिनका जीवन वसुधा की रक्षा हेतु बना
मरकर भी सदियों तक यों ही वे जीते हैं
दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल
खुद हँसते–हँसते कालकूट को पीते हैं।
है अगर तुम्हें यह भूख– ‘मुझे भी जीना है’
तो आओ मेरे साथ नींव में गड़ जाओ।
ऊपर इसके निर्मित होगा आनंद–महल
मरते–मरते भी दुनिया में कुछ कर जाओ।
(क) कवि को नवयुवकों से क्या–क्या अपेक्षाएँ हैं?
(ख) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’ कैसे संभव है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) भाव स्पष्ट कीजिएः
‘दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल,
खुद हँसते–हँसते कालकूट को पीते हैं।'
उत्तर: (क) कवि को नवयुवकों से निम्नलिखित अपेक्षाएँ हैं-
(i) वो नया इतिहास बनाएँगे।
(ii) ऊँच-नीच का भेदभाव समाप्त करेंगे।
(iii) अपनी धरती की रक्षा हेतु अपने प्राणों का त्याग कर अमर हो जाएँगे।
(ख) जब कोई अपनी धरती, अपने देश की रक्षा हेतु अपने प्राणों का त्याग करते हैं, वो लोग मर कर भी इतिहास में अपना नाम अमर कर जाते हैं। आने वाली पीढ़ी उन्हें हमेशा याद करती हैं।
(ग) जिनका जीवन समाज और देश को समर्पित होता है, वो समाज और देश की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान कर देते हैं ताकि दूसरों का जीवन सुखमय हो सके। अर्थात् दूसरों की खुशी के लिए अपने सुख का त्याग करते हैं।
प्रश्न 3: शब्द पद कब बन जाता है? उदाहरण देकर तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर: एक शब्द का जब वाक्य में प्रयोग होता है, तो वह व्याकरण के नियमों से पूरी तरह बंध जाता है और यहाँ आकर उसका अस्तित्व बदल जाता है। नियमों में बंधा शब्द पद का रूप धारण कर लेता है। अब वह स्वतंत्र नहीं होता। अब वह वाक्य के क्रिया, लिंग, वचन और कारक के नियमों से अनुशासित होता है। जैसे- राम घर गया। इस वाक्य में राम, घर गया इत्यादि अब शब्द न रहकर पद बन गए हैं।
प्रश्न 4: नीचे लिखे वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिएः
(क) जापान में चाय पीने की एक विधि है जिसे ‘चा–नो–यू’ कहते हैं। (सरल वाक्य में)
(ख) तताँरा को देखते ही वामीरो फूट–फूट कर रोने लगी। (मिश्र वाक्य में)
(ग) तताँरा की व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं। (संयुक्त वाक्य में)
उत्तर: (क) जापान में चाय पीने की विधि को ‘चा–नो–यू’ कहते हैं।
(ख) जैसे ही तताँरा को देखा, वैसे ही वामीरो फूट–फूट कर रोने लगी।
(ग) तताँरा की आँखें व्याकुल थी और वे वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
प्रश्न 5: (क) निम्नलिखित शब्दों का सामासिक पद बनाकर समास के भेद का नाम भी लिखिएः जन का आंदोलन, नीला है जो कमल
(ख) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास के भेद का नाम लिखिएः नवनिधि, यथासमय
उत्तर: (क) जनांदोलन (तत्पुरुष समास), नीलकमल (कर्मधारय समास)
(ख) नौ विधियों का समाहार (द्विगु समास), समय के अनुसार (कर्मधारय समास)
प्रश्न 6: निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिएः
(क) वह गुनगुने गर्म पानी से स्नान करता है।
(ख) माताजी बाज़ार गए हैं।
(ग) अपराधी को मृत्युदंड की सजा मिलनी चाहिए।
(घ) मैं मेरा काम कर लूँगा।
उत्तर: (क) वह गुनगुने पानी से स्नान करता है।
(ख) माताजी बाज़ार गई हैं।
(ग) अपराधी को मृत्युदंड मिलना चाहिए।
(घ) मैं काम कर लूँगा।
प्रश्न 7: निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाएः
उत्तर: मौत सिर पर होना - मैदान में दुश्मन की गोलियों की बौछार ने बता दिया कि हमारी मौत सिर पर है। चेहरा मुरझा जाना - पिताजी को खाली हाथ देखकर नैना का चेहरा मुरझा गया।
प्रश्न 8: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20–30 शब्दों मे लिखएः
(क) तताँरा–वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए।
(ख) हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन 'ग्लोरीफाई' क्यों कर दिया जाता है? 'तीसरी कसम' के शिल्पकार शैलेन्द्र के आधार पर उत्तर दीजिए।
ग) 'गिरगिट' पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर–ज़ोर से क्यों चिल्ला रहा था?
उत्तर: (क) ऐसी मान्यताएँ, परंपराएँ, रूढ़ियाँ जो हमारे विकास में बाधा डाले, बंधन बनने लगे या हमें दूसरों से अलग करें उन्हें हटा देना ही सही होता है। तताँरा और वामीरो एक दूसरे को बहुत प्रेम करते थे परन्तु उस द्वीप की परंपरा थी कि एक गाँव के व्यक्तियों का दूसरे गाँव के व्यक्तियों के साथ विवाह नहीं हो सकते है। इस रूढ़ी के कारण तताँरा और वामीरो को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। इनके बलिदान के बाद ही लोगों को सबक मिला और उन्होंने इस रूढी को तोड़ दिया गया।
(ख) हमारी फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफाई करने कारण दर्शकों को अपनी ओर खींचना होता है। यदि इस प्रकार से किसी चित्रण का त्रासदी का चित्रण किया जाता है, तो दर्शक इस ओर खींचे चले जाते हैं। ऐसी बहुत सी फ़िल्में हैं, जिन्होंने ऐसा करके दर्शकों की भीड़ जुटाई। मदर इंडिया, ट्रेन टू पाकिस्तान जैसी बहुत सी फिल्में हैं।
(ग) 'गिरगिट' पाठ में चौराहे पर खड़ा व्यक्ति ज़ोर–ज़ोर से चिल्ला रहा था क्योंकि कुत्ते ने उसकी अंगुली पर काट लिया था। वह इस बात से गुस्सा था और कुत्ते को पकड़ कर मारना चाहता था। चिल्लाकर वह अपना गुस्सा निकाल रहा था।
प्रश्न 9: 'बड़े भाई साहब' कहानी के आधार पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए कि लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन पहलुओं पर व्यंग्य किया है? आपके विचारों से इसका क्या समाधान हो सकता है ? तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए।
अथवा
'अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशुपक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर: बड़े भाई साहब कहानी में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के निम्नलिखित पहलुओं पर व्यंग्य किया है- शिक्षा'शब्द का अर्थ है अध्ययन तथा ज्ञान ग्रहण करना। आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमें धनी बना सकती है। परन्तु उसमें नीति और संस्कारों का नितांत अभाव मिलता है। हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति हमें प्रकृति और सभी प्राणियों से संपर्क बनाए रखने में सहायता करती थी। यहसंस्कारों, नीतियों और अपने परिवेश को बेहतर समझने में सहायक थी। मनुष्य प्रकृति के बहुत समीप था। परन्तु आधुनिक शिक्षा आज जीविका कमाने का साधन मात्र बनकर रह गई है। संस्कार, नीतियाँ और परंपराएँ बहुत पीछे छूट गए हैं।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है। परन्तु अध्यात्म और भावनाओं से कौसों दूर है। यह शोषण की नीति पर आधारित है। अपने विकास और प्रगति के नाम पर प्रकृति व हर उस चीज़ का शोषण करती है , जो उसके मार्ग पर बाधा है या जिसके विनाश से उसे कुछ हासिल हो सकता है। इसका उद्देश्य मनुष्य को रोज़ी - रोटी दिलाना है। मानवीय संवेदना से उसका कोई संबंध नहीं है। ऐसी शिक्षा से युक्त व्यक्ति उच्चमहत्वकांक्षाओं का गुलाम होता है। उसे हर व्यक्ति अपना प्रतिस्पर्धी दिखाई देता है। वह इससे बड़े - बड़े महल खड़े कर सकता है। धन का अंबार लगा सकता है। परन्तु मानवीय संवेदना कहाँ से लाए , जो प्राचीन शिक्षा प्रणाली का मुख्य आधार हुआ करती थी।
अथवा
बढ़ती आबादी के कारण आवासीय स्थलों को बढ़ाने के लिए वन, जंगल यहाँ तक कि समुद्रस्थलों को भी छोटा किया जा रहा है। पशु-पक्षियों के लिए स्थान नहीं है। इन सब कारणों से प्राकृतिक का सतुंलन बिगड़ गया है और प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ती जा रही हैं। पशु-पक्षियों की कई आबादी बढ़ती आबादी के कारण विलुप्त हो चुकीं या फिर विलुप्ती की कगार पर हैं। इससे प्रकृति असंतुलन बढ़ गया है। मनुष्य पर भी इस बढ़ती आबादी रा बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ गया है। प्राकृतिक संसाधनों में कमी आई है। यदि शीघ्र ही कुछ नहीं किया गया, तो सभी जीवों पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। हमें इसके लिए एकजुट हो जाना चाहिए। परिवार नियोजन पर ज़ोर देना चाहिए। पेड़ लगाने चाहिए। प्रदूषण को रोकने के लिए अन्य प्रकार के उपाय करने चाहिए।
प्रश्न 10: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20–30 शब्दों में लिखिएः
(क) महादेवी वर्मा की कविता में 'दीपक' और 'प्रियतम' किनके प्रतीक हैं?
(ख) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर पर्वत के रूप–स्वरूप का चित्रण कीजिए।
(ग) बिहारी ने 'जगतु तपोबन सौ कियौ' क्यों कहा है?
उत्तर: (क) कवयित्री के अनुसार दीपक ईश्वर के प्रति आस्था व प्रेम का प्रतीक है और प्रियतम ईश्वर का प्रतीक हैं। कवयित्री दीपक को जलने का आग्रह करती है ताकि वह अपने प्रियतम रूपी ईश्वर का मार्ग प्रशस्त कर सके।
(ख) पर्वतों में वर्षा ऋतु के कारण फूलों की बहार आई हुई है। पर्वत की तलहटी में एक बड़ा-सा तालाब है जो दर्पण के समान प्रतीत हो रहा है। फूलों से युक्त पर्वत ऐसे लग रहा है मानों कोई अपनी विशाल फूल रूपी बड़ी-बड़ी आँखों से तालाब रूपी दर्पण में अपनी छवि निहार रहा हो। पर्वतों में गिरते हुए झरने ऐसे प्रतीत हो रहे हैं मानो पर्वतों से तीव्र वेग से झाग बनाती हुई मोतियों की लड़ियों-सी सुन्दर पानी की धारा झर-झर करती हुई बह रही है। पर्वतों पर उगे हुए ऊँचे-ऊँचे पेड़ ऐसे प्रतीत हो रहे हैं मानो आकाश को छूने की इच्छा करते हुए शांत आकाश की ओर कुछ चिंतित परन्तु दृढ़ भाव से निहार रहे हैं। आकाश में बादल छाने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो पर्वत गायब हो गया है। ऐसा लगता है मानों पर्वत पक्षी की भांति अपने सफ़ेद पंख फड़फड़ता हुआ दूर कहीं उड़ गया हो।
(ग) गर्मी की ऋतु में बड़ी भंयकर गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी के भंयकर ताप ने समस्त संसार को तपोवन के समान बना दिया है। जिसके प्रभाव से शत्रु-भाव रखने वाले पशु-पक्षी जैसे साँप-मोर, हिरण और बाघ एक साथ रह रहे हैं।
प्रश्न 11: 'कर चले हम फिदा' अथवा 'मनुष्यता' कविता का प्रतिपाद्य लगभग 100 शब्दों मे लिखिए।
उत्तर: इस कविता में देशभक्ति की भावना को बल दिया गया है। जब हम इसका पाठन करते हैं, तो पता चलता है कि एक सैनिक कैसे देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर देता है। वह इसके बदले कुछ नहीं माँगता है। बस चाहता है कि उसके बाद देशवासी देश की रक्षा करने के लिए तत्पर रहें। इसकी रक्षा के लिए हज़ारों सैनिकों ने बलिदान दिया है। हमें उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। हमें देश का सम्मान बनाए रखने के लिए तत्पर रहना चाहिए। यह कविता हमें देश से प्रेम करने पर बल देती है।
प्रश्न 12: इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
'हरिहर काका' कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है। उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। उत्तर लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए
उत्तर: टोपी शुक्ला दो अलग-अलग धर्मों से जुड़े बच्चों बीच स्नेह की कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक मित्रता से बने रिश्ते व प्रेम से बने रिश्ते की सार्थकता को प्रस्तुत करता है। वह समाज के आगे उदाहरण पेश करता है की मित्रता कभी धर्म व जाति की गुलाम नहीं होती अपितु वह प्रेम, आपसी स्नेह व समझ का प्रतीक होती है। बालमन किसी स्वार्थ या हिसाब से चलायमान नहीं होता। भारतीय समाज में जहाँ देश धर्मों के नाम पर बँटा हैं, वहाँ इनकी दोस्ती समाज को प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। इनकी मित्रता बताती है कि जीवन में प्रेम को महत्व दें। धर्म मनुष्य को अच्छे मार्ग पर चलाने के लिए बने हैं, उन्हें बाँटने के लिए नहीं। टोपी और इफ़्फ़न की मित्रता समझाती है कि जीवन में एक सच्चा मित्र हर धर्म और मत से ऊपर है। उसके साथ रहकर हमें और किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इनकी दोस्ती प्रेरणा का स्रोत है।
अथवा
महंत से एक समाज की बहुत अपेक्षा होती है। लोगों के अनुसार महंत एक शुद्ध आचरण का व्यक्ति होना चाहिए। उसके विचार शुद्ध व अच्छे होने चाहिए। समाज चाहता है कि महंत समाज को सही दिशा प्रदान करें। समाज में लोगों को गलत करने से रोकेंं। प्रभु भक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। अच्छे-बुरे समय में लोगों को अपने विचारों से शांति प्रदान करें। धर्म में व्याप्त शंकाओं, चिताओं का निवारण करे। हरिहर काका पाठ का महंत इन सबसे अलग हैं। वह दुष्ट और अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति है। अतः लोगों का मार्ग प्रशस्त करने की उससे अपेक्षा नहीं की जा सकती है। वह लोगों को मुर्ख बनाकर उनकी धन-संपदा लुटता है। यदि लोग नहीं मानते तो उनका अपहरण करके हड़प लेता है। ऐसा व्यक्ति समाज को सही दिशा प्रदान करने के स्थान पर पतन की ओर ले जाता है।
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