अति लघू उत्तरीय प्रश्न
(प्रत्येक 1 अंक)
प्रश्न 1. खम्भात के पास किस नदी के आगे कीचड़-ही-कीचड़ दिखाई देती है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: महानदी।
व्याख्यात्मक हल:
खम्भात के पास मही नदी के आगे कीचड़-ही-कीचड़ दिखाई देती है।
प्रश्न 2. ‘कीचड़ का काव्य’ नामक पाठ में किस विषय का प्रतिपादन किया गया है ?
उत्तरः कीचड़ की पशुओं के ही नहीं मानव के जीवन में भी उपयोगिता है, धान की फसल, कमल का फूल और सुन्दर रंग की उत्पत्ति केवल कीचड़ में ही सम्भव है, कीचड़ के सौन्दर्य के विविध रूप आदि।
प्रश्न 3. मनुष्य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता ?
उत्तरः मनुष्य को अगर यह भान होता कि हमारा अन्न इसी में उत्पन्न होता है तब कीचड़ की महत्ता को समझने पर वह कीचड़ का तिरस्कार न करता।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(प्रत्येक 2 अंक)
प्रश्न 1. कीचड़ के रंगों का प्रयोग कौन लोग करना पसंद करते हैं? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः सामान्य जन, कलाभिज्ञ।
व्याख्यात्मक हल:
कीचड़ के रंगों का प्रयोग कलाभिज्ञ, विज्ञ, पुस्तकों पर गत्ता चढ़ाने वाले, घरों की दीवारों को रंगने वाले, फोटोग्राफर आदि लोगों के द्वारा पसंद किया जाता है।
प्रश्न 2. मध्य एशिया के रास्तों की तरह दूर-दूर तक फैला कीचड़ कब सुंदर दिखाई देता है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः जब वह नदी किनारे मीलों पैळला हुआ हो, समतल-चिकना हो और उस पर बगुले आदि पक्षियों के पदचिन्ह अंकित हों।
प्रश्न 3. पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की क्या विशेषता है ?
उत्तरः पहाड़ लुप्त कर देने वाला कीचड़ खम्भात की खाड़ी में पाया जाता है। इस कीचड़ की यह विशेषता है कि मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नजर जाएगी वहाँ तक सर्वत्र कीचड़-ही-कीचड़ दिखाई देता है।
प्रश्न 4. पंक और पंकज शब्द में क्या अन्तर है ? मन के भाव भी शब्द और अर्थ से किस प्रकार बदल जाते हैं ?
उत्तरः ‘पंक’ शब्द का अर्थ है-कीचड़ और ‘पंकज’ शब्द का अर्थ है-कमल। कीचड़ में उत्पन्न होने के कारण कमल को पंकज कहते हैं। ‘पंक’ शब्द घृणास्पद लगता है, परन्तु ‘पंकज’ का नाम सुनते ही चित्त प्रसन्न हो जाता है।
प्रश्न 5. ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर बताइए कि नदी के किनारे कीचड़ कब सुन्दर लगता है
अथवा
नदी के किनारे का कीचड़ कब सुन्दर दिखता है?
उत्तरः सूखे हुए कीचड़ का सौन्दर्य नदी के किनारे पर दिखाई देता है। कीचड़ का पृष्ठ भाग सूखने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी विहार करने लगते हैं। उनका यह विहार बहुत सुन्दर प्रतीत होता है। कुछ अधिक सूखने पर उस पर गायें, बैल, भैंसें, पाड़े, भेड़ें, बकरियाँ भी चहलकदमी करने लगती हैं। भैंसों के पाड़े तो सींग-से-सींग भिड़ाकर भयंकर युद्ध करते हैं। तब कीचड़ जगह-जगह से उखड़ जाती है। इस समय का सौन्दर्य देखते ही बनता है।
प्रश्न 6. कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है ?
अथवा
कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसन्द करते हैं?
उत्तरः कीचड़ का रंग निम्नलिखित लोगों को खुश करता है-
(i) कलाभिज्ञ तथा विज्ञ लोग।
(ii) पुस्तकों पर गत्ता चढ़ाने वाले लोग।
(iii) घरों की दीवारों को रंगवाने वाले लोग।
(iv) फोटोग्राफर आदि।
प्रश्न 7- कीचड़ की सुन्दरता का वर्णन कीजिए।
उत्तरः नदी के किनारे कीचड़ सूखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं। टेढ़े होने पर सुखाए हुए खोपरे जैसी नदी होती है। नदी किनारे मीलों तक एक-सा फैला हुआ चिकना कीचड़। सूख जाने पर बगुले व अन्य पक्षियों के पद चिह्न उस पर अंकित हो जाते हैं।
प्रश्न 8- कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है ?
उत्तरः कीचड़ सूखने पर उस पर गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि के चलने पर चिह्न अंकित हो जाते हैं। भैंसों के पाड़े संग-से-संग भिड़ाकर लड़ते हैं तो उनके सींगों के चिह्न कीचड़ पर अंकित हो जाते हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो भैंसों के कुल का महाभारत यही लड़ा गया हो।
1. कीचड़ का काव्य क्या है? |
2. कीचड़ का काव्य क्यों महत्वपूर्ण है? |
3. कीचड़ का काव्य किस प्रकार के सवालों पर ध्यान केंद्रित करता है? |
4. कीचड़ का काव्य किस उम्र के छात्रों के लिए उपयुक्त है? |
5. कीचड़ का काव्य कोनसी भाषा में लिखा जाता है? |
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