Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Short Question Answers - धर्म की आड़

Short Question Answers - धर्म की आड़ - Class 9 PDF Download

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

(प्रत्येक 1 अंक)

प्रश्न 1. गांधीजी का धर्म से क्या आशय था? उसकी क्या विशेषता थी? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः चरित्र के ऊँचे और उदात्त तत्वों से। सहनशीलता, समानता।
व्याख्यात्मक हल:
महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे एक कदम भी धर्म-विरुद्धनहीं चलते थे, परन्तु उनके लिए धर्म का अर्थ था-ऊँच विचार तथा मन की उदारता। वे धर्म के नाम पर हिन्दू, मुसलमान की कट्टरता के फेर में नहीं पड़ते थे। उनकी विशेषता लोककल्याणकारी, सदाचारी, समानता व सहनशीलता थी।

प्रश्न 2. ‘ला मजहब’ किसे कहा जाता है? वे केसे होते हैं? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तरः जो ईश्वर में आस्था नहीं रखते।
व्याख्यात्मक हल:
ला मजहब का अर्थ है, जिसका कोई धर्म / मजहब न हो। ये लोग ईश्वर में आस्था नहीं रखते।

प्रश्न 3. गरीब और अधिक गरीब कैसे हो रहे हैं? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः पूंजीपतियों द्वारा गरीबों का शोषण किया जा रहा है जिससे गरीब और अधिक गरीब हो रहे हैं।

प्रश्न 4. धर्म की आड़ में किस प्रकार के प्रपंच रचे जा रहे हैं ? 
उत्तरः दो घण्टे बैठकर पूजा करना, पाँच-वक्त नमाज अदा करना, अजाँ देना, शंख बजाना, फिर अपने को दिनभर बेईमानी करने और दूसरों को कष्ट पहुँचाने के लिए आज़ाद समझना। इसका नाम धर्म नहीं है।

प्रश्न 5. आने वाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा ?
उत्तरः आने वाला समय उस धर्म को नहीं टिकने देगा, जिसमें पूजा-पाठ के लिए केवल दिखावा होगा, परन्तु वास्तव में धर्म के नाम पर लोगों का शोषण किया जाएगा।

प्रश्न 6. स्वाधीनता के कार्यों में सबसे बुरा दिन कौन-सा था तथा क्यों? 
अथवा
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आन्दोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था?
उत्तरः लेखक के अनुसार स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान सबसे बुरा दिन वह था जब स्वाधीनता के लिए खिलाफत, मुल्ला-मौलवियों और धर्माचार्यों को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दिया गया।

प्रश्न 7. केसे लोग धार्मिक लोगों से अच्छे हैं ?
अथवा
कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं? 
उत्तरः नास्तिक लोग, जो किसी धर्म को नहीं मानते वे धार्मिक लोगों से अच्छे हैं। जिनका आचरण अच्छा है वे सदा सुख-दुःख में एक-दूसरे का साथ देते हैं और धार्मिक लोग एक-दूसरे को धर्म के नाम पर लड़वाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(प्रत्येक 2 अंक)
प्रश्न 1. धार्मिक शोषण को किस प्रकार रोका जा सकता है? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तरः उसे साहस और दृढ़ता के साथ रोकने का जनता का अडिग निश्चय।
व्याख्यात्मक हल:
कुछ स्वार्थी लोग धर्म के नाम पर लोगों का धार्मिक शोषण करते हैं, इसे रोकने का उपाय यही है कि लोगों को धर्म की सही शिक्षा दी जाए। धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ प्रयास किया जाना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो आपसी हिंसा और अधिक बढ़ जायेगी।
प्रश्न 2. धूर्त किस बात का अनुचित लाभ उठा लेते हैं? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तरः आम जनता की धार्मिक कमजोरियों और असीमित भावुकता का।
व्याख्यात्मक हल:
धूर्त लोग आम जनता को धर्म के नाम पर डराते हैं तथा उनकी धार्मिक कमजोरियों और असीमित भावुकता को अपनी ढाल बनाते हैं। साधारण आदमी धर्म के मर्म की समझ बूझ नहीं रखता। अतः धूर्त लोग उसकी अज्ञानता का लाभ उठाते हुए उसकी शक्ति और उत्साह का दुरुपयोग करते हुए उसका शोषण करते हैं।

प्रश्न 3. कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए ? 
उत्तरः यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं जबरदस्ती दूसरों के धर्म में टाँग अड़ाते हों, बाधा करते हों तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए। दूसरों के लिए बाधक समझा जाए।

प्रश्न 4. शुद्धाचरण से क्या तात्पर्य है? ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर अन्तर दीजिए।
उत्तरः शुद्धाचरण धर्म का एक स्पष्ट चिन्ह है। अगर आप दिन भर बेईमानी करें और दूसरों को तकलीफ पहुँचाएँ तो यह धर्म के शुद्धाचरण के विरूद्ध होगा। आपकी भलमनसाहत से ही और सबके कल्याण की दृष्टि से आपके द्वारा किया गया आचरण ही शुद्धाचरण होगा।

प्रश्न 5. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को केसे रोका जा सकता है ? 
अथवा
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए? 
उत्तरः धर्म व ईमान के नाम पर दंगे-फसाद हो रहे हैं। कुछ स्वार्थी लोग धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाते हैं। इसे रोकने का उपाय यही है कि लोगों को धर्म की सही शिक्षा दी जाए। लोगों को समझाया जाए कि खून बहाने वालों व दंगा करने वालों का कोई धर्म नहीं होता।

प्रश्न 6. धर्म के स्पष्ट चिन्ह क्या हैं ?
अथवा
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है? 
उत्तरः लेखक के अनुसार हर व्यक्ति को अपना धर्म, अपनी उपासना की पूरी स्वतन्त्रता हो, जो जैसा चाहे वैसी अपनी धर्म की भावना को मन में जगाए। धर्म और ईमान मन का सौदा हो। अजाँ देने, शंख बजाने, नमाज़ अदा करने का नाम धर्म नहीं है। शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं।

प्रश्न 7. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना केसी होनी चाहिए ?
उत्तरः लेखक के अनुसार, धर्म के विषय में मानव स्वतंत्र होना चाहिए। हर व्यक्ति आजाद हो। वह जो धर्म अपनाना चाहे, अपनाए। कोई किसी की स्वतन्त्रता में बाधा न खड़ी करे। धर्म का सम्बन्ध हमारे मन से, ईमान से, ईश्वर और आत्मा से होना चाहिए। वह मन को शुद्ध करने का मार्ग होना चाहिए, अपने जीवन को ऊँचा उठाने का साधन होना चाहिए, दूसरे को कुचलने का नहीं।

प्रश्न 8. ‘धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर गाँधी जी के धर्म सम्बन्धी विचार लिखिए।
अथवा
महात्मा गाँधी के धर्म सम्बन्धी विचारों का प्रकाश डालिए। 
उत्तरः महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्त्वपूर्ण स्थान देते थे। वे एक कदम भी धर्म-विरुद्ध नहीं चलते थे। परन्तु उनके लिए धर्म का अर्थ था-ऊँचे विचार तथा मन की उदारता। वे ‘कर्तव्य’ पक्ष पर जोर देते थे। वे धर्म के नाम पर हिन्दू-मुसलमान की कट्टरता के फेर में नहीं पड़ते थे। इस प्रकार से कर्तव्य ही उनके लिए धर्म था।

प्रश्न 9. धर्म और ईमान के नाम पर कौन-कौन से ढोंग किए जाते हैं ?
उत्तरः आज धर्म और ईमान के नाम पर उपद्रव किए जाते हैं और आपसी झगड़े करवाये जाते हैं। स्वार्थ सिद्धि के लिए लड़ाया जाता है। धर्म के नाम पर दंगे होते हैं और धर्म तथा ईमान पर जिद की जाती है। हर समुदाय का व्यक्ति दूसरे की जान लेने तथा जान देने के लिए तैयार है।

प्रश्न 10. पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अन्तर है ?
उत्तरः पाश्चात्य देशों में धनी निर्धन का शोषण करते हैं। वे स्वयं तो ऊँचे-ऊँचे भवनों में रहते हैं और गरीब लोगों का बसेरा झोंपड़ियों में होता है। वहाँ धन की मार दिखाकर निर्धनों को वश में किया जाता है।

प्रश्न 11. ‘धर्म की आड़’ पाठ में लेखक क्या सन्देश देना चाहता है ?
अथवा
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए? 
उत्तरः धर्म आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन है। व्यक्ति को अपनी इच्छा से धर्म अपनाने की स्वतन्त्रता है। धर्म किसी की स्वतन्त्रता को छीनने या कुचलने का साधन न बने। विकास का साधन-शुद्ध आचरण व सदाचार का होना ही धर्म है।

प्रश्न 12. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि "धर्म की मार से ज्यादा बुद्धि की मार बुरी है।" ‘बुद्धि की मार’ के सम्बन्ध में लेखक के क्या विचार है?
उत्तरः बुद्धि की मार से लेखक का अर्थ है कि लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना कि वे उसके अनुसार काम करें। धर्म के नाम पर, ईमान के नाम पर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। लोगों की बुद्धि पर पर्दा डाल दिया जाता है। उनके मन में दूसरे धर्म के विरुद्ध जहर भरा जाता है। इसका उद्देश्य खुद का प्रभुत्व बढ़ाना होता है।

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FAQs on Short Question Answers - धर्म की आड़ - Class 9

1. धर्म की आड़ क्या है?
उत्तर: धर्म की आड़ एक कविता है जिसे ठोस या नगण्य चीजों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। इसे अपनी भाषा, भावनाओं, आदतों, और सामाजिक संबंधों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
2. धर्म की आड़ क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: धर्म की आड़ महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से हम अपनी भाषा, भावनाएं, आदतें, और सामाजिक संबंधों को व्यक्त कर सकते हैं। यह हमें अपनी संगठनात्मक पहचान की पहचान करने में मदद करता है और हमें अपने समाज में स्थान प्राप्त करने में मदद करता है।
3. धर्म की आड़ कैसे व्यक्त की जाती है?
उत्तर: धर्म की आड़ को व्यक्त करने के लिए हम अपनी भाषा का उपयोग कर सकते हैं और इसे अपने भावों, विचारों, और आदतों के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं। हम इसे अपनी व्यक्तिगत रूचियों और समाजिक संबंधों के आधार पर व्यक्त कर सकते हैं।
4. धर्म की आड़ क्या अंग्रेजी में कहते हैं?
उत्तर: धर्म की आड़ को अंग्रेजी में "expression of religion" कहा जाता है।
5. धर्म की आड़ का क्या महत्व है समाज में?
उत्तर: धर्म की आड़ समाज में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से हम अपनी संगठनात्मक पहचान की पहचान करते हैं और अपने समाज में स्थान प्राप्त करते हैं। यह हमें अपने मूल्यों, धार्मिक आदर्शों, और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में मदद करता है।
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