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Long Question Answers - रैदास के पद | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. कवि ने अपनी तुलना ईश्वर से किस रूप में की है?

उत्तरः कवि अपने आराध्य को याद करते हुए उनसे अपनी तुलना करता है। उनका प्रभु हर तरह से श्रेष्ठ है तथा उनके मन में निवास करता है। हे प्रभु आप चंदन तथा हम पानी हैं। आपकी सुगंध मेरे अंग-अंग में बसी है। आप बादल हैं, मैं मोर हूँ। जैसे घटा आने पर मोर नाचता है। मेरा मन भी आपके स्मरण से नाच उठता है। जैसे चकोर प्रेम से चाँद को देखता है वैसे ही मैं आपको देखता हूँ। प्रभु आप दीपक हैं तो मैं उसमें जलने वाली बाती हूँ। जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। प्रभु आप मोती हो तो मैं माला का धागा हूँ। जैसे सोने और सुहागे का मिलन हो गया हो, प्रभु आप स्वामी हैं मैं आपका दास हूँ। मैं सदा आपकी भक्ति करता हूँ।

प्रश्न 2. रैदास के प्रभु में वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती हैं?
उत्तरः (i) वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।
(ii) वे जाति प्रथा या छुआछुत को महत्व नहीं देते। वे समदर्शी हैं।
(iii) उनके लिए भावना प्रधान है। वे भक्त वत्सल हैं।
(iv) दीन दुखियों व शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। वे गरीब नवाज हैं।
(v) वे किसी से डरते नहीं हैं, निडर हैं।

प्रश्न 3. कवि रैदास ने अपने पद के माध्यम से तत्कालीन समाज का चित्रण किस प्रकार किया है?
उत्तरः 

  • कवि रैदास ने अपने पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में सामाजिक छुआछूत एवं भेदभाव की तत्कालीन स्थिति का अत्यंत मार्मिक एवं यथार्थ चित्र खींचा है। 
  • उन्होंने अपने पद में कहा है कि गरीब एवं दीन-दुखियों पर कृपा बरसाने वाला एकमात्र प्रभु है। उन्होंने ही एक ऐसे व्यक्ति के माथे पर छत्र रख दिया है, राजा जैसा सम्मान दिया है, जिसे जगत के लोग छूना भी पसंद नहीं करते । समाज में निम्न जाति एवं निम्न वर्ग के लोगों को तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखा जाता था, ऐसे समाज में प्रभु ही उस पर द्रवित हुए।
  • कवि द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि संत कवियों का दिया गया उदाहरण दर्शाता है कि लोग निम्न जाति के लोगों के उच्च कर्म पर विश्वास भी मुश्किल से करते थे। इसलिए कवि को उदाहरण देने की आवश्यकता पड़ी। इन कथनों से तत्कालीन समाज की सामाजिक विषमता की स्पष्ट झलक मिलती है।

प्रश्न 4. कवि रैदास अन्य कवियों जैसे नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन की चर्चा क्यों करते हैं?उत्तरः 

  • कवि रैदास का कहना है कि उच्च कोटि के संतऋ जैसे-नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन निम्न वर्ण एवं निम्न वर्ग के सदस्य होते हुए भी ईश्वर की कृपा पाकर तर गए अर्थात् इस संसार रूपी भव सागर से पार हो गए, ठीक उसी प्रकार सभी संतों को, चाहे वे निम्न वर्ण एवं निम्नवर्ग के ही क्यों न हों, इस पर ध्यान देना चाहिए और ईश्वर की भक्ति एवं आराधना के द्वारा मोक्ष प्राप्त करने के उपाय करने चाहिए।
  • वास्तव में ईश्वर अत्यधिक दयालु एवं सर्वशक्तिमान हैं और उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है। वह सब कुछ करनें में समर्थ हैं, बस उनकी कृपा की आवश्यकता है। संत जनों को यही बताने के लिए कवि ने उपरोक्त संतों का नाम उदाहरण के रूप में दिया है।

प्रश्न 5. रैदास के पदों के माध्यम से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तरः रैदास के पदों से हमें यह संदेश मिलता है कि ईश्वर ही हर असंभव कार्य को संभव करने का सामथ्र्य रखता है। ईश्वर सदैव श्रेष्ठ और सर्वगुण सम्पन्न रहा है। अतः हमें उस भगवान की शरण में जाना चाहिए क्योंकि वही हमें इस संसार रूपी सागर से पार लगा सकता है। ईश्वर ने जात-पात, अमीर-गरीब के भेदभाव को न मान ऐसे-ऐसे अछूतों का उद्धार किया है जिन्हें समाज ने ठुकरा दिया था। अतः हमें ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए।

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FAQs on Long Question Answers - रैदास के पद - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. Who was Raidas and what was his contribution to the Bhakti movement?
Ans. Raidas was a 15th-century mystic poet and saint who belonged to the Bhakti movement. He was a prolific writer and composed many devotional songs or padas that were dedicated to Lord Rama and other deities. His poems were written in the vernacular language, which made them more accessible to the masses. Raidas's teachings were based on the principles of equality and social justice. He challenged the caste system and believed in the equality of all human beings.
2. What are the main themes of Raidas's padas?
Ans. The main themes of Raidas's padas are devotion, love, and bhakti towards God. He wrote extensively about the importance of surrendering to God and seeking his blessings. Raidas's padas also reflect his concern for social justice and the equality of all human beings. He believed that God is present in every human being and that one should treat others with respect and dignity.
3. What is the significance of Raidas's padas in modern times?
Ans. Raidas's padas continue to be relevant in modern times. They are a source of inspiration for people who seek spiritual guidance and are looking for a way to connect with God. Raidas's teachings of social justice and equality are also relevant today, as many people still face discrimination based on their caste, gender, or economic status. Raidas's padas can help people to overcome these barriers and live a more fulfilling life.
4. How did Raidas's padas influence the Bhakti movement?
Ans. Raidas's padas were a significant influence on the Bhakti movement. His poems were written in the vernacular language, which made them accessible to people from all walks of life. Raidas's teachings of social justice and equality also resonated with the masses, who were looking for a way to challenge the caste system. Raidas's padas helped to popularize the Bhakti movement and contributed to the growth of this movement in India.
5. What can we learn from Raidas's life and teachings?
Ans. Raidas's life and teachings offer valuable lessons for people today. His emphasis on social justice and equality is still relevant, as many people continue to face discrimination based on their caste, gender, or economic status. Raidas's teachings of devotion and love towards God can also help people to find inner peace and happiness. Overall, Raidas's life and teachings provide a blueprint for living a meaningful and fulfilling life.
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