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Short Question Answers: नौबतखाने में इबादत | Hindi Class 10 PDF Download

पाठ पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. उस्ताद बिस्मिला खाँ को बालाजी के मंदिर पर रोज क्यों जाना पड़ता था? वहाँ वे किस रास्ते से गुज़रते थे और क्यों?
उत्तर-
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को बालाजी के मंदिर पर रोजाना नौबत खाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता था। वेरसूलन बाई और बतूलन बाई के यहाँ से होकर गुज़रने वाले रास्ते से जाते हैं क्योंकि इस रास्ते से जाना उन्हें अच्छा लगता है। उन्हें अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहनों को सुनकर मिली।

प्रश्न 2. जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति बिस्मिल्ला खाँ की आसक्ति क्यों और कैसे हुई ? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर लिखिए।
अथवा
बिस्मिला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया।
उत्तर- (i) रसूलन और बतूलन दोनों गायिका बहनों के गीतों को सुनकर संगीत के प्रति आसक्ति।
(ii) बालाजी मंदिर जाने का एक रास्ता इन दोनों बहनों के घर से होकर जाता, उन्हें मधुर गायकी सुनने को मिलती।

प्रश्न 3. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है ? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- डुमराँव गाँव के एक संगीत प्रेमी परिवार में बिस्मिल्ला जी का जन्म हुआ। शहनाई बजाने में रीड का प्रयोग होता है। यह रीड जिस घास से बनाई जाती है वह घास सडुमराॅव गाँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

प्रश्न 4. काशी से बिस्मिल्ला खाँ का पुश्तैनी सम्बन्ध है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ का काशी के प्रति पुश्तैनी सम्बन्ध है, क्योंकि उनके पूर्वज काशी में रचे-बसे थे। उन्होंने काशी के विश्वनाथ मंदिर और बालाजी की ड्योढ़ी में शहनाई बजाई थी। बचपन से ही वे गंगा को मैया कहते आए थे। वे वहीं पले-बढ़े तथा सीखे थे। इसलिए उनका काशी के प्रति स्वाभाविक अनुराग था।

प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से क्या माँगते रहे, और क्यों? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है?
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से क्या माँगते रहे और क्यों ? 
उत्तर-

  • सच्चे सुर की नेमत। क्योंकि सच्चे कलाकार थे, हमेशा सीखते रहते थे, पूर्णता पाने की ललक / इच्छा रहती थी।
  • विनम्रता, ईश्वर पर आस्था, सच्चे संगीत के साधक थे।

अथवा
उत्तर: बिस्मिल्ला खाँ की संगीत साधना अर्थोपार्जन का ज़रिया नहीं थी। वे ईश्वर से प्रार्थना करते समय कभी भी धन-सम्पत्ति की चाह प्रकट नहीं करते थे। वे सदैव ईश्वर से सच्चे सुर का वरदान माँगते थे।

प्रश्न 6. बिस्मिल्ला खाँ कचौड़ी को घी में खौलते देख क्या अनुभव करते थे ?
उत्तर- उन्हें खौलते घी में संगीत के आरोह-अवरोह सुनाई देते। छन से उठने वाली आव़ाज उन्हें संगीतमय कचैड़ी लगती।

व्याख्यात्मक हल:
बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम के गमज़दा माहौल से अलग कभी सुकून के क्षणों में वे अपनी जवानी के दिनों को याद करते हैं। अपने अब्बाजान और उस्ताद को कम, पक्का महाल की कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी वाली दुकान को ज्यादा याद करते हैं।

प्रश्न 7. बिस्मिल्ला खाँ हमेशा ख़ुदा से क्या दुआ करते ? उसके साथ लुंगी का स्मरण क्यों जुड़ा है ?

उत्तर: बिस्मिल्ला खाँ खुदा से यही दुआ करते कि वे उन्हें फटा सुर न बख्शे। लुंगी तो सिली जा सकती है अगर सुर फट गया तो गज़ब हो जाएगा।
व्याख्यात्मक हल:
बिस्मिल्ला खाँ की संगीत साधना अर्थोपार्जन का साधन नहीं थी। उन्होंने ईश्वर से कभी भी धन-सम्पत्ति की चाह प्रकट नहीं की। वे हमेशा सच्चे सुर का वरदान माँगते थे। एक दिन उनकी शिष्या ने फटी लुंगी देखकर टोका तो, सुनकर बोले, धत्! पगली ई भारतरत्न हमकों शहनईया से मिला है, लुंगियाँ पे नाहीं। इससे सिद्ध होता है कि खाँ साहब को सादगी बहुत पसंद थी। 

प्रश्न 8. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
अथवा
काशी में हो रहे किन परिवर्तनों से बिस्मिल्ला खाँ व्यथित रहते थे ? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • खानपान में बदलाव।
  • पुरानी परंपराओं का लुप्त होना।
  • सांप्रदायिक स्वभाव में कमी।
  • संगतकारों के प्रति सम्मान में कमी।
  • रियाज़ में कमी। 

व्याख्यात्मक हल:
काशी में हो रहे निम्न बदलाव बिस्मिला खाँ को व्यथित करते रहते थे-
(क) वहाँ होता खानपान में बदलाव।
(ख) पुरानी परंपराओं का धीरे-धीरे लुप्त होता जाना।
(ग) काशी में पहले सभी सद्भाव और प्रेम से रहते थे किंतु समय के साथ उनके सांप्रदायिक स्वभाव में कमी आने लगी।
(घ) काशी में पहले की अपेक्षा संगतकारों को कम महत्व दिया जाने लगा जिससे रियाज़ में भी कमी आने लगी।

प्रश्न 9. बिस्मिल्ला खाँ काशी क्यों नहीं छोड़ना चाहते थे। कोई दो कारण लिखिए। 
उत्तर:

  • गंगा मइया, काशी विश्वनाथ और बालाजी के मंदिर के प्रति उनकी अगाध श्रृद्धा के कारण
  • अपने खानदान की कई पुश्तों द्वारा यहाँ शहनाई बजाने के कारण
  • काशी से ही उन्हें अदब और तालीम प्राप्त होने के कारण
  • काशी के लोगों से अपार स्नेह प्राप्त हाने के कारण। 

व्याख्यात्मक हल:

बिस्मिल्ला खाँ को काशी में गंगा मइया, काशी विश्वनाथ और बालाजी के मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा थी। उनके पूर्वजों ने काशी में इन्हीं स्थानों पर शहनाई बजाई थी। स्वयं बिस्मिल्ला खाँ ने काशी में ही अदब, तालीम और लोगों का अपार स्नेह प्राप्त हुआ था। यही कारण थे कि बिस्मिला खाँ काशी नहीं छोड़ना चाहते थे।

प्रश्न 10. बिस्मिल्ला खाँ हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे, कैसे ?
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ को मिली-जुली संस्कृति का प्रतीक क्यों कहा जा सकता है ? 
उत्तर: बालाजी के मंदिर में, काशी विश्वनाथ के मंदिर में तथा मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाने के कारण। सबका समान रूप से आदर।

प्रश्न 11. ‘बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे।’ ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आलोक में उत्तर दीजिए।
उत्तर
(1) बिस्मिल्ला खाँ शहनाई बजाने वाले एक महान कलाकार थे। वे घंटों रियाज़ करते हुए अपनी कला की उपासना करते थे।
(2) जब कभी लोग उनकी कला की प्रशंसा करते तो वे उसे अपनी नहीं बल्कि ईश्वर की प्रशंसा मानते थे।
(3) वे अपनी कला को ईश्वरीय देन मानते थे और उसका उपयोग ईश्वर की आराधना एवं हज़रत इमाम हुसैन के प्रति शोक मनाने में करते थे।
(4) उन्होंने सदैव अपनी कला को महत्व दिया, धन-दौलत या पहनावे को नहीं। इसी कारण एक शिष्या द्वारा फटी लुंगी पहनने से मना किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह भारत-रत्न मुझे शहनाई पर मिला है, लुंगी पर नहीं।
(5) संगीत को संपूर्णता और एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा उनके अंदर अंत तक विद्यमान थी।

प्रश्न 12. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: शहनाई को मंगल ध्वनि का वाद्य माना जाता है। इसका प्रयोग मांगलिक-विधि-विधानों के अवसर पर ही होता है तथा बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इसलिये उन्हें शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक कहा गया है।

प्रश्न 13. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर- मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ का अत्यधिक जुड़ाव था। मुहर्रम के महीने में खाँ साहब हजरत इमाम हुसैन एवं उनके वंशजों के प्रति पूरे दस दिनों तक शोक मनाते थे।
मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर शहनाई बजाते थे। वे दाल मंडी में फातमान के लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तक रोते हुए नौहा बजाते पैदल ही जाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में भीगी रहती थीं। उन दिनों में वे न तो शहनाई बजाते थे और न ही किसी संगीत कार्यक्रम में शामिल होते थे। उस समय एक महान संगीतकार का सहज मानवीय रूप देखकर, उनके प्रति अपार श्रद्धा उत्पन्न हो जाती थी।

प्रश्न 14. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की दो विशेषताओं लिखिए। 
उत्तरः 

(1) बिस्मिल्ला खाँ का स्वभाव निश्छल था। उनकी हँसी बच्चों जैसी भोली और स्वाभाविक थी। उनका जीवन सादगी से परिपूर्ण था, भारत-रत्न मिलने के बाद भी वे फटी लुंगी पहनने में संकोच नहीं करते थे।
(2) बिस्मिल्ला खाँ की संगीत साधना अर्थोपार्जन का ज़रिया नहीं थी। वे ईश्वर से प्रार्थना करते समय कभी भी धन-सम्पत्ति की चाह प्रकट नहीं करते थे। वे सदैव ईश्वर से सच्चे सुर का वरदान माँगते थे।

प्रश्न 15. बिस्मिल्ला खाँ का जीवन क्या संदेश देता है ? 

अथवा
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया? आप इनमें से किन विशेषताओं को अपनाना चाहेंगे ? कारण सहित किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।

उत्तरः व्यक्तित्व की सादगी और सरलता, सांप्रदायिक सद्भावना, संगीत के प्रति लगन और समर्पण।

व्याख्यात्मक हल:
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से हमें धार्मिक सौहार्द, अहंकारशून्यता, सरलता-सादगी तथा कला-प्रेम की प्रेरणा मिलती है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि व्यक्ति को कभी अपनी कला पर अहंकार नहीं करना चाहिए तथा कभी यह नहीं समझना चाहिए कि उसकी कला-साधना का अंत हो गया। उनके जीवन से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सांप्रदायिकता से दूर रहना चाहिए तथा बड़ी से बड़ी सफलता पाकर भी अभिमान नहीं करना चाहिए।

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FAQs on Short Question Answers: नौबतखाने में इबादत - Hindi Class 10

1. नौबतखाने का महत्व क्या है ?
Ans. नौबतखाना एक धार्मिक स्थल है जहाँ इबादत की जाती है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि यह आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ पर लोग अपने मन की शांति के लिए और अल्लाह की कृपा प्राप्त करने के लिए इबादत करते हैं।
2. नौबतखाने में इबादत करने की प्रक्रिया क्या होती है ?
Ans. नौबतखाने में इबादत करने की प्रक्रिया में पहले स्नान करना, साफ कपड़े पहनना और फिर अल्लाह की प्रार्थना करना शामिल होता है। इसके बाद, लोग कुरान पढ़ते हैं और ध्यान करते हैं। यह एक शांत वातावरण में किया जाता है।
3. क्या नौबतखाने में सभी धर्मों के लोग इबादत कर सकते हैं ?
Ans. हाँ, नौबतखाने में सभी धर्मों के लोग इबादत कर सकते हैं। यह एक खुला स्थल है जहाँ सभी को अपनी आस्था के अनुसार प्रार्थना करने की स्वतंत्रता होती है।
4. क्या नौबतखाने में कोई विशेष त्योहार मनाया जाता है ?
Ans. हाँ, नौबतखाने में कई विशेष त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि ईद, रमजान आदि। इन त्योहारों के दौरान विशेष प्रार्थनाएँ और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
5. नौबतखाने की संरचना और वास्तुकला कैसे होती है ?
Ans. नौबतखाने की संरचना आमतौर पर भव्य और आकर्षक होती है। इसमें खूबसूरत मेहराब, कलात्मक कलाकृतियाँ और विशेष धार्मिक प्रतीक होते हैं। इसकी वास्तुकला में इस्लामी तत्व और स्थानीय संस्कृति का समावेश होता है।
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