लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं’ कथन में किस यथार्थ का चित्रण है?
उत्तर: ‘दुविधा हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं’, कथन में कवि ने मानव मन के यथार्थ को चित्रित किया है कि मानव मन दुविधा में पड़ा है कि हम यथार्थ में जिएँ या काल्पनिक सपनों में क्योंकि मानव की काल्पनिक दुनिया में विचरण करने की प्रवृत्ति होती है वह इसी प्रवृत्ति में जीता हुआ वास्तविकता से दूर भागता है, परंतु वह अंत में निराश होता है।
प्रश्न 2. ‘छाया मत छूना’ में कवि ‘छाया’ किसे कहता है और क्यों?
उत्तर: अतीत की सुखद स्मृतियों को। क्योंकि बीते हुए सुखों और कल्पना का वर्तमान में कोई अस्तित्व नहीं है। वे यथार्थ रूप ग्रहण नहीं कर सकते और व्यक्ति के वर्तमान को दुविधाग्रस्त कर देते हैं।
प्रश्न 3. जीवन में है सुरंग सुधियाँ सुहावनी से कवि का अभिप्राय किन मधुर स्मृतियाँ से है ?
उत्तर: ‘जीवन में सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय उन मधुर स्मृतियाँ से है जो याद आने पर हमें पीड़ा देती हैं कवि ऐसी यादों से बचने का प्रयास करने के लिए कह रहा है। ऐसी सुखद यादें प्रायः प्रेम से सम्बन्धित होती हैं जो हमें पीड़ा पहुँचाती हैं इसलिए उन यादों में न खो जाने की सलाह कवि दे रहा है।
प्रश्न 4. ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर दुःख के कारण बताइए।
उत्तर: कवि ने दुःख के कारण बताए हैं- पुरानी यादें और बड़े सपने। इन्हें जीने से दुःख बढ़ते हैं। यश, वैभव, मान, सम्पत्ति सब बड़े सपने हैं जो छाया की तरह अवास्तविक एवं काल्पनिक हैं। व्यक्ति को अतीत की यादों और भविष्य के इन सपनों से अलग रहकर जीना चाहिए तभी दुःख से बच सकता है।
प्रश्न 5. ‘छाया मत छूना’ से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर: बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना। कवि अतीत की सुखद स्मृतियों को वर्तमान के दुःख का कारण मानता है, अतः वर्तमान में जीने की प्रेरणा देता है। हमें अतीत को नहीं, भविष्य की ओर देखना चाहिए।
प्रश्न 6. मानव की किन वृत्तियों को जीवन के लिए दुःखदायी माना गया है ? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर: मानव की काल्पनिक दुनिया में विचरण करने की वृत्तियों को। वह मृगतृष्णा की प्रवृत्ति में जीता हुआ वास्तविकता से दूर भागता है, परंतु वह अन्त में निराश होता है।
व्याख्यात्मक हल:
पुरानी यादें और बडे़ सपने जीवन के लिए दुःखदायी हैं। इनकी कल्पना में जीने से दुःखों की वृद्धि होती है। यश, वैभव, मान, सम्पत्ति ये सब बड़े सपने हैं जो छाया की तरह अवास्तविक एवं काल्पनिक हैं।
प्रश्न 7. जीवन में प्रभुता की कामना करना मृगतृष्णा जैसा है तो प्रभुता रहित जीवन कैसा हो सकता है ? अपने विचार ‘छाया मत छूना’ के आधार पर प्रकट कीजिए।
उत्तर: प्रभुता का सम्बन्ध धन-वैभव, यश और मान-सम्मान से जुड़ा है। इसके लिए मनुष्य आजीवन भटकता रहता है। दूसरी ओर कवि प्रभुता को प्राप्त करने का प्रयास करता है लेकिन प्रभुता की कामना मृगतृष्णा लगती है।
व्याख्यात्मक हल:
व्यक्ति सुखी-समृद्धि बनने की होड़ में भरमाया हुआ है। उसका बड़प्पन का अहसास उसके लिए मृगतृष्णा के समान छलावा बनकर आता है, जोकि स्थायी नहीं है। जिस प्रकार प्रत्येक चाँदनी रात के बाद अंधेरी रात का आना निश्चित है, उसी प्रकार प्रत्येक सुख के अन्दर दुःख का अस्तित्व विद्यमान रहता है।
प्रश्न 8. कवि ने ‘छाया मत छूना’ कविता में कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों की हैं?
उत्तर: यथार्थ जीवन की वास्तविकता है, सत्य यहाँ वर्तमान के दुःखों को कठिन यथार्थ कहा गया है। इस स्थिति से मुँह मोड़ना सही नहीं है। इस यथार्थ को स्वीकार कर, उसका सामना करके ही हम उज्जवल भविष्य की नींव रख सकते हैं।
प्रश्न 9. ‘मृगतृण्णा’ किसे कहते हैं? ‘छाया मत छूना’ कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
उत्तर: मृग को चमकती रेत में जल का आभास होता है और वह उसके पीछे दौड़ता-फिरता है किंतु वह उसका भ्रम ही होता है। मानव भी जीवन-भर इसी प्रकार सुख-ऐश्वर्य के पीछे दौड़ता-फिरता है।
प्रश्न 10. मनुष्य अतीत में खोए रहने के कारण दुःखी रहता है। आपके विचार में दुःख के और क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर: दूसरों के सुख से ईष्र्या करना, स्वार्थी मानसिकता होना भी दुःख के कारण हो सकते हैं। असफलता भी दुःख का कारण होती है।
प्रश्न 11. ‘मृगतृष्णा’ से क्या तात्पर्य है? उसके पीछे क्यों नहीं भागना चाहिए?
उत्तर: मृग को रेत मे जल का आभास होता है और वह उसके पीछे दौड़ता है किंतु उससे कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता, वह जीवन की वास्तविकता नहीं है। भ्रम कभी आपको सुख नहीं देता।
प्रश्न 12. कवि के अनुसार दुविधाग्रस्त व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति कैसी होती है ? ‘छाया मत छूना’ पाठ को केन्द्रित रखकर लिखिए।
उत्तर: शारीरिक स्थिति तो देखने में सुखी लगती है। मानसिक स्थिति अत्यधिक दुःखी होती है फिर वह छोटी-छोटी बातों पर दुःखी हो जाता है।
प्रश्न 13. कविता ‘छाया मत छूना’ में कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात किस कारण से की है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कठिन यथार्थ ही जीवन का वास्तविक सच है। उससे बच पाना असंभव है। जीवन की वास्तविक परिस्थितियों को झेलना ही पड़ता है अतीत की मधुर यादें या भविष्य के सपने मानव को दुःखी करते हैं अतः कठिन यथार्थ के पूजन की बात कवि ने कही है।
प्रश्न 14. ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर लिखिए कि मनुष्य अपने सुखद भविष्य की कल्पना करते हुए चयन कैसे कर सकता है ?
उत्तर: जीवन में जो नहीं मिला, उसे भूलकर भविष्य का चयन करना चाहिए।
वर्तमान में जीते हुए सुंदर भविष्य का निर्माण करें।
प्रश्न 15. गिरिजाकुमार माथुर के अनुसार विगत सुखों से चिपके रहने का क्या परिणाम होता है ?
उत्तर: वर्तमान के दुःख को बढ़ाना। जीवन के यथार्थ से मुँह मोड़ वैभव के पीछे भागना।
प्रश्न 16. ‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ पंक्ति में कवि माथुर जी क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर: जिस प्रकार शुक्ल पक्ष के पश्चात् कृष्ण-पक्ष आता है। जीवन में सुख-दुःख का भी चोली-दामन का साथ है सुख की चाँदनी रातें ही नहीं, दुःख की काली रातें भी मनुष्य के जीवन में आती हैं।
प्रश्न 17. ‘रस बसंत बीत जाने पर फूल खिलने’ से कवि का क्या आशय है ? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर: सफलता जब भी मिले स्वीकार कर लें, प्रसन्न हों, किन्तु यदि समय पर न मिले तो भी उसे ही स्वीकार करें जो भी प्राप्त हो।
प्रश्न 18. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर’? का क्या भाव है?
उत्तर: यदि अवसर बीतने पर भी लक्ष्य की प्राप्ति होती है तो उसे स्वीकार कर आनंद उठाना चाहिए।
1. छाया मत छूना Class 10 में क्या पढ़ाया जाता है? |
2. 'छाया मत छूना' किताब का विषय क्या है? |
3. 'छाया मत छूना' Class 10 के लिए क्या परीक्षा में पूछा जाता है? |
4. 'छाया मत छूना' Class 10 में कौन-कौन से लेखकों की कहानियां हैं? |
5. 'छाया मत छूना' किताब की कविताएं किस प्रकार की होती हैं? |
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