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Short Questions Answers(Part - 2) - कन्यादान - Class 10 PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है?
उत्तर: 
लड़कियों में एक स्वाभाविक वृत्ति अपनी सुन्दरता पर रीझने की होती है। यह उनकी स्वाभाविक कमज़ोरी है। माँ अपनी पुत्री को इससे बचने और ताकतवर बनने का सुझााव देती है।

प्रश्न 2. ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: 
‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ से कवि का आशय है कि समाज-व्यवस्था द्वारा स्त्रियों के लिए जो प्रतिमान गढ़ लिए गए हैं, वे आदर्शों के आवरण में बंधन होते हैं किन्तु आज सोच में परिवर्तन होने लगा है। अब स्त्रियों की कोमलता को कमजोरी न समझकर उसके सशक्तीकरण के विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रश्न 3. माँ का अपनी पुत्री का कन्यादान करने का दुःख क्यों प्रामाणिक स्वाभाविक था?
उत्तर:
‘माँ का अपनी पुत्री का कन्यादान करने का दुःख प्रमाणिक, स्वाभाविक था, क्योंकि उसकी पुत्री (लड़की) अत्यंत भोली-भाली, सरल तथा ससुराल में मिलने वाले दुःखों के प्रति अनजान है। उसे तो वैवाहिक सुखों के बारे में बस थोड़ा-सा ज्ञान है।

प्रश्न 4. ‘उसे सुख का आभास तो होता था, लेकिन दुःख बाँचना नहीं आता था’, ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
 

  • जीवन के प्रति लड़की की समझ सीमित थी।
  • वह जीवन के सिर्फ सुखद पक्ष से ही परिचित थी, दुःखद पक्ष से नहीं।

व्याख्यात्मक हल:
उसे अभी सांसारिक व्यवहार का, जीवन के कठोर यथार्थ का ज्ञान नहीं था। बस उसे वैवाहिक सुखों के बारे में थोड़ा-सा ज्ञान था। जीवन के प्रति लड़की की समझ सीमित थी। अर्थात् वह विवाहोपरांत आने वाली कठिनाइयों से परिचित नहीं थी।

प्रश्न 5. कन्यादान कविता में किसे दुःख बाँचना नहीं आता था और क्यों?
उत्तर:
बेटी को, क्योंकि वह अभी कच्ची उम्र की है, उसे दुःख का अनुभव नहीं है। 

प्रश्न 6. लड़की, अभी सयानी नहीं थी, कवि ने इस सन्दर्भ में क्या-क्या कहा है?
अथवा
“बेटी अभी सयानी नहीं थी’’- में माँ की चिंता क्या है ? ‘कन्यादान कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
बेटी अभी मानसिक रूप से अपरिपक्व है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं से अभी अपरिचित है। वह इनका सामना कैसे कर सकेगी? सामाजिक कुरीतियों से अपना बचाव कैसे करेगी?
व्याख्यात्मक हल:
माँ की बेटी के प्रति यह चिंता है कि उसकी बेटी अभी भोली और सरल हृदय भी है व विवाह के लिए उसकी समझ विकसित नहीं हुई है तथा वैवाहिक जीवन की समस्याओं से अभी अपरिचित है। उसे दुःख बाँचना नहीं आता था और जीवन के व्यावहारिक पक्ष का ज्ञान भी नहीं हैं। वह सामाजिक कुरीतियों से अपना बचाव कैसे करेगी?

प्रश्न 7. ‘लड़की अभी सयानी नहीं थी’ काव्य-पंक्ति से कवि ऋतुराज का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
लड़की को सांसारिक सूझबूझ से काम करने की जानकारी नहीं थी। वह वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों से अपरिचित थी।

प्रश्न 8. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किस प्रकार सावधान किया? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बेटी के भावी जीवन की संभावित परिस्थितियों के बारे में सीख देकर कि-

  • सौंदर्य, वस्त्र और आभूषणों के मोह में न उलझे।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुचित निर्णय न ले, कमजोर न पड़े।
  • अपने नारी-सुलभ गुणों को अपनी कमजोरी न बनने दे। 

व्याख्यात्मक हल:
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को सावधान किया कि लड़कियों जैसी दुर्बलता, सौंदर्य, वस्त्र और आभूषणों के मोह में न उलझे तथा कमजोरी और स्त्री के लिए निर्धारित परंपरागत आदर्शों को न अपनाए। लड़की जैसे-गुण, संस्कार तो हों, लेकिन लड़की जैसी निरीहता कमजोरी नहीं अपनानी है।

प्रश्न 9. ‘लड़की जैसी दिखाई देने’ का क्या आशय है ? कवि ने उसे उसके लिए मना क्यों किया है ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर: प्रकट रूप से भोली, सरल समर्पणशील और आज्ञाकारी होना। स्वभाव से कोमल होना। माँ नहीं चाहती कि उसके ससुराल वाले उसकी सरलता और भोलेपन का शोषण करें, उसे दबाकर रखें। 

प्रश्न 10. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को क्या-क्या सीखें दीं ?
अथवा
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी ?
उत्तर

  • कभी अपने रूप-सौंदर्य पर गर्व न करे।
  • वह अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करे, कभी भी कमज़ोर बन कर आत्मदाह न करे।
  • वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रम और बंधन हैं, अतः उनके मोह में न पड़े।
  • लड़की की कोमलता व लज्जा आदि गुणों को अपनी कमज़ोरी न बनने दे।
  • अपना सौम्य व्यवहार बनाए रखे। 

प्रश्न 11. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
अथवा
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना ?
उत्तर:
शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है। नारी में ही कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुणों की अधिकता होती हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं, पर उसे दब्बू और डरपोक नहीं होना चाहिए।
व्याख्यात्मक हल:
माँ चाहती है कि उसकी पुत्री में लड़कियों जैसी सरलता, धैर्य, निस्वार्थता आदि गुण तो रहें, लेकिन वह लड़की होने के नाते किसी भी प्रकार की हीनता, दुर्बलता और भीरुता से ग्रस्त न हो। शोषण और अन्याय का दृढ़ता से सामना करे। उसे लड़की समझकर कोई उसके साथ अशोभनीय आचरण न कर सके।

प्रश्न 12. माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर: 
दहेज के लालच में लड़की को प्रताड़ना देना, हत्या या आत्महत्या के लिए प्रेरित करना। उसे कमज़ोर समझकर मान-सम्मान न देना। 

प्रश्न 13. ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’ का क्या भाव है?
उत्तर: 
लड़की के समान कोमल भावनाओं और गुणों को ग्रहण करना लेकिन कमजोरी मत अपनाना। लज्जा और कोमलता को कोई अनुचित न समझे। 

प्रश्न 14. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को ‘लड़की होना पर, लड़की जैसी दिखाई मत देना’ सीख क्यों दी है ?
अथवा
आशय समझाइए ‘‘माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।’’
उत्तर:
माँ लड़की को सभ्य, शिष्ट और व्यवहार कुशल बनाना चाहती थी परन्तु परिवार और समाज के शोषण और अन्याय से भी उसे बचाना चाहती थी। वह मर्यादित जीवन को समझे पर कमज़ोर पड़कर अत्याचार न सहे। अतः वह लड़की को साहसी बनाना और समाज के यथार्थ से परिचित कराना चाहती थी।

प्रश्न 15. ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है ?
अथवा
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम और बंधन क्यों कहा है?
उत्तर:
ये भ्रामक वस्तुएँ हैं, जिनसे स्त्री को सुख का भ्रम होता है। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है। स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं, अर्थात् ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं। ये स्त्री जीवन के लिए बंधन का काम करते हैं अतः इस बंधन में नहीं बँधना चाहिए। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।

प्रश्न 16. ‘कन्यादान’ कविता में किसके दुःख की बात की गई है और क्यों ?
उत्तर:
 

  • माँ के दुःख की।
  • क्योंकि वह अपनी पुत्री का कन्यादान कर रही है। 

प्रश्न 17. ‘कन्यादान’ कविता नारी को कैसे सचेत करती है ? 
उत्तर: सामाजिक व्यवस्था के तहत स्त्रियों के प्रति जो आचरण किया जा रहा है, उसके चलते अन्याय न सहन करने के लिए सचेत किया गया है।

प्रश्न 18. ‘कन्या’ के साथ दान के औचित्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
कन्या के दान से अभिप्राय है लड़की की शादी के बाद विदाई। लेकिन दान शब्द से यह अभिप्राय नहीं है कि उससे हमेशा के लिए संबंध विच्छेद हो गया है। लड़की को अपनी इच्छानुसार वस्तुएँ दी जाती हैं, दान की जाती हैं किन्तु उसे कन्या का दान देना नहीं कहा जा सकता। यह हमारी दृष्टि में सर्वथा अनुचित है।

प्रश्न 19. ‘कन्यादान’ कविता की माँ परम्परागत माँ से वैळसे भिन्न है?
उत्तर: परंपरागत माँ अपनी बेटी को सब कुछ सहकर दूसरों की सेवा करने की सीख देती है। लेकिन कविता में माँ सीख देती है कि लड़की के गुणों को बनाए रखना, कमज़ोर मत बनना। वह दहेज के लिए जलाए जाने के खतरे के बारे में लड़की को आगाह करती है। गहने, वस्त्र आदि बंधन है। वह शोषण का पात्र न बने। 

प्रश्न 20. ‘कन्यादान’ कविता में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कन्यादान कविता एक शिक्षाप्रद कविता है जिसमें माँ ने बेटी को स्त्री के परम्परागत आदर्श रूप से हटकर शिक्षा दी है।

प्रश्न 21. ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अन्तिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
अथवा

माँ को अपनी बेटी ‘अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही है ?
उत्तर: 

  • बेटी माँ के सबसे निकट होती है।
  • सुख-दुख की सहेली होती है।
  • बेटी के जाने के बाद माँ का जीवन रिक्त हो जाएगा। 

व्याख्यात्मक हल:
माँ के लिए अपनी बेटी को अंतिम पूँजी इसलिए कहा गया है क्योंकि उसके जाने के बाद वह बिलकुल खाली हो जाएगी। बेटी पर उसका सारा ध्यान केन्द्रित है। यह उसके जीवन की संचित पूँजी है। जब वह कन्यादान कर देगी तो उसके पास कुछ न बचेगा/माँ अपनी बेटी के सबसे निकट और सुख-दुख की साथी होती है।

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FAQs on Short Questions Answers(Part - 2) - कन्यादान - Class 10

1. What is Kanyadaan?
Ans. Kanyadaan is a Hindu ritual where the father of the bride gives away his daughter in marriage to the groom. It is a significant part of Hindu weddings and symbolizes the father's trust in the groom to take care of his daughter.
2. What is the significance of Kanyadaan in Hindu weddings?
Ans. Kanyadaan is an important ritual in Hindu weddings as it symbolizes the father's trust in the groom to take care of his daughter after marriage. It is believed to be a way of transferring the responsibility of the bride's care and well-being from the father to the groom.
3. What is the ideal age for Kanyadaan?
Ans. There is no specific age for Kanyadaan. It can be performed when the bride is of marriageable age and ready to get married. However, it is important to note that child marriage is illegal in India, and the bride should be of legal age at the time of marriage.
4. Is Kanyadaan mandatory in Hindu weddings?
Ans. Kanyadaan is not mandatory in Hindu weddings, but it is a widely practiced tradition. Some families choose to skip this ritual, while others consider it an important part of the wedding ceremony. Ultimately, it is up to the families involved to decide whether or not to perform Kanyadaan.
5. What is the role of the bride's father in Kanyadaan?
Ans. The bride's father plays a significant role in Kanyadaan as he gives away his daughter to the groom and transfers the responsibility of her care and well-being to the groom. It is a symbolic gesture of trust and faith in the groom's ability to take care of his daughter after marriage.
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