लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: कवि ने इस कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ क्यों रखा?
उत्तर: कवि ने इस कविता का शीर्षक ध्वनि इसलिए रखा है, क्योंकि इस कविता में कवि के अन्तर्मन की आवाज प्रकट हुई है। इसलिए उसने कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ रखा है।
प्रश्न 2: ‘ध्वनि’ कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर: ‘ध्वनि’ कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत ऋतु में फूल चारों ओर खिलकर प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं, उसी प्रकार युवा पीढ़ी को और हम सबको भी अच्छे कार्य करते हुए समाज, देश तथा विश्व की उन्नति में अपना योगदान देकर अपना यश फैलाना चाहिए और समाज, देश तथा विश्व को आभामय बनाना चाहिए।
प्रश्न 3: ‘ध्वनि’ कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: ‘ध्वनि’ कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जिस प्रकार वसन्त ऋतु के आने से चारों ओर मनमोहक दृश्य बन जाता है उसी प्रकार हम भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज व राष्ट्र को कान्तिमय बनाएँ और हमारा यशगान फूलों की खुशबू की तरह चारों ओर फैले।
प्रश्न 4: ‘नवजीवन का अमृत’ से क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘नवजीवन का अमृत’ से अर्थ है कि कवि ने अपने उत्साह के माध्यम से फूलों, पत्तियों व कलियों में नवजीवन की कल्पना की है अर्थात् वह फूलों की उनींदी आँखों से आलस्य हटाकर उन्हें चुस्त व जागरूक करना चाहता है अर्थात् अपने-आपको प्रत्येक कार्य हेतु सक्रिय बनाना चाहता है।
प्रश्न 5: कवि ने अपने जीवन की तुलना वसन्त से ही क्यों की है?
उत्तर: कवि ने अपने जीवन की तुलना वसन्त से इसलिए की है, क्योंकि वह महसूस करता है कि उसके जीवन में भी वसन्त का सुन्दर आगमन हुआ है अर्थात् नई-नई चाह व नए उत्साह का संचार हुआ है। वह अपने उद्देश्यपूर्ण कार्यों से वसन्त की भाँति चारों ओर यश, कीर्ति और आनन्द फैलाना चाहता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता में कवि अपने जीवनरूपी वन को महकाने के लिए क्या-क्या करना चाहता है? आप कैसा जीवन जीना चाहते हैं?
उत्तर: कविता में कवि जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण अपनाता है। यह उचित भी है। उत्साह और कर्मठता से ही मानव जीवन सार्थक हो सकता है। कवि जीवन रूपी वन को महकाने के लिए कुछ रचनात्मक कार्य करना चाहता है। मैं जागरूक और प्रगतिवादी जीवन जीने की इच्छा रखता हूँ/रखती हूँ। गति है तभी जीवन है। अगर हम निराश हो जाऐंगे तो जीवन का अंत निश्चित है। जीवन गतिमान और सार्थक होना चाहिए।
प्रश्न 2: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता में कवि जीवन के प्रति किस प्रकार आशावादी है ?
उत्तर: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता में कवि महसूस करता है कि अभी-अभी तो उसके जीवन में वसंत का सुंदर आगमन हुआ है अर्थात् उसमें नवयौवन का व उत्साह का संचार हुआ है। अभी तो यौवन के साथ-साथ सारा जीवन भी पड़ा है। इस जीवन में उसको अनेक ऐसे गीतों, कविताओं की रचना करनी है, जिनसे युवा उत्साह से भर जाएँ। उसे समाज तथा देश के लिए अनेक काम भी करने हैं।
प्रश्न 3: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता मानव को जीवन के प्रति आशावान रहने की प्रेरणा देती है और विपरीत एवं निराशाजनक परिस्थितियों में भी जीवन से हार न मानने का संदेश भी देती है। इसमें कवि अपने जीवन तथा संसार में नवचेतना का संचार करने को दृढ़-संकल्प दिखाई देता है। उसका कहना है कि अभी तो उसके जीवन में वसंत आया है। अभी उसे समाज व देश के लिए बहुत कुछ करना है। उसे युवा वर्ग को रचनात्मक कार्य करने हेतु भी उत्साहित करना है।
प्रश्न 4: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता में किस आधार पर कवि अपने जीवन का अंत मानने को तैयार नहीं है?
उत्तर: कवि में आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा हुआ है। वह जीवन में मृदुल वसंत आने की बात कहकर खुद में नवयौवन के संचार होने की बात कहता है। उसको स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह कर्तव्यपरायणता व सक्रियता से विमुख नहीं होगा। इसी आधार पर वह अपने जीवन का अंत मानने को तैयार नहीं है।
प्रश्न 5: ‘ध्वनि’ शीर्षक कविता में कवि पुष्पों को अनंत का द्वार क्यों दिखाना चाहता है?
उत्तर: कवि पुष्पों को अनंत का द्वार इसलिए दिखाना चाहता है ताकि पुष्प अपनी नींद में डूबे रहने की इच्छा एवं आलस्य त्यागकर अनंत समय तक अपनी खुशबू से संसार को महकाते रहें।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: ‘ध्वनि’ कविता में कवि ने जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण अपनाया है। क्या आप भी कवि के दृष्टिकोण से सहमत हैं? और आप कैसा जीवन जीने की इच्छा रखते हैं ?
उत्तर: ‘ध्वनि’ कविता में कवि ने जीवन के प्रति आशावाद को अपनाया है। कवि मनुष्य को कठिनाईयों का सामना करने तथा निराशा न होने की प्रेरणा देता है। वह हर ओर वसंत की तरह हरियाली, सौंदर्य, सुख, आनन्द की अनुभूति चाहता है। हम भी कवि के आशावादी दृष्टिकोण से सहमत हैं। उत्साह और कर्मठता से हम अपने जीवन को सार्थक करते हुए सुख, आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं। मैं जागरूक और प्रगतिवादी जीवन जीने की इच्छा रखता हूँ/रखती हूँ। निराश होना जीवन का अंत नहीं है। जीवन तो गतिमान होना चाहिए। तभी वह सार्थक होगा।
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