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Important Questions: लाख की चूड़ियां | Hindi Class 8 PDF Download

कक्षा 8 हिंदी में कामतानाथ की कहानी “लाख की चूड़ियाँ” शहरीकरण और औद्योगिक विकास से गाँव के उद्योग के ख़त्म होने के दुख को चित्रित करती है। यह कहानी रिश्ते-नाते के प्यार में रचे-बसे गाँव के सहज सम्बन्धो में बिखराव और सांस्कृतिक नुकसान के आर्थिक कारणों को स्पष्ट करती है। आइये इस डॉक्यूमेंट में इस पाठ के Important Questions देखें। 

Important Questions: लाख की चूड़ियां | Hindi Class 8

लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1: शादी-विवाह के अवसर पर बदलू क्या जिद्द पकड़ लेता था?

उत्तर: शादी-विवाह के अवसर पर बदलू ‘सुहाग की चूड़ियों’ का मुँह-माँगा दाम लेता था। यहाँ तक कि उसके लिए उसकी घरवाली को सारे वस्त्र, ढेरों अनाज, उसकी पगड़ी व रुपए-पैसे भी मिला करते थे।

प्रश्न 2: बदलू का स्वभाव कैसा था?
उत्तर:
बदलू स्वभाव से बहुत सीधा था। किसी से झगड़ा नहीं करता था।

प्रश्न 3: बदलू से मिलकर, लौटते समय लेखक की प्रसन्नता का क्या कारण था?
उत्तर:
बदलू से मिलकर लौटते समय लेखक की प्रसन्नता का यह कारण था कि इतनी मुसीबत के बाद भी बदलू के मन की व्यथा उसके चेहरे पर नहीं झलक रही थी। बदलू का व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों-सा कमजोर नहीं है। वह आसानी से टूटने वाला नहीं है। बदलू को देखकर लेखक को लग रहा था कि हमें विपत्ति के समय हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि सुख-दुःख तो सिक्के के दो पहलू हैं।

प्रश्न 4: लाख की चूड़ियाँ किससे व किस प्रकार बनती हैं?
उत्तर: लाख की चूड़ियाँ लाख नामक पदार्थ से बनती हैं। पहले लाख को गर्म करके पिघलाया जाता है फिर लकड़ी की चौखट पर उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार दिया जाता है। उसके बाद गोल बेलन जैसे गुटके में डालकर उन्हें सही आकार देकर उस पर रंग किया जाता था।

प्रश्न 5: इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इस कहानी से यह प्रेरणा मिलती है कि मशीनी युग में भी हमें हाथ से बनी चीजों को अपनाना चाहिए, ‘हथकला  उद्योगों’ को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

Important Questions: लाख की चूड़ियां | Hindi Class 8दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: मशीनी युग ने छोटे कारीगरों को किस प्रकार प्रभावित किया है? इस पाठ "लाख की चूड़ियां" के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मशीनी युग में उद्योगों में परिवर्तन आ गया है। मशीनों से बनने वाली वस्तुएँ सुन्दर सस्ती तथा एक बार में ही एक से अधिक बन जाती हैं, परन्तु इससे हस्तकला कारीगर बेरोजगार होते जा रहे हैं। ये रोजगार छिन जाने से असहाय तथा भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। हस्तशिल्प जैसी कलाएँ नष्ट होती जा रही हैं।

प्रश्न 2: यह हम कैसे कह सकते हैं कि बदलू चूड़ियाँ बनाने वाला कुशल कारीगर था?
उत्तर:
बदलू लाख की सुन्दर चूड़ियाँ बनाता था। उसके गाँव व आसपास की सभी महिलाएँ उसकी बनाई चूड़ियाँ पहनती थीं। चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक पेशा था और वास्तव में वह बहुत ही सुन्दर चूड़ियाँ बनाता था। शादी-विवाह के अवसर पर उसकी बनाई चूड़ियाँ बहुत पसंद की जाती थीं और इसके लिए उसे मुँहमांगी कीमत मिलती थी।

प्रश्न 3: बदलू चूड़ियाँ बनाने का कार्य कहाँ करता था?
उत्तर:
बदलू के मकान के सामने नीम का पुराना पेड़ था। उसी के नीचे लाख पिघलाने की भट्ठी थी। उसके बगल में बैठकर बदलू चूड़ियाँ बनाया करता था।

प्रश्न 4: किस घटना ने लेखक को अचानक बदलू की याद दिला दी?
उत्तर:
एक दिन बरसात में लेखक के मामा की छोटी लड़की आँगन में फिसलकर गिर गई। काँच की चूड़ी टूटकर उसकी कलाई में घुस गई। लेखक ने ही उसकी मरहम-पट्टी की। इस घटना ने उसे अचानक बदलू की याद दिला दी।

प्रश्न 5: प्रतिकूल परिस्थितियाँ होने के बाद भी बदलू ने हारकर भी हार नहीं मानी। कैसे?
उत्तर:
बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाने का कुशल कारीगर था। उसकी बनाई चूड़ियों की बहुत मांग थी। लेकिन मशीनीकरण के कारण उसकी लाख की चूड़ियों के स्थान पर काँच की चूड़ियाँ पसंद की जाने लगीं। जमींदार साहब भी अपनी बेटी के लिए बनाई गई चूड़ियों की कीमत केवल दस आने दे रहे थे। लेकिन बदलू ने इतने कम पैसे लेने से मना कर दिया। विषम परिस्थितियों में भी बदलू ने अपने पेशे में प्रतिबद्धता कायम रखी और हारकर भी हार नहीं मानी।


मूल्यपत्रक प्रश्न


प्रश्न 1: पारंपरिक कलाओं को हम कैसे सहेजकर रख सकते हैं? कारीगरों की दशा कैसे सुधर सकती है? इस पर भी विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: 
पारंपरिक कलाएँ-जैसे बर्तन बनाना, मिट्टी की मूर्तियाँ बनाना, लाख की कलात्मक वस्तुओं का निर्माण, काष्ठकला, दस्तकारी तथा हस्तकलाएँ आज मुश्किल में हैं। इनके कारीगर शुरू से ही ये पेशा करते आ रहे हैं, लेकिन अब मशीनों का युग है। मशीनीकरण के कारण इनकी बनाई वस्तुओं की माँग घटती जा रही है। इस तरह इन कारीगरों की जीविका के साधन समाप्त होते जा रहे हैं। हमें इनकी दशा सुधारनी होगी। कस्बों, शहरों, नगरों तथा महानगरों में इन कलाकारों की कृतियों के विक्रय पर ध्यान देना होगा। इनकी बनी कृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जानी चाहिए। पारंपरिक कलाएँ, जो लुप्त होती जा रही हैं, सरकार से सम्बन्धित सभी मंत्रालयों को इसके सुधार हेतु कदम उठाने होंगे। हमारी सार्थक पहल ही इन कारीगरों के जीवन को सुधार सकती है।

सार-आधारित प्रश्न

सार - 1

सारे गाँव में बदलू मुझे सबसे अच्छा आदमी लगता था क्योंकि वह मुझे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। मुझे अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि जब मैं वहाँ से लौटता था तो मेरे पास ढेर सारी गोलियाँ होतीं, रंग-बिरंगी गोलियाँ जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।

प्रश्न 1. बदलू किसे अच्छा लगता था?
(क) गाँव के लोगों को
(ख) जमींदारों को
(ग) लेखक को
(घ) बच्चों को
उत्तर: (ग)

प्रश्न 2. बदलू किसे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था?
(क) बच्चों को
(ख) बेटो को
(ग) गाँव वालो को
(घ) लेखक को
उत्तर: (घ)

प्रश्न 3. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।
(क) गद्यांश के पाठ का नाम- बस की यात्रा , लेखक का नाम- हरिशंकर परसाई।
(ख) गद्यांश के पाठ का नाम- ध्वनि, लेखक- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
(ग) गद्यांश के पाठ का नाम- भगवान के डाकिए, लेखक- रामधारी सिंह दिनकर।
(घ) गद्यांश के पाठ का नाम- लाख की चूड़ियाँ, लेखक- कामतानाथ ।
उत्तर: (घ) 

सार - 2

वैसे तो मेरे मामा के गाँव का होने के कारण मुझे बदलू को ‘बदलू मामा’ कहना चाहिए था परंतु मैं उसे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहा करता था जैसा कि गाँव के सभी बच्चे उसे कहा करते थे। बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। मकान के सामने बडा़-सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता। सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार देता। पास में चार-छह विभिन्न आकार की बेलननुमा मुँगेरियाँ रखी रहतीं जो आगे से कुछ पतली और पीछे से मोटी होतीं। लाख की चूड़ी का आकार देकर वह उन्हें मुँगेरियों पर चढ़ाकर गोल अैर चिकना बनाता अैर तब एक-एक कर पूरे हाथ की चूड़ियाँ बना चुकने के पश्चात् वह उन पर रंग करता।

प्रश्न 1. बदलू कहाँ बैठकर अपना काम करता था?
(क) जामुन के वृक्ष के नीचे
(ख) खेतों में
(ग) गाँव के चौराहे पर
(घ) नीम के वृक्ष के नीचे
उत्तर: (घ) 

प्रश्न 2. बदलू चूड़ियों को आकार देने के लिए किसका प्रयोग करता था?
(क) बेलन का
(ख) ग्लास का
(ग) मोम का
(घ) बेलननुमा मुँगेरियाँ का
उत्तर: (घ)

प्रश्न 3. लेखक बदलू को ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
(क) क्योंकि गांव के सारे बच्चे बदलू को ‘बदलू काका’ ही कहते थे।
(ख) क्योंकि वह लेखक का चाचा था।
(ग) क्योंकि वह गाँव वालों को अच्छा लगता था।
(घ) क्योंकि वह बदलू काका नाम सुनकर खुश होता था ।
उत्तर:- (क) 

प्रश्न 4. बदलू दहकती भट्टी में क्या पिघलाया करता था?
(क) लोहा को
(ख) सोना को
(ग) लाख को
(घ) कोयले को
उत्तर:- (ग)

सार - 3

बदलू मनिहार था। चूड़ियाँ बनाना उसका पैतृक पेशा था और वास्तव में वह बहुत ही सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। उसकी बनाई हुई चूड़ियों की खपत भी बहुत थी। उस गाँव में तो सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती ही थी आस-पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। परंतु वह कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता न था। उसका अभी तक वस्तु-विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। बदलू स्वभाव से बहुत सीधा था। मैंने कभी भी उसे किसी से झगड़ते नहीं देखा। हाँ, शादी-विवाह के अवसरों पर वह अवश्य जिद़ पकड़ जाता था। जीवन भर चाहे कोई उससे मुफ्त चूड़ियाँ ले जाए परंतु विवाह के अवसर पर वह सारी कसर निकाल लेता था। आखिर सुहाग के जोड़े का महत्त्व ही और होता है।

प्रश्न 1. बदलू चूड़ियाँ कैसे बेचता था?
(क) अनाज लेकर
(ख) पैसे लेकर
(ग) सब्जियां लेकर
(घ) वस्तु लेकर
उत्तर:- (क)

प्रश्न 2. बदलू क्या था?
(क) मनिहार
(ख) लोहार
(ग) किसान
(घ) सुनार
उत्तर:- (क)

प्रश्न 3. बदलू का स्वभाव कैसा था?
(क) सीधा
(ख) रुखा
(ग) चंचल
(घ) मुडी
उत्तर:- (क) 

प्रश्न 4. बदलू का पैतृक पेशा क्या था ?
(क) खेती करना
(ख) कांच की चूड़ियाँ बनाना
(ग) लाख की चूड़ियाँ बनाना
(घ) सब्जी बेचना
उत्तर:- (ग)

सार - 4

बदलू यह कार्य सदा ही एक मचिये पर बैठकर किया करता था जो बहुत ही पुरानी थी। बगल में ही उसका हुक्का रखा रहता जिसे वह बीच-बीच में पीता रहता। गाँव में मेरा दोपहर का समय अधिकतर बदलू के पास बीतता। वह मुझे ‘लला’ कहा करता और मेरे पहुँचते ही मेरे लिए तुरंत एक मचिया मँगा देता। मैं घंटों बैठे-बैठे उसे इस प्रकार चूड़ियाँ बनाते देखता रहता। लगभग रोज ही वह चार-छह जोड़े चूड़ियाँ बनाता। पूरा जोड़ा बना लेने पर वह उसे बेलन पर चढ़ाकर कुछ क्षण चुपचाप देखता रहता मानो वह बेलन न होकर किसी नव-वधू की कलाई हो।

प्रश्न 1. बदलू रोज कितनी चूड़ियाँ बनाता था ?
(क) पांच-छह जोड़े
(ख) चार जोड़े
(ग) चार-छह जोड़े
(घ) चार-तीन जोड़े
उत्तर:- (ग)

प्रश्न 2. बदलू किसे लला कहकर बोलता था ?
(क) लोगों को
(ख) बेटो को
(ग) लेखक को
(घ) बच्चों को
उत्तर:- (ग) 

प्रश्न 3. बदलू लेखक को बैठने के लिए क्या देता था ?
(क) कुर्सी
(ख) मचिया
(ग) खाट
(घ) बेंच
उत्तर:- (ख)

प्रश्न 4. बदलू मचिये पर बैठकर क्या करता था?
(क) पानी पीता था
(ख) हुक्का पीता रहता था
(ग) जूते बनाता रहता था
(घ) चूड़ियाँ बनाता रहता।
उत्तर:- (ख)

अतिरिक्त प्रश्न

प्रश्न 1:   लेखक को अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव क्या था?
उत्तर:  लेखक को अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि जब वह वहाँ से लौटता था तो उसके पास ढेर सारी गोलियाँ होतीं, रंग - बिरंगी गोलियाँ जो किसी भी बच्चे का मन मोह लें।

प्रश्न 2:   लेखक की निगाह एक क्षण के लिए रज्जो के हाथों पर क्यों ठिठक गई?  
उत्तर: लेखक की निगाह एक क्षण के लिए रज्जो के हाथों पर इसलिए ठिठक गई क्योंकि उसके हाथों में लेखक ने लाख की चूड़ियाँ देखी जो की उसकी गोरी गोरी कलाईयों पर बहुत फब रही थीं।

प्रश्न 3:  बदलू की बनाई गई चूड़ियों की बहुत खपत क्यों थी?
उत्तर: बदलू की बनाई गई चूड़ियों की बहुत खपत इसलिए थी क्योंकि वह बहुत ही सुंदर चूड़ियाँ बनाता था। उस गाँव में तो सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती थीं आस - पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे।

प्रश्न 4:   वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर:  जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय कहते हैं। जैसे एक गाय लेकर १० बकरियाँ देना। इस पद्धति में रूपये-पैसे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। उदाहरण के तौर पर पाठ में लोग अनाज के बदले बदलू से चूड़ियाँ ले जाया करते थे। किन्तु अब मुद्रा के चलन के कारण वर्तमान परिवेश में वस्तु का लेन-देन मुद्रा के द्वारा होता है। विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसा है।

प्रश्न 5:  किसी भी स्त्री के हाथों में काँच की चूड़ियों को देखकर बदलू की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: यदि किसी भी स्त्री के हाथों में उसे काँच की चूड़ियाँ दिख जातीं तो वह अंदर - ही - अंदर कुढ़ उठता और कभी कभी तो दो - चार बातें भी सुना देता।

प्रश्न 6:   विवाह के अवसर पर बदलू को क्या - क्या मिलता था?   
उत्तर: विवाह में उसके बनाए गए सुहाग के जोड़े का मूल्य इतना बढ़ जाता था कि उसके लिए उसकी घरवाली को सारे वस्त्र मिलते, ढेरों अनाज मिलता, उसको अपने लिए पगड़ी मिलती और रूपये मिलते। 

प्रश्न 7:   किस घटना के बाद लेखक को सहसा बदलू का ध्यान हो आया?   
उत्तर: बात यह हुई की लेखक के मामा की छोटी लड़की आँगन में फिसल कर गिर पड़ी और उसके हाथ की काँच की चूड़ी टूटकर उसकी कलाई में घुस गई और उससे खून बहने लगा। तभी सहसा लेखक को बदलू का ध्यान हो आया।

प्रश्न 8:   बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी, जो लेखक से छिपी न रह सकी?
उत्तर:  बदलू लाख की चूड़ियाँ बेचा करता था परन्तु जैसे-जैसे काँच की चूडियों का प्रचलन बढ़ता गया उसका व्यवसाय ठप पड़ने लगा। अपने व्यवसाय की यह दुर्दशा बदलू को मन ही मन कचौटती थी। बदलू के मन की यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।


लाख की चूड़ियां पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।

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FAQs on Important Questions: लाख की चूड़ियां - Hindi Class 8

1. What are the different types of bangles available in the market?
Ans. Bangles are available in various types such as gold bangles, silver bangles, glass bangles, metal bangles, and plastic bangles.
2. How can one determine the quality of bangles before purchasing them?
Ans. One can determine the quality of bangles by checking the material used, craftsmanship, design intricacy, and brand reputation.
3. What are some popular designs of bangles trending in the market currently?
Ans. Some popular designs of bangles trending in the market include antique bangles, Kundan bangles, pearl bangles, and temple bangles.
4. How should one take care of their bangles to ensure longevity?
Ans. To ensure longevity, one should store bangles in a separate box, avoid exposure to water and chemicals, clean them regularly with a soft cloth, and avoid wearing them while performing physical activities.
5. Are there any specific occasions or events where wearing bangles is customary?
Ans. Wearing bangles is customary and considered auspicious during festivals, weddings, religious ceremonies, and cultural events in Indian tradition.
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