(i) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
खेती न किसान को भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज न चाकर को चाकरी।
जीविका विहीन लोग सीद्यमान सोचबस
कहें एक एकान सौं कहाँ जाई का करी।
बेदहूँ पुरान कही, लोक हूँ विलोकियत
साँकरे सबै पै राम रावरे ड्डपा करी?
दारिद दसानन दबाई दुनी, दीनबन्धु,
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी।
प्रश्न; (क) प्रकृति और शासन की विषमता के कारणों का उल्लेख कीजिए।
(ख) तुलसीदास को इस दुरावस्था में किसका भरोसा है और क्यों?
(ग) रावण की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर ; (क) प्रकृति और शासन की विषमता से उत्पन्न बेकारी व गरीबी की पीड़ा का यर्थापरक चित्रण किया है। प्रड्डति के प्रकोप के कारण किसान के पास खेती, भिखारी को भीख, व्यापारी को व्यापार और सेवक को चाकरी (नौकरी) नहीं मिलती।
(ख) तुलसीदास को इस अवस्था में राम का भरोसा है क्योंकि वे दीनबन्धु हैं। संकट पड़ने पर आप ही सहायता करते हैं।
(ग) कवि ने रावण की तुलना दरिद्रता (गरीबी) से की है। क्योंकि दारिद्र्य रूपी दशानन (रावण) ने दुनिया को दबा रखा है।
(ii) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजए-
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।
जीविका विहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सों, ‘कहाँ जाई, का करी?’
बेदहूँ पुरान कही, लोक हूँ बिलोकियत,
साँकरे सबै पै, राम! रावरे ड्डपा करी।
दारिद-दसानन दबाई दुनी दीनबंधु! दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी।।
प्रश्न 1. कवि ने लोगों की जीविका विहीनता का चित्रण कैसे किया है?
उत्तर: कवि तुलसीदास ने बताया है कि तत्कालीन समय में (मुगलकाल में जब तुलसी ने काव्य रचना की है तब) लोग जीविकाविहीन हैं क्योंकि किसान के पास खेती नहीं है, भिखारी को भीख नही है, व्यापारी को व्यापार (वाणिज्य) नहीं है और सेवक को चाकरी (नौकरी) नहीं मिलती।
प्रश्न 2. आपके विचार से तुलसी को हाय-हाय करने की नौबत क्यों आई?
उत्तर: तुलसी को हाय-हाय करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि लोग जीविकाविहीन हैं, दरिद्र हैं, दुःखी हैं। एक-दूसरे से इस स्थिति से मुक्ति पाने का उपाय पूछ रहे हैं। यह देखकर तुलसी दुःखी होकर हाय-हाय करते हुए दीन-बन्धु राम से यह प्रार्थना करते हैं कि आप ड्डपा करके दुनिया को इस संकट से उबारिये।
प्रश्न 3. राम-भक्ति के संदर्भ में कवि का क्या कहना है?
उत्तर: राम भक्ति के संदर्भ में कवि का कहना है कि वेद-पुराण भी यह कहते है और लोगो में भी यही देखा जा रहा है कि जिस पर भी संकट आया उसकी रक्षा करते हुए राम ने ड्डपा की है अर्थात् राम की भक्ति करने वाला व्यक्ति जब संकटग्रस्त होता है तो प्रभु राम उस पर ड्डपा करते हैं और संकट मुक्त कर देते हैं।
(iii) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
किसबी, किसान.......................................हहा करी!
प्रश्न 1. कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
उत्तर: कवि- गोस्वामी तुलसीदास।
कविता- ‘कवितावली ;उत्तरकाण्ड सेद्ध’
प्रश्न 2. काव्यांश से तुलसी के समय के बारे में क्या जानकारी मिलती हैं?
अथवा
कवि ने समाज के किन लोगों की पीड़ा का चित्र प्रस्तुत किया है?
उत्तर: कवि गोस्वामी तुलसीदास सम सामयिक स्थिति का वर्णन करते हुए कहते है- वर्तमान में समाज की स्थिति यह है कि किसान के पास खेती करने के लिए न धरती है और न साधन ही है। लोग आर्थिक दृष्टि से इतने कमजोर हो गए हैं कि कोई भिखारियों को भीख तक नहीं देता। व्यापारियों का व्यापार चैपट हा ेगया र्कोइ किसी को अपने यहाँ नौकरी नहीं देता है।
प्रश्न 3. ‘दारिद-दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु!
दुरित-दहन देखि तुलसी हहा करी’।
पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इन पंक्तियों में तत्कालीन आर्थिक दुरावस्था का यथार्थ चित्रण किया गया है। दरिद्रता तो रावण का रूप ले चुकी है। इसने लोगों को बुरी तरह से प्रभावित व आतंकित कर रखा है। तुलसीदास इस दुरावस्था को देखकर हाहाकार कर उठते हैं।
प्रश्न 4. ‘पेट की आगि’ से क्या तात्पर्य है? उसकी तुलना ‘बड़वाग्नि’ से क्यों की गई है?
अथवा
पेट की आग की विशालता और भयावहता को कवि ने कैसे प्रस्तुत किया है?
उत्तर: ‘पेट की आग’ से तात्पर्य भूख की व्याकुलता से है। उसकी तुलना बड़वाग्नि से की गई है, क्योंकि पेट की आग समुद्र की आग से भी विशाल और भयानक होती है।
प्रश्न 5. तुलसी के अनुसार ‘पेट की आग’ का शमन कौन कर सकता है? क्या इससे आप सहमत हैं? क्यों?
उत्तर: तुलसी के अनुसार ‘पेट की आग’ का शमन ईश्वर-ड्डपा ही कर सकती है। हाँ, प्रभु-ड्डपा और संतोष-भावना से ही भूख शांत हो सकती है।
प्रश्न 6. काव्यांश में उल्लिखित विभिन्न व्यवसायों में से किन्हीं दो का परिचय दीजिए।
उत्तर: काव्यांश के मेहनतकश मजदूर, किसान-परिवार, व्यापारी, भिखारी, भाट, नौकर-चाकर, कुशल अभिनेता, चोर, दूत, बाजीगर सब पेट भरने में लीन हैं। सब पेट की खातिर ही ऊँचे-निचे कर्म तथा धर्म करते है। वे पटे की खातिर बटे-बेटी तक को बेच देते हैं।
प्रश्न 7. ‘बेचत बेटा-बेटकी’ कथन के सन्दर्भ में बताइए कि तुलसी के युग और आज के युग में क्या अंतर है?
उत्तर: तुलसी के युग में बहुत गरीबी थी। अतः लोग पेट भरने के लिए अपने बेटे-बेटी को भी बेच देते थे, परन्तु आज के युग में ऐसा नही है। अब हम सम्पन्न और आत्मनिर्भर हो गए हैं।
प्रश्न 8. लोगों में ‘कहाँ जाएँ क्या करें’ की समस्या क्यों है?
उत्तर: लोगों के जीविका के साधन ही समाप्त हो रहे हैं। उन्हें हर समय यही चिंता घेरे रहती है कि वे अब कहाँ जाएँ और क्या करें? हमारी आवश्यकता कैसे पूरी हो?
प्रश्न 9. ‘पटे को पढत़, गनु गढत़, चढत़ गिरि’- का अर्थ स्पष्ट कीजिए आरै बताइए कि इन कार्यो को करने का क्या प्रयाजेन है?
उत्तर: इसका आशय है कि लोग पेट की भूख शान्त करने के लिए अर्थात्अपनी आजीविका कमाने के लिए पढ़ते-लिखते है। अपने अंदर कुशलता का गुण पैदा करते हैं तथा जीविका कमाने के लिए पहाड़ पर चढ़ने जैसे कठिन कार्य भी करते हैं। इन सभी कठिन कार्यों के पीछे पेट की आग बुझाने का प्रयोजन है।
प्रश्न 10. कवि राम से क्या चाहता है और क्यों?
उत्तर: कवि राम से यह चाहता है कि ऐसे संकट में आप उनके ऊपर ड्डपा करें क्योंकि आप दीनबन्धु हैं और संकट पड़ने पर आप ही सहायता कर सकते हैं।
प्रश्न 11. कवि ने कविता में अपने समय की किन-किन दशाओं का वर्णन किया है?
उत्तर: अपने समय की आर्थिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक दशाओं का वर्णन किया है।
प्रश्न 12. मनुष्याें को किसके लिए किस-किस प्रकार के कर्म करने पड़ते हैं?
उत्तर: र्कोइ पेट क ेलिए मजदूरी करता है, भिक्षा माँगता है, शासक और धनिक की झूठी प्रशंसा करता है, आदि।
प्रश्न 13. कविता में किसको किससे बढक़र बताया गया है आरै क्यों?
उत्तर: पेट की आग को बड़वाग्नि से बढ़कर बताया है क्योंकि पेट की आग की शान्ति के लिए मानव को सभी प्रकार के उचित-अनुचित कार्य करने पड़ते हैं।
प्रश्न 14. कविता में चित्रित समस्या का निदान कहाँ माना है?
उत्तर: राम घनश्याम में।
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1. तुलसीदास कौन थे और उनके बारे में क्या जानकारी है? |
2. तुलसीदास के द्वारा लिखित कौन-कौन सी रचनाएं हैं? |
3. तुलसीदास के रामचरितमानस का महत्व क्या है? |
4. तुलसीदास के काव्य में कौन-कौन सी भाषा का उपयोग किया गया है? |
5. तुलसीदास का जीवन परिचय देने वाली कौन-कौन सी पुस्तकें हैं? |
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