हिंदी कक्षा 12 के पाठ 'सिल्वर वैडिंग’ मनोहर श्याम जोशी की एक प्रमुख कहानी है। लेखक ने इस कहानी में सेक्शन ऑफिसर वी० डी० (यशोधर) पंत के चरित्र-चित्रण के माध्यम से आधुनिक पारिवारिक परिस्थितियों को प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। आइये इस पाठ के कुछ Important Question & Answers देखते हैं।
प्रश्न 1. यशोधर बाबू के व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए
अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए
अथवा
यशोधर बाबू केव्यक्तित्व की किन्हीं तीन विशेषताओंपर सोदाहरण प्रकाश डालिए
उत्तर: यशोधर बाबू के व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं -
यशोधर बाबू ‘सिल्वर वैिडंग’ नामक कहानी केचरित्रनायक हैं। वे नए परिवेश में मिसफिट होने की त्रासदी झेलते हुए परम्परापंथी व सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं। उनका चरित्र-चित्रण इस प्रकार है-
(i) संस्कारी - यशोधर बाबू परम्परावादी व संस्कारी व्यक्ति हैं। वे अपनी पुरानी आदतों और संस्कारों से बॅंधे हुए हैं। उनका वर्तमान उनके संस्कारों से मेल नहीं खाता। वे भारतीय संस्ड्डति, पूजा-पाठ, भक्ति, रामलीला, रिश्तेदारी, अपनत्व, सादगी और सरलता को अपनाना चाहते हैं।
(ii) पाश्चात्य संस्ड्डति के विरोधी - यशोधर बाबू पाश्चात्य संस्ड्डति के नाम पर मनमानी करने उच्छृंखल होने, कम कपड़े पहनने तथा नए-नए उपकरणों को अपनाने के विरोधी थे। उन्हें अपनी शादी की ‘सिल्वर जुबली’ मनाना, पत्नी या बेटी का आधुनिक कपड़े पहनना आपत्तिजनक लगता था। वास्तव में उनके संस्कार उन्हें अपनी तरह जीने केलिए प्रेरित करते हैं। अतः वह इन संस्कारों को ‘समहाउ इंप्रापर’ कहते हैं।
(iii) सादगी पसंद - यशोधर बाबू सरल-सादी, रिश्ते-नातों वाली शांत-सुरक्षित जिन्दगी जीना चाहते हैं। वे अपने गाँव, परिवेश, धर्म और समाज की परम्पराओं को भी निभाना चाहते हैं। वे अपनी बहन व बहनोई के सुख-दुःख में भागीदार होना चाहते हैं।
(iv) धार्मिक प्रवृत्ति - यशोधर बाबू धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। वे ऑफिस के बाद प्रतिदिन बिड़ला मन्दिर जाते हैं, वहाँ बैठकर प्रवचन सुनते व ध्यान लगाते। अपने घर पर होली गवाना, जनेऊ बदलने में कुमाऊँनियों को अपने घर आमन्त्रित करना, रामलीला वालों को क्वार्टर का एक कमरा देना आदि परम्परावादी कार्य उन्हें बहुत अच्छे लगते हैं।
(v) आदर्श पिता - यशोधर बाबू चारों ओर के विरोध के बावजूद पिता का कत्र्तव्य पूरी तरह निभाते हैं। वे अपने बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दिलाते हैं। वे उन्हें मानवीय रिश्तों और समाज-संस्ड्डति से जोड़ने का भी भरसक प्रयत्न करते हैं। परन्तु समाज की हवा के सामने टिक नहीं पाते।
प्रश्न 2. यशोधर बाबू की पत्नी स्वयं को समय केअनुकूल ढाल लेती हैं किन्तु यशोधर ऐसा नहीं कर पाते। कारण सहित समीक्षा कीजिए
अथवा
‘किशन दा को अपना आदर्श मानने के फेर में यशोधर र्नइ पीढ़ी के साथ भी तालमेल नहींबिठा पाते। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
यशोधर पंत पर किशन दा के प्रभाव की समीक्षा कीजिए अथवा यशोधर बाबूऐसा क्यों सोचतेहैंकि किशन दा की तरह घर गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा था।
उत्तर: यशोधर बाबू के प्रेरक किशन दा हैं। उनका अधीनस्थ के प्रति व्यवहार, भारतीय मूल्यों में विश्वास, साधारण रहन-सहन, दौलत के प्रति अनासक्ति आदि सभी किशन दा से प्रभावित हैं। उनके जीवन में उन्हीं की छाप थी। परन्तु यशोधर बाबू आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन मूल्यों आरै संस्कारों के विरुद्ध हैं यशोधर बाबू, किशन दा के संस्कारों और परम्पराओं से चिपके हैं। यशोधर बाबू बच्चोंकी आधुनिकता केविरोधी हैं। पत्नी के पहनावेतथा लड़कों के चाल-चलन, हाव-भाव से दुःखी हैं। लड़की की आधुनिकता अच्छी नहीं लगती। इस प्रकार यशोधर बाबूवर्तमान समय केसाथ अपना जीवन, विचार बदलनेमें असमर्थ रहे। तब उन्हेंकिशन दा की रह-रह कर याद आती कि किशन दा की तरह घर गृहस्थी के जाल में न पड़ते तो मस्ती भरा जीवन जीते। इसके विपरीत उनकी पत्नी स्वयं को समय व अपने बच्चों के अनुकूल ढाल लेती हैं।
प्रश्न 3. किशन दा ने यशोधर बाबू को किस प्रकार सहायता दी?
उत्तर: किशन दा दिल्ली में रहते थे, यशोधर बाबू जब दिल्ली आये तो शहरी जीवन से अपरिचित थे, किशन दा नेउन्हें आश्रय दिया तथा नौकरी दिलवाई तथा शिक्षा में भी सहायता की, किशन दा नेयशोधर बाबू को अधीनस्थ केप्रति व्यवहार, भारतीय मूल्यों में विश्वास, साधारण रहनµसहन, दौलत के प्रति अनासक्ति जैसे जीवन जीने की कला सिखाई। यशोधर बाबू को यह जीवन मूल्य किशन दा ने अपने उत्तरधिकारी के रूप में प्रदान किए थे। यशोधर बाबू ने भी उनके द्वारा प्राप्त जीवन मूल्यों को अपने जीवन में उतारा। उनके बताए तौर-तरीकों को अपनाया और उनकी हर सलाह का सर्वदय से सम्मान किया। रूढ़िवादी विचारधारा के होनेपर भी उन्होंने अपने बच्चों को स्वतन्त्रता प्रदान की है और उनकी पत्नी पाश्चात्य संस्ड्डति सेप्रभावित हैं। मैं यशोधर बाबू के भारतीय मूल्यों में विश्वास, जीवन-जीने की कला अपनाना चाहूँगा/चाहूँगी, परंतु साथ ही अपनी मानसिकता को भी संकीर्ण होने से बचानेका प्रयास करूँगा/करूँगी जिस से मुझे कैसी भी और किसी भी परिस्थिति में यशोधर बाबू के समान समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा अपितु उनके साथ ताल-मेल बैठाने में आसानी रहेगी।
प्रश्न 4. यशोधर बाबू के व्यक्तित्व को दिशा देने में किशन दा के योगदान पर प्रकाश डालिए
उत्तर: किशन दा यशोधर बाबू के प्रेरक थे। वेसाधारण रहन-सहन, धन के प्रति अनासक्त एवं पुराने जीवन मूल्यों में विश्वास करने वाले इंसान थे। किशन दा के इन गुणों से यशोधर बाबू का व्यक्तित्व भी प्रभावित था। यशोधर बाबू बच्चों की आधुनिकता के विरोधी थे और किशन दा के संस्कारों एवं परम्पराओं के समर्थक थे। किशन दा की तरह वे भी पुराने रिश्ते-नाते चलाने में विश्वास करतेथे। किशन दा से ही उन्होंने अपने आॅफिस के लोगों के साथ वैळसा व्यवहार करना चाहिए-यह सीखा था। इस प्रकार यशोधर बाबू के व्यक्तित्व को दिशा देने में किशन दा का विशेष योगदान था।
प्रश्न 5. ‘सिल्वर वैडिंग’ के आधार पर भूषण के चरित्र की किन्हीं दो विशेषताओं काउल्लेख कीजिए।
उत्तर: भूषण यशोधर बाबू का बड़ा बेटा है। वह नये मूल्यों की वकालत करते हुए अपने पिता के विवाह के 25 वर्ष पूरे हो जाने पर ‘सिल्वर वैडिंग’ पार्टी का आयोजन पिता की अवज्ञा एवं उपेक्षा करते हुए बिना पूछे करता है। उसे अपने पिता के कष्ट की परवाह नहीं है उसे सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा की चिन्ता है इसलिए वह अपने पिता को सिल्वर वैडिंग पर एक ऊनी ड्रेसिंग गाउन भेंट देता है तथा उसे पहन कर दूध लेने जाने को कहता है जबकि यशोधर बाबू को अपेक्षा है कि भूषण सुबह दूध ले आया करे। इस प्रकार भूषण आधुनिक पीढ़ी का प्रतिनिधि युवक है।
प्रश्न 6. ‘जो हुआ होगा’ की दो अर्थ छवियाँ लिखिए
अथवा
पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकतीं हैं?
उत्तर: ‘जो हुआ होगा’ सिल्वर वैडिंग नामक कहानी का एक वाक्यांश है। इसकी अनेक अर्थ छवियों में से दो इस प्रकार हैं-
(i) जो हुआ होगा का तात्पर्य कि पता नहीं उन्हें ;किशन दा कोद्ध क्या हुआ होगा?
(ii) यह वाक्य यथास्थितिवाद अर्थात् स्थितियों को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेने का भाव व्यक्त करता है। यशोधर बाबू स्थितियों को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेते हैं और बदलाव के साथ नहीं चलते।
प्रश्न 7. बेटे द्वारा भेंट किए गए ड्रेसिंग गाउन को पहनते हुए यशोधर बाबू को कौन-सी बात चुभ गई और क्यों?
उत्तर: सिल्वर वैडिंग कहानी के नायक यशोधर बाबू को उनके बेटे भूषण ने ड्रेसिंग गाउन उपहार में देकर कहा कि आप इसे पहनकर सबेरे दूध लेने जाया करें।
वे अपने पुत्र से अपेक्षा करते थे कि शायद वह उनकी तकलीफों को देखकर यह कहेगा कि आप बुढ़ापे में दूध लेने न जाया करें, मैं ही दूध ले आऊँगा पर जब उसने यह नहीं कहा तो उसकी यह बात कि अब आप डेªसिंग गाउन पहनकर दूध लेने जाया करें उन्हें चुभ गई। बेटे को उनके सुख-दुःख से कुछ लेना-देना नहीं केवल अपनी मान-मर्यादा की चिन्ता है।
प्रश्न 8. वाई.डी. पंत की पत्नी पति की अपेक्षा संतान की ओर क्यों पक्षपाती दिखलाई पड़ती हैं?
उत्तर:
• पति-पत्नी में वैचारिक भिन्नता।
• पति सिधांतिक, पुरातनपंथी, पत्नी आधुनिकता की पक्षधर।
• पति सीधे सरल परम्परावादी जबकि पत्नी युवा संतति की हर सोच एवं व्यवहार की प्रशंसक।
• पति स्वभाव से किंचित जिद्दी किन्तु पत्नी स्वभाव से लचीली
व्याख्यात्मक हल- पति-पत्नी में वैचारिक भिन्नता थी क्यूंकि पति वाई.डी.पंत सिधांतिक, पुरातनपंथी थे जबकि उनकी पत्नी आधुनिकता की पक्षधर थी। इसके साथ ही पति सीधे, सरल, परम्परावादी थे जबकि पत्नी युवा संतानों की सोच एवं व्यवहार की प्रशंसक थीं। पति स्वभाव से कचित् जिद्दी टाइप के व्यक्ति थे जबकि उनकी पत्नी स्वभाव सेलचीली थीं। इन्ही सब कारणों से वाईडी. पंत की पत्नी पति की अपेक्षा संतान की ओर पक्षपाती दिखलाई पड़ती है।
प्रश्न 9. यशोधर पंत की तीन चारित्रिक विशेषताएँ सोदाहरण समझाइए
उत्तर: यशोधर बाबू ‘सिल्वर वैडिंग’ ;मनोहर श्याम जोशीद्ध नामक कहानी के प्रमुख पात्र (नायक) हैं। उनके चरित्र की तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) किशन दा से अत्यन्त प्रभावित- यशोधर बाबू किशन दा से अत्यन्त प्रभावित हैं। किशन दा उनके गुरु जैसे रहे हैं। वे भी पहाड़ के हैं। उन्होंने ही यशोधर बाबू को नौकरी दिलाई, अपने साथ रखा, ऑफिस के तौर-तरीके सिखाये और पारिवारिक और सामाजिक संस्कार दिए।
(ii) पुराने मूल्यों के पक्षधर- यशोधर बाबू पुराने मूल्यों के पक्षधर हैं। शादी की सालगिरह को ‘सिल्वर वैडिंग’ की तरह मनाना उन्हें अंग्रेजी साहबों का चोंचला लगता है। उन्हें अपनी पुत्री का जींस टाॅप पहनना अच्छा नहीं लगता और न पत्नी का ‘माॅड’ बनना ही भाता है। अपने बीमार बहनोई को देखने वे अहमदाबाद जाना चाहते हैं। भले ही बच्चे इसका विरोध करें। वे पुरानी रिश्तेदारी निभाना चाहते हैं।
(iii) जिम्मेदार पिता- यशोधर बाबू एक जिम्मेदार पिता हैं। घर का सारा काम सब्जी लाना, दूध लाना, राशन लाना, दवा लाना सब उनके जिम्मे है। घर का कोई अन्य सदस्य इन जिम्मेदारियों को नहीं उठाना चाहता पर वे स्वयं परेशान होकर भी इन जिम्मेदारियों को उठाते हैं।
प्रश्न 10. वाई.डी.पंत का आदर्श कौन था? उसके व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ लिखिए
उत्तर: वाई.डी पन्त ;यशोधर पन्तद्ध किशन दा को अपना आदर्श मानते थे। किशन दा उनके गुरु जैसे रहे हैं। किशन दा के चरित्र की तीन प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) यशोधर बाबू के मददगार- किशन दा उसी पहाड़ क्षेत्र के रहने वाले थे जहाँ से यशोधर बाबू आये थे। यशोधर बाबू के जीवन को दिशा देने में किशन दा का महत्त्वपूर्ण योगदान था। किशन दा ने ही उन्हें नौकरी दिलाई, बेरोजगारी के दिनों में अपने साथ रखा, उनमें पारिवारिकता एवं सामाजिकता के भाव भरे, पुराने संस्कारों एवं जीवन शैली भी उन्होंने ;यशोधर बाबू नेद्ध किशन दा से ही ग्रहण की।
(ii) ऑफिस के माहौल को मनोरंजक बनाने में कुशल- किशन दा का वास्तविक नाम ड्डष्णानन्द पाण्डे था। यशोधर बाबू उन्हें आदर देते हुए किशन दा सम्बोधन से बुलाते थे। यशोधर बाबू को इस दफ्तर में किशन दा ही लाये थे अतः किशन दा की बहुत-सी बातें उन्होंने अपने जीवन में उतार ली थीं। उसी बहुत
सारी आदतों में से एक आदत यह भी थी कि चलते-चलते जूनियरों से कोई मनोरंजक बात कर दिन भर के शुष्क व्यवहार का निराकरण कर दें।
(iii) पारिवारिक एवं पुराने मूल्यों के पक्षधर- किशन दा की एक अन्य विशेषता थी पारिवारिक एवं सामाजिक मूल्यों को बनाये रखना तथा पुराने मूल्यों (मान्यताओं) का पालन करना।
प्रश्न 11. कार्यालय में अपने सहकर्मियों के साथ सेक्शन ऑफीसर वाई.डी. पंत के व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए ।
अथवा
सैक्सन ऑफीसर के रूप में वाई.डी.पंत के व्यक्तित्व और व्यवहार पर सोदाहरण प्रकाश डालिए उत्तर:
उत्तर:
• सिद्धांतवादी।
• कार्यालय में निर्धारित समय तक बैठना।
• (समय के पाबंद)
• अनुशासनप्रिय, अधीनस्थों के साथ रूखा व्यवहार।
• वरिष्ठों का अनुकरण व्याख्यात्मक हल- सैक्सन ऑफीसर के रूप में वाई.डीपंत परंपरागत मूलियों को हर हालात में अपनाए रखना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि आधुनिकता के चक्कर मेंइन मूलियों कोछोड़ा जाए। वेवक्त के पाबंद हैं। इस कारण दफ्तर के अन्य लोग उनसे दुःखी रहते हैं। वे एक दिन मेंदस सिगरेट पी जाते हैं। इससे उनकेकाम करने की शैली कभी प्रभावित नहीं होती। यशोधर बाबू का सभी से अच्छा व्यवहार है। दफ्तर का नया लड़का चड्ढा उनसे बदतमीजी करता है, परन्तु वे इस पर ध्यान नहीं देते। मिलनसार होने के कारण उनके साथ हँसी-मजाक चलता था। एक दिन मेनन यशोधर से पूछता है कि आपकी शादी को कितने साल हो गए। संयोग से उसी दिन उनकी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह थी। इस बात का पता चलते ही दफ्तर में पार्टी का आयोजन किया गया। यशोधर पंत इस दिखावे के विरोध में थे, परंतु चाय पिलाने से वे इन्कार न कर सके। वे फिजूलखर्चे में विश्वास नहीं रखते थे।
प्रश्न 12. ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर यशेाधर बाबू के मानसिक द्वन्द्व की व्यंजक किन्हीं दो घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: यशोधर बाबू के मानसिक द्वन्द्व की व्यंजक घटनाएँ-
(i) जब यशोधर बाबू को भूषण ने ड्रैसिंग गाउन उपहार में दिया, तब पुत्र द्वारा यह कहे जानेपर ‘‘बब्बा आप सबेरे दूध लेने जाते हैं तब आप यह ड्रैसिंग गाउन पहनकर जाया कीजिए’’। यह बात उन्हें बुरी लगी। उनकी आखों में जल छलछला आया। बेटा उनसेयह भी कह सकता था कि ‘‘पिताजी दूध मैं ला दिया करूँगा, अब आपकी उम्र आराम करने की है,’’ लेकिन पुत्र ने ऐसा नहीं कहा। तो उनके मन को धक्का सा लगा, वे भीतर ही भीतर बडे़ दुःखी हुए।
(ii) यशेाधर बाबू पाश्चात्य संस्ड्डति के विरोधी थे। वेनए जमाने की परम्पराओं, नई वेशभूषा को बेकार मानते हैं। पत्नी बच्चों के साथ आधुनिकता में रम गई। जब उनकी सिल्वर वैडिंग का कार्यक्रम था तो उनकी पत्नी बिना बाजू का ब्लाउज पहनती है। ऊँची ऐड़ी की सैण्डल पहनती है। होठों पर लिपिस्टिक लगाती है। जब बुढ़ापे में इस तरह का बदलाव यशोधर बाबू ने देखा तो उन्हें धक्का सा लगता है और वे शर्म के मारे छिप जाते हैं और रिश्तेदारों से भी मिलना, उनके पास बैठना उचित नहीं समझते।
सिल्वर वैडिंग पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।
सिल्वर वैडिंग पाठ के NCERT Solutions यहाँ देखें।
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