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पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 | संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8) PDF Download

पाठ का परिचय (Introduction of the Lesson)
प्रस्तुत पाठ्यांश डॉ. कृष्णचन्द्र त्रिपाठी द्वारा रचित है, जिसमें भारत के गौरव का गुणगान है। इसमें देश की खाद्यान्न सम्पन्नता, कलानुराग, प्राविधिक प्रवीणता, वन एवं सामरिक शक्ति की महनीयता को दर्शाया गया है। प्राचीन परम्परा, संस्कृति, आधुनिक मिसाइल क्षमता एवं परमाणु शक्ति सम्पन्नता के गीत द्वारा कवि ने देश की सामर्थ्यशक्ति का वर्णन किया है। छात्र संस्कृत के इन श्लोकों का सस्वर गायन करें तथा देश के गौरव को महसूस करें, इसी उद्देश्य से इन्हें यहाँ संकलित किया गया है।

पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ |
(क) सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डे
नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्।
इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैर्धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥

शब्दार्थ : सुपूर्णम्-भरा हुआ। सदैव-सदा ही। अस्ति-है। खाद्यान्नभाण्डम्-खाने योग्य अन्न का भंडार। पीयुषतुल्यम्-अमृत जैसा। स्वर्णवद्-सोने की तरह। भाति-शोभा देता है। शस्यैः-फसलों से। धरा-धरती। इयम्-यह। क्षितौ-धरती पर। राजते-शोभा देती है। भारतस्वर्णभूमिः- भारत की सोने जैसी धरती।

 शब्दार्थ: भावार्थ
 सुपूर्णम् भरा हुआ
 सदैव सदा ही
 अस्ति है
 खाद्यान्नभाण्डम् खाने योग्य अन्न का भंडार
 पीयुषतुल्यम् अमृत जैसा
 स्वर्णवद् सोने की तरह
 भाति शोभा देता है
 शस्यैः फसलों से
 धरा धरती
 इयम् यह
 क्षितौ धरती पर
 राजते शोभा देती है
 भारतस्वर्णभूमिः भारत की सोने जैसी धरती


सरलार्थ : जहाँ खाद्यान्नों का भंडार सदा ही भरा रहता है, जहाँ नदियों का जल अमृत के तुल्य है। यह धरती (अपनी) फसलों से सोने की तरह शोभा पाती है। यह भारत की स्वर्णभूमि धरती पर सुशोभित हो रही है।

(ख) त्रिशूलाग्निनागैः पृथिव्यस्त्रघोरैः
अणूनां महाशक्तिभिः पूरितेयम्।
सदा राष्ट्ररक्षारतानां धरेयम् ।
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥2॥

शब्दार्थ: इयम्-यह। त्रिशूलाग्निनागैः–त्रिशूल, अग्नि, नाग (से)। पृथिव्यस्त्रघोरैः-पृथ्वी, आकाश जैसे भयानक प्रक्षेपास्त्रों से। अणूनाम्-अणुओं की। महाशक्तिभिः-महाशक्तियों के द्वारा। पूरिता–भरी हुई। राष्ट्ररक्षारतानाम्-देश की रक्षा में लगे हुओं की। धरा-धरती।

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 इयम् यह
 त्रिशूलाग्निनागैः त्रिशूल, अग्नि, नाग (से)
 पृथिव्यस्त्रघोरैः पृथ्वी, आकाश जैसे भयानक प्रक्षेपास्त्रों से
 अणूनाम् अणुओं की
 महाशक्तिभिः महाशक्तियों के द्वारा
 पूरिता भरी हुई
 राष्ट्ररक्षारतानाम् देश की रक्षा में लगे हुओं की
 धरा धरती


सरलार्थ: यह ( भारत की भूमि) त्रिशुल, अग्नि, नाग, पृथ्वी और आकाश जैसी भयानक मिसाइलों (प्रक्षेपास्त्रों) से युक्त, महान परमाणु शक्ति से भरी हुई है। यह धरती सदैव राष्ट्र की रक्षा में लगे रहने वालों (वीरों) की है। अतः यह भारत की स्वर्ण जैसी भूमि धरती पर शोभा पा रही है।

(ग) इयं वीरभोग्या तथा कर्मसेव्या
जगद्वन्दनीया च भूः देवगेया।
सदा पर्वणामुत्सवानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 इयम् यह
 वीरभोग्या वीरों द्वारा भोगने योग्य
 कर्मसेव्या श्रेष्ठ कर्मों से सेवा के योग्य
 जगद्वन्दनीया संसार द्वारा वन्दना के योग्य
 भूः धरती
 देवगेया देवों द्वारा गाने योग्य
 पर्वणाम् पर्वो की (त्योहारों की)
 उत्सवानाम् उत्सवों की
 धरा धरती


सरलार्थ : यह (भारतभूमि) वीरों के द्वारा भोगने योग्य तथा श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा सेवा के योग्य, संसार के द्वारा वन्दनीय और देवों द्वारा गाने योग्य भूमि है। यह धरती सदा पर्वो और उत्सवों की धरा रही है। अत: भारत की स्वर्णभूमि धरती पर शोभा पाती है।

(घ) इयं ज्ञानिनां चैव वैज्ञानिकानां
विपश्चिज्जनानामियं संस्कृतनाम्।
बहूनां मतानां जनानां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 इयम् यह
 ज्ञानिनाम् ज्ञानियों की
 विपश्चित् यन्त्रविद्या को जानने वाले
 जनानाम्-लोगों की लोगों की
 संस्कृतानाम् सुसंस्कारित लोगों की
 बहूनाम् बहुत से
 मतानाम् मतों (विचारों) के मानने वालों की


सरलार्थ: यह (भारतभूमि) ज्ञानियों की, वैज्ञानिकों की, यन्त्रविद्या को जाननेवालों की (इंजीनियरों की) और सुसंस्कृत (गुणी) जनों की भूमि है। यह धरती बहुत से मतों (विचारों-सम्प्रदायों) के लोगों की है। अतः धरती पर यह स्वर्ण जैसी भारत भूमि शोभा पाती है।

(ङ) इयं शिल्पिनां यन्त्रविद्याधराणां
भिषक्शास्त्रिणां भूः प्रबन्धे युतानाम्।
नटानां नटीनां कवीनां धरेयं
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥

 शब्दार्थ: भावार्थ:
शिल्पिनाम् कारीगरों की
 यन्त्रविद्याधराणाम् इंजीनियरों की
 भिषक् डॉक्टरों की
 शास्त्रिणाम् शास्त्रों के ज्ञाताओं की
 भूः धरती
 प्रबन्धे युगानाम् प्रबन्ध कार्य में लगे हुओं की
 नटानाम् अभिनेताओं की
 नटीनाम् अभिनेत्रियों की
 कवीनाम् कवियों की
 धरा धरती
 इयम् यह


सरलार्थ : यह भारत की भूमि कारीगरों, यन्त्रविद्या को जानने वालों (अभियन्ताओं), वैद्यों (डॉक्टरों), शास्त्रों के ज्ञाताओं, प्रबन्धन (मैनेजमेंट) कार्यों में लगे हुए लोगों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों तथा कवियों की है। अतः भारत की यह सोने जैसी महत्वपूर्ण भूमि धरती पर शोभा पाती है।

(च) वने दिग्गजानां तथा केशरीणां
तटीनामियं वर्तते भूधराणाम्।
शिखीनां शुकानां पिकानां धरेयं।
क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥

शब्दार्थ : वने-वन में। दिग्गजानाम्-हाथियों की। केशरीणाम्-सिंहों की। तटीनाम्-नदियों की। भूधराणाम्-पहाड़ों की। शिखीनाम्-मोरों की। पिकानाम्-कोयलों की।

 शब्दार्थ: भावार्थ:
 वने वन में
 दिग्गजानाम् हाथियों की
 केशरीणाम् सिंहों की
 तटीनाम् नदियों की
 भूधराणाम् पहाड़ों की
 शिखीनाम् मोरों की
 पिकानाम् कोयलों की


सरलार्थ : यह (भारतभूमि) जंगल में दिग्गजों (हथियों) की तथा सिंहों की, नदियों की, पहाड़ों की धरती है। यह धरती मोरों की, तोतों की और कोयलों की है। अत: भारत की यह स्वर्णभूमि धरती पर शोभा पाती है।

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FAQs on पाठ-शब्दार्थ एवं सरलार्थ - क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः, रुचिरा, संस्कृत, कक्षा - 8 - संस्कृत कक्षा 8 (Sanskrit Class 8)

1. क्षितौ भारतस्वर्णभूमिः कौन सी है?
उत्तर. भारतस्वर्णभूमि भारत की सोने की भूमि है।
2. क्षितौ क्या है?
उत्तर. 'क्षितौ' शब्द संस्कृत में 'भूमि' का अर्थ होता है।
3. क्षितौ क्षेत्र में कौन-कौन सी चीजें होती हैं?
उत्तर. क्षितौ क्षेत्र में भूमि, पहाड़, नदी, झील, खेत, और वन जैसी चीजें पाई जाती हैं।
4. क्षितौ के बारे में क्या रुचिरा बातें हैं?
उत्तर. क्षितौ की रुचिरा बातें उसकी सुंदरता, उसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक सौंदर्य, और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका हैं।
5. कक्षा 8 के छात्र क्षितौ के बारे में कौन-कौन सी बातें सीखेंगे?
उत्तर. कक्षा 8 के छात्र क्षितौ के बारे में उसकी महत्वपूर्णता, संरक्षण, और उसके उपयोग के बारे में सीखेंगे।
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