Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)  >  अनुवाद - विद्याधनम् | Chapter Explanation

अनुवाद - विद्याधनम् | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) PDF Download

(क) न चोरहार्य न च राजहाय॑
न भ्रातृभाज्य न च भारकारि ।
व्यये कृते वर्धत एव नित्य
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्‌ || 1 ||


अन्वयः - विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्‌ । (एतत्) न चौरहार्यम् न च राजहार्य , न भ्रातृभाज्यम् न च भरकारि । (एतत्) व्यये कृते नित्यं वर्धते एव ।
सरलार्थ - विद्याधन सभी धनों मे प्रधान है । (यह) न चोर के द्वारा चुराने योग्य है , न राजा के द्वारा छीनने योग्य् न भाइयोम के द्वारा बाटें जाने योग्य और ना ही भार बढ़ने वाला है । यह खर्च किए जाने पर अवश्य बढ़ता है । (कम नहीं होता ।)

(ख) विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्‌
विद्या भोगकरी यश: सुखकरी विद्या गुरूणां गुरु: ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या-विहीन: पशु: || 2 ||

अन्वयः - विद्या नाम नरस्य रूप  प्रच्छन्नगुप्तं धनम्‌
विद्या भोगकरी यश: सुखकरी विद्या गुरूणां गुरु: ।
विद्या विदेशगमने बन्धुजनः विधा पर देवता । राजसु विधा पूज्यते ,
न हि धनम् । विधाविहिनः पशु (भवति)  ।
सरलार्थ - विद्या नामक धन मनुष्य का अधिक सौन्दर्य होता है । यह गुप्त से भी गुप्त धन  हैं । विद्या भोगों (pleasure) को देने वाली , यश तथा सुख प्रदान करने वाली है । विद्या गुरूओं का गुरू है । विदेश जाने पर विद्या (ही एकमात्र) साथी है । विद्या सबसे बड़ी देवता है । राजाओं में विद्या की ही पूजा होती है न कि धन की । विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है ।

(ग) केयूरा: न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्‍नानं न विलेपन॑ न कुसुम नालङ्कृता मूर्धजा: ।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्ते खिलभूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्‌ || 3 ||

अन्वयः -
पुरूषं केयूरा: न विभूषयन्ति , न चन्द्रोज्ज्वला हाराः ।
न स्‍नानं न विलेपन॑ न कुसुम नालङ्कृता मूर्धजा: ।
(विभूषयन्ति) । एका वाणी (एव) पुरूषं समलङ्करोति या
संस्कृता धार्यते । अखिलभूषणानि क्षीयन्ते । वाग्भूषणं सततं भुषणम् ।
सरलार्थ - मनुष्य को न तो बाजूबन्द , न चन्द्र के समान उज्जवल हारा , न स्नान , न सुगन्धित द्ववय , न पुष्प और न सजाए हुए बाल सुशोभित करते हैं । एकमात्र वाणी जो संस्कारों से युक्त धारण की गई हो , व्यक्ति (मनुष्य) को अच्छी तरह सुशोभित करती है । सभी आभूषण (समय पाकर) नष्ट हो जाते हैं , परंन्तु वाणी रुपी आभूषण सनातन (शाश्वत) है ।

(घ) विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रय:
धेनु: कामदुघा रतिश्च विरहे नेत्र तृतीयं च सा ।
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैर्विना भूषणम्‌
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुर || 4 ||

अन्वयः - 
विद्या नाम नरस्य अतुला कीर्तिः भाग्यक्षये च
आश्रयः , कामदुघा धेनुः , विरहे च रतिः , सा तृतीयं नेत्रम् ,
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा रत्नैः विना भूषणम्‌ अस्ति ।
तस्मात् अन्यं सर्वविषयंम् उरेक्ष्य विद्याधिकार कुरु ।
सरलार्थ - विधा मनुष्य का अत्याधिक यश है , भाग्य के नष्ट हो जाने पर सहारा है , इच्छाओं की पूर्ति करने वाली गाय अर्थात कामधेनु है , वियोग की दशा में प्रेम है । तीसरी आँख है , सम्मान का निवास है , कुल की महिमा है । और बिना रत्नों का आभूषण है । इसलिए अन्य सभी विषयों को छोड़कर विद्या को पाने की कोशिश करें ।

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FAQs on अनुवाद - विद्याधनम् - Chapter Explanation - संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

1. विद्याधनम् क्या है?
उत्तर: विद्याधनम् एक ऐसा धन है जो व्यक्ति को अधिक ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने में सहायता करता है। यह धन विभिन्न स्रोतों से आ सकता है, जैसे कि अध्यापकों, पुस्तकालयों, इंटरनेट आदि।
2. विद्याधनम् क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विद्याधनम् महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और उन्नति की ओर ले जाता है। यह उन्नत विचारधारा, स्वयंशिक विकास और समाज में योगदान करने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
3. क्या केवल पढ़ाई ही विद्याधनम् है?
उत्तर: नहीं, पढ़ाई केवल एक हिस्सा है विद्याधनम् का। विद्याधनम् में पढ़ाई के अलावा अन्य स्रोतों से ज्ञान प्राप्त करना भी शामिल होता है, जैसे कि अनुभव, शिक्षाप्रद गतिविधियाँ, और विभिन्न संसाधन जैसे पुस्तकालय और इंटरनेट का उपयोग करना।
4. विद्याधनम् का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: विद्याधनम् का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। व्यक्ति अध्ययन सामग्री को पढ़ने और समझने के लिए उपयोग कर सकता है, संदर्भ पुस्तकों और इंटरनेट से जानकारी प्राप्त कर सकता है, और गुरुओं और शिक्षकों की मार्गदर्शन में भी विद्याधनम् का उपयोग किया जा सकता है।
5. क्या विद्याधनम् केवल अध्ययन के लिए ही होता है?
उत्तर: नहीं, विद्याधनम् केवल अध्ययन के लिए ही नहीं होता है। इसे व्यक्ति के सामाजिक, आर्थिक और व्यावसायिक विकास में भी उपयोगी बनाया जा सकता है। विद्याधनम् व्यक्ति को नए कौशल, विचारधारा और नई व्यवस्थाओं को सीखने और समझने की क्षमता प्रदान करता है, जो कि उन्हें अपने व्यावसायिक करियर और सामाजिक जीवन में सफलता के मार्ग पर आगे ले जाता है।
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