वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10 PDF Download

वाच्य का क्या अर्थ है ?

‘बोलने का विषय।’

क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं 

वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

1. कर्तवाच्य

कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।

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कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य।
कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है; जैसे –

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कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे –

  • मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ।
  • यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।
  • ऐसा सुंदर स्वेटर सुमन ही बन सकती है।
  • यही मज़दूर इस भारी पत्थर को हटा सकता है।

कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है; जैसे –

  • मैं चीनी भाषा नहीं लिख सकता हूँ।
  • यह मोटा आदमी तेज़ नहीं दौड़ सकता है।
  • बच्चे आज खेलने बाहर नहीं जा सकते हैं।
  • मोहन यह सवाल हल नहीं कर सकता है।

2. कर्मवाच्य

कर्मवाच्य- जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है। जैसे –

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उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं।
अन्य उदाहरण –

  • मोहन के द्वारा लेख लिखा जाता है।
  • हलवाई द्वारा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
  • चित्रकार द्वारा चित्र बनाया जाता है।
  • रूपाली द्वारा कढ़ाई की जाती है।

कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।
    कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया ‘जा’ का रूप लगाया जाता है; जैसे –
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  • इस वाच्य में कर्ता के बाद से या के द्वारा का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
    1. तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई। (कर्ता + द्वारा)
    2. नौकर से गिलास टूट गया। (कर्ता + से)
  • कभी-कभी कर्ता का लोप रहता है; जैसे –
    पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है।
  • कर्मवाच्य में असमर्थता सूचक वाक्यों में ‘के द्वारा’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है। ऐसा केवल नकारात्मक वाक्यों में किया जाता है; जैसे –
    मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती। मज़दूर से यह भारी पत्थर नहीं उठाया गया।

कर्मवाच्य का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर भी किया जाता है –
(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में ; जैसे –
हेलमेट न पहनने वालों को दंडित किया जाएगा।
चालान घर भिजवा दिया जाएगा।
(ii) अशक्तता दर्शाने के लिए; जैसे –
अब दवा भी नहीं पी जाती।
अब तो रोटी भी नहीं चबाई जाती।
(iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो; जैसे –
प्रत्येक घायल को पचास हजार रुपये दिए जाएँगे।
दालों के निर्यात का फ़ैसला कर लिया गया है।
(iv) जब कर्ता ज्ञात न हो; जैसे –
भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पत्र भेज दिया गया है।
(v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए; जैसे
ऐसा खाना हमसे नहीं खाया जाता।
नौकर को बुलाया जाए।

3. भाववाच्य

भाववाच्य– इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है; जैसे –

  • मरीज से उठा नहीं जाता।
  • पहलवान से दौडा नहीं जाता।

भाववाच्य – कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • इस वाच्य में प्रायः नकारात्मक वाक्य होते हैं।
  • भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया सदा पुल्लिंग, अकर्मक और एकवचन होती है। जैसे –

  • चलो, अब सोया जाय।
  • ऐसी धूप में कैसे चला जाएगा।
  • विधवा से रोया भी नहीं जाता।
  • इस मोटे व्यक्ति से उठा नहीं जाता।
  • चलो घूमने चला जाए।
  • भाववाच्य को केवल कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है।

वाच्य-परिवर्तन

वाच्य परिवर्तन के अंतर्गत तीनों प्रकार के वाच्यों को परस्पर परिवर्तित किया जाता है

  1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना- कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए –
    (i) यदि कर्ता के बाद ‘ने’ परसर्ग लगा है तो उसे हटाकर द्वारा, से, के द्वारा लगाया जाता है।
    (ii) क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग पुरुष और वचन के अनुसार करके ‘जा’ धातु को उचित रूप जोड़ देते हैं; जैसे –वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य में बदलना- भाववाच्य में मुख्य रूप से निषेधात्मक वाक्य आते हैं। भाववाच्य बनाते समय ने परसर्ग हटाकर से जोड़ दिया जाता है तथा क्रिया में आवश्यक बदलाव कर दिया जाता है; जैसे –वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  3. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में बदलना –वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  4. भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन –वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

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FAQs on वाच्य: Notes - हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

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