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पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10 PDF Download

अभी तक हम सब ने विभिन्न प्रकार के हिंदी व्याकरण से संबंधित टॉपिक्स के विषय में पढ़ा है। हम सभी हिंदी व्याकरण में आने वाले संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, काल, समास, संधि आदि जैसे शब्दों से भली भांति परिचित है। कक्षा 10वीं में इन सबके साथ एक टॉपिक पद परिचय भी जुड़ जाता है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है।

पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

पद परिचय का अर्थ क्या है?

पद-परिचय को समझने से पहले शब्द और पद का भेद समझना आवश्यक है।

शब्द - वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं।
शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं जिनका अर्थ होता है।

पद  जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के अनुसार प्रयुक्त हो जाता है तब उसे पद कहते हैं।
उदाहरण-राम, पत्र, पढ़ना – शब्द हैं।
राम पत्र पढ़ता है।
राम ने पत्र पढ़ा-इन दोनों वाक्यों में अलग-अलग ढंग से प्रयुक्त होकर राम, पत्र और पढ़ता है पद बन गए हैं।
पद-परिचय- वाक्य में प्रयुक्त पदों का विस्तृत व्याकरणिक परिचय देना ही पद-परिचय कहलाता है

पद परिचय का व्याकरणिक परिचय क्या है?

वाक्य में प्रयोग हुआ कोई पद व्याकरण की दृष्टि से विकारी है या अविकारी, यदि बिकारी है तो उसका भेद, उपभेद, लिंग, वचन पुरुष, कारक, काल अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध और अविकारी है तो किस तरह का अव्यय है तथा उसका अन्य शब्दों से क या संबंध है आदि बताना व्याकरणिक परिचय कहलाता है।

पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है –

  1. संज्ञा–तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।
  2. सर्वनाम-सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।
  3. विशेषण-विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।
  4. क्रिया-क्रिया के भेद, लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य,धातु कर्म और कर्ता का उल्लेख।
  5. क्रियाविशेषण-क्रियाविशेषण का भेद तथा जिसकी विशेषता बताई जा रही है, का उल्लेख।
  6. समुच्चयबोधक-भेद, जिन शब्दों या पदों को मिला रहा है, का उल्लेख।
  7. संबंधबोधक-भेद, जिसके साथ संबंध बताया जा रहा है, का उल्लेख।
  8. विस्मयादिबोधक-हर्ष, भाव, शोक, घृणा, विस्मय आदि किसी एक भाव का निर्देश।

सभी पदों के परिचय पर एक संक्षिप्त दृष्टि –

सभी पदों को मुख्यतया दो वर्गों में बाँटा जा सकता है –

  1. विकारी शब्द
  2. अविकारी शब्द या अव्यय

1. विकारी शब्द

इस वर्ग के पदों में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण विकार आ जाता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रियाविशेषण विकारी पद हैं।

  • संज्ञा- किसी प्राणी, व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
    ध्यान दें - द्रव्य, पदार्थ, धातुएँ तथा समूह का बोध कराने वाले शब्द कक्षा, सेना, भीड़ आदि जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आती हैं।
    लिंग - संज्ञा के जिस रूप से उसके स्त्री या पुरुष जाति का होने का पता चले, उसे लिंग कहते हैं; जैसे- बालक-बालिका।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10कारक - वाक्य में संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया से संबंध बताने वाला व्याकरणिक कोटि कारक कहलाता है।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • सर्वनाम - संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं, हम, ये कुछ आदि।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • विशेषण - संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं; जैसे-मीठा, परिश्रमी, काला, मोटा आदि।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10प्रविशेषण- विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं; जैसे –
    • यह आम बहुत मीठा है।
    • उड़ीसा में आया तूफ़ान अत्यधिक भयावह था।
    • इस साल बिलकुल कम वर्षा हुई।
  • क्रिया – जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का पता चले, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे- लिखना, पढ़ना, बोलना, स्नान करना आदि।
    धातु – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। इसी में ‘ना’ लगाने पर क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
    धातु + ना = सामान्य रूप
    पढ़ + ना = पढ़ना
    लिख + ना = लिखना
    (क) कर्म के आधार पर क्रिया भेद –
    अकर्मक क्रिया- हँसाना, रोना, भागना, दौड़ना, कूदना, उछलना, बैठना आदि।
    सकर्मक क्रिया- पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, बनाना, बुनना, देना, तोड़ना आदि।
    (ख) बनावट के आधार पर क्रिया भेद
    • मुख्य क्रिया – टूट गया, रोता रहा, चल दिया, खा लिया आदि।
    • संयुक्त क्रिया – कर लिया, सो गया, काट लिया, गाता गया आदि।
    • प्रेरणार्थक क्रिया – लिखवाना, कटवाना, बनवाना, पढ़वाना, चलवाना।
    • नामधातु क्रिया – फ़िल्माना, शरमाना, लजाना, हिनहिनाना आदि।
    • पूर्वकालिक क्रिया – पढ़कर, खाकर, नहाकर, पीकर, देखकर आदि।

काल-क्रिया होने के समय को काल कहते हैं।

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2. अविकारी शब्द या अव्यय

अव्यय वे शब्द होते हैं, जिन पर लिंग, वचन, काल, पुरुष आदि का कोई असर नहीं होता है।
जैसे – प्रातः, अभी, धीरे-धीरे, उधर, यहाँ, परंतु, और, इसलिए आदि।
अव्यय के भेद – क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक तथा निपात अविकारी शब्द हैं

  • क्रियाविशेषण – क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द क्रियाविशेषण कहलाते हैं; जैसे- बहुत, धीरे-धीरे, उधर, प्रातः आदि।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • संबंधबोधक – जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
    जैसे – विद्यालय के पास बगीचा है।
    मंदिर के सामने फूल खिले हैं।
    मुझे सुमन के साथ बाज़ार जाना है।
    इसके अतिरिक्त, के अलावा, के भीतर, के बारे में, के विपरीत, के बदले, की तरह, की तरफ, के बाद आदि संबंधबोधक हैं।
  • समुच्चयबोधक – जो अव्यय दो शब्दों, दो पदबंधों या दो अव्ययों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं; जैसे – और, तथा, किंतु, परंतु अथवा आदि। 
  • पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • विस्मयादिबोधक – जिन अव्यय शब्दों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, पीड़ा आदि भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – ओह, अरे, अहा, हाय आदि।पद-परिचय: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • निपात - वे अव्यय शब्द जो किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर बल लगा देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं। ही, तो, भी, तक, मात्र, भर आदि मुख्य निपात हैं।

प्रयोग वैशिष्ट्य के कारण पद-परिचय में अंतर:

कभी-कभी प्रयोग में विशिष्टता के कारण भी पदों के परिचय में अंतर आ जाता है। इस अंतर को प्रकट करने वाले कुछ उदाहरण देखिए –

  1. और –
    सर्वनाम – औरों की बात मत कीजिए।
    विशेषण – और लोग कब आएँगे?
    क्रियाविशेषण – मैं अभी और खाऊँगा।
    समुच्चयबोधक – सुमन आई और उपहार देकर चली गई।
  2. अच्छा –
    संज्ञा – अच्छों की शरण में जाओ।
    विशेषण – कुछ अच्छे काम कर लिया करो।
    क्रियाविशेषण – वह बहुत अच्छा नाची।
    विस्मयादिबोधक – अच्छा! तुम्हारी इतनी हिम्मत!
  3. कुछ –
    सर्वनाम – खाने को कुछ दे दीजिए।
    विशेषण – कुछ छात्र जा चुके हैं।
    संज्ञा – कुछ के लिए जलपान का प्रबंध है।
    क्रियाविशेषण – कुछ पढ़ो तो सही।
  4. बहुत –
    संज्ञा – मैंने बहुतों को देखा है।
    सर्वनाम – बहुत हो चुका।
    विशेषण – बहुत अनाज खराब हो गया।
    क्रियाविशेषण – हाथी बहुत खाता है।
  5. ऐसा –
    संज्ञा – ऐसो को मैंने बहुत देखा है।
    सर्वनाम – ऐसा नहीं होगा।
    विशेषण – ऐसा साँप पहली बार देखा।
    क्रियाविशेषण – ऐसा मत कीजिए।
  6. वह –
    सर्वनाम – वह आ गया।
    विशेषण – वह घर हमारा है।

निम्नलिखित वाक्यों के रंगीन अंशों का व्याकरणिक परिचय दीजिए

  1. उदिता यहाँ बच्चों को पढ़ाती थी
    उदिता- व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘पढ़ाती थी’ का कर्ता।
    बच्चों को- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्म कारक।
    पढ़ाती थी- सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग अन्य पुरुष, कर्तृवाच्य, कर्ता-उदिता

  2. मधुकर यहाँ पिछले साल रहता था
    मधुकर- व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘रहता था’ क्रिया का कर्ता।
    यहाँ- क्रियाविशेषण, स्थान सूचक, ‘रहना’ क्रिया का निर्देश करने वाला।
    रहता था- अकर्मक क्रिया, एकवचन पुल्लिंग, अन्य पुरुष, भूतकाल, कर्तृवाच्य, कर्ता ‘मधुकर’।

  3. रामचरितमानस की रचना तुलसीदास के द्वारा की गई।
    रामचरितमानस- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक।
    तुलसीदास के द्वारा- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, करण कारक।
    की गई- संयुक्त क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्मवाच्य, अन्य पुरुष।

  4. वह दौड़कर विद्यालय गया
    वह- अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘गया’ क्रिया का कर्ता।
    दौड़कर- पूर्वकालिक क्रिया, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘गया’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
    गया- मुख्य क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, कर्तृवाच्य, ‘कर्ता’ वह।

  5. बाग में कुछ लोग बैठे थे
    बाग- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।
    कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, ‘विशेष्य’ लोग।
    लोग- जातिवाचक संज्ञा पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।
    बैठे थे- अकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, भूतकाल, कर्ता लोग।

  6. मैं आपको कुछ रुपये दूंगा।
    मैं- उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक, ‘दूंगा’ क्रिया का कर्ता।
    आपको- मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन पुल्लिंग, स्त्रीलिंग संप्रदान कारक।
    कुछ– अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, विशेष्य रुपये।
    रुपये- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, विशेष्य, विशेषण-कुछ
    दूंगा- सकर्मक क्रिया, एकवचन पुल्लिंग कर्तृवाच्य, भविष्यतकाल, कर्ता मैं।

  7. जब हम रेलवे स्टेशन पहुँचे गाड़ी छूट रही थी
    जब- कालवाचक क्रियाविशेषण, पहुँचने के समय का उल्लेख करने वाला।
    हम- उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम, बहुवचन, कर्ताकारक, पुल्लिंग, पहुँचे क्रिया का कर्ता।
    रेलवे स्टेशन- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, कर्मकारक, पुल्लिंग
    पहुँचे- मुख्य क्रिया भूतकालिक, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, कर्ता हम।
    गाड़ी- जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, छूट रही थी क्रिया का कर्ता।
    छूट रही थी- सकर्मक क्रिया, भूतकाल, सातत्यबोधक स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य अन्य पुरुष, कर्ता गाड़ी।

  8. भारतीय सैनिक रणक्षेत्र में वीरता दिखाते हैं और शत्रुओं को सबक सिखाते हैं
    भारतीय- गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, विशेष्य-सैनिक।
    सैनिक- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक, ‘दिखाते हैं’ क्रिया का कर्ता।
    रणक्षेत्र में- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।
    वीरता- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्मकारक।
    दिखाते हैं- सकर्मक क्रिया बहुवचन पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमान कालिक कर्ता ‘सैनिक’।
    और- समानाधिकरण समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ने वाला।
    शत्रुओं को- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, कर्मकारक, पुल्लिंग।
    सबक- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्मकारक।
    सिखाते हैं- सकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमानकालिक कर्ता ‘सैनिक’।

  9. उस गमले में तीन फूल खिले हैं।
    उस- सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘गमला’।
    गमले में- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, अधिकरण कारक, पुल्लिंग।
    तीन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, विशेष्य ‘फूल’।
    फूल- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग कर्ताकारक, खिलना क्रिया का कर्ता।
    खिले हैं- क्रिया वर्तमानकालिक, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्तृवाच्य।

  10. वीरों की सदा जीत होती है।
    वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।
    सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।
    जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
    होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

  11. इस संसार में ईमानदारी दुर्लभ है।
    इस- सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, संसार विशेष्य।
    संसार में- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।
    ईमानदारी- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-विशेषण ‘दुर्लभ’।
    दुर्लभ- गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ईमानदारी।

  12. अरे! आप आ गए।
    अरे!- विस्मयादिबोधक अव्यय, विस्मय का भाव प्रकट कर रहा है।
    आप- मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।

निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश का व्याकरणिक परिचय दीजिए

1. ओह ! कितना सुंदर चित्र बनाया है तुमने।

ओह-अव्यय विस्मयादिबोधक हर्ष सूचक।

2. मैं प्रतिदिन स्नान करता हूँ।

मैं-पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तमपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, करता हूँ, क्रिया का कर्ता।

3. जो सत्य बोलते हैं, वे सर्वत्र आदर पाते हैं।

जो-संबंधवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘है’ सहायक क्रिया का कर्ता।

4. खरगोश धीरे-धीरे झाड़ी के निकट आ गया।

धीरे-धीरे-अव्यय, रीतिवाचक क्रियाविशेषण (‘आ गया’ क्रिया की रीति बताने वाला)।

5. इस लड़के को आवाज़ लगाना।

इस-सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘लड़के’।

6. उत्तम परिश्रम से पढ़ता है।

परिश्रम-भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, करण कारक।

7. हनुमान जी ने लंका जला दी।

लंका-व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक (‘को’ कारक-चिह्न का लोप)।

8. कल दशहरा था।

कल-कालवाचक क्रियाविशेषण, ‘था’ सहायक क्रिया का कालसूचक।

9. माधवी सवेरे-सवेरे भजन गाती है।

माधवी-व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘गाती है’ क्रिया का कर्ता।

10. अरे! तुमने ‘ए’ ग्रेड प्राप्त किया।

अरे–विस्मयादिबोधक अव्यय, आश्चर्य सूचक।

11. मैं देश के लिए अपनी जान भी दे दूंगा।

देश के लिए-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, संप्रदान कारक ‘के लिए’ कारक चिह्न।

12. दादा जी ने उपवन में पौधे लगाए।

उपवन में-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक, ‘में’ कारक चिह्न ।

13. लड़के सवेरे व्यायाम करने चले गए।

सवेरे-क्रियाविशेषण कालवाचक ‘चले गए’ क्रिया का काल।

14. मैं अपनी लिखावट पर ध्यान दूंगा।

अपनी-सार्वनामिक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य-‘लिखावट’।

15. पिछले वर्ष दालें इतनी महँगी न थीं।

पिछले-विशेषण, क्रमसूचक, विशेष्य ‘वर्ष’, पुल्लिंग, एकवचन।

16. कुछ लोग बहुत परिश्रमी होते हैं।

कुछ-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, विशेष्य ‘लोग’।

17. दुखियों का भला चाहने वाले संसार में थोड़े से हैं।

संसार में-जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक, ‘में’ कारक चिह्न।

18. परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है।

के बिना–संबंधबोधक अव्यय।

19. भारतीय राजा आपस में लड़ते रहते थे।

राजा-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन।

20. डाकिया आपका पत्र लाया है।

पत्र-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘लाया है’ क्रिया का कर्म।

21. सुंदर फूल सभी का मन अपनी ओर खींच लेते हैं।

सुंदर-गुणवाचक विशेषण, बहुवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘फूल’।

22. वर्षा के बाद धीरे-धीरे हरियाली बढ़ने लगी।

धीरे-धीरे-रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘बढ़ने लगी’ क्रिया का रीतिसूचक।

23. अक्षर एक ही बात को बार-बार कहता है।

बात को-भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘कहता है’ क्रिया का कर्म।

24. मैं यहाँ साल में एक बार आता हूँ।

साल-जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।

25. परिश्रमी लोग सफलता प्राप्त करते हैं।

लोग-जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, करते हैं क्रिया का कर्ता।

26. युधिष्ठिर ने सत्य की राह न छोड़ी।

सत्य की-भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक, ‘की’ कारक चिह्न।

27. लोभी धन को बहुत चाहता है।

धन-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

28. रावण ने शिव को प्रसन्न कर लिया था।

रावण ने व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘प्रसन्न कर लिया, क्रिया का कर्ता।

29. शाहजहाँ ने मुमजात महल की याद में ताजमहल बनवाया था

ताजमहल-व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘बनवाया था’ क्रिया का कर्म।

30. मैं नैनीताल की सुंदरता पर मोहित हो गया।

सुंदरता पर-भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक, कारक चिह्न ‘पर’।

31. हमने अपने कपड़े स्वयं धोए।

स्वयं-सर्वनाम, निजवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन।

32. वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की।

वाल्मीकि-व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘रचना की’ क्रिया का कर्ता।

33. सुभाषचंद्र बोस का व्यक्तित्व महान था।

महान–गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य ‘व्यक्तित्व’ ।

34. ऋषि ने पेड़ लगाए ताकि फल और छाया मिले।

ताकि-अव्यय, समुच्चयबोधक, दो वाक्यों के योजन का कार्य।

35. हमें कभी भी भलाई का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

भलाई-भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, संबंध कारक।

36. शेर से जान बचाने के लिए हिरन तेज़ दौड़ा।

तेज़-अव्यय, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘दौड़ा’ क्रिया की विशेषता का सूचक।

37. मधुमक्खियाँ पेड़ की डाल पर अपना छत्ता बनाती हैं।

मधुमक्खियाँ-जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, स्त्रीलिंग, कर्ता कारक, ‘बनाती हैं’ क्रिया का कर्ता।

38. उन्नति ने बड़े परिश्रम से आई.ए.एस. की परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

सफलता-भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, कर्ता कारक, कर्म कारक, एकवचन, कारक चिह्न ‘को’ का लोप।

39. यह पहलवान प्रतिदिन दो लीटर दूध पीता है।

दूध-जातिवाचक (द्रव्यवाचक), संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘को’ परसर्ग का लोप।

40. भूकंप ने भुज में बड़ी तबाही मचाई।

भूकंप-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘मचाई’ क्रिया का कर्ता।

41. दंगों में बहुत से निर्दोष भी मारे जाते हैं।

दंगों में-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, अधिकरण कारक।

42. श्याम नारायण पांडेय ने हल्दी घाटी नामक कविता लिखी।

श्याम नारायण पांडेय-व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।

43. तुमने अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।

तुमने-मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘किया है’ क्रिया का कर्ता।

44. दूसरों का भला करने वाला अच्छा आदमी होता है।

अच्छा-गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य–’आदमी’।

45. वाह ! भारत मैच जीत गया।

वाह!-विस्मयादिबोधक अव्यय, प्रसन्नतासूचक भाव की अभिव्यक्ति।

46. पिता जी रिमोट से चलने वाले खिलौने लाए।

पिता जी-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘लाए’ क्रिया का कर्ता।

47. जयशंकर प्रसाद ने प्रसिद्ध कहानियाँ लिखीं।

प्रसिद्ध-गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य-‘कहानियाँ’।

48. मेरे विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा।

मेरे-सर्वनाम, उत्तम पुरुषवाचक, पुल्लिंग, संबंधवाचक, एकवचन।

49. आज अधिकांश कार्य मशीन की सहायता से किया जाने लगा है।

मशीन-जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, संबंध कारक, कारक चिह्न ‘की’।

50. ऐसी घड़ी जापान में ही मिलेगी।

जापान-व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक, ‘में’ कारक चिह्न।

51. फूलों पर भौंरे गुंजार कर रहे हैं।

फूलों-जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, अधिकरण कारक।

52. अच्छे बच्चे झूठ नहीं बोलते हैं।

नहीं-रीतिवाचक क्रियाविशेषण (निषेधात्मक)।

53. परिश्रमी मोहन अपना काम समय से पहले पूरा कर लेता है। बनवाया था।

परिश्रमी-गुणवाचक विशेषण, एकवचन, कर्ता कारक, पुल्लिंग, विशेष्य–’मोहन’।

54. मुंबई में फ़िल्मी दुनिया की माया निराली है।

मुंबई में-व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक, ‘में’ कारक चिह्न।

55. ऐसी सरदी में बाहर मत खेलना।

मत-रीतिवाचक क्रियाविशेषण, नकारात्मक भाव की अभिव्यक्ति, ‘जाना’ क्रिया से संबंधित।

56. पांडव महाभारत में जीत पाकर भी खुश नहीं थे।

जीत-भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन।

57. रावण सीता को चुरा ले गया।

सीता को-व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्मकारक, ‘चुराया’ क्रिया का कर्म।

58. चोरों ने मंदिर का खजाना चुरा लिया।

चोरों ने—’जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग’ कर्ता कारक, ‘चुरा लिया’ क्रिया का कर्ता।

59. शाम होते ही पक्षी घोंसले में आ गए

आ गए-संयुक्त क्रिया, भूतकालिक, अकर्मक, पुल्लिंग, बहुवचन।

60. अंबुज होनहार बालक है

है-पुल्लिंग, एकवचन, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, सहायक क्रिया, ‘अंबुज’ कर्ता की सहायक क्रिया।

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FAQs on पद-परिचय: Notes - हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

1. What is the meaning of "Pad Parichay" in grammar?
Ans. "Pad Parichay" refers to the introduction of parts of speech in the Hindi language.
2. What is the difference between "Vikari Shabd" and "Avikari Shabd" in Pad Parichay?
Ans. "Vikari Shabd" are words that change their form based on gender, number, or tense, while "Avikari Shabd" or "Avyay" are words that do not change their form.
3. Can you provide examples of "Vikari Shabd" and "Avikari Shabd" in Hindi grammar?
Ans. Examples of "Vikari Shabd" include nouns like "ladka" (boy) and verbs like "khelta hai" (plays), while examples of "Avikari Shabd" include words like "bahut" (very) and "kab" (when).
4. How is Pad Parichay important in understanding Hindi grammar?
Ans. Pad Parichay helps in understanding the fundamentals of Hindi grammar by introducing different parts of speech and their functions in sentences.
5. What is the significance of studying Pad Parichay for students preparing for Hindi exams?
Ans. Studying Pad Parichay is essential for students preparing for Hindi exams as it forms the basis for understanding and analyzing sentences, improving their language skills, and scoring well in exams.
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