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कृषिकाः कर्मवीराः - हिंदी अनुवाद | संस्कृत कक्षा 6 (Sanskrit Class 6) PDF Download

सूर्यस्तपतु मेघाः वा वर्षन्तु विपुलं जलम्।
कृषिका कृषिको नित्यं शीतकालेSपि कर्मठौ।।  

सरलार्थ - 
चाहे सूरज तपाये या बादल अत्यधिक बरसें किसान तथा उसकी पत्नी सदा सरदी में भी काम में लगे रहते हैं।
English Translation-
The Sun may burn or the clouds may pour huge amount of water, the farmer and his wife are always active even in winter.


ग्रीष्मे शरीरं सस्वेदं शीते कम्पमयं सदा।
हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।।  

सरलार्थ -
गरमी में शरीर पसीने से भरा हुआ होता और ठंड में कंपनयुक्त अर्थात काँपता रहता है किन्तु फिर भी वे दोनों हल से अथवा कुदाल से खेतों को जोतते रहते हैं।
English Translation-
In summer the body is always full of sweat and in winter he shivers i.e., it is shivering but they keep on ploughing the fields with their plough or with the spade.


पादयोर्न पदत्राणे शरीरे वसनानि नो।
निर्धनं जीवनं कष्टं सुखं दूरे हि तिष्ठति।।  ्

सरलार्थ - 
पैरों में जूते नहीं, शरीर पर कपड़े नहीं। निर्धन, कष्टमय जीवन है, सुख सदा दूर ही रहता है।
English Translation-
There are no shoes on the feet, no clothes on the body . Life is full of poverty and there are difficulties and comforts stay far away.


गृहं जीर्णं न वर्षासु वृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
तथापि कर्मवीरत्वं कृषिका्णां न नश्यति।। 

सरलार्थ -
घर टूटा-फूटा है, वर्षा के समय बारिश रोकने में असमर्थ है। तो भी किसानों की कर्मनिष्ठा नष्ट नहीं होती अर्थात वे कृषि के काम में लगे रहते हैं।
English Translation-
Their dwelling is old and during rains it is not able to keep off the rain i.e.; the rain water but their activity does not stop. 


तयोः श्रमेण क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि सर्वदा।
धरित्री सरसा जाता या शुष्का कण्टकावृता।। 
 

सरलार्थ - 
उन दोनों के परिश्रम से खेत सदा फसलों से भर जाते हैं। धरती जो पहले सुखी व काँटों से भरी थी अब हरी-भरी हो जाती है।
English Translation-
With the hard work of those two (the farmer and his wife) the fields are filled with crops. The land that was dry and full of thorns becomes fertile and full of greenery. 


शाकमन्नं फलं दुग्धं दत्त्वा सर्वेभ्य एव तौ।
क्षुधा -तृषाकुलौ नित्यं विचित्रौ जन-पालकौ। 

सरलार्थ -
वे दोनों सब को सब्जी, अन्न, फल-दूध देते हैं स्वयं भूख-प्यास से व्याकुल रहते हैं। वे दोनों विचित्र जन पालक हैं। यह एक विडंबना है कि भूख मिटाने वाले स्वयं भूख का शिकार हैं।
English Translation-
They provide vegetables, grains, milk fruits to everybody but they themselves remain affected with hunger and thirst. There two are strange care-takers. ( It is a paradox that those who alleviate the pangs of hunger of other people are themselves victims of hunger.) 


शब्दार्थाः (Word Meaning)

  • तपतु -तपाये, जलाये   many burns
  • विपुलम् - अत्यधिक in large amount
  • कर्मठौ - निरन्तर क्रियाशील active
  • सस्वेदम् - पसीने से युक्त full of sweat
  • पदत्राणे -जूते shoes
  • वसनानि - कपड़े clothes
  • जीर्णम् - पुराना old
  • वारयितुम् -दूर करने में in removing
  • क्षमम् - समर्था able
  • सस्यपूर्णानि - फसल से युक्त full of crops
  • धरित्री - पृथ्वी earth 
  • कण्टकावृता - काँटों सेपरि  पूर्ण full of thorns
  • क्षुधातृषाकुलौ - भूख प्यास से बेचैन distressed with hunger and thirst
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FAQs on कृषिकाः कर्मवीराः - हिंदी अनुवाद - संस्कृत कक्षा 6 (Sanskrit Class 6)

1. कृषिकाः कर्मवीराः किन्हेः होताः?
उत्तरः कृषिकाः कर्मवीराः वे होताः हैं जो अपने खेती-बाड़ी के कार्यों को बड़ी प्रयास के साथ करते हैं। वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर प्रयास करते हैं और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके अनुभव और विज्ञान को अपनाते हैं।
2. कृषि में कोन-कोन से गुण चाहिए?
उत्तरः कृषि में निम्नलिखित गुणों की आवश्यकता होती है: - भूमि की उपयुक्तता और मृदा की गुणवत्ता - उच्च उत्पादन क्षमता और समय पर बीज लगाने की क्षमता - पानी की उपयोगिता की क्षमता - उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उपयुक्त कीटनाशकों का उपयोग - अनुकूल जलवायु और मौसम की पहचान करने की क्षमता
3. क्या कोई व्यक्ति अपनी खेती के लिए कर्मवीर बन सकता है?
उत्तरः हां, कोई व्यक्ति अपनी खेती के लिए कर्मवीर बन सकता है। यह बहुत मेहनत करके और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके संभव होता है। व्यक्ति को अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना चाहिए और उत्पादन को बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
4. कर्मवीर कृषिका कैसे बनें?
उत्तरः कर्मवीर कृषिका बनने के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक होते हैं: 1. नवीनतम तकनीकों का अध्ययन करें और उन्हें अपनी खेती में लागू करें। 2. अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। उच्च उत्पादन क्षमता की ओर ध्यान दें। 3. अपनी मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उपयुक्त खाद और कीटनाशकों का उपयोग करें। 4. जलवायु और मौसम की पहचान करें और उनके अनुकूल तरीके पर खेती करें। 5. समय पर बीज लगाने की क्षमता विकसित करें और उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें।
5. कृषिकाः कर्मवीराः क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तरः कृषिकाः कर्मवीराः महत्वपूर्ण हैं इसलिए कि वे खेती में उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं। वे नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके उच्च उत्पादन क्षमता को विकसित करते हैं और खेती में विज्ञान और अनुभव को अपनाते हैं। ये कर्मवीर कृषिकाः भूमि की उपयुक्तता, पानी की उपयोगिता और मृदा की गुणवत्ता के बारे में ध्यान रखते हैं और उच्च गुणवत्ता वाले बीज और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। इस प्रकार, वे आहार सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
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