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Class 9 Hindi B: Sample Question Paper Term II- 1 (With Solutions) | Sample Papers For Class 9 PDF Download

कक्षा 09
समय: 1 घण्टा
पूर्णांक: 40

सामान्य निर्देश-
(i) प्रश्न-पत्र में दो खंड दिए गए हैं- खंड 'क' और खंड 'ख'
(ii) खंड 'क' में पाठ्यपूरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों के उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(iii) खंड 'ख' में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों के उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खण्ड-'क'


"पाठ्यपूरक-गद्य एवं पद्य"

प्रश्न.1: निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए ।
(क) “अन्दर ही अन्दर मेरा बटुआ काँप गया।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(ख) महामारी का क्या परिणाम निकला ? 'एक फूल की चाह' कविता के आधार पर उत्तर लिखिए।
(ग) धार्मिक शोषण को किस प्रकार रोका जा सकता है? 'धर्म की आड़' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

(क) अतिथि के स्वागत-सत्कार में अधिक खर्च होने व आर्थिक स्थिति बिगड़ने के डर से लेखक का बटुआ काँप उठा। व्याख्यात्मक हल - जिस दिन अतिथि आया, मेजबान को उस दिन आशंका हुई कि कहीं वह कुछ दिन ठहरने की इच्छा से तो नहीं आया। उसकी आवभगत पर होने वाले खर्चे का अनुमान लगाकर लेखक भयभीत हो उठा था। उसे अपनी आर्थिक स्थिति बिगड़ने की आशंका सताने लगी।
(ख) महामारी का यह परिणाम निकला कि हजारों लोग मर रहे थे। जलती चिताएँ तथा रोते-बिलखते लोग चारों ओर दिखाई दे रहे थे। चारों तरफ बीमारी व मौत के कारण त्राहि-त्राहि हो रही थी।
(ग) उसे साहस और दृढ़ता के साथ रोकने का जनता का अडिग निश्चय।
व्याख्यात्मक हल - कुछ स्वार्थी लोग धर्म के नाम पर लोगों का धार्मिक शोषण करते हैं। इसे रोकने का उपाय यही है कि लोगों को धर्म की सही शिक्षा दी जाए। धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ प्रयास किया जाना चाहिए। यदि ऐसा न हआ तो आपसी हिंसा और अधिक बढ़ जाएगी।

प्रश्न.2: निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में लिखिए।
(क) सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?
(ख) 'खुशबू रचते हैं हाथ' कविता में कवि ने समाज की किस विसंगति पर कटाक्ष किया है?

(क) सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि आने वाले समय में मनुष्य को सदाचार व शुद्ध आचरण के आधार पर ही जीना होगा। अपने लाभ को त्याग कर सर्वजन की भलाई को सर्वोच्च मानना होगा और यदि आचरण पवित्र नहीं होगा तो व्रत-पूजा, रोजे-नमाज व्यर्थ चले जाएंगे। इसलिए सबके हित की सोचते हुए सबसे पहले निजी आचरण व व्यवहार को सही करना होगा।
(ख) 'खुशबू रचते हैं हाथ' कविता में समाज के निर्माण में योगदान करने वाले लोगों के साथ होने वाले उपेक्षा भाव को बेनकाब किया है। जो वर्ग समाज में सौंदर्य की सृष्टि कर रहा है और उसे खुशहाल बनाता रहा है, वहीं वर्ग अभाव व, गंदगी में जीवन बसर करने के लिए विवश है। लोगों के जीवन में सुगंध बिखेरने वाले हाथ भयावह स्थितियों में अपना जीवन बिताने पर मजबूर हैं। खुशबू रचने वाले हाथ सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में जीवन बिता रहे हैं। इसी सामाजिक विडंबना को कवि ने इस कविता से प्रकाशित किया है।

पूरक पाठ्यपुस्तक-संचयन भाग-1

प्रश्न.3: निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए

(क) अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता? इस कार्य से गिल्लू की कौन-सी विशेषता का पता चलता है?

(ख) लेखक की माँ ने घटना सुनकर लेखक को गोद में क्यों बिठा लिया? 'स्मृति' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?

(क) लेखिका को एक मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा था। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी काम में भी मन नहीं लगता था। यहाँ तक कि उसने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना भी कम कर दिया था। वह हमेशा लेखिका का इंतजार करता रहता और किसी के भी आने की आहट सुनकर लेखिका के अस्पताल से लौट आने की उसकी उम्मीदें बढ़ जाती। लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति एक परिचारिका की उपस्थिति के समान महसूस होती। इन्हीं कारणों से लेखिका ने गिल्लू के लिए 'परिचारिका' शब्द का प्रयोग किया है।
(ख) लेखक अपने वर्णन में बताता है कि बच्चों की टोली स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले सूखे कुएँ में पड़े एक साँप को ढेले मारकर उसकी फुफकार सुनने की अभ्यस्त हो गई थी। लेखक जब अपने बड़े भाई द्वारा दी गई चिट्ठियों को मक्खनपुर के डाकखाने में डालने के लिए अपने छोटे भाई के साथ जा रहा था, तब रास्ते में कुएँ वाले साँप को ढेले मारकर उसकी फुफकार सुनने का विचार पुनः उसके मन में आया।
लेखक के इसी प्रयास के दौरान उसकी टोपी में रखी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी। लेखक का उपर्युक्त कथन इसी घटना के संदर्भ में है क्योंकि कएँ के बहुत अधिक गहरा होने, अपनी उम्र कम होने और सबसे ज्यादा कएँ में पड़े विषैले साँप के डर से वह चिट्रियों को निकालने का कोई उपाय नहीं समझ पा रहा था। चिट्ठियाँ न मिलने का परिणाम बड़े भाई द्वारा दिया जाने वाला दंड था। इसलिए लेखक निराशा, भय और उद्वेग अर्थात् घबराहट के मनोभावों के बीच फंस गया था। स्वाभाविक रूप से बचपन में कोई कार्य गलत हो जाता है तो बच्चे अपने अपराधनिवारण या उससे संबंधित दंड से बचने हेतु माँ के लाड़-प्यार और उसकी गोद का आश्रय लेना स्वभावतः पसंद करते हैं। माँ की ममता बच्चों के लिए एक सुरक्षात्मक आवरण की भाँति कार्य करती है। इसी कारण लेखक ने ऐसा कहा है।

(ग) लेखक एक बार तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गया था। तक्षशिला में कड़ी धूप और भूख-प्यास के कारण लेखक का हाल बुरा हो रहा था। वह रेलवे स्टेशन से पौन मील दूरी पर बसे एक गाँव की ओर चल पड़ा। दूर गाँव में एक दुकान पर चपातिया सेंकता हुआ हामिद मिला। इस प्रकार खाने के बारे में पूछताछ करने के कारण उसका हामिद खाँ से परिचय हुआ।

खण्ड-'ख'


"लेखन"

प्रश्न.4: निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

(क) व्यक्ति को व्यक्ति से दूर करता-इंटरनेट
संकेत बिन्दु- कैसे, दुष्प्रभाव, निष्कर्ष
(ख) गाँव में बिताया एक दिन
संकेत बिन्दु- कब, कहाँ, अनुभव, विशेष बात
(ग) ट्रैफिक जाम की समस्या
संकेत बिन्दु- ट्रैफिक की समस्या का आधार, लोगों की जल्दबाजी, व्यवस्था की कमी, सुधार के उपाय।

(क) व्यक्ति को व्यक्ति से दूर करता-इंटरनेट

संकेत बिन्दु- कैसे, दुष्प्रभाव, निष्कर्ष।

आधुनिक युग विज्ञान का युग है। इंटरनेट ने आज दुनिया को हमारी मुट्ठी में ला दिया है। बस क्लिक कीजिए और सब कुछ हमारी आँखों के सामने हाजिर। आज इंटरनेट घर-घर की जरूरत बन गया है। आज लोग कम्प्युटर, लैपटॉप और विशेष रूप से मोबाइल के जरिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, लेकिन इसके अत्यधिक प्रयोग ने व्यक्ति को व्यक्ति से दूर कर दिया है। लोग अपना अधिकांश समय इंटरनेट के प्रयोग में व्यतीत करते हैं। सोशल साइटों, फेसबुक, व्हाटसअप आदि पर चैटिंग करते हुए इतना खो जाते हैं कि उन्हें अपने चारों ओर के लोगों का ध्यान ही नहीं रहता। वे सामने बैठे व्यक्ति और आस-पास के लोगों के प्रति उदासीन बने रहते हैं। सबके साथ रहते हुए भी वे एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं। वे दूसरों के सुख-दु:ख के प्रति भी संवेदनहीन बने रहते हैं।
त्योहारों, विशेष पर्यों आदि के अवसर पर जहाँ लोग एकत्र होते थे, एक-दूसरे से मिलकर बधाई देते थे वहाँ अब इंटरनेट पर बधाई देकर ही अपने कर्तव्यों को पूरा कर देते हैं। इसका प्रयोग करने वाले अपनी एक अलग दुनिया बना लेते हैं जिससे धीरे-धीरे समाज से अलग रहने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के 'फोबिया' का शिकार हो जाते हैं। इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से बच्चे भी अछते नहीं रहे हैं। इंटरनेट के प्रयोग के कारण बच्चे घर के बुजुर्गों के साथ अपना समय नहीं बिताते जिससे सहज ही मिलने वाले संस्कारों से वंचित रह जाते हैं। आस-पड़ोस के लोगों के बारे में भी अनजान बने रहते हैं। इसलिए मुसीबत के समय उनका सहयोग भी प्राप्त नहीं होता। हमें विज्ञान को इस आधुनिक देन का आदर करते हुए इसका प्रयोग नियंत्रित और समझदारी से करना चाहिए तभी इसके लाभ हमें समृद्ध करेंगे।
(ख) गाँव में बिताया एक दिन
संकेत बिन्दु- कब, कहाँ, अनुभव, विशेष बात

गाँव शब्द सुनते ही हमारा मन गाँव के हरियाली से भरे प्रदूषण मुक्त वातावरण में जाने को मचल उठता है। ऐसा ही एक अवसर मुझे तब प्राप्त हुआ जब पिताजी को गाँव की जमीन के सिलसिले में गाँव जाना पड़ा। मैं भी एक दिन के लिए उनके साथ गाँव गया। मेरे गाँव का नाम अलावां हैं, लेकिन बोलने की सुविधा के लिए लोगों ने इसे 'अलामा' बना दिया है। यह बिहार के नालंदा जिले में बसा तीन-चार हजार आबादी वाला एक छोटा-सा गाँव है। हम बस द्वारा गाँव पहुँचे।
 घर पहुँचने के लिए पिताजी ने एक तांगा किया। हम गाँव के कच्चे रास्तों व बाजार से होते हुए तांगे की सवारी का मजा लेते घर पहुँचे। सब हमसे मिलकर बहुत प्रसन्न हुए। हाथ-मुँह धुलाकर दादी ने पानी पिलाया। कुँए के पानी की उस मिठास के आगे मुझे शहरों का मिनरल वाटर भी फीका जान पड़ा। नाश्ता कर पिताजी, दादाजी के साथ कार्य में व्यस्त हो गए, तब मैं अपने चचेरे भाई अंशु के साथ गाँव में घूमने निकल गया। अंशु ने अपने मित्रों को भी बुला लिया। हम सब पहले आम के बाग में गए वहाँ हमने कुछ ताजे आम तोड़कर खाये फिर पास की नहर पर गए, वहाँ के ठंडे पानी में हमने खुब मस्ती की। कुछ ही देर में मैं सबके साथ घुलमिल गया। दोपहर को हम थककर घर पहुँचे। खाना खाकर कुछ देर विश्राम करने के बाद अंशु के मित्र मुझे पतंगबाजी के लिए बुलाने आ गए। उन सबके साथ मिलकर पतंग उड़ाने में मुझे बहुत मजा आया। यहाँ की साफ़ और ताजी हवा में मझे सकन का एहसास हुआ। दूर तक फैले हरे-भरे खेत और पक्षियों की चहचहाहट से मन प्रसन्न हो गया। रात में सब लोगों के बिस्तर छत पर लगाए गए। चाँदनी रात में तारों को देखने में बहुत आनंद आया। देर रात तक सब लोग बातें करते रहे। दादी ने पिताजी के बचपन की बहुत सारी बातें भी बताईं। अगले दिन मैं पिताजी के साथ वापस लौटा तब मैं गाँव में बिताए उस एक दिन की ढेर सारी यादें भी अपने साथ ले आया था।
(ग) ट्रैफिक जाम की समस्या

संकेत बिन्दु- ट्रैफिक की समस्या का आधार, लोगों की जल्दबाजी, व्यवस्था की कमी, सुधार के उपाय

विज्ञान ने आज हमारी जीवन-शैली को पूरी तरह बदल दिया है, विज्ञान के आविष्कारों में से एक महत्वपूर्ण आविष्कार है यातायात के साधन, जिसके कारण हम मीलों की दूरी कुछ ही समय में सहजता से पूरी कर लेते हैं जिसे पूरा करने में प्राचीन समय में हमें महीनों लग जाते थे। वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के पास अपने निजी वाहन कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि हैं जो सड़कों पर जाम की दिनों दिन बढ़ती समस्या का सबसे बड़ा कारण हैं। आज हर व्यक्ति जल्दी में नजर आता है और इसी जल्दबाजी के कारण सड़क पर जाम लग जाता है। बाइक, कार सवार अपनी लाइन में चलने के स्थान पर दूसरे को ओवर टेक करते हैं तथा ट्रैफिक पुलिस के द्वारा सख्ती से अपने कर्त्तव्य पालन न करने के कारण इसे बढ़ावा मिलता है। ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति पाने के लिए सरकार को ट्रैफिक के कड़े नियम बनाने चाहिए तथा सख्ती से उन्हें लागू करना चाहिए। इसके साथ ट्रैफिक के नियमों के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। सभी के सम्मिलित प्रयासों से ही इस समस्या से निजात मिल सकती है।

प्रश्न.5:  पत्र लेखन
(क) अपने जन्म-दिन पर अपने मित्र को निमन्त्रित करते हुए पत्र लिखिए।

अथवा

(ख) अपने छोटे भाई को अध्ययनशील होने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

(क)

दिल्ली।

15 मार्च, 20xx

प्रिय मित्र,

सप्रेम नमस्कार।

तुम्हें यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि 20 अप्रैल की सायं हर वर्ष की भाँति मैं अपना जन्म-दिन मना रहा हूँ। इस अवसर पर अपने सभी मित्रों को निमन्त्रित किया है। पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी दावत का कार्यक्रम अपने घर पर रखा है तथा मनोरंजन के कार्यक्रम भी होंगे। मैं इस अवसर पर तुम्हें परिवार सहित हार्दिक निमन्त्रण भेज रहा हूँ। आशा है तुम इसे स्वीकार करोगे और आकर मेरे प्रति असीम स्नेह तथा मित्रता का परिचय दोगे।

तुम्हारा मित्र,

क.ख.ग.

अथवा

(ख)
7/37, रामबाग,

आगरा।

दिनांक : 25 जुलाई, 20xx

प्रिय सुरेश, सदा सुखी रहो।

तुम होनहार बालक हो, व्यक्ति का विकास अध्ययन से ही होता है। अध्ययन ही व्यक्ति को पूर्णता प्रदान करता है। आज का युग संघर्ष का युग है। इसमें वही सफलता प्राप्त कर सकता है जो श्रेष्ठतम होता है और श्रेष्ठतम बनने का साधन अध्ययन ही है।

अध्ययन में कभी-भी आलस्य मत करना। सुचारु रूप से तुम्हारा अध्ययन चलता रहना चाहिए। साथ ही पढ़ते समय एकाग्रता भी आवश्यक है और लगन भी। आशा है इन संकेतों को समझकर तुम एकाग्रचित होकर अध्ययन में जुटे रहोगे, यही तुम्हारे लिए श्रेयस्कर है। इसी से तुम्हें परीक्षा में भी सफलता प्राप्त होगी।

तुम्हारा भाई

हरीश।

प्रश्न.6: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर संदेश लेखन कीजिए ।
(क) शतरंज में स्वर्ण पदक जीतने पर मित्र को संदेश।

अथवा

दिवाली त्योहार के अवसर पर परिवार को शुभकामनाएँ देते हुए संदेश।
(ख) तैराकी में स्वर्ण पदक जीतने पर अपनी बहन को बधाई देते हुए संदेश।

अथवा

सहपाठियों को 'बालदिवस' (14 नवम्बर) पर शुभकामना संदेश लिखिए।

(क) शतरंज में स्वर्ण पदक जीतने पर मित्र को शुभकामना संदेश:

"संदेश"

10 जून, 20xx

प्रात:- 10.00 बजे

प्रिय रमेश, कल शाम टेलीविजन में तुम्हें देखा। तुम्हारी उपलब्धि के विषय में पता चला कि शतरंज में तुम्हें स्वर्ण पदक मिला | है और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के रूप में तुम्हारा चयन हो गया है। तुम्हारी मेहनत ने तुम्हें आज अत्यंत ऊँचा दर्जा दिलवाया है। मुझे पता है आगे चलकर तुम देश का नाम और साथ ही साथ परिवार का नाम रोशन करोगे। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाई।

तुम्हारा मित्र

विजय कुमार

अथवा

दिवाली त्योहार के अवसर पर परिवार को शुभकामनाएँ देते हुए संदेश:

"संदेश"

18 अक्टूबर 20xx

सायं-6.00 बजे

प्रिय मित्र।

कल दीपावली है। इस प्रकाशपर्व के अवसर पर मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि यह पर्व आपके परिवार में सुख-समृद्धि एवं आरोग्यता लेकर आए। इस पावन प्रकाश पर्व पर मेरे परिवार की ओर से आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ।

राहुल
(ख) तैराकी में स्वर्ण पदक जीतने पर अपनी बहन को बधाई देते हुए संदेश:

"संदेश"

12, जुलाई, 20xx

समय : प्रात: 8.00 बजे

प्रिय मित्र,

सौरभ,

कल शाम को टी.वी. में तुम्हें देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। तुम्हारी उपलब्धि के बारे में पता चला। तैराकी प्रतियोगिता | में तुम्हें स्वर्ण पदक मिला और ओलंपिक में तुम्हारा चयन हो गया है। तुम्हारी मेहनत रंग लाई। भविष्य में तुम अपने माता-पिता के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन करोगे। मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।

तुम्हारा भाई

अनुरोध

अथवा

'सहपाठियों' को 'बालदिवस' (14 नवम्बर) पर शुभकामना संदेश:

"संदेश"

14, नवंबर, 20xx

समय-प्रात: 8.00 बजे

प्रिय मित्रों,

आज 'बालदिवस' पर मेरे सभी सहपाठियों को बहुत-बहुत मुबारक। बालदिवस बच्चों का दिवस है, जो देश का | भविष्य होते हैं। चाचा नेहरू हममें भविष्य को देखते थे। इसलिए हम सभी को आज 'बालदिवस' पर देश की रक्षा एवं सुख-सौहार्द्र के लिए शपथ लेनी चाहिए।

राघव (मॉनीटर)

प्रश्न.7: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर संवाद लेखन कीजिए।
(क) “विकास के मॉडल-हाईवे, मॉल, मल्टीप्लेक्स' विषय पर शिक्षक और छात्र के बीच परस्पर संवाद को लिखिए।

अथवा

पृथ्वी सारे संसार का भार सहती है और आकाश जीवन देता है। दोनों में श्रेष्ठता निर्धारित करने के लिए विज्ञान के दो विद्यार्थियों की परस्पर चर्चा लिखिए।
(ख) समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आत्म-सुरक्षा की सीख देते हुए एक माँ और बेटी का संवाद लिखिए।

अथवा

कक्षा में होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता हेतु प्रोत्साहित करते हुए अध्यापक व छात्र के बीच हुए संवाद को लिखिए।

(क) "विकास के मॉडल-हाईवे, मॉल, मल्टीप्लेक्स' विषय पर शिक्षक और छात्र के बीच परस्पर संवाद:

शिक्षक - मोहन ! आज का अखबार पढ़ा तुमने।

मोहन - जी श्रीमान् ! किन्तु उसमें ऐसी क्या विशेष खबर थी?

शिक्षक -  यानी तुमने ठीक से नहीं पढ़ा। उसमें लिखा था कि हमारे शहर के विकास मॉडल को मंजूरी मिल गई है।

मोहन - जी श्रीमान् ! मैंने पढ़ा ! ये तो बहुत प्रसन्नता का विषय है कि अब हमारा शहर भी विकास के पथ पर अग्रसर होता हुआ दिखाई देगा। यहाँ भी चारों ओर हाइवे, मॉल और मल्टीप्लेक्स होंगे।

शिक्षक - ठीक कहा मोहन, बताओगे इससे हमारे शहर को क्या-क्या लाभ होंगे?

मोहन - शहर की सड़कों पर वाहनों का भार कम होगा, हमारी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, साथ ही शहरवासियों को मनोरंजन के साधन व अपनी आवश्यकताओं की सभी वस्तुएँ एक ही छत के नीचे आसानी से उपलब्ध होंगी।

शिक्षक - बिल्कुल ठीक मोहन, शाबाश!

अथवा

पृथ्वी सारे संसार का भार सहती है और आकाश जीवन देता है। दोनों में श्रेष्ठता निर्धारित करने के लिए विज्ञान के दो विद्यार्थियों की परस्पर चर्चा:

नितिन - मित्र सुरेश! आज विज्ञान की कक्षा में अध्यापिका ने पृथ्वी और आकाश के विषय में कितनी अच्छी-अच्छी और रोचक जानकारियाँ दीं।

सुरेश - सत्य कह रहो हो मित्र ! आज हमें पृथ्वी और आकाश के विषय में कई नए तथ्य ज्ञात हुए।

नितिन - पथ्वी कितनी श्रेष्ठ है, कितनी सहनशीलता है उसमें। सबका भार सहन करती है।

सुरेश - मित्र नितिन, धरती और आकाश भी तो कितना श्रेष्ठ है। यह सभी को जीवन प्रदान करता है। यदि आकाश न

हो तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है

नितिन - यदि पृथ्वी हमारा भार न सहती तो क्या होता? हमारे खाने के लिए अन्न व रहने के लिए स्थान-सब पृथ्वी पर उपलब्ध हैं।

सुरेश - मित्र नितिन ! धरती और आकाश की श्रेष्ठता पर बहस करते हुए जमाने गुजर जाएँगे, पर ये सिद्ध न हो सकेगा।

नितिन - सही कहा मित्र! ये दोनों ही अपनी-अपनी जगह श्रेष्ठ हैं।
(ख) समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आत्म-सुरक्षा की सीख देते हुए एक माँ और बेटी का संवाद:

माँ- लड़कियों को अपनी सुरक्षा के प्रति खुद ही जागरूक रहना चाहिए।

बेटी - हाँ माँ! आप ठीक कह रही हैं। आजकल हमारे कॉलेज में स्वयं आत्मरक्षा करने के सम्बन्ध में शिविर लगाकर जानकारी दी जा रही है।

माँ- कैसी जानकारी?

बेटी - शारीरिक हिंसा से बचाव के दाँव-पेंच व शरीर को चुस्त व दुरुस्त रखने के व्यायाम सिखाते हैं-अचानक हुए आक्रमण से बचाव व स्वयं आक्रमण करने के तरीके बताते हैं।

माँ- अच्छा, तो यह सब लड़कियों को अवश्य सिखाना चाहिए।

बेटी- हमारे कॉलेज की अधिकतर लड़कियाँ अपनी आत्मरक्षा के तरीके सीख चुकी हैं।

माँ- लेकिन इसके अलावा भी लड़कियों को मर्यादित पहनावा रखना चाहिए। किसी की भी बातों पर सहज विश्वास नहीं करना चाहिए। सुनसान एवं बिना जानी-पहचानी जगह पर सरक्षा के साथ ही जाना चाहिए। किसी भी समस्या या परेशानी के सम्बन्ध में घर के लोगों को तुरन्त बताकर सलाह-मशवरा कर लेना चाहिए। खास व विश्वास के मित्रों को ही फोन नम्बर आदि देना चाहिए।

अथवा

कक्षा में होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता हेतु प्रोत्साहित करते हुए अध्यापक व छात्र के बीच हुए संवाद:

छात्र - नमस्कार, गुरु जी!

अध्यापक - नमस्कार, बेटे! सुखी रहो। कहो, कैसे आना हुआ?

छात्र - कल गांधी जयंती है, गुरुजी। मुझे कल बाल सभा में गाँधी जी के जीवन के विषय में कुछ बोलना है।

अध्यापक - कहो, मैं उसमें तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?

छात्र - गुरु जी! मैंने गांधी जी के विषय में भाषण लिख तो लिया है, अब उसे रट रहा हूँ। थोड़ी देर बाद आप मुझसे सुन लीजिए।

अध्यापक - ऐसी भूल कभी मत करना, अंशु।

छात्र - क्यों गुरु जी, क्यों नहीं?

अध्यापक - तुम नहीं जानते, बेटे। जो चीज़ रटकर सुनाई जाती है, उसका श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। जब तुम बोलने के लिए श्रोताओं के सामने खड़े होगे, तो तुम्हें अनेक चेहरे दिखाई देंगे। कुछ तुम्हारे भाषण में दिलचस्पी लेते दिखाई देंगे। कुछ आपस में बातें करते होंगे। ऐसी दशा में तुम्हें उनके चेहरों के हाव-भाव को देखकर अपने भाषण को बदलना होगा। ऐसा करने में तुम्हारी श्रृंखला टूट जाएगी और तुम रटे हुए भाषण को भूल जाओगे।

छात्र - किंतु मैं तो रटे बिना एक शब्द भी नहीं बोल सकता।

अध्यापक - ठीक है, पहले-पहल ऐसा ही किया जाता है, किन्तु यदि तुम बीच में कोई वाक्य भूल गए तो क्या करोगे? 

छात्र - इसके लिए मैं कुछ संकेत लिखकर ले जाऊँगा।

प्रश्न.8: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर नारा लेखन कीजिए।
(क) हिंदी दिवस पर 'हिंदी भाषा' को ध्यान में रखते हुए नारा लेखन कीजिए।

अथवा

'जल संरक्षण' पर नारे लिखिए।
(ख) 'पर्यावरण सुरक्षा' पर तीन नारे लिखिए।

अथवा

यातायात सम्बन्धी नारा लिखिए।

(क) हिंदी दिवस पर 'हिंदी भाषा' को ध्यान में रखते हुए नारा लेखन:

  • भारत माँ के भाल हिमालय पर सजी बिंदी हूँ
    उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम को जोड़ती, आपकी भाषा हिंदी हूँ।
  • संस्कृति और सभ्यता को जोड़ने का माध्यम हूँ,
    मैं सरल, सहज आपकी अपनी भाषा हिंदी आपका सम्मान हूँ।
  • जन-जन की भाषा है हिंदी,
    सहजता की परिभाषा है हिंदी,
    हिंदी का सम्मान करो,
    विश्व में इसका नाम करो।
  • हिंदी देश की आन है,

    जन-जन का अभिमान है,

    कोटि-कोटि की पहचान है,

    हिंदी भारत की शान है।

  • माँ के माध्यम से सीखी हिंदी

    इसलिए यह मातृभाषा है

    हिंदी से ही सीखे संस्कार

    आप सभी को मेरा नमस्कार।

अथवा

'जल संरक्षण' पर नारे:

  • कल को यदि लाना है,
    तो आज से जल बचाना है।
  • जल जीवन का आधार है,
    बिन इसके सूना संसार है।
  • पानी की हर द बचाओ,
    भविष्य को सुरक्षित बनाओ।
  • जल है, प्रकृति का उपहार,
    इसके संरक्षण में ही सबका उपकार।
  • पानी बचाओ, पानी बचाओ,
    पानी है अनमोल,
    न बहने दो पानी को,
    जानो इसका मोल।

(ख) 'पर्यावरण सुरक्षा पर पाँच नारे:

  • पर्यावरण की सुरक्षा, जीवन की रक्षा।
    पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण भगाओ,
    जन-जीवन को सुरक्षित बनाओ।
  • जागरूकता को फैलाना है,
    पेड़-पौधे लगाना है।
  • बच्चों को दो सब शिक्षा
    पेड़ पौधों की करें सुरक्षा।
अथवा
  • मत करो इतनी मस्ती,
    जिन्दगी नहीं है सस्ती।

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FAQs on Class 9 Hindi B: Sample Question Paper Term II- 1 (With Solutions) - Sample Papers For Class 9

1. कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 (समाधान सहित) क्या हैं?
उत्तर: यह प्रश्न पत्र कक्षा 9 के हिंदी बी पाठ्यक्रम के लिए तैयार किया गया है और अवधि II के लिए है। यह प्रश्न पत्र छात्रों को परीक्षा की तैयारी करने में मदद करेगा।
2. कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 में कितने प्रश्न हैं?
उत्तर: कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 में कुल 40 प्रश्न हैं।
3. कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 के खण्ड क्या-क्या हैं?
उत्तर: कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 में खण्ड 'क' और खण्ड 'ख' हैं।
4. कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 का प्रयोग किसलिए किया जाता है?
उत्तर: कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 का प्रयोग छात्रों को परीक्षा की तैयारी करने में मदद करने के लिए किया जाता है। यह प्रश्न पत्र छात्रों को परीक्षा के पैटर्न को समझने और परीक्षा के लिए अभ्यास करने का एक अच्छा स्रोत है।
5. कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 में समाधान भी हैं?
उत्तर: हाँ, कक्षा 9 हिंदी बी: नमूना प्रश्न पत्र अवधि II- 1 में समाधान भी मौजूद हैं। समाधान छात्रों को अपने उत्तरों की जाँच करने और अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करेंगे।
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